Normal Human Body Temperature In Hindi सामान्य शारीरिक तापमान व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को व्यक्त करने का एक अच्छा माध्यम है। मानव स्वास्थ्य में तापमान की अहिम भूमिका होती है। बाहर का तापमान कुछ भी हो, परन्तु शरीर का तापमान, सामान्य तापमान के आसपास होना आवश्यक होता है। सामान्य से अधिक या कम शारीरिक तापमान, स्वास्थ्य में गड़बड़ी को व्यक्त करता है। शारीरिक तापमान में गड़बड़ी चिकित्सकीय इलाज की स्थिति को उत्पन्न कर सकती है। अतः शारीरिक तापमान पर निगरानी रखने के लिए शरीर का सामान्य तापमान की जानकारी का होना अतिआवश्यक है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे, कि शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है (Normal Body Temperature), इसकी रेंज क्या है, इसका महत्त्व, बुखार और तापमान मापने के तरीकों के बारे में।
विषय सूची
- शरीर का तापमान – Body temperature in hindi
- मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान क्या होता है – What Is Normal Body Temperature in hindi
- शारीरिक तापमान की सामान्य रेंज – Normal Range of Body Temperature in hindi
- शरीर का तापमान मापने का महत्त्व – importance of measuring body temperature in hindi
- बुखार तापमान की जांच – Fever body temperature in hindi
- बुखार के लक्षण – symptoms of fever in hindi
- कम शारीरिक तापमान (हाइपोथर्मिया) क्या होता है – Low Body Temperature (Hypothermia) in hindi
- उच्च शारीरिक तापमान (हीटस्ट्रोक) – High body temperature (heatstroke) in hindi
- शरीर के तापमान को मापने के तरीके – Measuring body temperature in hindi
- तापमान लेने से पहले सावधानियां – Before taking temperature in hindi
शरीर का तापमान – Body temperature in Hindi
प्रत्येक मनुष्य का कुछ न कुछ शरीर का तापमान होता है। शारीरिक तापमान (Body Temperature) को एक सुरक्षित सीमा के अन्दर होना बहुत आवश्यक होता है, भले ही शरीर के बाहर तापमान बहुत अधिक बदल जाए। शारीरिक तापमान को शरीर के कई स्थानों पर मापा जा सकता है, आमतौर पर सबसे अधिक मुंह, कान, कांख और गुदाशय आदि स्थानों पर इसको मापा जाता है। शरीर के तापमान को माथे पर भी मापा जा सकता है। थर्मामीटर की प्रकृति के आधार पर डिग्री फ़ारेनहाइट (°F) या डिग्री सेल्सियस (°C) में तापमान को प्रदर्शित करते हैं। आमतौर पर भारत में ज्यादातर डिग्री सेल्सियस में तापमान को व्यक्त किया जाता है।
सभी व्यक्तियों का शारीरिक तापमान एक समान नहीं होता हैं। सभी स्वास्थ्य मनुष्यों के सामान्य तापमान में लगभग 1°F या इससे अधिक का अंतर पाया जा सकता है। यदि किसी मनुष्य का, सामान्य तापमान से कम शारीरिक तापमान होता है, तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया (hypothermia) के नाम से जाना जाता है और जब सामान्य तापमान से उच्च शारीरिक तापमान होता है, तो इस स्थिति को हीटस्ट्रोक (heatstroke) के नाम से जाना जाता है। ये दोनों ही स्थितियां चिकित्सकीय इलाज का कारण बन सकती हैं।
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान क्या होता है – What Is Normal Body Temperature in Hindi
सामान्य शारीरिक तापमान (Normal Body Temperature) से आशय, प्रत्येक व्यक्ति की पूर्ण स्वस्थ्य अवस्था में पाए जाने वाले शरीर के तापमान से है। शरीर का तापमान आमतौर पर दो तरह से व्यक्ति किया जा सकता है,
- डिग्री फ़ारेनहाइट (°F) में,
- डिग्री सेल्सियस (°C) में,
सामान्यतः “सामान्य” शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट या 37 डिग्री सेल्सियस होता है। यह एक औसत तापमान है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का तापमान इस मान से थोड़ा अधिक या थोड़ा कम हो सकता है। शरीर का तापमान, औसत तापमान से ऊपर या नीचे प्राप्त होने का मतलब यह नहीं है कि साम्बंधित व्यक्ति बीमार है। कई प्रकार के कारक शरीर के तापमान को प्रभावित कर सकते हैं, इन कारकों में शामिल हैं:
