Anovulation in Hindi: क्या आप भी पिछले कई समय से गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है, तो इसका सबसे प्रमुख कारण है आपको ओव्यूलेशन न होना। गर्भवती होने के लिए महिला का ओव्यूलेट करना बहुत जरूरी है। जो महिलाएं नियमित रूप से ओव्यूलेट नहीं कर रही हैं, उन्हें बच्चा पैदा करने में देरी हो सकती है या हो सकता है कि वह कभी गर्भधारण कर ही ना पाएं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए अनओव्यूलेशन के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है।
ओव्यूलेशन का न होना एक विकार है, जिसमें अंडे ठीक से विकसित नहीं होते हैं। इस स्थिति को अनओव्यूलेशन कहते हैं। अनओव्यूलेशन में महिलाएं नियमित रूप से ओव्यूलेट नहीं कर पातीं, जिससे गर्भधारण करने में परेशानी होती है। अनओव्यूलेशन तब होता है, जब अंडाशय एक मासिक धर्म चक्र के दौरान अंडा जारी नहीं करता। विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर जिन महिलाओं को इरैगुलर पीरियड्स आते हैं, उनमें ओव्यूलेशन नहीं होता। यानि जब एक महिला अंडों का उत्सर्जन नहीं करती, तो वह गर्भवती नहीं हो सकती, क्योंकि गर्भ में उर्वरक होने के लिए कोई अंडे नहीं मिलते हैं। वैसे, ओव्यूलेशन को नियमित करने के लिए इलाज मौजूद हैं, लेकिन घरेलू उपचारों की मदद से भी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं, ओव्यूलेशन न होने के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय के बारे में।
विषय सूची
1. ओव्यूलेशन का न होना या अनओव्यूलेशन क्या है – What is anovulation in Hindi
2. अनओव्यूलेशन प्रेग्नेंसी को कैसे प्रभावित करता है – How anovulation affects pregnancy in Hindi
3. ओव्यूलेशन न होने के लक्षण – Symptoms of anovulation in Hindi
4. ओव्यूलेशन न होने के कारण – Ovulation na hone ke karan in Hindi
5. जानिए अनओवुलेटरी साइकिल के बारे में – What is anovulatory cycle in Hindi
6. अनओवुलेटरी साइकिल का पता कैसे लगाएं – How to detect Anovulatory Cycle in Hindi
7. अनओव्यूलेशन का निदान कैसे किया जाता है – How to diagnose anovulation in Hindi
8. ओव्यूलेशन न होने का इलाज – Treatment for anovulation in Hindi
9. ओव्यूलेशन को नियमित करने के प्राकृतिक तरीके – Natural remedies to regulate ovulation in Hindi
10. ओव्यूलेशन न होने से जुड़े लोगों के सवाल – Questions related to anovulation in Hindi
ओव्यूलेशन का न होना वह स्थिति है, जिसमें अंडे ठीक से मैच्योर नहीं हो पाते या फिर कभी-कभी मैच्योर हो भी जाएं, पर वो रप्चर नहीं हो पाते। जिन महिलाओं को अनओव्यूलेशन की समस्या है, उन्हें कई महीनों से पीरियड़्स नहीं आते। कुछ को नियमित माहवारी होने के बाद भी ओव्यूलेशन नहीं होता। जिन महिलाओं का ओव्यूलेशन का प्रोसेस बंद हो गया हो, तो उस कंडीशन को अनओव्यूलेशन कहते हैं। मेडिकल भाषा में कहें, तो ओवुलेट न करने वाली महिलाओं में अंडाशय परिपक्व होने और अंडे को मुक्त करने के लिए सही समय पर संकेत प्राप्त नहीं कर रहा है। एक स्थिति यह भी होती है, कि इरैगुलर पीरियड के साथ ओव्यूलेशन भी इरैगुलर होता है।
