Nervous System Disorders in Hindi दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता के महत्वपूर्ण कारणों पर अध्ययन करने पर पता चला है, प्रत्येक 9 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति की मृत्यु तंत्रिका तंत्र विकार या रोग (nervous system diseases in hindi) के कारण होती है। कुपोषण के कारण विकलांगता में वृद्धि और परजीवी संक्रमण (parasitic infections) से जुड़े रोग सबसे सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकार हैं। आज के इस युग में स्ट्रोक, मनोभ्रंश एवं अन्य तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी विकारों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अतः व्यक्ति को तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी विकारों पर रोक लगाने और उचित इलाज प्राप्त करने के लिए न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में जानना आवश्यक हो जाता है। आज के इस लेख में आप तंत्रिका तंत्र के विकार के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानेगें।
नर्वस सिस्टम या तंत्रिका तंत्र एक जटिल और विस्तृत प्रणाली है, जो शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करने और अंगों के मध्य सामंजस्य बनाने का कार्य करती है। नर्वस सिस्टम को मुख्य रूप से दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है, जिसमें निम्न शामिल हैं:
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) – इसके अंतर्गत मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को शामिल किया जाता है।
परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system) – इसमें परिधीय नसों (peripheral nerves) और स्वायत्त तंत्रिका (autonomic nerves) सहित अन्य सभी तंत्रिका तत्व को शामिल किया जाता है।
तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित विकार को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कहते हैं, यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित रोग हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, कपाल की नसें (cranial nerves), परिधीय तंत्रिकाएं (peripheral nerves), नर्व रूट्स, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन और मांसपेशियों इत्यादि से सम्बंधित रोग शामिल हैं।
दुनिया भर में लाखों लोग न्यूरोलॉजिकल विकारों से प्रभावित होते हैं। दुनिया भर के लगभग 6 मिलियन से अधिक लोगों की प्रत्येक वर्ष स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो जाती है। इसके अतिरिक्त मिर्गी, डिमेंशिया, अल्जाइमर रोग, माइग्रेन, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस रोग, न्यूरो इन्फेक्शन, ब्रेन ट्यूमर और मस्तिष्क संबंधी रोग जैसे न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित व्यक्तियों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। अतः न्यूरोलॉजिकल विकारों का समय पर निदान और इलाज प्राप्त करने के लिए इन विकारों के बारे में व्यक्तियों का जागरूक होना आवश्यक होता है।
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तंत्रिका तंत्र, अनेक कारणों से क्षतिग्रस्त हो सकता है। जिससे विभिन्न प्रकार के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (neurological disorders) उत्पन्न हो सकते हैं। अतः नर्वस सिस्टम रोग या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है जैसे:
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर या तंत्रिका तंत्र के विकार (neurological disorders) में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है।
संवहनी रोग, रक्त वाहिकाओं (धमनियों और शिराओं) में किसी भी प्रकार की असामान्यता के उत्पन्न होने की स्थिति है। जैसे कि
अनेक प्रकार के बैक्टीरियल (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस, निसेरिया मेनिन्जिटाइड्स), वायरल (एचआईवी, एंटरोवायरस(Enteroviruses), जीका, वेस्ट नील वाइरस), फंगल (क्रिप्टोकोकस, एस्परजिलस) और परजीवी (मलेरिया, चगास) आदि सभी संक्रमण तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। अतः संक्रमण के कारण निम्न न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर प्रगट हो सकते हैं, जैसे:
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तंत्रिका तंत्र के विभिन्न भागों में संरचनात्मक परिवर्तन के कारण भी विभिन्न प्रकार के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर उत्पन्न हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
