नवरात्रि हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव और मां की उपासना करने का समय होता है। इन दिनों खान-पान में संयम, उपवास के साथ ही लोग 9 दिनों तक नवरात्रि में नंगे पैर चलते हैं। इन नौ दिनों तक जूते-चप्पल न पहनने का आध्यात्मिक कारण तो समझ में आता है। लेकिन नवरात्रि में नंगे पैर चलने के वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। नवरात्रि में नंगे पैर चलने के फायदे आस्था के साथ ही स्वास्थ्य से भी जुड़े होते हैं। जानकारों का मानना है कि नवरात्रि में बिना जूते-चप्पल पहने चलना सेहत के लिए भी बढ़िया विकल्प हो सकता है। ऐसा करने से आपकी भक्ति के साथ ही शरीर की शक्ति में भी वृद्धि हो सकती है।
नवरात्रों में कुछ लोग 9 दिन वृत रख कर, मांस मदिरा को त्याग कर, 9 दिन तक विशेष जप-तप और मंत्र उच्चारणों के साथ ही जूते-चप्पलों का त्याग करके देवी मां को प्रशन्न करने का प्रयास करते हैं। ईशवर पर आस्था का कोई विकल्प नहीं है। लेकिन इस लेख में हम जानेगें कि नवरात्रि में बिना जूते-चप्पल पहने पैदल चलने के फायदे और वैज्ञानिक कारण क्या हैं।
विषय सूची
1. नवरात्रि में नंगे पैर चलने के कारण – Navratri Me Nange Pair Chalne Ke Karan in Hindi
2. नवरात्रि में नंगे पैर चलने के फायदे – Navratri Me Nange Pair Chalne Ke Fayde in Hindi
3. नवरात्र में नंगे पैर पैदल चलने के नुकसान – Navratri Me Nange Pair Chalne Ke Nuksan in Hindi
4. नवरात्रि में नंगे पैर चलने के दौरान सावधानियां – Navratri Mein Nange Pair Chalne Ke Dauran Savdhaniya In Hindi
नवरात्रि व्रत रखना और नंगे पैर पैदल चलना हमारी प्राचीन परंपराओं में से एक है। नवरात्रि में बगैर जूते-चप्पल पहने रहना श्रद्धालुओं की आस्था को दिखाता है, नवरात्रि में जूते-चप्पल न पहनने का आध्यात्म से संबंधित कारण यह है कि प्राचीन समय में पैरों के जूते और चप्पल चमड़े के बने होते थे। जिन्हें पहन कर मां की उपासना करना या व्रत रखना वर्जित माना जाता था। तब से ही नवरात्र में अधिकांश लोग अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार नौ दिनों तक जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं और व्रत रखते हैं।
नौ दिनों तक बगैर चप्पल-जूते के चलना धार्मिक संतुष्टि और मन को सुकून देने का जरिया हो सकता है। लेकिन इसके यदि वैज्ञानिक कारण देखे जाए तो नंगे पैर पैदल चलने के फायदे कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। आइए जाने नवरात्रि में नंगे पैर पैदल चलने के फायदे क्या-क्या होते हैं।
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नवरात्रि में मां की आराधना बहुत ही कठिन मानी जाती है। लोग अपनी क्षमता के अनुसार देवी आराधना में अपना ध्यान लगाते हैं। जिनमें व्रत रहना, सात्विक जीवन जीना, नौ दिनों तक मां की जोत के सामने जमीन पर ही सोना, लेकिन कुछ लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत या उपवास रखने के साथ ही अपने पैरों में जूते या चप्पल नहीं पहनते हैं।
बिना जूते-चप्पल पहने पैदल चलना आस्था और परंपरा के साथ ही वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से भी फायदेमंद होता है। क्या आप नवरात्रि में नंगे पैर पैदल चलने के फायदे और वैज्ञानिक पक्ष को जानते हैं। आइए जाने 9 दिन तक मां की उपासना करने के साथ ही नंगे पैर चलने के हमें क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।
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हम सभी जानते हैं कि वर्षा ऋतु समाप्त होते हैं शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं। यह वह मौसम होता जब न ही अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक ठंडी होती है। लेकिन वर्षा ऋतु के प्रभाव के कारण शरीर में शीत का असर होता है। इन दिनों की धूप हल्की गर्म होती है जो विटामिन डी प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छी होती है।
इन दिनों व्रत रहने के कारण शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है। यदि आप नवरात्रि में नंगे पैर चलते हैं तो यह आपके पैरों को मजबूत करने के साथ ही आपके फेफड़ों, पेट, गुर्दे और अन्य अंगों की कार्य क्षमता को भी उत्तेजित करता है। क्योंकि आपके पैरों में ऐसे बहुत से दवाब बिंदू होते हैं जो आपके शरीर के अन्य अंगों से संबंधित होते हैं।
