Navratri in Hindi: नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो नौ रातों (और दस दिनों) तक चलता है और हर साल सितंबर और अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह शक्ति और पवित्रता का प्रतीक देवी दुर्गा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि व्रत लगातार नौ दिनों तक चावल, गेहूं और दालों जैसे अनाज से बचने और उपवास करने के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में आप जानेंगें नवरात्रि क्या होती है, नवरात्रि कब मनायी जाती है, नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, साल में नवरात्रि कितनी बार मनायी जाती है, नवरात्रि में दुर्गा के कितने रुपों की पूजा होती है, नवरात्रि के नौ दिन और नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण के बारे में।
भारत पर्वों का देश है और यहां अलग अलग ऋतु में अलग अलग त्योहार पड़ते रहते हैं। नवरात्रि भी एक ऐसा त्योहार है जो शरद ऋतु में पड़ती है। इस दौरान चारों तरफ भक्तिमय माहौल रहता है और हर ओर देवी के जयकारे सुनायी देते हैं। चूंकि यह नवरात्रि मां दुर्गा से संबंधित होती है इसलिए इसे बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। माता के भक्त नौ दिनों का उपवास रखकर पूरे भक्तिभाव से नवरात्रि मनाते हैं और सुख समृद्धि की कामना करते हैं। नवरात्रि को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को यह नहीं मालूम है कि वास्तव में नवरात्रि क्यों मनायी जाती है और नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है। इस आर्टिकल में हम इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
1.नवरात्रि क्या है – What is Navratri in Hindi
2. नवरात्रि कब मनायी जाती है – Navratri kab manayi jati hai in Hindi
3. साल में नवरात्रि कितनी बार मनायी जाती है – Navratri kitni baar manayi jati hai in Hindi
4. नवरात्रि क्यों मनायी जाती है – Why we celebrate Navratri in Hindi
5. नवरात्रि में दुर्गा के कितने रुपों की पूजा होती है – Navratri mein durga ke kitne roopo ki pooja hoti hai in Hindi
6. नवरात्रि के नौ दिन – Nine days of Navratri in Hindi
7. नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण – Scientific reasons behind Navratri in Hindi
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो प्रत्येक वर्ष बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि नौ रातों और दस दिनों की होती है। इस दौरान आदि शक्ति मां दुर्गा की आराधना की जाती है और देश भर में विभिन्न स्थानों पर पूजा पांडालों में दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करके पूजा की जाती है। नवरात्रि को दुर्गा पूजा भी कहा जाता है और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई अन्य भागों में इसका बहुत अधिक महत्व है।
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नवरात्रि प्रत्येक वर्ष शरद ऋतु में मनायी जाती है। वैसे तो वर्ष में कुल दो नवरात्रि पड़ती है लेकिन शरद ऋतु में मनायी जाने वाली नवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक मनायी जाती है। इसे शारदा नवरात्रि, शारदीय नवरात्र, आदिशक्ति दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार शारदा नवरात्रि प्रत्येक वर्ष सितंबर या अक्टूबर माह में पड़ती है। जबकि चैत्र नवरात्र मार्च या अप्रैल में मनायी जाती है।
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हिंदू ग्रंथों और वैष्णव पुराण के अनुसार वरात्रि वर्ष में दो या चार बार मनायी जाती है। लेकिन इसमें से शारदा नवरात्रि और वसंत या चैत्र नवरात्रि ही मुख्य होती है। शारदा नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक और चैत्र नवरात्रि विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। इन दोनों में शारदीय नवरात्रि को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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)नवरात्रि नौ दिनों का त्योहार है और इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हालांकि नवरात्रि मनाने के पीछे दो कहानियों का जिक्र किया जाता है। नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में भी मनाया जाता है। देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों में मान्यता है कि राम ने रावण को हराकर विजय प्राप्त की थी। इसी उपलक्ष्य में नवरात्रि मनायी जाती है। पुराणों के अनुसार रावण जब माता सीता का हरण करके ले गया था तब भगवान राम ने रावण से युद्ध करके उसका वध कर दिया था। राम और रावण का अंतिम युद्ध दशमी के दिन हुआ था और उसी दिन रावण मारा गया था। नवरात्रि में नौ दिनों तक रामायण का पाठ किया जाता है और रामलीला का मंचन आयोजित होता है। दसवें दिन रावण का पुतला जलाकर दशहरा मनाया जाता है।
भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में नवरात्रि उत्सव का मुख्य कारण यह माना जाता है कि शेर पर सवार होकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था और देवताओं की रक्षा की थी। इसी के उपलक्ष्य में नवरात्रि मनायी जाती है और आदि शक्ति दुर्गा की नौ दिनों तक आराधना की जाती है।
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प्रत्येक वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन अलग अलग देवियों की आराधना होती है और उन्हें चढ़ावा चढ़ाया जाता है। आइये जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक दुर्गा के किन रुपों की पूजा की जाती है।
माता के इन विभिन्न रुपों में अलग अलग शक्तियां विराजमान होती हैं। लोग प्रत्येक दिन अलग अलग रंग के वस्त्र धारण करके और विभिन्न प्रकार की पूजा सामग्री के साथ मां के इन सभी रूपों को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।
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नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि जब दो ऋतुओं का समागम होता है तो दोनों नवरात्रि इसी ऋतु के बीच पड़ती है। इसे ऋतु संधिकाल कहा जाता है और सेहत के लिए इसका बहुत महत्व है। पुराणों के अनुसार संधिकाल में वात, कफ और पित्त घट जाता है और व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है जिसके कारण तमाम तरह की बीमारियां शरीर में घर करने लगती हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए नौ दिनों की नवरात्रि का व्रत रखकर माता की भक्ति करना फलदायी माना जाता है। इस दौरान शरीर का शुद्धिकरण भी हो जाता है। इसके अलावा एक और वैज्ञानिक तर्क यह दिया जाता है कि नवरात्रि की नौ रातें बहुत शुभ होती हैं और इस दौरान प्रकृति के सभी अवरोध खत्म हो जाते हैं। यही कारण है कि संधिकाल में नवरात्रि मनायी जाती है।
हिंदू धर्म का बहुत पवित्र और धार्मिक पर्व होने के कारण नवरात्रि में लोग पूरे श्रद्धाभाव से एकजुट होकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। नवरात्रि हमारी संस्कृति का भी परिचायक है और इसके वैज्ञानिक कारण भी काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
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