Ovary cyst ke gharelu upay in Hindi: महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट (अंडाशय में गांठ) होना सामान्य बात है। कभी न कभी उन्हें अपने जीवन में इस समस्या से गुजरना ही पड़ता है। आमतौर पर, ओवेरियन सिस्ट में कोई दर्द नहीं होता, लेकिन कई बार असहजता महसूस होती है। ओवरी या अंडाशय, महिलाओं में प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। ओवरी में सिस्ट होने के कई कारण हैं। जिन महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हैं, पीरियड्स इरैगुलर हैं, जो स्मोकिंग करती हैं, उनकी ओवरी में सिस्ट पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश गांठ खुद खत्म हो जाती हैं, लेकिन कुछ मामलों में अंडाशय में गांठ का उपचार तुरंत किया जाना जरूरी होता है। वैसे, अंडाशय में गांठ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई घरेलू नुस्खों की मदद भी ली जा सकती है।
ओवरी यानि अंडाशय महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का अहम हिस्सा होती है। महिलाओं में दो ओवरी होती है। यही पर एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरॉन नामक हार्मोन्स और अंडों का निर्माण होता है। यह दोनों शुक्राणु के साथ मिलकर भ्रूण का निर्माण करते हैं। महिलाओं के शरीर में दो ओवरीज यानि अंडाशय होते हैं, जो गर्भाशय के दोनों तरफ पेट के नीचे की ओर स्थित होती हैं। ओवरी सिस्ट ओवरी या अंडाशय में बनने वाली सिस्ट होती है, जो बंद थैली में बनती है। बता दें, इस थैली में तरल पदार्थ भरा होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं को मेनोपॉज से पहले अंडाशय में गांठ बन जाती है, वहीं 14 प्रतिशत महिलाओं को मेनोपॉज के बाद यह समस्या उत्पन्न होती है। कुछ मामलों में सिस्ट खुद गायब हो जाती हैं, वहीं कुछ के लिए घरेलू उपचार इससे राहत दिलाकर सिस्ट को छोटा या फिर नष्ट कर सकते हैं।
अगर आप भी ओवेरियन सिस्ट या अंडाशय में गांठ की समस्या से गुजर रही हैं, तो आइए आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं ओवेरियन सिस्ट के घरेलू उपाय।
विषय सूची
अंडाशय या ओवरी में सिस्ट होने की स्थिति को ओवेरियन सिस्ट कहते हैं। ओवरी के भीतर थैलीनुमा आकृति होती है, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। यह कई प्रकार की होती हैं, जैसे डर्मोइड सिस्ट, सिस्टेडेनोमा सिस्ट, एंडोमेट्रीयोमा सिस्ट। लेकिन इन सबमें फंक्शनल सिस्ट प्रमुख होती है। फंक्शनल सिस्ट भी दो प्रकार की होती है। फॉलिकल सिस्ट और कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट। महिलाओं के पीरियड्स में थैली के भीतर अंडों के बनने को फॉलिकल कहा जाता है। अक्सर ये थैली फट जाती है और अंडा निकल जाता है, लेकिन यदि किसी स्थिति में थैली न फटे तो इसके भीतर भरा हुआ तरल पदार्थ सिस्ट बना देता है। वैसे तो अंडा निकलने के बाद फॉलिकल सिस्ट खुद खत्म हो जाती है, लेकिन अगर यह खत्म न हो पाए, तो इसमें एक्स्ट्रा फ्लूड भर जाता है और यही स्थिति कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट के बनने के लिए जिम्मेदार होती है।
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मासिक धर्म चक्र के दौरान ओवरी फॉलिकल रिलीज करती है। ये फॉलिकल्स अंडे के साथ फीमेल हार्मोन्स भी रिलीज करते हैं। ज्यादातर मामलों में ये फॉलिकल्स नष्ट हो जाते हैं, लेकिन जब ये नष्ट नहीं होते और लगातार बढ़ने लगते हैं, तो इसमें द्रव एकत्रित होता है, जिससे ओवरी में सिस्ट बन जाती है। अगर सिस्ट फॉलिक्युलर है, तो इसमें ब्लड हो सकता है, कुछ मामलों में इसमें बाल और वसा भी हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर मामलों में सिस्ट से कैंसर नहीं होता, लेकिन सिस्ट बड़ी संख्या में हैं, तो यह पॉलिसिस्टिक की स्थिति पैदा करती है, जिससे महिलाओं में इंफर्टिलिटी की संभावना बढ़ जाती है।
