Night Blindness In Hindi क्या आप रात के समय या कम प्रकाश की स्थिति में वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाते? क्या आपको प्रकाशमय वातावरण से कम प्रकाशमय वातावरण में जाने पर अधिक समय तक अन्धकार दिखाई देता है? क्या रात के समय ड्राइविंग करना मुश्किल है? यदि हाँ, तो आप रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) रोग से ग्रस्त हो सकते हैं। रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) का एकमात्र लक्षण कम रोशनी की स्थिति में या अंधेरे में देखने में असुविधा है। इसके अलावा एक अन्तर्निहित स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अन्य लक्षण भी प्रगट हो सकते हैं। यदि रतौंधी का समय पर इलाज नहीं किया गया तो, यह स्थिति गंभीर रूप से आँखों को प्रभावित कर सकती है।
यह लेख रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) की जानकारी के बारे में है। इस आर्टिकल में आप रतौंधी रोग किस विटामिन के कारण होता है?, रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) के कारण, लक्षण और निदान के साथ रतौंधी (नैट ब्लाइंडनेस) की दवा, उपचार और बचाव के बारे में जान सकते हैं।
रतौंधी रोग (नाइट ब्लाइंडनेस) एक प्रकार का दृष्टि दोष है, जिसे निक्टालोपिया (nyctalopia) के नाम से भी जाना जाता है। रतौंधी से पीड़ित यक्ति रात में या कम रोशनी वाले वातावरण में धुंधली दृष्टि का अनुभव करते हैं। ऐसा नहीं है कि “रतौंधी” रोग से पीड़ित व्यक्ति रात में नहीं देख सकता है, बल्कि अंधेरे में स्पष्ट देखने या ड्राइविंग करने में अधिक कठिनाई उत्पन्न हो सकती है। विटामिन ए की कमी से रतौंधी रोग होता है, इसके अतिरिक्त अन्य नेत्र संबंधी समस्याएं भी रतौंधी के लक्षण को उत्पन्न कर सकती हैं।
रतौंधी के कुछ प्रकारों का उपचार किया जा सकता हैं जबकि अन्य प्रकारों का उपचार संभव नहीं है। रतौंधी नामक दृष्टि दोष के अंतर्निहित कारण का निदान करने के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। रतौंधी के सही कारण का पता चलने पर इसका उपचार आसानी से किया जा सकता है।
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रतौंधी, एक नेत्र रोग की स्थितियों से सम्बंधित एक लक्षण है, जिसके परिणामस्वरूप कम प्रकाश में स्पष्ट देख पाना मुश्किल होता है।
अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर व्यक्ति रतौंधी के साथ अन्य लक्षणों को भी महसूस कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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किसी व्यक्ति के आहार में विशिष्ट रूप से विटामिन ए की कमी, रतौंधी रोग का कारण बन सकती है। कुछ नेत्र सम्बन्धी रोग भी मुख्य रूप से रतौंधी का कारण बन सकते हैं, जिनमें शामिल है:
उपचार योग्य कारण (Treatable causes) – रतौंधी रोग का कारण बनने वाली स्थितियां जिनका इलाज संभव है, निम्न हैं:
आहार में विटामिन ए (रेटिनॉल) की कमी से रतौंधी की बीमारी हो सकती है, क्योंकि विटामिन ए (रेटिनॉल), रेटिना में तंत्रिका आवेगों (nerve impulses) को छवियों में बदलने में भूमिका निभाता है। रेटिना, आंख के पीछे स्थित एक प्रकाश-संवेदनशील क्षेत्र है।
अनुपचारित कारण (Nontreatable causes) – रतौंधी रोग के वह कारण, जिनका उपचार संभव नहीं है, निम्न हैं:
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मानव शरीर में विटामिन ए के अवशोषण को प्रभावित करने वाली स्थितियां भी रतौंधी रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है, इनमें शामिल हैं:
