आप अपनी प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में पहुंच चुकी हैं और गर्भावस्था का तीसरा महीना शुरु हो चुका है। इस दौरान मां बनने की जितनी खुशी महसूस होती है शरीर में हो रहे बदलावों से उतनी ही परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में आपको अपनी अच्छी तरह देखभाल करना चाहिए और मन में चल रहे सभी जरुरी सवालों को डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए।
चूंकि अब आप प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में है तो आपको कैल्शियम और आयरन की गोलियां लेने के अलावा हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों से भरपूर डाइट को भी लेना चाहिए। गर्भधारण के नौवें हफ्ते में लक्षणों (Ninth Week Pregnancy Symptoms in Hindi) में भी कुछ बदलाव आते हैं और खूब खट्टा, और तीखा खाने का मन होता है।
प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते (9 week Pregnant in Hindi) में पेट अधिक नहीं बढ़ता है फिर भी शरीर में भारीपन महसूस होता है, इससे बचने के लिए हल्की एक्सरसाइज रोजाना करें।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते (9th week of pregnancy in Hindi) के बारे में जानकारी देंगे। जिसमें हम आपको ये बताएंगे की 9वे हफ्ते की प्रेगनेंसी में आप किस तिमाही में हैं, आप कितने महीने की प्रेगनेंट हैं, गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में आपका बच्चा कितना बड़ा है, 9 हफ्ते की गर्भावस्था के लक्षण, प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते का डाइट प्लान और नौ हफ्ते की प्रेगनेंसी में कैसे करें अपनी देखभाल और प्रेगनेंसी के नौवें सप्ताह में कितना एक्सरसाइज करें।
प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में आप गर्भावस्था की पहली तिमाही (first trimester) में हैं। गर्भावस्था के अगले तीन हफ्तों के बाद आप अपनी प्रेगनेंसी की पहली तिमाही पूरी करेंगी। गर्भावस्था की पहली तिमाही कुल 12 हफ्तों की होती है जिसे पूरा करने के बाद आप प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में प्रवेश करेंगी।
गर्भधारण के नौवें हफ्ते में आप तीन महीने की प्रेगनेंट हैं। आपने अपनी प्रेगनेंसी के दो महीने पूरे कर लिए हैं और आपके गर्भावस्था के तीसरे महीने का पहला हफ्ता चल रहा है। अभी आपकी प्रेगनेंसी के 31 हफ्ते यानी 217 दिन या छह महीने तीन हफ्ते बचे हैं।
गर्भधारण के नौवें हफ्ते में आपका बच्चा अंगूर या चेरी के साइज का होता है। गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में भ्रूण का आकार 0.9 इंच या लगभग 2.54 सेंमी होता है जो अगले हफ्ते में इसका दो गुना बढ़ जाता है। सप्ताह दर सप्ताह भ्रूण की साइज लगातार बढ़ती है। 9 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपको अपने पेट में बच्चे की कुछ हलचल महसूस हो सकती है। प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में आपके शिशु की जेस्टेशनल उम्र (gestational age) 7 हफ्ते होती है और उसका वजन लगभग 3.2 ग्राम होता है। सिर्फ इतना ही नहीं गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर में लगातार परिवर्तन होता है जिसके कारण उसका आकार बदलता रहता है।
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प्रेगनेंसी के 8 हफ्ते पूरे करने के बाद गर्भधारण के नौवें हफ्ते में प्रवेश करने पर शरीर में कई तरह के बदलाव महसूस होते हैं और प्रेगनेंसी के लक्षण पहले की अपेक्षा अधिक बढ़ जाते हैं। गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में प्रेगनेंट महिला के गर्भ के अंदर प्लेसेंटा बनने लगता है और जब अगले कुछ हफ्तों में गर्भनाल पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो यह तेजी से मां के शरीर से शिशु को पोषक तत्वों को पहुंचाता है और रक्त का प्रवाह करता है। सिर्फ इतना ही नहीं गर्भधारण के नौवें सप्ताह में शरीर में अधिक भारीपन महसूस होता है, सुस्ती और थकान बढ़ जाती है और दिन में कई बार उल्टी और मितली आती है।