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अधिकांश अंडाशय में गांठ छोटे होते हैं और लक्षणों का कारण नहीं होते हैं। यदि एक ओवरियन सिस्ट लक्षण पैदा करती है, तो आपको सिस्ट के किनारे निचले पेट में दबाव, सूजन, या दर्द हो सकता है। यह दर्द तेज या कम हो सकता है और आ और जा सकता है।
यदि एक सिस्ट फट जाती है, तो यह अचानक, गंभीर दर्द पैदा कर सकता है।
यदि एक सिस्ट एक अंडाशय को घुमाती है, तो आपको मतली और उल्टी के साथ दर्द हो सकता है।
ओवरियन सिस्ट में कोई लक्षण अनुभव नहीं होते हैं। परन्तु जैसे-जैसे ओवरी की सिस्ट बढ़ती जाती है वैसे-वैसे इसके लक्षणों में भी वृद्धि होती जाती है। कुछ प्रमुख लक्षण निम्न हैं
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जब तक सिस्ट बढ़ती नहीं है, तब तक डॉक्टर कुछ समय तक प्रतीक्षा करने की सलाह देते हैं। इस दौरान वह यह देखते हैं, कि गांठ बिना इलाज के जा सकती है या नहीं। आमतौर पर डॉक्टर अंडाशय में सिस्ट की निगरानी करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराते हैं। ओवेरियन सिस्ट से पीड़ित कई महिलाएं पीरियड के दौरान तेज दर्द महसूस करती हैं, इससे बचने के लिए घरेलू उपचार सबसे बेहतर तरीका है। तो चलिए नीचे जानते हैं, ऐसे कौन-कौन से उपाय हैं, जो ओवेरियन सिस्ट से निजात दिलाने में सहायता करते हैं।
ओवेरियन सिस्ट के कारण आसपास की मांसपेशियों में भी दर्द का अनुभव होता है, इससे पीरियड्स के दौरान आप असहज महसूस कर सकती हैं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है, कि मसाज करें। पीठ के निचले हिस्से, जांघों, नितंबों और पेट पर मालिश करने से तनावग्रस्त मांसपेशियों को ढीला करने और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।
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सेंधा नमक ओवरी में सिस्ट की समस्या से राहत दिलाने में बेहद फायदेमंद है। दरअसल, सेंधा नमक में मैग्नीशियम सल्फेट होता है, जो दर्द को खींचता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए एक चम्मच सेंधा नमक को गुनगुने पानी से भरे हुए टब में डालें। अब इस टब में कम से कम 20 से 30 मिनट तक अपने निचले भाग को डुबोकर रखें। रोजाना ऐसा करने से दर्द में बहुत आराम मिलेगा।
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व्यायाम और स्ट्रेचिंग भी अंडाशय में गाठ पड़ने से होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। कई महिलाएं एक्सरसाइज से, तो कुछ स्ट्रेचिंग कर इस समस्या से राहत पा सकती हैं। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर सिस्ट बढ़ने से रूक सकती है।
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अदरक ओवरी में मौजूद सिस्ट को बाहर निकालने में बेहद मददगार है। यह दर्द के साथ सूजन को कम करने
का काम करता है। अदरक गर्म होता है, इसलिए यह शरीर का तापमान बढ़ाकर जल्दी पीरियड्स लाने में भी मदद करता है। इसके लिए अदरक का एक इंच टुकड़ा छीलकर काट लें। अब इसे दो कप पानी में कम से कम 10 मिनट के लिए उबालें। फिर इसे ठंडा करने के लिए रख दें। चाहें, तो स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नींबू का रस या शहद मिला सकते हैं। इस मिश्रण को दिन में दो बार पी सकती हैं।(और पढ़े – अदरक के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान…)
एप्पल साइडर विनेगर पोटेशियम की कमी से ओवरी में होने वाली सिस्ट को सिकुडऩे और घोलने में मदद करता है। यह ओवरी सिस्ट के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपायों में से एक है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सिरका डालें, फिर इसमें एक चम्मच ब्लैक स्ट्रैप मोलासेस मिलाएं और इस मिश्रण को रोजाना दो गिलास पीएं। इस उपाय को तब तक करें, जब तक की सिस्ट पूरी तरह से घुल न जाए।