- आयु
- लिंग
- दिन का समय
- महिलाओं में मासिक धर्म चक्र या हार्मोन स्तर
- खान-पान
- और शारीरिक गतिविधियां।
शिशुओं, बच्चों, वयस्कों और वृद्ध व्यक्तियों के लिए सामान्य शरीर के तापमान थोड़ी भिन्नता देखी जा सकती है। सामान्य तापमान वास्तव में 1 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.6 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक या कम हो सकता है। साथ ही, दिन के दौरान यह सामान्य तापमान 1 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.6 डिग्री सेल्सियस) तक बदल जाता है।
तापमान में परिवर्तन, शारीरिक स्थानों या अंगों के आधार पर भी देखा जा सकता है अर्थात् नापे गये स्थान के आधार पर। तापमान की अंडरमर्स रीडिंग (Underarm readings) या शरीर के बाजू से ली गई रीडिंग, मुंह से ली गई रीडिंग की तुलना में कुछ कम हो सकती है। और रेक्टल तापमान (Rectal temperatures) आमतौर पर मुंह से ली हाई रीडिंग की तुलना में कुछ डिग्री अधिक होता है।
शारीरिक तापमान की सामान्य रेंज – Normal Range of Body Temperature in Hindi
सभी व्यक्ति के सामान्य शरीर का तापमान (Normal Body Temperature) एक समान नहीं होता है। कुछ व्यक्ति के तापमान में अन्य व्यक्तियों की तुलना में कुछ डिग्री का अंतर हो सकता है। 19 वीं शताब्दी में एक जर्मन डॉक्टर ने 98.6 °F को मानक तापमान निर्धारित किया, लेकिन कुछ अध्ययनों में पाया गया कि ज्यादातर लोगों के लिए यह सीमा 98.2 °F के बहुत नजदीक है।
आयु के आधार पर औसत शारीरिक तापमान (average body temperatures) इस प्रकार है:
- शिशुओं और बच्चों के शरीर का तापमान कितना होता है (Babies and children) – शिशुओं और बच्चों में, शरीर के तापमान का औसत मान 97.9 डिग्री फ़ारेनहाइट (36.6 डिग्री सेल्सियस) से 99 डिग्री फ़ारेनहाइट (37.2 डिग्री सेल्सियस) तक रहता है।
- वयस्क के शरीर का तापमान कितना होता है (Adults) – वयस्कों में, औसत शरीर का तापमान 97 डिग्री फ़ारेनहाइट (36.1 डिग्री सेल्सियस) से 99 डिग्री फ़ारेनहाइट (37.2 डिग्री सेल्सियस) तक रहता है।
- 65 साल से अधिक उम्र के वयस्क के शरीर का तापमान – पुराने वयस्कों या 65 साल से अधिक उम्र के वयस्क में, औसत शारीरिक तापमान 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट (36.2 डिग्री सेल्सियस) से कम होता है।
ध्यान रखें कि सामान्य शरीर का तापमान (Normal Body Temperature) प्रत्येक व्यक्ति में 1 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.6 डिग्री सेल्सियस) के अंतर से अलग-अलग हो सकता है।
शरीर का तापमान मापने का महत्त्व – Importance of measuring body temperature in Hindi
शरीर के तापमान को मापने का मुख्य उद्देश्य बुखार की स्थिति का पता लग्गाने के लिए किया जाता हैं। इसके अतिरिक्त शरीर के तापमान को मापने के अन्य उद्देश्य हैं, जैसे:
- बुखार की जाँच करने के लिए।
- ठंड के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में बहुत कम शरीर के तापमान की जांच करने के लिए।
- गर्मी के संपर्क में आने वाले लोगों में बहुत अधिक शरीर के तापमान की जांच करने के लिए।
- बुखार कम करने वाली दवाओं की कार्यक्षमता का पता लगाने के लिए।
- गर्भावस्था के दौरान महिला ओवुलेशन (ovulating) का अनुमान लगाने के लिए।
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बुखार तापमान की जांच – Fever body temperature in Hindi
