Naturopathy in Hindi: नेचुरोपैथी या प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन नेचुरोपैथी क्या होती है, यह बहुत कम लोग जानते हैं। हालांकि, आजकल पुरानी या बड़ी बीमारियों का उपचार के लिए प्राकृतिक चिकित्सा यानि नेचुरोपैथी बहुत प्रचलित है। इसमें बिना किसी दवाओं का उपयोग किए ही पंच तत्वों का पालन करते हुए बीमारी का इलाज किया जाता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में छुपे हुए बरसों पुराने रोग भी बाहर आ जाते हैं। हमें अपने वेदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता हैं। अगर आप भी किसी पुरानी बीमारी या गंभीर रोग से गुजर रहे हैं, तो आपको नेचुरोपैथी की मदद जरूर लेनी चाहिए, लेकिन इससे पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना भी जरूरी है। इस लेख में आप जानेंगें नैचुरोपैथी क्या है, यह कैसे काम करती है, किन-किन रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है और प्राकृतिक चिकित्सा के फायदे क्या हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा एक बहुत प्राचीन पद्धति है। इसमें शरीर को कोई नुकसान या दर्द पहुंचाए बिना रोगों का बेहतर इलाज करने की कोशिश की जाती है। इस चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से न केवल व्यक्ति के रोगों को दूर किया जाता है, बल्कि उसे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी प्रदान किया जाता है। यह न केवल आपकी सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है, बल्कि तनाव, अवसाद और चिंता को भी कम करती है। आज भारत सरकार इस पद्धति का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। आयुष मंत्रालय ने देश में जगह-जगह आयुष सेंटर और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र खोल रखे हैं।
डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इसकी सहायता से इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, पाइल्स (बवासीर), कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार किया जा सकता है। तो चलिए, आज के इस आर्टिकल में जानते हैं नेचुरोपैथी के बारे में। इससे पहले जानिए क्या है नेचुरोपैथी।
विषय सूची
1. नेचुरोपैथी क्या है – Naturopathy kya hai in Hindi
2. प्राकृतिक चिकित्सा की मुख्य विशेषताएं – Salient Features of Naturopathy in Hindi
3. नेचुरोपैथी के फायदे – Benefits of naturopathy in Hindi
4. नेचुरोपैथी के सिद्धांत – Principles of Naturopathy in Hindi
5. नेचुरोपैथी का निदान – Diagnosis of Naturopathy in Hindi
6. न्यूरोपैथी की प्रेक्टिस कौन करता है – Who practices naturopathy in Hindi
7. नेचुरोपैथी का उपयोग कौन कर सकता है – Who can use Naturopathic medicine in Hindi
8. प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ महत्वपूर्ण उपचार – Important Treatments of Naturopathy in Hindi
9. नेचुरोपैथी की लोकप्रिय थैरेपीज – Popular therapies of Naturopathy in Hindi
10. प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े लोगों के सवाल और जवाब – Question and answer related to naturopathy in Hindi
नेचुरोपैथी को प्राकृतिक चिकित्सा भी कहा जाता है। नैचुरोपैथी बीमारियों से लड़ने की प्राचीन पद्धति में से एक है। इसमें किसी प्रकार की औषधि का प्रयोग किए बिना ही रोगों का उपचार किया जाता है। प्रकृति के पांच मूल तत्व पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल , वायु का पालन करते हुए व्यक्ति को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान की जाती है। मिट्टी का इस्तेमाल शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है, वहीं पानी का उपयोग हाइड्रोथैरेपी के रूप में किया जाता है। इससे पेट, यूरीन आदि की समस्या को दूर करते हैं। इसमें होम्योपैथी, एक्यूपंचर, हर्बल मेडिसिन के साथ-साथ बायो रेजोनेंस, ओजोन थैरेपी और कोलोन हाइड्रोथैरेपी जैसी आधुनिक पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। इस वक्त जब देश में व्यक्ति पर्यावरण प्रदूषण, खराब आहार और तनाव से जूझ रहा है, ऐसे में आज प्राकृतिक चिकित्सा यानि नेचुरोपैथी का रोल काफी महत्वपूर्ण है।
