Osteomalacia in hindi ओस्टियोमेलेशिया या अस्थिमृदुता, हड्डी के गठन या हड्डी के निर्माण की प्रक्रिया में उत्पन्न समस्या है, जो शरीर की हड्डियों के नरम, मुलायम तथा कमजोर होने का कारण बनती है। यह समस्या अक्सर गंभीर विटामिन डी की कमी के कारण उत्पन्न होती है। यदि इस समस्या का इलाज समय पर न किया जाये, तो ओस्टियोमेलेशिया टूटी हुई हड्डियों और हड्डियों में गंभीर विकृति का कारण बन सकती है। बच्चों में इस रोग को रिकेट्स कहते हैं। ये प्रायः विटामिन डी की कमी के कारण होता है।
आज के इस लेख में आप जानेगें कि अस्थिमृदुता रोग क्या है, इसके लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में।
1. अस्थिमृदुता या ओस्टीयोमलेशिया रोग क्या है – What Is Osteomalacia Disease in Hindi
2. अस्थिमृदुता या ओस्टियोमेलेशिया के लक्षण – Osteomalacia Symptoms In Hindi
3. अस्थिमृदुता या ओस्टियोमेलेशिया का कारण – Osteomalacia Causes In Hindi
4. ओस्टियोमेलेशिया के जोखिम कारक – Osteomalacia Risk Factors In Hindi
5. ओस्टियोमेलेशिया का निदान – Osteomalacia Diagnosis In Hindi
6. ओस्टियोमेलेशिया का इलाज – Osteomalacia Treatment In Hindi
7. अस्थिमृदुता या ओस्टियोमेलेशिया से बचाव – Osteomalacia Prevention In Hindi
ओस्टियोमेलेशिया का सामान्य अर्थ “नरम हड्डियां या अस्थिमृदुता” होता है। यह समस्या वयस्क व्यक्तियों से संबन्धित है। जबकि अस्थिमृदुता रोग (Osteomalacia) महिलाओं में अधिक आम है और अक्सर गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होता है। जब यह स्थिति बच्चों में उत्पन्न होती है, तो इसे रिकेट्स से संदर्भित किया जाता है।
ओस्टियोमेलेशिया रोग, ऑस्टियोपोरोसिस के समान नहीं है। यद्यपि ये दोनों रोग हड्डियों के फ्रैक्चर होने का कारण बन सकते हैं। लेकिन ओस्टियोमेलेशिया (अस्थिमृदुता) हड्डियों के सख्त न होने की समस्या है, जबकी ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी का कमजोर या पतला होना है।
ओस्टोमेलेसिया की स्थिति हड्डियों को कठोर, मजबूत या सख्त होने से रोकती है। जिससे हड्डियों के कमजोर होने, झुकने (विकृत होने) और टूटने की संभावना बढ़ जाती है। ओस्टियोमेलेशिया से पीड़ित बच्चों और युवा वयस्कों की नरम हड्डियां, विशेष रूप से पैरों की हड्डियाँ, विकास के दौरान झुक सकती हैं। व्रद्ध वयस्कों में ओस्टियोमेलेशिया की स्थिति फ्रैक्चर का कारण भी बन सकती है।
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अस्थिमृदुता (Osteomalacia) के शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। इस रोग के लक्षण अस्थिसुषिरता (osteoporosis) से मिलते-जुलते होते हैं। अस्थिमृदुता (ओस्टियोमेलेशिया) की स्थिति समय बढ्ने के साथ लक्षणों को उत्पन्न करती है, जिनमें निम्न को शामिल किया जा सकता है:
विशेष रूप से कूल्हों की हड्डी का दर्द भी एक सामान्य लक्षण है। दर्द की आव्रति रात के समय या हड्डियों पर दबाव पड़ने से बढ़ती जाती है, और अस्थिमृदुता की स्थिति में हड्डियों के दर्द से पूरी तरह से राहत नहीं मिलती है। अस्थिमृदुता (Osteomalacia) की स्थिति में कूल्हों का दर्द के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों जैसे- कमर दर्द, श्रोणि (Pelvis), पैर, पसलियां (Ribs) आदि में भी दर्द का अनुभव किया जा सकता है
इसके अतिरिक्त ओस्टियोमेलेशिया (Osteomalacia) की स्थिति में रक्त में कैल्शियम का स्तर बहुत कम होने पर पीड़ित व्यक्ति निम्न लक्षणों को भी महसूस कर सकता है, जैसे:
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हड्डी परिपक्व प्रक्रिया में दोष उत्पन्न होने के परिणामस्वरूप अस्थिमृदुता (Osteomalacia) रोग होता है। शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की आवश्यक मात्रा मजबूत हड्डियों के निर्माण में मदद करती है। अतः अस्थिमृदुता की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब आहार में कैल्शियम और फॉस्फेट खनिजों की पर्याप्त मात्रा नहीं पाई जाती है या व्यक्ति का शरीर इन खनिजों को ठीक तरह से अवशोषित नहीं कर पाता है। अतः ओस्टियोमेलेशिया के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
विटामिन डी की कमी अस्थिमृदुता (Osteomalacia) का सबसे आम तथा मुख्य कारण है। विटामिन डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो पेट में भोजन से कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त विटामिन डी हड्डियों के उचित निर्माण के लिए कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को बनाए रखने में भी मदद करता है। विटामिन डी को सूरज की रोशनी द्वारा त्वचा के माध्यम से, डेयरी उत्पादों और मछली जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से प्राप्त किया जा सकता है।
शरीर में विटामिन डी के स्तर में कमी, कैल्शियम और फॉस्फेट के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करने के साथ-साथ हड्डियों को नरम और कमजोर बनती है, जिससे ओस्टियोमेलेशिया (अस्थिमृदुता) रोग उत्पन्न होता है।
कुछ प्रकार की सर्जरी, विटामिन डी और अन्य खनिजों को अवशोषित करने या भोजन से पोषक तत्वों को प्राप्त में समस्या उत्पन्न कर सकती है। जिसमें पेट या आंत की सर्जरी, छोटी आंत को हटाने या बायपास करने की सर्जरी आदि को शामिल किया जा सकता है। सर्जरी के परिणामस्वरूप विटामिन डी और कैल्शियम की कमी अस्थिमृदुता (Osteomalacia) का कारण बन सकती है।
सीलिएक रोग ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो आंतों के अस्तर को नुकसान पहुंचा सकता है और विटामिन डी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है। सीलिएक रोग की स्थिति में, खाद्य पदार्थों के माध्यम से ग्लूटेन (Gluten) का अधिक सेवन तथा गेहूं, जौ
और राई में पाया जाने वाला प्रोटीन, छोटी आंत के अस्तर को नुकसान पहुंचाता है। जिससे पोषक तत्वों का अच्छी तरह से अवशोषण नहीं हो पाता, और विटामिन डी तथा कैल्शियम की कमी हो सकती है।किडनी और लिवर संबंधी विकार, विटामिन डी के चयापचय को प्रभावित कर सकते हैं। किडनी और लिवर शरीर में विटामिन डी को सक्रिय विटामिन डी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः किडनी और लिवर संबंधी रोग विटामिन डी के कार्य को अवरुद्ध कर अस्थिमृदुता (Osteomalacia) के उत्पन्न होने में योगदान दे सकते हैं।
ड्रग्स (Drugs) – बरामदगी (Seizures) का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं, गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी और अस्थिमृदुता (Osteomalacia) का कारण बन सकती हैं। इन दवाओं में फेनीटोइन (डिलान्टिन, फेनटेक) और फीनोबार्बिटल (Phenobarbital) को शामिल किया जा सकता है।
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अस्थिमृदुता (Osteomalacia) रोग का जोखिम उन लोगों को सबसे अधिक है, जो विटामिन डी युक्त आहार का अपर्याप्त सेवन करते हैं तथा सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं आते हैं। वृद्ध वयस्कों को ओस्टियोमेलेशिया का खतरा अधिक होता है।