आमतौर पर बुखार की स्थिति का आकलन, शरीर के तापमान (Body Temperature)के आधार पर लगाया जाता है। एक थर्मामीटर की मदद से शरीर के तापमान को ज्ञात कर बुखार का पता लगाया जाता है। 100.4 डिग्री फ़ारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर शरीर का तापमान होने पर, बुखार माना जाता है। यह बुखार पूरी तरह से गंभीर या भयानक नहीं होता है। अपितु यह एक संकेत है कि मानव शरीर, जीवाणु आक्रमण के विपरीत प्रतिक्रिया कर रहा है, अर्थात् उनसे लड़ रहा है। शिशुओं, बच्चों और वयस्कों में, थर्मामीटर की निम्नलिखित रीडिंग आमतौर पर बुखार का संकेत होती हैं, जैसे:
- रेक्टल या कान (rectal or ear) की रीडिंग – 100.4 डिग्री फ़ारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक,
- मुंह की रीडिंग – 100 डिग्री फ़ारेनहाइट (37.8 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक,
- बगल रीडिंग – 99 डिग्री फ़ारेनहाइट (37.2 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक,
- अनुसंधान (Research) से पता चलता है कि बुजुर्ग वयस्कों के लिए बुखार की सीमा कुछ कम हो सकती है, क्योंकि वृद्ध व्यक्तियों को गर्मी संरक्षण में अधिक कठिनाई होती है। आम तौर पर, वृद्ध व्यक्तयों में सामान्य तापमान से 2 डिग्री फ़ारेनहाइट (1.1 डिग्री सेल्सियस) की वृद्धि आमतौर पर बुखार का संकेत देती है।
- लेकिन यदि तापमान 103 °F (39.4 डिग्री सेल्सियस) या उससे अधिक है तथा 3 दिनों से अधिक समय तक बुखार रहता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
बुखार के लक्षण – Symptoms of fever in Hindi
सामान्य शरीर के तापमान में विचलन या बुखार के सामान्य संकेतों और लक्षणों के रूप में निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:
- पसीना आना
- भूख में कमी
- ठंडा लगना या कांपना
- शरीर में दर्द
- निर्जलीकरण
- गर्म त्वचा होना
- थकान और कमजोरी
- सिरदर्द (headache)
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यदि मानव शरीर का तापमान 103 डिग्री फ़ारेनहाइट (39.4 डिग्री सेल्सियस) से अधिक है और बुखार तीन दिन से अधिक समय तक रहता है तो इस स्थिति में बुखार के लक्षण निम्न है:
- उल्टी
- गले में सूजन
- सिरदर्द
- लाल चकत्ते (a rash)
- छाती में दर्द
इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को बुलाना चाहिए या डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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कम शारीरिक तापमान (हाइपोथर्मिया) क्या होता है – Low Body Temperature (Hypothermia) in Hindi
यदि मानव शरीर बहुत अधिक गर्मी खो देता है अर्थात तापमान में कमी करता है, तो यह बहुत गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है, जिसे हाइपोथर्मिया (Hypothermia) कहते हैं। हाइपोथर्मिया (Hypothermia) का सम्बन्ध उस स्थिति से होता है, जब शरीर का तापमान 95 °F (35 डिग्री सेल्सियस) से नीचे चला जाता है। हाइपोथर्मिया (Hypothermia) नवजात शिशुओं और बुजुर्गों के लिए एक चिंता का विषय है।
शरीर का कम तापमान या हाइपोथर्मिया (Hypothermia) आमतौर पर ठंड के मौसम में होता है। लेकिन निम्न स्थितियां भी इसका कारण बन सकती हैं, जैसे:
- शराब या नशीली दवाओं का उपयोग
- हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) या एक अपर्याप्त रूप से सक्रिय (अंडरएक्टिव) थायराइड
- एनोरेक्सिया (Anorexia)
- सेप्सिस (Sepsis), गंभीर संक्रमण की स्थिति
- पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease)
- आघात (Stroke)
- मधुमेह
- तंत्रिका की क्षति
- कुपोषण (Malnutrition)
- एंटीड्रिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक या sedatives जैसी दवाएं आदि।
- नवजात शिशुओं, बुजुर्ग वयस्कों या कमजोर लोगों में यह सबसे आम है।
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शरीर का कम तापमान या हाइपोथर्मिया (Hypothermia) आमतौर पर निम्न लक्षणों का कारण बन सकता है:
- कंपकंपी (shivering)
- धीमी सांस या सांस लेने में समस्याएं
- एक कमजोर नाड़ी (a weak pulse)
- खराब सामंजस्य
- ठंड लगना