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चुकंदर में बीटासैनिन नामक यौगिक होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर लीवर की क्षमता को बढ़ाता है। चुकंदर का अल्कलाइन नेचर शरीर में अम्लता को संतुलित करने में मदद करता है। यह ओवेरियन सिस्ट के कई लक्षणों को भी कम कर देता है। इसके लिए, एक चम्मच चुकंदर के रस में एक चम्मच एलोवेरा जेल और ब्लैक स्ट्रैप गुड़ मिलाएं। हर रोज नाश्ते से पहले इस मिश्रण को पीएं। जब तक सिस्ट घुल न जाए और आपको दर्द कम न हो जाए, तब तक इसे पीते रहें।
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बादाम में अच्छी मात्रा में मैग्रीशियम पाया जाता है, जो ओवरी सिस्ट के कारण होने वाली ऐंठन और दर्द को कम करने में मदद करता है। ओवरी सिस्ट को दूर करने के लिए रोजाना 100 ग्राम बादाम का सेवन करें। आप चाहें, तो इसे सादा भी खा सकते हैं या फिर सलाद के ऊपर डालकर खाना भी अच्छा विकल्प है। अगर आपको बादाम से एलर्जी है, तो इस उपाय को करने से बचें।
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कई महिलाओं को अंडाशय में गांठ हार्मोन्स के असंतुलित होने की वजह से होती है। ऐसे में जड़ी-बूटियां उनके लिए बहुत फायदेमंद हैं। जड़ी-बूटियों में अलसी और तिल का सेवन बहुत लाभकारी होता है। इन्हें रोजाना थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाने से सिस्ट लगभग खत्म हो जाती है साथ ही नई सिस्ट का बनना भी रूक जाता है।
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कैस्टर ऑयल भी सिस्ट को सही करने का आसान और कारगार उपाय है। सदियों से ओवेरियन सिस्ट के लिए यह उपाय किया जा रहा है। दरअसल, अरंडी का तेल यानि कैस्टर ऑयल शरीर से एक्स्ट्रा टॉक्सिन और टिशू को अलग कर देता है, जिससे ओवरी में सिस्ट की समस्या से निजात मिलती है। इसका उपयोग करने के लिए एक कपड़े की तीन से चार परत बना लें। इस कपड़े में दो चम्मच कैस्टी ऑयल डालें। अब इसे पेट पर रखें और इसके ऊपर हॉट वॉटर बॉटल रखकर टॉवेल की मदद से पेट को ढंक लें। 30 मिनट के लिए इसे ऐसे ही रहने दें। सिस्ट से राहत पाने के लिए हर रोज तीन महीने तक हफ्ते में तीन बार यह प्रक्रिया करें।
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गर्माहट से मांसपेशियों की ऐंठन और दर्द में बहुत राहत मिलती है। इसके लिए गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड को अपने पेट के निचले हिस्से पर रखें। 15 मिनट के लिए इसे दर्द वाली जगह पर रखा रहने दें। इस उपाय को तब तक करें, जब तक कि पेट के निचले हिस्से में दर्द बंद न हो।
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ओवेरियन सिस्ट की समस्या केवल महिलाओं में ही नहीं बल्कि कम उम्र की लड़कियों में भी देखी जा रही है। इस बीमारी से दूर रहने के लिए हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे योगासन, जिन्हें घर में करके आप ओवेरी सिस्ट की समस्या को जड़ से खत्म कर सकती हैं।
ओवेरियन सिस्ट की समस्या को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर दोनों पैरों को फोल्ड करके लेट जाएं। अपने दोनों पंजों को मिलाएं और दोनों घुटनों को मोड़ लें। इस वक्त मन को शांत रखें और किसी दूसरी चीज पर ध्यान न लगाएं। इस अवस्था में कम से कम दस मिनट तक रहें और गहरी सांस लेते रहें। इस प्रक्रिया को कम से कम चार से पांच बार दोहराएं।
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यह आसन ओवेरियन सिस्ट को कम करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसके करने के लिए सबसे पहले दोनों घुटनों को मोड़ कर बैठ जाएं। इसके बाद अपने हिप्स को पंजों पर रखने के बजाए जमीन पर रखें। इसके बाद दाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाएं कोहनी को पकड़ें और शरीर को बाईं ओर मोड़ें। अब गर्दन को दाईं ओर मोड़ें। कुछ सैकंड बाद सीधे हो जाएं। अब इस प्रक्रिया को अपने दूसरे घुटने से दोहराएं।