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प्राकृतिक चिकित्सा की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
आज हमारे देश की चिकित्सा प्रणाली बेहद विकसित और कुशल है। बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज संभव है। लेकिन कई बार इन नई चिकित्सा पद्धति के इस्तेमाल के कुछ साइड इफेक्ट भी देखने को मिल जाते हैं। कभी-कभी तो यह साइड इफेक्ट जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। ऐसे में सवाल आता है कि आखिर चिकित्सा की ऐसी कौन-सी पद्धति है जो सबसे कुशल और कम साइड इफेक्ट वाली हो, तो इसका जवाब है प्राकृतिक चिकित्सा। प्राकृतिक चिकित्सा के फायदे बहुत हैं, जिसके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं। आइये जानतें हैं नेचुरोपैथी कैसे हमें नेचर के करीब ले जाती है और इसके फायदे क्या हैं।
किसी भी रोग को पहली फुर्सत में ही विकसित होने से रोकना, इसका मुकाबला करने का प्रभावी तरीका है। प्राकृतिक चिकित्सा रोग की रोकथाम में आज सबसे आगे है। इसके जरिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजूबत बनाया जाता है, ताकि आपका शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो सके।
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नेचुरोपैथी में पारंपरिक चिकित्सा द्वारा सामान्य बीमारियों का इलाज करने की क्षमता होती है। प्राकृतिक चिकित्सा उपचार का उपयोग करके आम प्रकार के विकारों और पाचन विकार, एलर्जी सिरदर्द, सामान्य सर्दी, त्वचा की समस्या जैसे एक्जिमा और सोरायसिस से छुटकारा पाया जा सकता है।
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प्राकृतिक चिकित्सा दवा अनिद्रा और अन्य नींद विकारों को दूर करने के लिए समाधान प्रदान करती है। पोषण संबंधी आहार के साथ संयुक्त प्राकृतिक चिकित्सा में किए जाने वाले हर्बल उपचार बेहतर नींद लेने में मदद करते हैं।
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नेचुरोपैथी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर कई उपचार प्रदान करती है। इसमें नेचुरल सप्लीमेंट्स, जड़ी-बूटियों वानस्पतिक उपचार, होम्योपैथी, रेकी और एक्यूपंचर जैसे वैकल्पिक उपचार भी शामिल हैं।
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नेचुरोपैथी ट्रीटमेंट व्यक्ति को अपने भीतर से जोड़ने में मदद करता है। इसके लिए यह रोगियों की अपने शरीर को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद करता है। इससे व्यक्ति की आत्म जागरूकता बढ़ती है।
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प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसा दष्टिकोण है, जो भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण के संयोजन पर जोर देता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक तत्वों के महत्व को पहचानने में मदद करता है। इससे यकीनन आपके सोचने का तरीका पूरी तरह से बदल जाता है।
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नेचुरोपैथी या प्राकृतिक चिकित्सा पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी उपचार है। इसके साइडइफेक्ट होते ही नहीं है या बहुत कम होते हैं। इसका उदद्देश्य अंतनिर्हित बीमारी और विकारों का इलाज करना है।
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अब हम बात करते हैं कि आखिर प्राकृतिक चिकित्सा किस सिद्धांत पर काम करती है? दरअसल अगर आप इसके सिद्धांत को समझ जाएंगे तो यकीनन आप भी इसको करना चाहेगें। प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैथी का ऐसा मानना है कि मनुष्य के शरीर में खुद से ही सभी रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। प्राकृतिक चिकित्सा के छह मूलभूत सिद्धांत हैं-
प्राकृतिक चिकित्सा हीलिंग पॉवर ऑफ नेचर के सिद्धांत पर काम करती है। यह प्रत्येक व्यक्ति में अंतनिर्हित स्वचिकित्सा प्रक्रिया को पहचानती है। खुद से ही सभी रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करती है।
