Home Remedies For Normal Delivery In Hindi अक्सर महिलाएं यह जानना चाहती हैं की नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करें इसलिए आज हम आपको सामान्य प्रसव के तरीके बताने जा रहें है जिन्हें अपनाकर आप नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म दे सकतीं हैं। गर्भावस्था एक ऐसी अद्भुत अवस्था है जब महिला को असहयनीय दर्द भी सहना मंजूर होता है। महिला कितनी भी कमजोर क्यों न हो, लेकिन डिलीवरी के दौरान होने वाले लेबर पेन वह खुशी-खुशी सह लेती है। लेकिन ये अहसास होता है सिर्फ नॉर्मल डिलीवरी में। लेकिन आज के समय में बहुत कम महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है। और करीब 65 प्रतिशत महिलाएं सी-सेक्शन डिलीवरी प्रिफर करती है, क्योंकि इसमें लेबर पेन नहीं होता है या अन्य स्वास्थ्य कारण होते है। लेकिन आज भी डॉक्टर्स नॉर्मल डिलीवरी को सुरक्षित मानते हैं। उनके अनुसार इसमें गर्भवती महिला को भले ही कुछ देर के लिए दर्द सहना पड़े, लेकिन डिलीवरी के बाद ज्यादा परेशानी से नहीं गुजरना पड़ता।
हालांकि कई महिलाओं में नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस रहते हैं, लेकिन गर्भावस्था में उनकी लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतों की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पाती और आखिरी में डॉक्टर्स सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह देते हैं। अगर आप भी चाहती हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हो, तो गर्भावस्था के दौरान से ही आपको कुछ घरेलू उपाय अपनाने होंगे, जो आपकी नॉर्मल डिलीवरी होने में मदद करेंगे। तो चलिए इस आर्टिकल में आप जानेंगी कि नॉर्मल डिलीवरी के लिए घरेलू उपाय क्या है और नॉर्मल डिलीवरी के लिए पूरे 9 महीने किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
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भले ही आप रूटीन में व्यायाम न करती हों, लेकिन गर्भवती होने के बाद हर महिला को रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए। इससे न केवल उनका स्टेमिना बढ़ता है, बल्कि पूरे 9 महीने ये आपको एक्टिव बनाए रखती है। एक्सरसाइज करने की खास वजह है कि आपकी जांघों की हड्डियां मजबूत होती हैं, जो डिलीवरी के समय दर्द सहने में बहुत मदद करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान ब्रिदिंग एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है, क्योंकि डिलीवरी के दौरान कई बार सांस को कुछ कुछ समय के लिए कंट्रोल करना पड़ता है।
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माना जाता है कि गर्भावस्था में महिला को स्ट्रेसफ्री रहना चाहिए। इस समय आपको अपने मन में अच्छी बातें लानी चाहिए और तनाव से परहेज करना चाहिए। जैसे ही आपको तनाव लगे, अपना ध्यान पैरेंटिंग की किताबों की तरफ लगा लीजिए। ध्यान भी भटक जाएगा और बच्चे की केयर कैसे करनी हैं, इसकी जानकारी भी मिल जाएगी।
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गर्भावस्था के दौरान कई लोग आपको अपनी खतरनाक बर्थ स्टोरीज सुनाते होंगे, जिससे आपको नॉर्मल डिलीवरी का नाम सुनकर ही डर लगने लगता है। जिससे आप नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार नहीं हो पातीं। ऐसे में डरावनी जन्म कहानियों को सुनने से बचें। ये कहानियां आपकी नॉर्मल डिलीवरी पर असर डाल सकती हैं।
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गर्भावस्था के दौरान अच्छी डाइट न केवल आपके लिए बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी जरूरी है बल्कि अच्छा खाएंगे तो नॉर्मल डिलीवरी में लेबर पेन को झेल सकेंगे। इसलिए पूरे 9 महीने ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, हरी सब्जियां और फ्रेश फ्रूट्स का सेवन करें। लेकिन अपने वजन का भी ध्यान रखें। वैसे तो प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा न बढ़ने पाए, इसका ध्यान रखें।
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बेहतर होगा कि इस दौरान आप डिलीवरी और लेबर पेन के बारे में ज्यादा से ज्यादा नॉलेज कलेक्ट करें। नेचुरल पेन मैनेजमेंट टेकनीक के बारे में जानें। ये सभी जानकारी आपको चाइल्ड बर्थ के डर को खत्म करेगी साथ ही आपकी डिलीवरी नॉर्मल और सेफ हो पाएगी।