इस आसन के लिए दोनों पैरों को फैलाकर सीधे बैठ जाएं। ध्यान रखें, कि दोनों पैरों के बीच में ज्यादा गैप होना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथों को सामने की ओर ले जाएं और उंगलियों को आपस में बांध लें। अब अपने हाथों को ठीक उसी तरह चलाएं, जैसे चक्की चलती है। पांच चक्कर क्लॉक वाइस और पांच चक्कर एंटी क्लॉक वाइस घुमाएं। शुरूआत में तीन से पांच चक्कर ही करें, इसके बाद धीरे-धीरे इसे बढ़ा लें। फिर भी ध्यान रखें, कि 12 चक्कर से ज्यादा न करें।
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ओवरी में सिस्ट होने की स्थिति में बटरफ्लाई आसन करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए सबसे पहले किसी भी आरामदायक पोजीशन में बैठ जाएं और दोनों पैरों के पंजों को आपस में सटाएं। अब दोनों घुटनों को तितलियों के पंखों की तरह ऊपर नीचे चलाते रहें। ध्यान रखें, कि इस दौरान पैरों को ज्यादा न लहराएं। शुरूआत में 5 से 10 मिनट तक आप ये योग कर सकते हैं, इसके बाद धीरे -धीरे बढ़ाते हुए 15-20 मिनट तक करें।
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यूं तो कई घरेलू नुस्खों को आजमाकर ओवरी में सिस्ट की समस्या से बचा जा सकता है, लेकिन इसके साथ हमारे द्वारा नीचे दिए जा रहे कुछ उपायों को अपनी लाइफस्टाइल में अपनाकर भी आप जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं।
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ओवेरियन सिस्ट का आकार बदलता रहता है। यह एक इंच से चार इंच तक हो सकता है। असामान्य रूप से ओवेरियन सिस्ट बहुत बड़े बहुत द्रव्यमान का निर्माण कर सकते हैं, जो 12 या उससे भी ज्यादा व्यास के होते हैं। इसके लिए डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेना जरूरी होता है।
ओवेरियन सिस्ट की रोकथाम पर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। फिर भी रिसर्चर्स द्वारा ओवेरियन सिस्ट के विकास के लिए कुछ रिस्क फैक्टर्स की पहचान की गई है। ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव लेने से ओव्यूलेशन रूकता है, इसलिए यह फंक्शनल ओवेरियन सिस्ट के विकास की संभावना को कम करता है।
ओवरी में सिस्ट का विकास एक महिला के अंडाशय के हार्मोनल उत्तेजना पर निर्भर करता है। अगर महिला को अभी भी पीरियड्स आ रहे हैं और उसका शरीर एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कर रहा है, तो इसके विकसित होने की संभावना बढ़ती है। जबकि पोस्ट मेनोपॉस वाली महिलाओं को ओवेरियन सिस्ट डवलप होने की संभावना बहुत कम होती है। क्योंकि इस दौरान महिलाएं ज्यादा मात्रा में ओवेरियन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पातीं, इसी वजह से कई डॉक्टर पोस्ट मेनोपॉजल महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट के हटाने या बायोप्सी की सलाह देते हैं। खासतौर से अगर सिस्ट या गांठ व्यास में एक या दो इंच से बड़ी हो तो।
महिलाओं की ओवरी में सिस्ट होना बहुत सामान्य है। इससे कोई नुकसान नहीं होता, यह समय के साथ खत्म जाती है, लेकिन जब ये खुद नष्ट न हो, तो दर्द दे सकती है। ओवेरियन सिस्ट से निजात पाने के लिए हमारे द्वारा बताए गए घरेलू उपचार गांठ को दूर तो नहीं करेंगे, लेकिन इससे होने वाली किसी भी परेशानी और दर्द को कम करने में मददगार साबित होंगे। डॉक्टर्स की सलाह है, कि महिलाओं को इसके लक्षणों में होने वाले किसी भी बदलाव के प्रति सचेत रहना चाहिए और कभी भी पेल्विक पेन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि सिस्ट का समय रहते इलाज न कराया जाए, तो कई बार बढ़ते-बढ़ते यह कैंसर का रूप धारण कर लेती है।
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