आजकल के फैशन के दौर में युवा पीढ़ी इस कदर मशगूल है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं है। आजकल एक ऐसा ही चलन चल पड़ा है जो एक आकर्षित खतरे के रूप में सभी ओर बढ़ रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं टैटू की यह एक ऐसा ट्रेंड है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक को आकर्षित कर रहा है। पहले तो इसकी इक्का-दुक्का दुकान ही देखने को मिलती थी पर आजकल हर गली पर टैटू बनाने वाले मिल जाएंगे। जहां आपको लोगों की भीड़ भी दिखाई देगी।
पहली बार, विज्ञान ने माना है कि आपके टैटू के नैनोकण आपके ब्लड में समाप्त हो जाएंगे।
मनुष्य हमेशा अपनी त्वचा को स्याही के साथ कम से कम 5,000 वर्षों से सजाते आ रहे हैं, लेकिन हम अभी भी यह नहीं जानते हैं कि यदि कोई कलर हमारे शरीर में जाता है हो,तो उसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
पहली बार वैज्ञानिकों ने साक्ष्य पाया है कि की टैटू की स्याही में पाए जाने बाले रंजकता(pigment)और दोष (impurities)दोनों नैनोकणों के रूप में आपके शरीर के अन्दर जा सकते हैं।
टैटू की स्याही हमारी त्वचा में पाई जाने बाली 5 परतो में से दोनों डर्मिस और एपिडर्मिस के नीचे एक सुई के माध्यम से जमा होती है, जहां ये आपके प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) को तोड़ सकती है त्वचा की पहली परत हमें रोगों से बचाती है
लेजर से टैटू हटाने से इन कणों को छोटे से छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है ताकि आपका शरीर उनको निकाल सके। लेकिन, जबकि अधिकांश स्याही आपके ब्लड तक जा चुकी होती है । और, यूरोपीय सिंक्रोट्रॉन के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह एक समस्या हो सकती है, क्योंकि हमें नहीं पता कि यह हमारे शरीर के लिए क्या कर सकता है।
शोधकर्ता हिरम कैस्टिलो ने कहा, “जब कोई Tattoo बनवाना चाहता है, तो उसे वह पार्लर को चुनना चाहिए जो पहले से उपयोग नहीं किए गए सुई (sterile needles) का इस्तेमाल करते हैं”।
“कोई भी रंगों की रासायनिक संरचना की जांच नहीं करता है, लेकिन हमारे अध्ययन से पता चला है कि शायद उन्हें अपने इस्तेमाल की जाने बाली इंक की जाँच करनी चाहिए।”
टैटू पिगमेंट की संरचना(composition)का शरीर पर अज्ञात प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, इंक में पाए जाने बाले तत्व कोबाल्ट, क्रोमियम, मैंगनीज और निकेल जैसे पिगमेंट और contaminants शामिल होते है जो टैटू की स्याही का उपयोग करने बालो के लिए एलर्जी और अन्य प्रतिक्रियाएं के लिए जाने जाते है
एक बहुत ही सामान्य घटक टाइटेनियम डाइऑक्साइड है, जिसका इस्तेमाल सफेद स्याही के लिए किया जाता है। यह अन्य रंगीन रंगों को हल्का करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। शोधकर्ताओं ने एक्स-रे माइक्रोस्कोपी और एक्स-रे नैनोप्रोबी बीमलाइन का उपयोग करके इन प्रकार के टैटू नैनोकणों को को शरीर में ट्रैक किया है।
सभी Tattoo बुरे नहीं होते, बल्कि पिछले शोध से पता चला है कि बहुत से लोग जो टैटू बनवाते है उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक मजबूत होती है, जैसे कि उसने उसे जिम मेहनत कर अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया हो।
टैटू बनवाते समय बहुत दर्द झेलना पड़ता है। स्किन पर सूजन आ जाती है, अधिक सूजन या पकने के कारन त्वचा में मवाद भी उत्पन्न हो जाती है। इससे इसमें संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और इससे सोराइसिस का खतरा बढ़ जाता है। स्थाई टैटू से होने वाले दर्द से बचाव के लिए कई बार लोग अस्थाई टैटू बनवाने का चयन करते हैं, परन्तु इनसे भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि टैटू बनवाने से पहले लोगों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवा लेना चाहिए। इसके अलावा आपको किसी स्पेशलिस्ट से ही टैटू बनवाना चाहिए जो इस कला में माहिर हो। स्पेशलिस्ट उपकरण और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं। जिस जगह पर टैटू बनवाएं वहां पर रोजाना एंटीबायोटिक क्रीम जरूर लगाते रहें।
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