Newborn baby potty problem in Hindi नवजात शिशु पॉटी समस्या जन्म के बाद वैसे तो शिशुओं को कई तरह की समस्याएं होती रहती हैं लेकिन कई दिनों तक मल (पॉटी) न होना उनमें से एक सबसे गंभीर समस्या है। माना जाता है कि बच्चे का शरीर मां के दूध को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण बच्चे को कई दिनों तक मल नहीं होता है। लेकिन यह सामान्य सी समस्या कई बार बहुत गंभीर हो जाती है। चूंकि जब तक बच्चे का पेट खाली नहीं होगा तब तक वह दोबारा दूध नहीं पीयेगा, ऐसे में समय पर उसका मल त्यागना बहुत जरूरी होता है। यदि आपको भी इस बात की चिंता है कि आपका बच्चा कई दिनों तक पॉटी नहीं करता है तो इस लेख में हम आपको बेहतरीन घरेलू उपाय बता रहे हैं।
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आमतौर पर जन्म लेने के 36 घंटे बाद बच्चा अपना पहला मल करता है जिसे मिकोनियम (meconium) के नाम से जाना जाता है। मिकोनियम हरे काले रंग का चिपचिपा और टार की तरह दिखता है। यह मल श्लेष्म (mucus), एम्नियोटिक द्रव और उन चीजों से मिलकर बना होता है जो शिशु मां के गर्भ में रहने के दौरान निगलता है। जन्म के बाद एक हफ्ते या 10 दिनों बाद बच्चे की आंत (bowels) सही तरीके से कार्य करने लगती है और बच्चे का मल बदल जाता है अर्थात् लगभग 10 दिनों बाद बच्चे को गाढ़ा, मुलायम और हल्के रंग का मल निकलता है।
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मां का पहला दूध अर्थात् कोलोस्ट्रम (colostrum) बच्चे के लिए रेचक का कार्य करता है जिसके कारण उसे पहला मल यानि मेकोनियम निकलता है। जब स्तन में अच्छी तरह दूध आने लगता है तो कम से कम तीन दिन बाद बच्चे का मल भी बदल जाता है और मां के स्तन से दूध पीने के बाद बच्चा इस तरह की पॉटी करता है।
मां का दूध पीना शुरू करने के बाद शिशु आमतौर पर चार या इससे अधिक बार मल करता है लेकिन इसके बाद जैसे ही वह फार्मूला मिल्क या मां के दूध के अलावा जूस, दाल का पानी या कोई अन्य तरल और ठोस लेने लगता है उसके मल में बदलाव हो जाता है और कभी-कभी इन आहारों के कारण उसे कई दिनों तक मल नहीं होता है।
पॉटी (मल) न होने के पीछे कई कारण होते हैं। जैसे
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यदि बच्चा सिर्फ मां का ही दूध पी रहा हो तो उसे रोजाना पॉटी (मल) नहीं होती है और कभी-कभी सात दिनों तक मल नहीं होता है और यह बहुत सामान्य माना जाता है। लेकिन यदि बच्चा फॉर्मूला मिल्क पी रहा हो तो उसे तीन से चार बार तक मल होता है। लेकिन यदि स्तन का दूध पीने के बाद भी बच्चा कई दिनों बाद भी मल न करे तो उसका निम्न कारण हो सकता है।
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चूंकि जन्म के बाद बच्चे का शरीर बहुत नाजुक होता है इसलिए उसे तुरंत दवा देने ठीक नहीं माना जाता है। यदि पॉटी (मल) त्यागने की समस्या हो तो इन घरेलू उपायों के जरिए भी काफी आसानी से ठीक किया जा सकता है।
बच्चे को जब कई दिनों तक मल न हो तो चिंता होना स्वाभाविक है क्योंकि इससे बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में एक चम्मच शहद में एक चम्मच गुनगुना पानी मिलाकर बच्चे को रात में सोने से पहले प्रतिदिन पिलाएं। सुबह जब बच्चा जगे तो उसे मल त्यागने के लिए बैठाएं। बच्चे को मल त्यागने में परेशानी नहीं होगी। यदि शहद देने के बाद बच्चा सिर्फ एक ही बार मल करता है तो यह खुराक आप दिन में भी उसे दे सकती हैं।
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नारियल का तेल सबसे अच्छा प्राकृतिक रेचक (natural laxative) माना जाता है तो बच्चे को मल त्यागने में हो रही परेशानी को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए आप किसी द्रव में 2 मिलीलीटर ऑर्गेनिक नारियल का तेल मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इसके बाद बच्चे को मल त्यागने में आसानी होगी। यदि बच्चे को मल त्यागने में दर्द होता है तो उसके गुदा (anus ) के पास नारियल का तेल लगाएं जिससे मल के दौरान बच्चे की नाजुक त्वचा छीलेगी नहीं और वह आसानी से मल कर सकेगा। यदि बच्चा 6 महीने से अधिक उम्र का हो तभी यह विधि अपनाएं।
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जब बच्चा मां के दूध के अलावा द्रव लेना शुरू करता है तब उसकी परेशानियों को दूर करना काफी आसान हो जाता है। एक चम्मच सौंफ के बीज को एक कप पानी में भिगोएं और पांच मिनट तक इस पानी को उबालें। ठंडा होने पर यह पानी छानकर बच्चे को पिलाएं। यदि बच्चा दो या तीन दिनों तक मल न करे तो इस स्थिति में यह घरेलू उपाय काफी मददगार है। सौंफ का यह विलयन आप बच्चे को दिन में तीन से चार बार पिला सकती हैं।
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सेब में पेक्टिन (Pectin) पाया जाता है जो एक प्राकृतिक फाइबर होता है और बच्चे के कड़े मल (hard stools) के लिए रेचक (laxative) का काम करता है और पाचन तंत्रों से मल को आसानी से बाहर निकालता है। घर पर सेब का जूस बनाकर बच्चे को कम मात्रा में यह जूस दिन में दो बार पिलाएं। दो महीने से छह महीने तक के बच्चे के लिए मल न होने की समस्या में यह काफी फायदेमंद होता है।
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छोटे बच्चों का कई दिनों तक मल न त्यागना एक ऐसी समस्या जिसके कारण बच्चे की पेट में दर्द हो सकता है और वह दूध पीना छोड़ सकता है। इस स्थिति में बच्चे के पेट से कब्ज दूर करने के लिए एक टब में गुनगुना पानी भरें और उसे 15 से 20 मिनट तक नहलाएं। जब बच्चे के गुदे की मांसपेशियों (anal muscles ) में लचीलापन आयेगा तब बच्चे की आंत में हलचल होगी और उसे मल त्यागने में आसानी होगी।
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यदि आपका शिशु तीन महीने या इससे अधिक उम्र का है और कई दिनों तक उसने मल नहीं किया हो तो उसके पेट पर पान की चिकनी पत्तियां रखें। पान की पत्तियां बहुत हल्की गर्म होनी चाहिए लेकिन ज्यादा नहीं। हल्की गर्म पान की पत्तियों से बच्चे के पेट की सिंकाई करने पर उसके आंत में हलचल होती है और फिर बच्चे को आसानी से पॉटी हो जाती है।
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नोट – अगर आपका शिशु 6 महीने से कम का है तो पॉटी प्रॉब्लम होने पर जितने जल्दी हो सके उसे डॉक्टर से दिखायें और उचित सलाह लेने के बाद ही कोई घरेलू उपाय अपनायें।
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