नेचुरोपैथिक चिकित्सक उन तरीकों और प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जो हानिकारक दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करते हैं, वो भी बिना चोट पहुंचाए।
स्वास्थ्य और बीमारी हमारे जीवन से जुड़े विभिन्न कारकों का परिणाम है। ऐसे में नेचुरोपैथी बीमारी के लक्षणों से परे अंर्तनिहित कारणों को देखते हैं। और उन्हें दूर करते हैं।
डॉक्टर का मूल अर्थ शिक्षक है। प्राकृतिक शिक्षक प्रत्येक रोगी की समस्या को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाते हैं। व्यक्तिगत स्वास्थ्य प्रबंधन पर रोगियों को शिक्षित करना और उनका समर्थन करना प्राकृतिक चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका है। वे रोगियों को अपने स्वयं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देते हैं।
यह एक समग्र अवधारणा है जो शरीर को एक एकीकृत संपूर्ण के रूप में पहचानती है। प्राकृतिक चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं, बीमारी का नहीं। एक प्राकृतिक मूल्यांकन एक व्यक्ति के जीवन में नूट्रिशनल की स्थिति, जीवन शैली, पारिवारिक इतिहास, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आनुवंशिक, पर्यावरण और सामाजिक कारकों को संबोधित करता है।
नेचुरोपैथिक चिकित्सक बीमारी के जोखिम कारकों, अनुवांशिकता और संवेदनशीलता के आकलन और बीमारी को रोकने के लिए रोगियों के साथ मिलकर बीमारी की रोकथाम पर जोर देते हैं।
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प्राकृतिक चिकित्सा का लक्ष्य शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करके व्यक्ति का इलाज करने का है। यह न केवल रोगों के लक्षण को दूर करती है, बल्कि बीमारी के मूल कारणों को ठीक करने का भी एक तरीका है। एक प्राकृतिक चिकित्सक एक से दो घंटे आपकी जांच कर सकता है। वह आपके स्वास्थ्य इतिहास, तनाव के स्तर और जीवनशैली की आदतों के बारे में आपसे प्रश्न कर सकता है। इसके अलावा वह कुछ लक्षणों के जानने के लिए लैब टेस्ट की भी सलाह दे सकता है। बाद में वह आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजना पर चर्चा करेगा।
आपको बता दें, कि प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा और रोकथाम पर केंद्रित है, इसलिए डॉक्टर आपको व्यायाम, आहार और स्ट्रेस मैनेजमेंट के टिप्स भी दे सकता है। सभी जानकारी एकत्रित हो जाने के बाद एक उपचार योजना तैयार की जाती है, जो व्यक्ति के जीवन के सभी क्षेत्रों को संबोधित करती है, जिससे शरीर को स्वयं को ठीक करने का अच्छा मौका मिलता है। उपचार योजना में आहार, जीवनशैली, व्यायाम, हर्बल दवा, या अन्य उपयुक्त उपचार शामिल हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के अलावा होम्योपैथी, हर्बल मेडिसिन और एक्यूपंचर का भी उपयोग कर सकते हैं। आपके शरीर में संतुलन बनाने के लिए मसाज और प्रेशर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे न्यूरोपैथिक मैनिपुलेटिव थैरेपी कहा जाता है।
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न्यूरोपैथी से जुड़े लोग आपको अस्पतालों, क्लीनिक, सामुदायिक केंद्र और नीजि कार्यालयों में मिल जाएंगे। ये तीन ग्रुप्स में बंटे होते हैं और सभी की अलग-अलग शिक्षा और पृष्ठभूमि होती है।
नेचुरोपैथिक फिजिशियन- इन्हें नेचुरोपैथिक डॉक्टर्स या डॉक्टर्स ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन भी कहा जाता है। ये आमतौर पर एक मान्यता प्राप्त चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स करते हैं। ये एक आम डॉक्टर्स की ही तरह साइंस सीखते हैं, लेकिन इसके साथ ही ये पोषण, मनोविज्ञान और पूरक चिकित्सा जैसे हर्बल दवा के अलावा होम्योपैथी की भी स्टडी करते हैं। कुछ राज्यों और क्षेत्रों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्राकृितक चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है, कि उन्हें निरंतर अभ्यास करने के लिए परीक्षा पास करनी होती है।
ट्रेडिश्रल न्यूरोपैथी – ये चिकित्सक एक मान्यता प्राप्त प्राकृितक चिकित्सा विद्यालय में नहीं पढ़ते और न ही इन्हें लाइसेंस प्राप्त होता है। इनकी शिक्षा व्यापक रूप से बहुत अलग होती है।