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माना जाता है कि गर्भवती महिला जितनी अच्छी नींद लेती है, डिलीवरी उतनी ही आसान हो जाती है। टूटी हुई नींद बच्चे ग्रोथ और डवलपमेंट पर असर डालती है। कोशिश करें जहां आप आराम करें वहां शांति का माहौल हो, ताकि नींद डिस्टर्ब न हो।
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नॉर्मल डिलीवरी में ब्रोमेलिन बड़ा ही फायदेमंद है -दरअसल, यह एक तरह का एंजाइम होता है जो गर्भाशय ग्रीवा को सॉफ्ट बनाता है। बता दें कि आम और अनानास में भरपूर मात्रा में ब्रोमेलिन पाया जाता है। लेकिन ये भी ज्यादा नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इससे समय से पहले डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
सामान्य प्रसव के लिए नहीं होने दें पानी की कमी– शरीर में पानी की कमी बिल्कुल न होने दें। इस समय ही बॉडी को सबसे ज्यादा पानी की कमी महसूस होती है। पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए आप रोजाना जूस या हेल्दी ड्रिंक भी ले सकती हैं। नॉर्मल डिलीवरी के लिए ये उपाय बेहतर माना जाता है।
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प्रेग्नेंसी में रोजाना दूध और लहसुन के पेस्ट का सेवन करने से नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार सांतवे महीने से महिलाओं को लहसुन के पेस्ट को दूध में गर्म करके पीना चाहिए।
अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा गोरा चिट्टा हो, रोजाना अनार का जूस पीएं। इससे इससे बच्चे का रंग साफ होगा।
माना जाता है कि लेबर पेन के दौरान अगर पेट पर शहद और काले जीरे का पेस्ट बनाकर पेट पर फैला दें, तो इससे लेबर पेन कम हो जाता है और नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार ड्यू डेट आते-आते अगर आपको पहली बार लेबर पेन का अहसास हो, तो ज्यादा से ज्यादा पैदल चलना शुरू कर दें। इससे नॉर्मल डिलीवरी में आसानी होगी और लेबर पेन भी कम महसूस होगा।
डिलीवरी के बाद अच्छे स्तनपान के लिए एक चौथाई मैथी, आधा कप कच्चा चावल, और पांच लहसुन के टुकड़े लें। अच्छी तरह से इन तीनों चीजों की भांप ले लें। इसे रोजाना पानी के साथ लें। ऐसा आपको प्रेग्नेंसी का सांतवा महीना शुरू होने पर करना है।
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बटक्स एक्सरसाइज– डिलीवरी के दौरान सबसे ज्यादा समस्या बटक्स को लेकर आती है। इसके लिए आपको स्क्वाट करना होगा। स्क्वाट की पोजीशन में बैठकर लंबी सांस लें और दो-तीन बार स्क्वाट करें। इससे नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस बढ़ जाते हैं।
क्लेम शैल एक्सरसाइज– इस एक्सरसाइज को करने से एब्स, जांघ और कूल्हे की मांसपेशियां मजबूत होंगी। इसके अलावा पैरों और कूल्हे की मांसपेशियों के बीच अच्छा बैलेंस बना रहता है।
ब्रिज एक्सारसाइज– गर्भावस्था में ये एक्सरसाइज आपके बढ़ते हुए पेट को कंट्रोल करने में काफी असरदार है। इससे पेट के लिए आपके पीठ के निचले हिस्से को सहारा मिलता है। इससे कूल्हों को भी बहुत मदद मिलती है, जिससे प्रसव के दौरान बहुत सहारा मिलता है।
डाउनवर्ड डॉग योग– इस एक्सरसाइज को करने से आपके हाथ-पैरों में ताकत आएगी। साथ ही कमर और इसके आसपास की मांसपेशियां भी मजबूत बनेंगी। इसे लगातार करने से पिंडलियों की नसें खुलती हैं और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती मिलती है। इनके अलावा नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए वॉकिंग, स्वीमिंग और साइकिलिंग भी कर सकती हैं। योग भी बेहतर तरीका है। इसके अलावा अगर गर्भावस्था में स्ट्रेचिंग करेंगी तो शरीर में लचीलापन आएगा। जिससे मांसपेशियां ढीली रहेंगी और डिलीवरी के समय लेबर पेन कम होगा।
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नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस को बढ़ाने के लिए सामान्य प्रसव के आयुर्वेदिक उपाय के साथ नेचुरल ऑयल का इस्तेमाल करना भी अच्छा विकल्प है। डॉक्टर्स भी प्रेगनेंसी के चौथे महीने से एसेंशियल ऑयल लगाने की सलाह देते हैं, जिनके इस्तेमाल से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। इसमें आप टी ट्री ऑयल, बेसिल, मिंट जैसे प्राकृतिक तेलों का इस्तेमाल करना चाहिए। इनसे अपने शरीर के अच्छे से मसाज करें। ध्यान रखें कि इन तेलों को पेट के निचले हिस्से में ना लगाएं।
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