- ऊर्जा में कमी या कम नींद आना
- भ्रम या स्मृति में हानि
- बेहोशी आदि
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उच्च शारीरिक तापमान (हीटस्ट्रोक) – High body temperature (heatstroke) in Hindi
हीटस्ट्रोक (heatstroke) उस स्थिति को कहते हैं, जब मानव शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करने में असफल रहता है, और शरीर का तापमान बढ़ता जाता है। हीटस्ट्रोक (heatstroke) मानव शरीर के लिए घातक हो सकता है। इसे आपातकालीन चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है। हीटस्ट्रोक (heatstroke) या शरीर के उच्च तापमान की स्थिति में निम्न लक्षण प्रगट होते हैं, जैसे:
- गंभीर निर्जलीकरण
- शरीर के अंगों की कार्य क्षमता में कमी या अंगों द्वारा काम न कर पाना,
- मानसिक परिवर्तन (जैसे भ्रम, भ्रम, या बेहोशी)
- कांख (Armpit) के नीचे भी गर्म, लाल और सूखी त्वचा आदि
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शरीर के तापमान को मापने के तरीके – Measuring body temperature in Hindi
थर्मामीटर से तापमान लेते समय निम्न तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
मौखिक तापमान (oral temperature) – यह तापमान लेने का सबसे सामान्य तरीका है। इसे उन व्यक्तिओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो नाक के माध्यम से सांस लेने में सक्षम होते हैं। जो व्यक्ति केवल नाक से साँस लेने में सक्षम नहीं है, तो उन्हें तापमान लेने के लिए गुदाशय, कान या कांख (armpit) का उपयोग करना चाहिए।
थर्मामीटर को जीभ के नीचे, बीचों बीच रखना चाहिए। और थर्मामीटर को होंठों को बंद करके पकड़ना चाहिए। कुछ समय बाद थर्मामीटर को निकालकर तापमान के मान ज्ञात कर लेते हैं। इसे प्रयोग में लाने से पहले ठंडा पानी और साबुन से अच्छी तरह साफ कर लें।
रेक्टल तापमान (rectal temperature) – यह शरीर के तापमान को मापने के लिए सभी तरीकों में सबसे सटीक तरीका है। इस तरीके से तापमान मापने की सिफारिश उन लोगों को की जाती है, जो मुंह में थर्मामीटर को सुरक्षित रूप से नहीं रख सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं, छोटे बच्चों के लिए भी इस तरीके को प्रयोग में लाया जाता है।
थर्मामीटर के बल्ब पर एक स्नेहक जेली या पेट्रोलियम जेली लगाकर इसे रेक्टल (मलाशय) में लगभग 0.5 इंच (1.25 सेमी) से 1 इंच (2.5 सेमी) तक डाला जाता है। इस तरीके का प्रयोग करते समय सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। कुछ समय बाद थर्मामीटर निकालकर इसके मान को पढ़ें। रेक्टल तापमान लेने के लिए प्रयोग किये गये थर्मामीटर को मौखिक तापमान लेने के लिए उपयोग न करें।
कांख सम्बन्धी तापमान (armpit (axillary) temperature) – कांख से तापमान लेने का तरीका मौखिक या रेक्टल तापमान लेने के तरीकों की अपेक्षा सटीक नहीं होता है, क्योंकि कांख का तापमान बाह्य वातावरण के अनुसार बदलता रहता है। कांख के बीचों-बीच में थर्मामीटर के बल्ब को रखकर दबाएं रखें तथा कुछ समय थर्मामीटर निकालकर तापमान के मान को नोट करें। कांख के तापमान में मौखिक तापमान की अपेक्षा 1 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.6 डिग्री सेल्सियस) की कमी पाई जा सकती है।
तापमान लेने से पहले सावधानियां – Before taking temperature in Hindi
- शरीर का तापमान (Body Temperature) मापते समय निम्न स्थितियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जैसे:
- यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो धूम्रपान करने के कम से कम 20 से 30 मिनट बाद थर्मामीटर से तापमान लेना चाहिए
- खाना खाने या गर्म या ठंडा तरल पीने के कम से कम 30 से 60 मिनट बाद तापमान मापें।
- कड़ी मेहनत या गर्म स्नान करने के कम से कम एक घंटा बाद ही तापमान मापन किया जाये।
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