इसके अतिरिक्त कुछ प्रकार के कैंसर भी विटामिन डी की कमी का कारण बन सकते हैं तथा अस्थिमृदुता (Osteomalacia) के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
आहार में फॉस्फेट और कैल्सियम खनिजों की कमी शा भी ओस्टियोमेलेशिया (अस्थिमृदुता) के जोखिम को बढ़ाती है।
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अस्थिमृदुता का निदान करना मुश्किल हो सकता है। अस्थिमृदुता के कारणों और हड्डी के अन्य विकारों को दूर करने के लिए, नैदानिक प्रक्रिया में निम्न परीक्षणों की सिफ़ारिश की जा सकती है:
रक्त और मूत्र परीक्षण – विटामिन डी के निम्न स्तर और कैल्शियम तथा फास्फोरस की मात्रा का निर्धारण करने के लिए रक्त और मूत्र परीक्षण मददगार साबित हो सकते हैं। रक्त परीक्षण की मदद से प्राप्त होने वाले विटामिन डी, कैल्शियम और फास्फोरस के निम्न स्तर अस्थिमृदुता या अन्य अस्थि विकार का संकेत दे सकते है। इसके अतिरिक्त ओस्टियोमेलेशिया की स्थिति में रक्त परीक्षण के तहत निम्न परिणाम भी प्राप्त किए जा सकते हैं:
एक्स-रे – एक्स-रे परीक्षण की मदद से हड्डियों में हल्की दरारें देखी जा सकती हैं, जो ओस्टियोमेलेशिया की एक विशेषता है।
अस्थि बायोप्सी (Bone Biopsy) – सामान्य एनेस्थीशिया (Anesthesia) का उपयोग करते हुए, एक सर्जन हड्डी के एक छोटे से नमूने को लेने के लिए, पीड़ित व्यक्ति के कूल्हे के ऊपर की श्रोणि की हड्डी (Pelvic Bone) में एक पतली सुई डालता है। अस्थि बायोप्सी ओस्टियोमेलेशिया का सटीक तरीके से निदान करने में सक्षम है, लेकिन बहुत कम स्थितियों में इस परीक्षण की आवश्यकता होती है।
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ओस्टियोमेलेशिया की स्थिति में इलाज के दौरान डॉक्टर मरीज को विटामिन डी, कैल्शियम या फॉस्फेट सप्लीमेंट लेने की सिफ़ारिश कर सकता है। अतः ओस्टियोमेलेशिया के इलाज में मौखिक सप्लीमेंट का सेवन कई हफ्तों या कई महीनों तक, रक्त में विटामिन डी के सामान्य स्तर को बनाए रखने के लिए करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर द्वारा मरीज को कैल्शियम या फास्फोरस से भरपूर आहार के सेवन की सिफ़ारिश भी की जा सकती है।
यदि आंतों की चोट या सर्जरी के कारण उत्पन्न अवशोषण संबंधी समस्या, ओस्टियोमेलेशिया का कारण बनती है, तो महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को प्रदान करने के लिए कुछ मामलों में, इंजेक्शन की सिफ़ारिश की जा सकती है। व्यक्ति को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 6 महीनों का समय लग सकता है।
इसके अतिरिक्त डॉक्टर ओस्टियोमेलेशिया के अंतर्निहित कारणों जैसे- सिरोसिस और किडनी की विफलता आदि की स्थिति में उचित उपचार अपना सकता है। गंभीर स्थिति में हड्डी की विकृति को ठीक करने के लिए सर्जरी की भी सिफ़ारिश की जा सकती है।
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सूरज प्रकाश के संपर्क में न आने और विटामिन डी का आहार के माध्यम से कम मात्रा में सेवन करने से ओस्टियोमेलेशिया का खतरा बढ़ जाता है। अतः ओस्टियोमेलेशिया की रोकथाम के लिए व्यक्ति को एक निश्चित समय के लिए धूप में समय बिताना चाहिए और अधिक मात्रा में विटामिन डी, कैल्शियम से परिपूर्ण आहार का सेवन करना चाहिए।
विटामिन डी वाले खाद्य पदार्थों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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