इस दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण मूड स्विंग भी अधिक होता है। वहीं हार्मोन में बदलाव के कारण यूटेरस भी बढ़ने लगता है। इसके अलावा मां के मेटाबोलिज्म में भी परिवर्तन होता है और ब्लड शुगर बढ़ने के साथ ही ब्लड प्रेशर घटने लगता है। प्रेगनेंसी के हर हफ्ते में गर्भावस्था के लक्षणों की गंभीरता बढ़ती और घटती रहती है।
9 सप्ताह की प्रेगनेंसी में गर्भाशय तेजी से बढ़ता है और भ्रूण के लिए जगह बनाता है जिसके कारण पेट का निचला हिस्सा टाइट हो जाता है। हालांकि पेट पहले की तरह सामान्य ही दिखायी देता है। अगर शारीरिक बदलाव की बात करें तो वजन बढ़ने लगता है और कूल्हे भी भारी होने लगते हैं और पेट में हल्की सूजन दिखायी देती है। ज्यादातर महिलाओं का पेट प्रेगनेंसी के 12वें से 16वें हफ्ते के बीच बढ़ता है।
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9 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपका शिशु एम्ब्रियो से फेटस में बदल जाता है। गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में बच्चे की लंबाई पहले की अपेक्षा 1 या 2 सेंटीमीटर बढ़ जाता है और उसके वजन में भी इजाफा होता है। प्रेगनेंसी के नौवें सप्ताह में बच्चे का सिर पूरी तरह डेवलप हो जाता है और कान लगातार विकसति हो रहे होते हैं और अब भ्रूण मानवीय संरचना जैसा दिखने लगता है। बच्चे की उंगलियां दिखने लगती हैं और हृदय, मस्तिष्क, किडनी, लिवर, फेफड़े विकसित होते हैं। इसके अलावा गर्भ में बच्चे के हाथ और पैर भी लगातार बढ़ते हैं और मांसपेशियों में भी वृद्धि होती है। सिर्फ इतना ही नहीं अगले एक या दो महीनों में आपको अपने पेट में बच्चे की तेज हलचल भी समझ में आने लगेगी।
गर्भ में शिशु का लगातार विकास होता है और प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में शिशु का सिर गर्भ में ऊपर की तरफ जबकि उसका पैर नीचे की तरफ रहता है। दरअसल गर्भ में शिशु की यही सामान्य स्थिति होती है। अगर आपकी प्रेगनेंसी हेल्दी है तो आपके गर्भ में शिशु सामान्य पोजीशन में रहेगा।
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गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं और एक साथ कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। दरअसल, 9 वीक प्रेगनेंसी के दौरान एससीजी और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन पीक पर होते हैं जिसके कारण शरीर में गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में निम्न लक्षण दिखायी देते हैं:
प्रेगनेंसी का नौवां हफ्ता शुरू होते ही गर्भवती महिला को रात में डरावने सपने आते हैं। हालांकि इसका कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जाता है कि शरीर में भारीपन, तनाव, चिंता और मुंह का स्वाद बिगड़ने के कारण भावनात्मक कमजोरी और चिड़चिड़ापन होता है जिसके कारण बुरे सपने आते हैं।
गर्भावस्था का नौवां हफ्ता शुरू होते ही शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेगनेंट महिला के चेहरे पर तेजी से मुंहासे निकलते हैं जो अगले कई हफ्तों तक लगातार बने रहते हैं। 9 हफ्ते के गर्भावस्था से शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण महिला की स्किन पहले से अधिक ऑयली या ड्राई हो जाती है। इस दौरान नए मुंहासे रोज निकल सकते हैं जो पूरी तरह नॉर्मल है।
प्रेगनेंसी का नौवां हफ्ता शुरु होते ही गर्भवती महिला की किडनी पेट और यूटेरस फैल जाता है जिसके कारण ब्लैडर पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब का अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान पेशाब को रोकना नहीं चाहिए अन्यथा ब्लैडर इंफेक्शन हो सकता है।
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नौवें सप्ताह के गर्भावस्था में पेट में बेचैनी के कारण मुंह में अधिक लार बनता है। प्रेगनेंसी के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो किसी न किसी रुप में नजर आते हैं। मुंह में अधिक मात्रा में लार बनने का कारण प्रेगनेंसी हार्मोन ही है। इसे कंट्रोल करने के लिए च्यूइंगम चबाना चाहिए।
गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में प्रेगनेंसी हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण तेज थकान महसूस होती है और अधिक नींद आती है। इसके अलावा बच्चे को खून की सप्लाई करने के लिए बॉडी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिससे थकान महसूस होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक महिला को थकान होती है।
नौवें सप्ताह के गर्भावस्था में प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं और निपल का रंग गहरा हो जाता है। इस दौरान ब्रेस्ट में दर्द भी होता है और सूजन भी नजर आती है।
हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में सिरदर्द होता है और पूरे दिन मूड स्विंग रहता है। हालांकि कुछ महिलाओं को सिर दर्द जैसे लक्षण प्रेगनेंसी के आठवें हफ्ते बाद नजर आते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली और उल्टी को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है। गर्भधारण के बाद ये लक्षण नजर आने लगते हैं। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पूरे 9 महीनों तक मॉर्निंग सिकनेस होती है।
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नौवें सप्ताह के गर्भावस्था में शरीर में ऐंठन और सूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं। 9 वीक की प्रेगनेंसी में एग इंप्लांट होने के कारण गर्भाशय में खिंचाव आ जाता है। ऐसी स्थिति में छींकने, खांसने और उठने बैठने की पोजिशन बदलने से ऐंठन और बढ़ जाती है। नौवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में सामान्य ऐंठन तो ठीक है लेकिन यदि ऐंठन या क्रैम्पिंग गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में हल्की ब्लीडिंग होती है जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। जब पीरियड रुक जाता है और भ्रूण गर्भाशय से अटैच होता है तो इस दौरान कुछ महिलाओं को स्पॉटिंग या इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक इस तरह की स्पॉटिंग होती रहती है।
9 हफ्ते की प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड कराने का बेहतर समय होता है। हालांकि अल्ट्रासाउंड डॉक्टर के परामर्श अनुसार कराना चाहिए। गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में बच्चे की हार्टबीट बिल्कुल स्पष्ट सुनी जा सकती है और बच्चा का आकार पहले से काफी बड़ा हो जाता है। अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉप्लर (Doppler) में बच्चे के हृदय की लब-डब (lub-dub) की आवाज सुनी जा सकती है। नौ हफ्ते की प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड के दौरान एम्ब्रियो फेटस का आकार ले चुका होता है।
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गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में हमेशा की तरह सामान्य रुप से सेक्स किया जा सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी हार्मोन का स्तर बढ़ने के सेक्स ड्राइव भी बढ़ जाती है लेकिन मॉर्निंग सिकनेस सहित प्रेगनेंसी के अन्य लक्षण महिलाओं को परेशान करते हैं जिससे वे सेक्स करने में सहज नहीं हो पाती हैं। आपकी डॉक्टर जब तक मना न करें, तब तक आप सेक्स कर सकतीं हैं।