तंत्रिका तंत्र के कार्यात्मक विकार के अंतर्गत निम्न समस्याओं को शामिल किया जाता है, जैसे कि:
यह कोशिका परिवर्तन पर आधारित एक सतत प्रक्रिया है, जो ऊतकों या अंगों को प्रभावित करतीहै, और समय के साथ बढ़ती जाती है। न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग की स्थिति में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित कोशिकाएं अपना काम करना बंद कर देती हैं। न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों की श्रेणी में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
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तंत्रिका तंत्र विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अलग तरह के लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है। तंत्रिका तंत्र विकार के सबसे सामान्य लक्षण और संकेत में निम्न शामिल हो सकते हैं, जैसे:
एक तंत्रिका तंत्र विकार से सम्बंधित लक्षण अन्य चिकित्सकीय स्थितियों या समस्याओं के सामान हो सकते हैं। अतः इसका निदान करने के लिए डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए।
न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologists), तंत्रिका तंत्र विकारों से सम्बंधित विशेषज्ञ होते हैं। वह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का निदान और उपचार करते हैं। अतः तंत्रिका तंत्र विकारों का इलाज करने से पहले, विशिष्ट लक्षणों के संभावित कारणों की जांच करने की आवश्यकता होती है। जांच करते समय, एक न्यूरोलॉजिस्ट मरीज के पूर्ण चिकित्सकीय इतिहास के बारे में जानकारी लेता है और एक सम्पूर्ण शारीरिक परीक्षण कर सकता है। शारीरिक परीक्षण तंत्रिका कार्यों का निर्धारण करने के लिए उपयोगी होता है। अतः शारीरिक परीक्षण द्वारा मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, या परिधीय तंत्रिका तंत्र के क्षतिग्रस्त भाग का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त न्यूरोलॉजिस्ट निम्न नैदानिक परीक्षणों का भी सहारा ले सकते हैं, जैसे:
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न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (तंत्रिका तंत्र विकारों) का सटीक निदान और इलाज करने के लिए अनेक प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे:
न्यूरोइमेजिंग तकनीक – न्यूरोलॉजिकल स्थितियों का निदान करने और उनका उपचार करने के लिए न्यूरोइमेजिंग तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, और इस तकनीक का प्रयोग करने वाले विशेषज्ञ को न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट (Neuroradiologists) और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट (interventional radiologists) कहा जाता है। इस प्रकार की तकनीक का उपयोग निम्न न्यूरोलॉजिकल स्थितियों का निदान और उपचार करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि:
न्यूरोलॉजी (Neurology) – यह चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है, जो तंत्रिका तंत्र विकारों का प्रबंधन करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। तंत्रिका तंत्र विकारों का इलाज करने वाले चिकित्सक को न्यूरोलॉजिस्ट कहा जाता है। कुछ न्यूरोलॉजिस्ट एंडोवस्कुलर तकनीकों (endovascular techniques) का उपयोग करके एक्यूट स्ट्रोक (acute strokes) और सेरेब्रल एन्यूरिज्म (cerebral aneurysms) का इलाज करते हैं।
न्यूरोलॉजिकल सर्जरी (Neurological surgery) – तंत्रिका तंत्र विकारों का इलाज करने के लिए , न्यूरोसर्जरी या न्यूरोलॉजिकल सर्जरी का भी उपयोग किया जा सकता है। तंत्रिका तंत्र विकारों का उपचार करने वाले सर्जन को न्यूरोलॉजिकल सर्जन या न्यूरोसर्जन (neurosurgeons) कहा जाता है।
रिहैबिलिटेशन (Rehabilitation for neurological disorders) – इस प्रक्रिया द्वारा तंत्रिका तंत्र विकारों, बीमारियों या चोटों का सामना करने वाले व्यक्तियों की मदद की जाती है। इसके तहत् भौतिक चिकित्सा प्रदान करने, खोये हुए कौशल (skills) को लोटाने और सामर्थ्य को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए, स्ट्रोक के बाद रिहैबिलिटेशन कार्य के दौरान रोगी को चलने और पुनः स्पष्ट रूप से बोलने में मदद की जा सकती है।
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