NICU In Hindi समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के लिए कुछ कार्य बहुत ही चुनौती भरे हो सकते है इसलिए ऐसे प्रीमैच्योर बच्चों के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई (Neonatal Intensive Care Unit (NICU) खोली गयी है। आज इस लेख में जानेंगे की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) क्या है और इसमें किन शिशुओं को रखा जाता है और कौन इनकी देखभाल करते है और एनआईसीयू में जाते समय क्या सावधानियां रखे।
एक बच्चे का जन्म होना एक अद्भुत लेकिन बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में माँ और बच्चे दोनों में कई प्रकार के शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं। एक बच्चे को अपनी माँ के शरीर को छोड़ कर बाहर के जीवन के लिए कई शारीरिक समायोजन (adjustment) करने पड़ते है। एक बच्चे के लिए माँ का गर्भाशय छोड़ने का मतलब होता है की अब उस बच्चे को सारे महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों खुद ही करने होंगे क्योकि इसके लिए अब वो माँ के परिसंचरण (circulation) और नाल (placenta) पर निर्भर नहीं रह सकता है।
बच्चे को जन्म से पहले सांस लेने के लिए, खाना खाने के लिए, पेट की गंदगी को ख़त्म करने के लिए और इम्युनोलॉजिक प्रोटेक्शन (immunologic protection), इन सभी चीजो के लिए माँ पर ही निर्भर रहना पड़ता है । फिर जब बच्चा दुनिया में प्रवेश करता है, तो उसके शरीर के कई सिस्टम भ्रूण के जीवन के दौरान जिस तरह से कार्य करते थे, उससे अलग रूप में बदल देते है, जैसे-
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यह सभी कार्य बहुत ही चुनौती भरे हो सकते है इसलिए ऐसे प्रीमैच्योर बच्चों के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) (NICU) खोली गयी है। आइये जानतें हैं इसके बारे में।
विषय सूची
1. नवजात गहन देखभाल इकाई क्या है – What is the neonatal intensive care unit in Hindi
2. किन शिशुओं को एनआईसीयू की आवश्यकता होती है – Which babies need special nicu care in hindi
3. एनआईसीयू में बच्चे को रखने के मातृ कारक – Nicu Care Maternal factors in hindi
4. एनआईसीयू में बच्चे को रखने के डिलीवरी कारक – Nicu Care Delivery factors in hindi
5. एनआईसीयू में बच्चे को रखने के कारण – Nicu Care Baby factors in Hindi
6. एनआईसीयू में आपके बच्चे की देखभाल कौन करता है – Who will care for your baby in the NICU in Hindi
7. एनआईसीयू में पालन-पोषण और सावधानियां – Parenting and precaution in the Neonatal Intensive Care Unit (NICU) in hindi
नवजात शिशुओं को जिन्हें गहन चिकित्सा और देखभाल की आवश्यकता होती है, उन्हें अस्पताल के एक विशेष स्थान पर भर्ती किया जाता है जिसे नवजात गहन देखभाल इकाई (neonatal intensive care) (NICU) कहा जाता है। एनआईसीयू में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी (advanced technology) और प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों (trained health care professionals) को रखा जाता है जो नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल करते हैं। NICU में उन शिशुओं के लिए भी मध्यवर्ती (intermediate) या निरंतर देखभाल वाले क्षेत्र होते हैं जो बीमार नहीं होते है, लेकिन उन्हें विशेष नर्सिंग देखभाल की आवश्यकता होती है। कुछ अस्पतालों में एनआईसीयू नहीं होते हैं तो वह लोग शिशुओं को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर देते है।
(और पढ़ें – नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें)
एनआईसीयू में भर्ती होने वाले अधिकांश बच्चे प्रीमैच्योर (गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले) होते हैं, या तो वह बच्चे जिनका जन्म के समय वजन कम (5.5 पाउंड से कम) होता है, या ऐसी चिकित्सा स्थिति वाले बच्चे होते है जिनको विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। भारत में, लगभग 3.5 लाख बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, और इनमें से कई शिशुओं का जन्म से ही कम वजन होता है। जुड़वाँ, ट्रिपल, और उससे ज्यादा संख्या वाले बच्चो को अक्सर एनआईसीयू में भर्ती कराया जाता है, क्योंकि वे समय से पहले जन्म लेते हैं और दूसरे छोटे बच्चों की तुलना में अधिक छोटे और कमजोर होते हैं। जिन शिशुओं को दिल की बीमारी, संक्रमण, या कोई अन्य जन्म दोष जैसी चिकित्सा स्थितियां होती है ऐसे शिशुओं की देखभाल भी एनआईसीयू में की जाती है।
(और पढ़ें – नवजात शिशुओं के बारे में रोचक तथ्य)
कुछ कारकों की वजह से बच्चे को उच्च जोखिम का खतरा हो सकता हैं और एनआईसीयू में भर्ती करने की संभावना बढ़ सकती हैं। उच्च जोखिम वाले कारकों में शामिल हैं-
(और पढ़ें – गर्भाशय की जानकारी, रोग और उपचार)
भ्रूण संकट (Fetal distress)/ जन्म संबंधी श्वासनली (birth asphyxia) (ऑक्सीजन की कमी के कारण अंग प्रणालियों में परिवर्तन होना)
ब्रीच डिलीवरी प्रस्तुति (नितंबों को पहले दिया गया) या अन्य असामान्य प्रस्तुति (Breech delivery presentation (buttocks delivered first) or other abnormal presentation)
मेकोनियम (Me conium) (बच्चे का पहला मल गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव में चला जाना)
Nuchal कॉर्ड (बच्चे की गर्दन के चारों तरफ की हड्डी)
संदंश या सिजेरियन डिलीवरी होना (Forceps or cesarean delivery)
गर्भकालीन उम्र (gestational age) में जन्म होना (जैसे 37 सप्ताह से कम या 42 सप्ताह से अधिक का समय)
जन्म का वजन 2,500 ग्राम से कम होना (5 पाउंड, 8 औंस) या 4,000 ग्राम से अधिक होना (8 पाउंड, 13 औंस)
जन्म दोष होने से
तेजी से सांस लेने, साँस लेने में तकलीफ या एपनिया (सांस रुकना) सहित कोई श्वसन संकट होने पर
किसी प्रकार का संक्रमण जैसे दाद (herpes), समूह बी स्ट्रेप्टोकोकस (group B streptococcus), क्लैमाइडिया (Chlamydia)
हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा) (Hypoglycemia (low blood sugar)
अतिरिक्त ऑक्सीजन या निगरानी, अंतःशिरा (IV) चिकित्सा, या दवाओं की आवश्यकता होना
रक्त आधान (blood transfusion) जैसे विशेष उपचार या प्रक्रियाओं की आवश्यकता होना
कुछ विशेष रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर (trained health care professionals) होते हैं जो आपके बच्चे की देखभाल करते है, जिनमे शामिल है-
एनआईसीयू टीम के सदस्य उच्च जोखिम वाले नवजात शिशुओं की देखभाल करने के लिए पूरी योजना बनाकर शिशुओं के माता-पिता के साथ मिलकर काम करते हैं।
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे (premature baby) को एनआईसीयू में पालन-पोषण देते समय माता पिता को कुछ सावधानियां बरतने की जरुरत होती है जिसमे शामिल है-
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/17429908
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