Osteoporosis Home Remedies in Hindi ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपचार जानना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी समस्या है जो 30 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं और 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले पुरुषों को आसानी से हो सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डीयों के द्रव्यमान से जुड़ी समस्या है। ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ है छिद्रपूर्ण हड्डियां होता है। ऑस्टियोपोरोसिस लोगों में बहुत ही धीरे-धीरे होता है जिससे लोगों को पता भी नहीं चलता है और वे इस समस्या से ग्रसित हो जाते हैं।
सबसे प्रमुख बात यह है कि इस समस्या के कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। क्योंकि आप अपनी कमजोर हड्डीयों का अनुभव नहीं कर सकते हैं। इस समस्या से बचने के लिए घरेलू उपायों का उपयोग किया जा सकता है। जो कि बहुत ही प्रभावी होते हैं। इस लेख में आप ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपचार, उपाय, नुस्खे और ऑस्टियोपोरोसिस का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानेगें।
विषय सूची
ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपाय – Osteoporosis Ke Gharelu Upay in Hindi
आप ऑस्टियोपोरोसिस को साधारण बीमारी ना समझें। ऑस्टियोपोरोसिस का निदान शुरूआती चरणों में किया जाना चाहिए। लेकिन इस समस्या का इलाज कराने के बाद भी आपको सावधानी रखने की आवश्यकता है। आप कुछ घरेलू उपायों का उपयोग कर इस समस्या के लक्षणों से बच सकते हैं या फिर इस बीमारी की संभावनाओं को कम कर सकते हैं।
आइए जाने ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के घरेलू उपाय क्या हैं।
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आपको अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में सभी प्रकार के पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। आपके शरीर के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण घटक है जो आपकी हड्डीयों के लिए महत्वपूर्ण होता है। ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के लिए कैल्शियम का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप बादाम का सेवन कर सकते हैं। कैल्शियम की पूर्ति के लिए बादाम पेस्ट के साथ दूध का सेवन सबसे अच्छा है। बादाम पेस्ट बनाने के लिए आप बादाम को पूरी रात में पानी भीगनें दें और सुबह उनका छिलका निकालकर पीस लें। इस पेस्ट को आप सोया मिल्क, गाय के दूध या बकरी के दूध के साथ मिलाकर सेवन करें। बादाम और दूध आपके शरीर को पर्याप्त कैल्शियम उपलब्ध कराता है जो हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
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पीले फूल का एक प्रकार का पौधा जिसके पत्ते दनदानेदार होते हैं जिसे सिंहपर्णी कहते हैं। इसकी चाय का सेवन कर आप अपनी हड्डियों को मजबूत कर सकते हैं। सिहंपर्णी पोटेशियम और अन्य पोषक तत्वा का पावरहाऊस माना जाता है। इस कारण से ही जानकारों द्वारा सिंहपर्णी के सेवन की सलाह दी जाती है। आप अपनी हड्डीयों को मजबूत बनाने के लिए प्रतिदिन 2-3 कप सिंहपर्णी से बनी चाय का सेवन कर सकते हैं। जो कि आपकी हड्डियों के लिए पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध कराती है। लेकिन गंभीर दर्द या सूजन के मामले में आपको इस चाय का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना फायदेमंद होगा।
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आप अपनी हड्डियों से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए तिल के बीज का उपयोग कर सकते हैं। कम मात्रा में तिल का सेवन करने से आपको विटामिन डी की अच्छी मात्रा प्राप्त हो सकती है। हड्डीयों के लिए विटामिन डी भी महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा आप ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़े लक्षणों को कम करने के लिए नियमित रूप से 1 गिलास दूध के साथ भुने हुए तिल के बीज का उपभोग करें। कई प्रकार की हड्डियों संबंधित बीमारियों के लिए भी तिल के बीज का उपयोग किया जाता है। आप तिल और दूध का नियमित सेवन कर सकते हैं जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
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यदि आप सोयाबीन से बने हुए उत्पादों का सेवन नहीं करते हैं तो अभी से शुरू कर दें। यह भविष्य में होने वाली हड्डियों संबंधि बीमारीयों को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। सोया उत्पाद हड्डी के घनत्व को बनाए रखने के लिए प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। नियमित रूप से सोया उत्पादों का सेवन करने से यह आपके शरीर में एस्ट्रोजेन के स्तर को संतुलित करता है। आप ऑस्टियोपोरोसिस के प्रभाव से बचने के लिए सोया उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
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नियमित रूप से सेव का सेवन करना आपको डॉक्टर के खर्च से बचा सकता है। आप सेब को साधारण फल न समझें यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। सेब में बोरॉन जैसे आवश्यक पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं। यह एक प्राथमिक खनिज है जो आपके शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। जिससे आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं। इसलिए आप अपने संतुलित आहार में सेब को विशेष रूप से शामिल करें। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
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पोषण विशेषज्ञों के अनुसार वयस्कों के आहार में टोफू को विशेष रूप से शामिल किया जाना चाहिए। नियमित रूप से टोफू का सेवन करने से यह आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में फाइटोस्ट्रोजेन (phytoestrogens) उपलब्ध कराता है। यह पोषक तत्व आपके शरीर में हड्डीयों के घनत्व को बनाए रखने में मदद करता है। हालांकि इस संबंध में आपको डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए और विशेष रूप से बुजुर्ग महिलाओं को उचित परीक्षण के बिना ऑस्टियोपोरोसिस के घरेलू उपायों से बचना चाहिए।
