Normal Delivery Symptoms in hindi नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते है प्रेगनेंट महिलाओं को इस दुनिया में कदम रखने वाले नए मेहमान के बारे में सोचकर ही अपार खुशी होती है। लेकिन गर्भावस्था के नौंवे महीने में प्रवेश करते ही ज्यादातर प्रेगनेंट महिलाओं को इस बात की चिंता होने लगती है कि वह सामान्य प्रसव (normal delivery) से अपने बच्चे को जन्म दे पायेगी या नहीं। वास्तव में गर्भवती महिला को उसके शरीर में कुछ ऐसे परिवर्तन महसूस होते हैं जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि डिलीवरी सामान्य हो पायेगी या नहीं। इन लक्षणों को अपने डॉक्टर को बताते रहना चाहिए ताकि यह पता चलता रहे कि सब कुछ सही है।
1. नॉर्मल डिलीवरी क्या है – What Is Normal Delivery in hindi
2. नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण – Symptoms of Normal Delivery in hindi
सामान्य प्रसव (Normal delivery) शिशु को इस दुनिया में लाने का एक स्वाभाविक तरीका है। यदि किसी महिला को कोई विशेष तरह की समस्या न हो तो प्राकृतिक और सामान्य प्रसव बहुत मुश्किल काम नहीं है। इसके अलावा सामान्य प्रसव बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
डिलीवरी की तारीख से कुछ हफ्ते पहले ही गर्भवती महिला को परिवर्तन महसूस होने लगता है। डॉक्टर गर्भवती महिला से इन लक्षणों के बारे में लगातार जानकारी लेते रहते हैं। हालांकि नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं और ये लक्षण उसकी गर्भावस्था की स्थिति पर भी निर्भर करते हैं।
जैसे ही डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला को अधिक तेज और बार-बार पेशाब महसूस होता है। यह इसलिए होता है क्योंकि बच्चे का सिर मूत्राशय (bladder) के नजदीक आ जाता है। यह बहुत सामान्य स्थिति में होता है इसलिए अधिक दबाव को सहन नहीं कर पाता है, इसलिए इस दौरान महिला अपने पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पाती है।
डिलीवरी का समय नजदीक आते ही कमर के निचले हिस्से में दर्द शुरू हो जाता है। इस दौरान कमर में दर्द होना सामान्य होता है और इससे यह इस बात का संकेत होता है कि सबकुछ सामान्य है। कमर के नीचे का क्षेत्र और पेडू (pelvis) इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि इस दौरान पेड़ू क्षेत्र और गर्भाशय में स्नायुबंधन (ligaments) में अधिक तनाव होता है।
इस स्टेज में योनि से स्राव (vagina discharge) अधिक तेजी से होता है। नौवें महिने के अंतिम हफ्ते में पहुंचते ही योनि स्राव का रंग सफेद या पीला दिखाई देने लगता है। इससे आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह स्वस्थ और नॉर्मल डिलीवरी का संकेत है।
डिलीवरी से पहले सभी महिलाओं को सबसे पड़ी परेशानी यह होती है कि गर्भाशय का संकुचन (contractions) बहुत मजबूत हो जाता है। जिसकी वजह से लगातार पेट और शरीर में ऐंठन बना रहता है। इस अवस्था को ब्रैक्सटॉन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन (Braxton-Hicks contractions) कहा जाता है। संकुचन की वजह से गर्भवती महिला को बहुत बेचैनी महसूस होती है।
आंत ( bowel) में हलचल महसूस होना और बार-बार दस्त होना इस बात का संकेत है कि आपके डिलीवरी का समय नजदीक आ चुका है। डिलीवरी से पहले हार्मोन की गतिविधियों के कारण महिला को दस्त होता है। ये हार्मोन पेट की आंतों को प्रभावित करते हैं जिसकी वजह से पेट में ऐंठन होने लगती है। वैसे तो यह नॉर्मल डिलीवरी का संकेत है लेकिन इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि गर्भवती महिला को दस्त से अधिक बेचैनी महसूस न हो।
हालांकि ऐसा सभी महिलाओं में नहीं होता है लेकिन लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं को पानी की थैली के टूटने का अनुभव होता है। सामान्यरूप से यह तब होता है जब लेबर पेन शुरू हो जाता है, तो यह नॉर्मल डिलीवरी का संकेत होता है। लेकिन यदि लेबर पेन शुरू होने से पहले ही पानी की थैली टूट जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डिलीवरी से पहले महिला की योनि से खूनी स्राव (bloody discharge) होता है। यह स्राव कभी-कभी श्लेषम (mucous) के द्वारा होता है। इस दौरान शिशु का सिर श्रोणि गुहा (pelvic cavity) तक आ चुका होता है। इस कारण गर्भाशय (cervix) के मुख की छोटी रक्त वाहिनियां टूट जाती हैं जिसकी वजह से योनि से खूनी स्राव होने लगता है। यह नॉर्मल डिलिवरी का मुख्य संकेत होता है।
नॉर्मल डिलीवरी का अन्य संकेत यह है कि गर्भवती महिला को डिलीवरी से पहले पेट के आसपास के क्षेत्रों में खुजली के साथ जलन का अनुभव होता है। यह ड्राईनेस के कारण होता है। इससे राहत पाने के लिए उस क्षेत्र पर मॉश्चराइजर क्रीम लगाना चाहिए।
नौंवे महिने के अंतिम हफ्ते में डिलीवरी होने से पहले महिला को स्तन में तेज पीड़ा का अनुभव होता है। हालांकि इसमें चिंता जैसी कोई बात नहीं होती है। यह लक्षण नॉर्मल डिलीवरी का ही संकेत होता है, इस स्थिति में गर्भवती महिला को धैर्य बनाए रखना चाहिए और डिलीवरी के समय का इंतजार करना चाहिए। यदि स्तन में लगातार दर्द और जलन बना हुआ रहे तो इसपर कोई क्रीम लगा लेना चाहिए।
डिलीवरी का समय नजदीक आते ही थोड़ी देर के लिए गर्भवती महिला खुद को बहुत ऊर्जावान महसूस करती है तो अगले ही क्षण उसे थकान का भी अनुभव होने लगता है। डिलीवरी की तारीख नजदीक होने पर ऊर्जा के स्तर में यह उतार-चढ़ाव बहुत सामान्य होता है। एनर्जी बनाए रखने के लिए गर्भवती महिला को स्वस्थ आहार लेना चाहिए।
नॉर्मल डिलीवरी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि प्रेगनेंसी के नौंवे महीने में कदम रखते ही पेट के आसपास के क्षेत्र से खिसककर बच्चा निचले हिस्से में आ जाता है, इससे गर्भवती महिला को यह पता चल जाता है कि उसे कुछ दिनों में लेबर पेन शुरू होने वाले है। यह डिलीवरी के दो से चार हफ्ते पहले होता है।
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