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बरसात का मौसम जाने के बाद मौसम में हल्का बदलाव आता है जिससे मौसम में दिन में हल्की गर्मी और रात में हल्की ठंड का अनुभव होता है। लेकिन मौसम में परिवर्तन के दौरान हमारे शरीर के तापमान में भी परिवर्तन होना स्वाभाविक है। भले ही नवरात्रि में नंगे पैर चलना आस्था का विषय है लेकिन इस समय बिना जूते-चप्पल के पैदल चलने के वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं।
पूरी बरसात नमी होने के कारण हमारे शरीर में भी शीत का प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण शीत रोग और कफ संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ सकती है। लेकिन इस मौसम में नंगे पैर पैदल चलने से धरती की गर्मी को अवशोषित कर इस प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है। नवरात्र में नंगे पैर चलने से धरती की ऊषमा हमारे शरीर के तापमान को संतुलित करने सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
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एक्यूप्रेशर एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें शरीर के कुछ विशेष दबाव बिंदूओं को उत्तेजित किया जाता है। नव रात्र के समय नंगे पैर पैदल चलने के फायदे हमारे लिए एक्यूप्रेशर थैरेपी के समान हो सकते हैं। इस दौरान बिना जूते चप्पल के पैदल चलने से पैरों की नसों पर दबाव पड़ता है।
जिसके कारण पैर के निचले हिस्से और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा मिलता है। जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में मौजूद सभी ब्लाकेज को खत्म किया जा सकता है। नव रात्रि के नौ दिनों तक नंगे पैर पैदल चलने से आप नौं दिनों तक बिना कोई प्रयास किए एक्यूप्रेशर थैरेपी ले सकते हैं। जो आपके शरीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
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नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत रखना और नंगे पैर पैदल चलना देखने में शरीर को कष्ट देने जैसा लगता है। लेकिन ऐसा करने के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होते हैं। नवरात्रि में नंगे पैर चलने से आप अपने पुराने दर्द जैसी समस्याओं का उपचार कर सकते हैं।
धरती में मौजूद इलेक्ट्रॉन हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity system) को मजबूत करने में मदद करते हैं। इलेक्ट्राल हमारे शरीर द्वारा अवशोषित होते हैं, जबकि नंगे पैर चलने से ऑक्सीजन का स्तर हमारे शरीर में बढ़ जाता है। इस प्रकार पैदल चलकर शरीर के क्रॉनिकल (Chronicle) या तेज दर्द को कम किया जा सकता है।
आप को भी इस प्रकार का दर्द होता है तो उसका प्राकृतिक उपचार (Natural Remedies) करने के लिए नौ दिन तक नंगे पैर चलना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
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नवरात्र के समय लोग पूर्ण भक्ति भाव में डूबे होते हैं क्योंकि इस समय वे मानसिक संतुष्टि प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन नींद की कमी आपकी भक्ति और स्वास्थ्य दोनों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। नींद की कमी (Insomnia) के कारण हम दिन-प्रतिदिन सुस्त और थकाऊ बनते जा रहे हैं।
नींद न केवल हमारे मनोदशा और ऊर्जा को प्रभावित नहीं करता है बल्की हमारे व्यक्तिगत और आध्यात्मिक जीवन को भी अस्त व्यस्त कर सकती है। नवरात्र के दौरान नंगे पैर पैदल चलना हमारे शरीर की सर्कैडियन लय (Circadian Rhythm) को स्थिर करता है। जिसके द्वारा रात में हमारी नींद बेहतर
होती है। कई आध्यात्मिक ग्रंथों से पता चलता है कि नियमित आधार पर नंगे पैर चलने वाले लोग अपनी पूरी नींद लेते हैं।(और पढ़े – गहरी और अच्छी नींद लेने के लिए घरेलू उपाय…)
देवी भक्ति के लिए विशेष रूप से नवरात्र के नौ दिन निर्धारित किये गए हैं। जिनमें लोग अलग-अलग तरीके से देवी मां को प्रशन्न करने का प्रयास करते हैं। जिनमें नौ दिनों तक बिना जूते चप्पल पहने पैदल चलना भी शामिल है। लेकिन ऐसा करना आपके रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है यह वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है।