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ओव्यूलेशन का न होना या अनओव्यूलेशन की स्थिति में हर महीने महिला के गर्भधारण करने की संभावना मात्र 25 प्रतिशत होती है। यहां तक की जब ओव्यूलेशन सामान्य रूप से होता है, जब भी गर्भधारण करने की गारंटी नहीं होती। जब एक महिला अनोवुलेटरी होती है, तो वह गर्भवती नहीं हो सकती। यदि किसी महिला में अनियमित ओव्यूलेशन होता है, तो उसके पास गर्भधारण करने की संभावना न के बराबर होती है, क्योंकि वह कम बार ओव्यूलेट करती है। इसके अलावा देर से हुआ ओव्यूलेशन एक अच्छी गुणवत्ता वाले अंडे का उत्पादन नहीं करता है। इससे निषेचन यानि फर्टिलाइजेशन की संभावना भी कम हो जाती है और वह कई कोशिशों के बाद भी प्रेग्नेंट नहीं हो पाती।
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वैसे तो ओव्यूलेशन की मूल बातें महिलाएं जानती हैं, लेकिन अनओव्यूलेशन के बारे में उन्हें कम ही पता होता है। आपको बता दें, कि अनओव्यूलेशन वाली महिलाओं में अनियमित पीरियड्स के लक्षण दिखाई देते हैं। यदि मासिक चक्र धर्म 21 दिनों से कम या 36 दिनों से ज्यादा है, तो ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन हो सकता है। जब एक मासिक धर्म चक्र नहीं आता तो वहां ओव्यूलेशन नहीं होता है, उसे अनओवुलेटरी साइकिल कहा जाता है।
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कई कारणों से महिलाओं में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया रूक जाती है। इन कारणों के बारे में आप नीचे जान सकते हैं।
पिट्यूटरी ग्लैंड का कम हार्मोन रीलिज करना – अगर पिट्यूटरी ग्लैंड कम एलएच या एफएसएच हार्मोन कम मात्रा में रिलीज करती हो, तो आपका ओव्यूलेशन नहीं होगा।
ओवरी का कम मात्रा में एस्ट्रोजन पैदा करना – अगर ओवरी कम मात्रा में एस्ट्रोजन पैदा कर रही हो, इससे भी ओव्यूलेशन में समस्या आ सकती है।
प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ना – शरीर में प्रोलैक्टिन लेवल का बढ़ना भी ओव्यूलेशन न होने का कारण हो सकता है। पिट्यूटरी ग्लैंड प्रोलैक्टिन हार्मोन प्रोड्यूस करता है। जब प्रोलैक्टिन लेवल बढ़ता है, तो ये उन लेवल के हार्मोन को कम कर देता है, जो ओव्यूलेशन को ट्रिगर करते हैं।
शरीर में मेल हार्मोन बढ़ना – अगर आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन जो कि एक मेल हार्मोन है, बढ़ गया हो या फिर थायराइड ग्लैंड कम या ज्यादा थायराइड हार्मोन पैदा कर रही हो, तो ऐसे में भी ओव्यूलेशन न होने की संभावना बढ़ जाती है।
पीसीओडी – अगर आपको पीसीओडी है, तो भी अनओव्यूलेशन की समस्या हो सकती है। इसलिए पीसीओडी में कंसीव करने में ज्यादा समय लग जाता है। कभी-कभी मोटापा, ज्यादा एक्सरसाइज करने या ज्यादा वजन कम करने के कारण भी ओव्यूलेशन की प्रोसिस रूक जाती है।
खाने की आदत – खाने की गलत आदतों के कारण भी महिलाओं में ओव्यूलेट करने में दिक्कत होती है। खासतौर से जंक फूड इस समस्या के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
तनाव का स्तर – तनाव भी अनओव्यूलेशन का कारण हो सकता है। ज्यादा तनाव लेने से पीरियड्स मिस होने लगते हैं, जिससे ओव्यूलेशन न होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
कम ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का उत्पादन – पिट्यूटरी ग्लैंड बहुत कम मात्रा में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का उत्पादन का उत्पादन करती है। इस वजह से भी अनओव्यूलेशन की संभावना बढ़ जाती है।
कई अन्य वजह से भी ओव्यूलेशन न होने की संभावना बढ़ सकती है। इसमें डायबिटीज, मोटापा, दवाएं, वेटलॉस, मनोवैज्ञानिक तनाव शमिल हैं।