अग्नाशयी अपर्याप्तता (pancreatic insufficiency), जैसे कि सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) वाले व्यक्तियों में वसा का सही तरीके से अवशोषण नहीं हो पाता है, जिससे विटामिन ए की कमी का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि विटामिन ए वसा में घुलनशील होता है। अतः अग्नाशयी अपर्याप्तता (pancreatic insufficiency) वाले व्यक्तियों में रतौंधी के विकास का अधिक जोखिम होता है।
जिन व्यक्तियों में रक्त शर्करा (शर्करा) का उच्च स्तर या मधुमेह होता है, उनमें नेत्र रोग जैसे मोतियाबिंद, होने का खतरा अधिक होता है।
वृद्ध वयस्कों में मोतियाबिंद विकसित होने का अधिक जोखिम होता है। इसलिए बच्चों और युवा वयस्कों की तुलना में वृद्ध वयस्कों को मोतियाबिंद के कारण रतौंधी होने की अधिक संभावना रहती है।
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रतौंधी रोग का समय पर उपचार न किया जाए, तो यह समस्या अनेक गंभीर जटिलताओं का कारन बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:
नेत्र रोग विशेषज्ञ (ophthalmologist) मरीज के चिकित्सकीय इतिहास के बारे में पूर्ण जानकारी लेगा और रतौंधी का निदान करने के लिए आंखों की जांच करेगा। जाँच प्रक्रिया के दौरान रक्त के नमूने की आवश्यकता पड़ सकती है। रक्त परीक्षण विटामिन ए और ग्लूकोज के स्तर को मापने में सहायक होता है। रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) के कारणों की जाँच करने के लिए निम्न परीक्षणों की सहायता ली जा सकती है, जिनमें शामिल हैं:
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निकट दृष्टिदोष, मोतियाबिंद या विटामिन ए की कमी के कारण उत्पन्न रतौंधी रोग का इलाज किया जा सकता है। सुधारात्मक लेंस (Corrective lenses), जैसे चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस, निकट दृष्टि में सुधार कर रतौंधी को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त डॉक्टर द्वारा कुछ दवाओं की भी सिफारिश की जा सकती है।
यदि मोतियाबिंद की स्थिति रतौंधी का कारण बनती है, तो इलाज के दौरान सर्जरी की सिफारिश की आवश्यकता पड़ सकती है। सर्जरी के दौरान सर्जन आँख में लेंस के आवरण को हटाकर, स्पष्ट कृत्रिम लेंस से बदल देता है। सर्जरी के बाद रतौंधी में काफी सुधार होता है।
विटामिन ए की कमी के कारण उत्पन्न रतौंधी रोग की स्थिति में इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा विटामिन ए सप्लीमेंट की सिफारिश की जा सकती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic retinopathy) की संभावनाओं को कम करने के लिए रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, सक्रिय जीवन शैली अपनाने और स्वास्थ्य आहार को अपनाने की आवश्यकता होती है। यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या है, तो लेजर और विट्रेक्टोमी (vitrectomy) सर्जरी द्वारा इलाज किया जा सकता है।
रतौंधी का कारण बनने वाली आनुवांशिक स्थितियां, जैसे कि रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, का उपचार संभव नहीं हैं।
जिन व्यक्तियों को रतौंधी की बीमारी होती है, उन्हें रात में वाहन न चलाने की सलाह दी जाती है।
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जन्म दोष या आनुवंशिक स्थितियों के परिणामस्वरुप उत्पन्न रतौंधी रोग से बचा नहीं जा सकता है। रतौंधी की बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति अनेक प्रकार के उपाय अपना सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) की स्थिति में मुख्य रूप से विटामिन ए और जिंक से परिपूर्ण आहार के अधिक सेवन की सिफारिश की जाती है। नारंगी और पीली सब्जियों तथा फलों में विटामिन ए का उच्च स्तर पाया जाता है। अतः रतौंधी रोग की स्थिति में निम्न आहार के अधिक सेवन की सिफारिश की जाती है, जैसे:
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