जब हम नंगे पैर चलते हैं तो पैरों की नसों (Nerves Of The Feet) को उत्तेजित करने में मदद मिलती है जो हमारे तनाव को कम करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमारे रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यदि आप बार-बार उच्च रक्तचाप के दौरों से गुजर रहे हैं तो पैदल चलने के फायदे प्राप्त कर सकते हैं।
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नवरात्री के दिनों में नंगे पैर चलने के फायदे आपको सूजन से छुटकारा दिला सकते हैं। शरीर के अंगों में सूजन कोशिकाओं की क्षति के कारण होती है जो धीरे-धीरे कैंसर, हृदय रोग और अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
नवरात्र में जमीन पर नंगे पैर चलने से पृथ्वी में मौजूद इलेक्ट्रॉन (Electrons), एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इस तरह से नवरात्रि में बिना जूते चप्पल के पैदल चलना कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर समस्याओं की संभावनाओं को भी कम कर सकता है।
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नवरात्रि के में बिना जूते और चप्पल पहने चलना आपको बार-बार बीमार होने से बचा सकता है। क्योंकि तंत्रिका तंत्र (Nervous system) को नंगे पैर चलकर उत्तेजित किया जा सकता है, तंत्रिका तंत्र के उत्तेजित होने पर प्रतिरक्षा शक्ति में सुधार होता है।
अक्सर हमने देखा है कि बच्चे नंगे पैर ही खेलना ज्यादा पसंद करते हैं, ऐसा करने से उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity system) को मजबूत करने में मदद मिलती है। आप भी अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन या कम से कम नवरात्रि में नंगे पैर चल सकते हैं।
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आध्यात्मिक संतुष्टि के साथ ही नव रात्रि में नंगे पैर चलने के फायदे आपकी आंखों की सेहत के लिए भी अच्छा होता है। आंख की नसों (Nerves Of The Eye) का संबंध पैर पर पड़ने वाले एक दबाव बिंदू से होता है।
जब आप नवरात्रि के दौरान सुबह नंगे पैर चलते हैं तो दबाव बिंदू उत्तेजित होते हैं और आंखों की द्दष्टि (Eye Sight) में सुधार करने में मदद करते हैं। आप भी नवरात्रों में इस प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान धार्मिक अनुष्ठान आदि करना वर्जित माना जाता है। हालांकि यह एक मिथक परंपरा है। लेकिन इस दौरान महिलाएं अप्रत्यक्ष रूप से मां की उपासना कर सकती हैं। ऐसी महिलाओं को नवरात्रों के दौरान नंगे पैर पैदल चलना लाभ दिला सकता है।
मासिक धर्म के दौरान हार्मोन का असंतुलन कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। महिलाओं में प्रीमेनस्ट्रल सिंड्रोम सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) मूड-स्विंग, पेट दर्द, सिरदर्द, वजन, कब्ज, मुँहासों और कुछ अन्य लक्षणों से छुटकारा दिलाने में नंगे पैर चलना मदद करता है।
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बिना जूते चप्पल पहने पैदल चलने के फायदे आप को तनाव और अवसाद आदि से बचा सकता है। नवरात्र में नंगे पाव चलने से तनाव हाईपरटेंशन, जोड़ों में दर्द, नींद न आना और हृदय संबंधी समस्याओं आदि से बचा सकता है।
नवरात्र के दौरान मां की उपासना करने और नंगे पैर चलने से न केवल आपको मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी प्राप्त हो सकते हैं।
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सामान्य रूप से नवरात्र के समय नंगे पैर चलना मां की भक्ति करने का एक तरीका माना जाता है। लेकिन इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण होते हैं। इन दिनों नंगे पैर पैदल चलने के अन्य लाभ इस प्रकार हैं।
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भले ही नवरात्र में नंगे पैर चलना हमारी आस्था और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। लेकिन कुछ लोगों को ऐसा करने से नुकसान भी हो सकता है। जैसे कि
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भले ही नवरात्रि में बिना जूते चप्पल पहने चलना आस्था और विश्वास से संबंधित है। लेकिन इस दौरान भी आपको कुछ विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। जिससे आपको अन्य प्रकार से शारीरिक क्षति होने की संभावना न हो।
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