हेल्थकेयर प्रोवाइडर- कुछ मेडिकल डॉक्टर्स, डेंटिस्ट, अस्थि रोग विशेषज्ञ और नर्स नेचुरोपैथिक मेडिसन में ट्रेनिंग लेती हैं।
नेचुरोपैथी की उत्पत्ति- नेचुरोपैथी के सिद्धांतों का प्रयोग पहली बार हिप्पोक्रेटिक स्कूल ऑफमेडिसिन द्वारा लगभग 400 ईसा पूर्व में किया गया था। यूनानी दार्शनिक ने बीमारी का कारण खोजने के लिए प्रृकति के नियमों का उपयोग किया। आज नेचुरोपैथी में मॉर्डन सांइस के साथ पारंपरिक उपचार भी जोड़ दिए गए हैं।
वैसे तो नेचुरोपैथी का इस्तेमाल कोई भी कर सकता है, लेकिन ये उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जो पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से अपनी पुरानी बीमारी से राहत नहीं पा सके हैं। कई मामलों में एक बीमारी के इलाज के लिए पारंपरिक और प्राकृतिक चिकित्सा दोनों का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए प्राकृतिक चिकित्सा उपचार कीमोथैरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन अपने चिकित्सक को प्राकृतिक उपचार के बारे में बताना ना भूलें। इस तरह दोनों प्रदाता आपके स्वास्थ्य के लिए एक टीम के रूप में काम कर सकते हैं।
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नेचुरोपैथी में ऐसे कई बेहतरीन थैरेपीज हैं, जिनका इस्तेमाल आजकल नेचुरोपैथिक सेंटर में किया जाता है।
यहां हम आपको कुछ लोकप्रिय थैरेपीज के बारे में बता रहे हैं।
नेचुरोपैथी में प्रकृति से मिलने वाली चीजों का उपयोग कर रोगों का इलाज किया जाता है। उन्हीं में से एक है मड थैरेपी। मिट्टी प्रकृति के पांच तत्वों में से एक है। इसके लिए जमीन की तीन से चार फीट गहराई में मिलने वाली मिट्टी का प्रयोग होता है। डॉक्टर उपयोग से पहले इस मिट्टी को पूरी तरह से साफ करते हैं, ताकि इसमें कोई पत्थर या कंकड़ न रह जाए। मिट्टी से की जाने वाली थैरेपी के बहुत से फायदे हैं।
यह आपके मुंहासों की समस्या को दूर करती है, पाचन को सही रखती है। कब्ज, डायरिया, ड्राय स्किन, सिर दर्द और हाई बीपी जैसी बीमारियों को ठीक करने में ये बहुत फायदेमंद है। सिरदर्द की स्थिति में पानी के साथ मिट्टी को मिलाकर माथे पर लगाएं और आधे घंटे तक लगा रहने दें। सिरदर्द दूर हो जाएगा। वहीं कब्ज से बचने के लिए मिट्टी के पैक को पेट पर 20 से 30 मिनट तक लगा रहने दें। इससे पेट से संबंधित सभी समस्या दूर हो जाएगी।
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नेचुरोपैथी में मैग्रेट थैरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बिना दर्द और तकलीफ के ट्रीटमेंट किया जाता है। मैग्रेट थैरेपी की मदद से विभिन्न अंगों के ऊर्जा मार्ग पर स्थित बिन्दुओं पर अलग-अलग आकार की मैग्रेट को चिपका देते हैं। चुंबकीय प्रभाव से यह बिन्दु सक्रिय हो जाते हैं और ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है। इसमें कंधे, कोहनी, कमर, घुटने, एड़ी में दर्द, स्लिप डिस्क, पाचन, थायरॉइड जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है।
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प्राकृतिक चिकित्सा में कलर थैरेपी भी बहुत कॉमन है। रंग लोगों के व्यवहार और मास्तिष्क को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। रंग तनाव से उत्पन्न विकारों को ठीक कर सकते हैं। हर रंग का मानव मन पर अलग प्रभाव पड़ता है। इंद्रधनुष के सात रंग शरीर के सात रंगों से संबंधित हैं। रंग चक्रों के इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक क्रोमोथैरेपिस्ट विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए रंग और प्रकाश का उपयोग करता है।
यह प्राकृतिक चिकित्सा की एक लोकप्रिय थैरेपी है। इसमें शरीर के किसी भी बिंदु पर पतली-पतली सुइंया चुभाई जाती हैं। इस बिंदु का कनेक्शन आपकी बीमारी से होता है। इससे दर्द में राहत मिलती है। एक सामान्य इलाज में 5 से 20 सुई का प्रयोग होता है। यह उन मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है, जिन्हें पेन किलर्स से भी कोई फायदा नहीं हो रहा हो।