दैनिक आहार में केला को शामिल करने से पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम की प्राप्ती की जा सकती है। पोटेशियम आपकी हड्डीयों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि बुजुर्ग महिलाएं अपनी कमर और रीढ़ की हड्डी के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं। इसलिए इन्हें पोटेशियम की नियमित खुराक की आवश्यकता होती है। पोषण विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि वयस्क लोगों द्वारा पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम का सेवन करने से यह ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम कर सकता है।
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फलों और डेयरी उत्पादों का सेवन करना आपके संपूर्ण स्वासथ्य और हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। इसी तरह से कुछ विशेष सब्जियां भी हैं जिन्हें आपको अपने आहार में विशेष रूप से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार की सब्जियों में ब्रोकोली प्रथम स्थान पर है। ब्रोकोली जैसी हरी सब्जियां आपको विटामिन K और प्रोटीन भी अच्छी मात्रा दिलाती हैं। साप्ताहिक रूप से केवल 1 बार ब्रोकोली का सेवन आपकी हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा विटामिन K और प्रोटीन न केवल ऑस्टियोपोरोसिस की शुरूआत को रोकने में मदद करते हैं बल्कि ये यौगिक विभिन्न फ्रैक्चर को ठीक करने में भी मदद करते हैं।
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शरीर में मैंगनीज की कमी भी ऑस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण हो सकता है। इसलिए इस खनिज पदार्थ का उच्च मात्रा में सेवन करने से इस गंभीर समस्या से बचा जा सकता है। अनानास में मैगनीशियम की अच्छी मात्रा होती है। स्वस्थ्य शरीर के लिए नियमित रूप से ताजे अनानास के जूस का सेवन किया जाना चाहिए। अनानाश जूस से शरीर में मैंगनीशियम की कमी को पूरा किया जा सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस की संभावनाओं को कम करने के लिए आप अनानास जूस का नियमित सेवन कर सकते हैं।
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यदि सब्जियों की बात की जाए तो कैल्शियम और आयरन की सबसे अच्छी मात्रा पालक में होती है। आप अपनी हड्डियों को मजबूत करने के लिए साप्ताहिक सब्जी के रूप में पालक को शामिल करें। इसमें मौजूद आयरन आपके शरीर में रक्त को बढ़ावा देता है और आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। कैल्शियम आपकी हड्डियों का प्रमुख घटक है जिसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना प्रवल हो सकती है। इसलिए आप अपने आहार में सब्जी या सलाद के रूप में पालक को आवश्यक रूप से शामिल करें।
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अस्थि-सुषिरता के उपचार के लिए आप सालमन मछली का उपयोग कर सकते हैं। यह मछली विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होती है जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड मुख्य रूप से होता है। इसके अलावा सालमन मछली में कैल्श्यिम और विटामिन D भी अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए यदि आप ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य हड्डीयों से संबंधित समस्याओं से बचना चाहते हैं तो सालमन मछली का सेवन शुरू कर दें। यह आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण दिलाने के साथ ही हड्डीयों को कमजोर होने से बचा सकती है।
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यदि आप अधिक मात्रा में धूम्रपान करते हैं तो सावधान रहें। यह आपके लिए ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा धूम्रपान कैंसर का प्रमुख कारण भी होता है। जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उनके लिए यह रजोनिवृत्ति के आगमन को भी तेज कर सकता है जो ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए लोगों को धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है। धूम्रपान छोड़कर आप रजोनिवृत्ति में देरी कर सकते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों को रोक सकते हैं।
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आप ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटीयों का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप शतावरी के 5 भाग, विदारी के 3 भाग और जंगली याम (रतालू) के 2 भागों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें। इसमें 1/8 भाग कामा डुबडा (kama dubda) मिलाएं। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करें। यह औषधीय मिश्रण ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करेगा।
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यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो आप मांसपेशीयों की ताकत बनाए रखेंगे। मांसपेशीयों की ताकत आपकी हड्डियों की शक्ति को बढ़ावा देने में मदद करती है। जिससे आपके गिरने या चोट लगने पर हड्डी के टूटने की संभावना को कम किया जा सकता है। नियमित व्यायाम आपके शरीर को सक्रिय रखता है और आपकी ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा नियमित व्यायाम कर आप अपने शरीर को चुस्त और तंदरुस्त बना सकते हैं।
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नियमित मालिश आपके शरीर के वता (vata) के प्रभाव को रोक सकता है। शरीर और हड्डी को समान रूप से मजबूत करने के लिए यह एक प्राचीन व्यवस्था है। आधुनिक अध्ययनों से निष्कर्ष निकलता है कि नियमित मालिश ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत में योगदान देने वाले लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए आप घरेलू उपचारों के साथ-साथ नियमित रूप से शरीर की मालिश को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। यह आस्टियोपोरोसिस से आपको बचा सकती है।
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