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यदि आपको लगता है कि आप जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हैं तो प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में आप ट्विन प्रेगनेंसी को डिटेक्स करा सकती हैं। अगर कोख में दो भ्रूण होते हैं तो प्रेगनेंसी के छठें हफ्ते से नौवें हफ्ते में दोनों शिशु एक थैली की बजाय अलग अलग थैली में आ जाते हैं और उनकी हार्टबीट आसानी से सुनी जा सकती है। यदि आपको अपनी ट्विन प्रेगनेंसी के बारे में जानने की जल्दबाजी है तो गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में इसका पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में कुछ महिलाओं को गर्भपात भी हो सकता है। नौवें हफ्ते में यदि नॉर्मल पीरियड से अधिक ब्लीडिंग होती है तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी ऊतक यूटेरिन लाइनिंग से बहकर थक्के के रुप में बाहर निकल आते हैं और भ्रूण क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसका विकास रुक जाता है। इस दौरान महिला के शरीर में पीरियड की तरह ही दर्द और मूड स्विंग जैसे लक्षण नजर आते हैं और पेट का दर्द बढ़ता, घटता रहता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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9 वीक की प्रेगनेंसी डाइट में वह सभी चीजें शामिल करनी चाहिए जिनमें अधिक से अधिक पोषक तत्व मौजूद हों और जो बच्चे के विकास में मदद करे।
प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते में रोजाना पांच से सात बार फल और सब्जियों का सेवन करने चाहिए। इस दौरान फलों के जूस, स्मूदी, सब्जियों का सूप, शोरबा आदि लेना चाहिए। अपने आहार में गहरी हरे रंग की सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें और नाश्ते में फल जरुर खाएं।
प्रेगनेंसी के नौवें सप्ताह में स्टार्ची फूड लेना न भूलें। पर्याप्त मात्रा में चुकंदर, पोटैटो, ब्राउन राइस, क्विनोआ, ब्रेड, पास्ता, अनाज और होलग्रेन का सेवन करें।
गर्भावस्था के नौवें सप्ताह में भ्रूण के विकास के लिए प्रोटीन की बहुत जरुरत होती है। प्रोटीन प्राप्त करने के लिए लीन मीट, मछली, अंडे, दालें, बीन्स रोजाना खाना चाहिए।
डेयरी फूड न सिर्फ भ्रूण के विकास में मदद करते हैं बल्कि महिला के शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। डेयरी उत्पादों जैसे दूध, चीज, दही कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें।
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गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में फल खाना फायदेमंद होता है लेकिन पपीता खाने से बचें। यह ब्लीडिंग को बढ़ाता है जिससे गर्भपात हो सकता है।
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गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में कुछ महिलाएं जब कई बार अपने बच्चे को महसूस भी नहीं कर पाती हैं, उस दौरान भी उन्हें पेल्विक में दर्द और ऐंठन महसूस होता है। नौवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में गर्भाशय में कई एक्टिविटी चल रही होती है जिसके कारण पेल्विक में ऐंठन या दर्द होना बिल्कुल सामान्य है। लेकिन यदि दर्द बहुत अधिक होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
गर्भावस्था के 5वें और 6ठें हफ्ते में ही गर्भ में पल रहे शिशु के कई अंग आकार ले चुके होते हैं जो प्रेगनेंसी के नौवें हफ्ते से विकसित होने लगते हैं। इसलिए प्रेगनेंट महिला के लिए गर्भावस्था का नौवां हफ्ता खास होता है। इस दौरान विशेषरुप से एक्सरसाइज करते समय प्रेगनेंट महिला को कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए और एक्सरसाइज करते समय ये गलतियां नहीं करनी चाहिए।
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इस आर्टिकल में हमने गर्भावस्था के नौवें हफ्ते के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। जिसमें हमने आपको बताया की 9 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपके शरीर में किस तरह के बदलाव आते हैं, गर्भावस्था के नौवें हफ्ते में किन लक्षणों का सामना करना पड़ता है, 9 हफ्ते की गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या न खाएं। इसके अलावा हमने नौवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज और मां के देखभाल से जुड़ी जानकारी भी दी। उम्मीद है नौवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में ये सभी जानकारी आपके काम आएंगी।
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