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यह एक प्रकार की बहुत पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें शरीर के विभिन्न स्थानों पर स्थित पॉइंट को दबाकर सेहत की समस्या को हल किया जाता है। इन सभी पॉइंटस का संबंध उस जगह से होता है, जहां आपको समस्या होती है। अगर आपको चक्कर आना, तनाव या सिर में दर्द है, तो कान के पीछे की तरफ झुके हुए भाग को दबाने से बहुत फायदा होगा। इसी तरह कोलेस्ट्रॉल, उल्टी, बीपी की समस्याओं में कोहनी के पीछे वाला हिस्सा दबाने से लाभ मिलेगा।
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इस थैरेपी के अनुसार, भोजन को प्राकृतिक रूप में लिया जाता है। जैसे ताजे मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज। अल्कलाइन होने के कारण ये आहार स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, शरीर को शुद्ध करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में मदद करते हैं। बता दें, कि नेचुरोपैथी में भोजन को औषधि माना जाता है।
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नेचुरोपैथी में माना जाता है, कि उपवास स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। नेचुरोपैथी में उपवास की अवधि उम्र, बीमारी का प्रकृति और पूर्व दवा के प्रयोग पर निर्भर करती है। उपवास को दो से तीन दिन तक किया जा सकता है और फिर धीरे-धीरे अवधि बढ़ाई जा सकती है। इस उपवास के दौरान कच्ची सब्जियों के रस और पानी का सेवन किया जाता है, जो एकदम ताजा होना चाहिए। इस दौरान कम से कम छह से आठ गिलास तरल पदार्थ का सेवन करना ही चाहिए।
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नेचुरोपैथी में हाइड्रोथैरेपी सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसमें रोगों का उपचार जल से किया जाता है। इस पद्धति में जल से भरे टब में हर्बल प्रोडक्ट्स को मिलाकर स्नान कराया जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर स्वच्छ होता है और आपकी त्वचा में ऊर्जा का संचार भी होता है। इस थैरेपी को लेने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, मांसपेशियों में सुधार होता है, रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है और पाचन क्रिया मजबूत बनती है।
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एयर थैरेपी का लाभ वायु स्नान के माध्यम से मिलता है। नेचुरोपैथी की इस प्रक्रिया में कपड़े निकालने के बाद रोजाना टहलना चाहिए। इससे ब्लड फ्लो तेज होता है। यह थैरेपी घबराहट, गठिया, त्वचा, मानसिक और अन्य विभिन्न विकारों में को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।
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मसाज भी प्राकृतिक चिकित्सा का ही एक साधन है और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी भी है। इसमें हाथ, पैरों, उंगलियों, कोहनी, घुटने और अग्र भुजाओं की मालिश की जाती है। मसाज थैरेपी का उद्देश्य रक्त परिसंचरण में सुधार करना और शारीरिक अंगों को मजबूती प्रदान करना है।
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नेचुरोपैथी आमतौर पर स्वास्थ्य उपचार का एक सुरक्षित रूप है। हालांकि, प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ पहलू विवादास्पद हो सकते हैं।
चूङ्क्षक, नेचुरोपैथिक विधियां व्यापक रूप से बहुत अलग होती हैं, इसलिए इसे लेने से पहले अपने नेचुरोपैथी डॉक्टर के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। प्राकृतिक चिकित्सा के पीछे की फिलॉस्फी को भी समझना चाहिए।
प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) में मिट्टी के लेप यानि मड थैरेपी, वॉटर ट्रीटमेंट, एनिमा, एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, सूर्य चिकित्सा, व्रत रखकर, संतुलित आहार यानि डाइट थैरेपी, होम्योपैथिक दवाओं आदि माध्यम से नेचुरोपैथी में इलाज किया जाता है।
नेचुरोपैथी किसी विशिष्ट बीमारी का इलाज नहीं करती। यह एक कॉम्प्लीमेंट्री थैरेपी है। किसी भी गंभीर या पुरानी बीमारी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से चर्चा जरूर करें। इसके अलावा जिस डॉक्टर से आप ट्रीटमेंट ले रहे हैं, उसके बैकग्राउंड के बारे में जरूर जान लें।
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