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अनओवुलेटरी साइकिल (चक्र), एक मासिक धर्म चक्र है, जो ओव्यूलेशन की अनुपस्थिति की विशेषता है। इसलिए इस दौरान, महिलाओं को गर्भवती होने में समस्या आती है। हर साल चक्र की मात्रा मासिक धर्म चक्र की लंबाई पर निर्भर करती है, जो सामान्य रूप से 21 से 35 दिनों के बीच होती है। जो महिलाएं, नियमित रूप से ओवल्यूट करती हैं, उनके पीरियड्स रैगुलर होते हैं। ये हर 28 दिनों में सामान्य रूप से 21 से 35 दिनों के बीच से कहीं भी हो सकते हैं। लेकिन, अनओव्यूलेशन वाली महिलाओं में पीरियड्स नियमित नहीं होते। यदि चक्र 21 दिनों या 36 दिनों से लंबे हैं, तो ओव्यूलेशन की समस्या हो सकती है।
यदि पीरियड्स 21 से 36 दिनों के बीच सही समय पर आ जाते हैं, लेकिन चक्र की लंबाई एक महीने से अगले महीने में अलग होती है, तो भी यह ओव्यूलेशन से संबंधित अक्षमता का संकेत होता है। ऐसा मासिक धर्म चक्र, जहां ओव्यूलेशन नहीं होता, उसे अनओवुलेटरी साइकिल कहते हैं।
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ओव्यूलेशन का पता लगाने के लिए एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ आमतौर पर अल्ट्रासाउंड परीक्षाओं की सीरीज तय करती है। अल्ट्रासाउंड फॉलिकल के पकने की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इन प्रक्रियाओं की निगरानी के लिए 2-3 दिनों के अंतराल के साथ 3-4 सत्र होते हैं। चक्र चरण के दौरान आपको ब्लड टेस्ट भी कराने को कहा जा सकता है। फॉलिक्यूलर फेज में फॉलिकल उत्तेजक और ल्यूटीनाइज़िन्ग हार्मोन , प्रोलैक्टिन, थाइरॉइड हार्मोन और एस्ट्राडियोल के स्तर को मापा जाता है। इसके अलावा एक नियमित चक्र में प्रोजेस्टेरोन का स्तर ल्यूटल फेस के बीच में जाना जाता है। एक फुल ओव्यूलेशन जब कंफर्म हो जाता है, जब कॉर्पस ल्यूटियम बन जाए और प्रोजेस्टेरॉन पीक का पता चल जाए। अनओव्यूलेशन या दूसरे अधूरे चरण के मामले में विशेषज्ञ विकार के कारण के आधार पर उपचार लिख सकते हैं।
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अगर किसी महिला को नियमित मासिक चक्र धर्म नहीं हो रहा, तो ऐसे में अनओवुलेटरी चक्र का निदान करना सरल होता है। लेकिन ये स्थिति हर महिला के लिए समान नहीं होती, किसी का निदान करना कठिन भी हो सकता है। अनओवुलेटरी चक्र का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ चीजों की जांच कर सकता है।
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ओव्यूलेशन न होने का इलाज पूरी तरह संभव है। इसके लिए डॉक्टर्स आपको कई तरह के टेस्ट कराने को कह सकते हैं।
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ओव्यूलेशन को नियमित करने के लिए वैसे तो कई इलाज उपलब्ध हैं, लेकिन प्राथमिक स्तर पर आप चाहें, तो घरेलू उपचारों की मदद ले सकते हैं। इन्हें अपनाने से आपका ओव्यूलेशन होने के चांसेस बढ़ सकते हैं।
बॉडी वेट बढ़ाएं- शरीर का वजन बढ़ाना ओव्यूलेशन को नियमित करने का सबसे बढ़िया घरेलू उपाय है। इसके लिए सबसे पहले अपने बीएमआई का निर्धारण करें। अगर यह कम है, तो धीरे-धीरे अपने कैलोरी सेवन को बढ़ाएं।
स्लो कार्ब के लिए कम कार्ब स्वैप करें- यदि आप अनाज, फल और स्टार्च वाली सब्जियों को स्किप कर रहे हैं, तो इसके एवज में साबुत अनाज, स्वादिष्ट फल और शकरकंद को एड करें, इसमें शुगर होती है, जो आपके रक्त प्रवाह में धीरे-धीरे रिलीज होती है। इससे तनाव से निपटने की आपकी क्षमता में सुधार होता है।
फैट का सेवन करें- एवोकैडो और फिश ऑयल में अधिक मात्रा में फैट पाया जाता है। इसका सेवन जरूर करें। इससे ओव्यूलेशन रैगुलर होने की संभावना बढ़ जाएगी।
नींद में सुधार करें- अच्छी नींद लेने से आप ओव्यूलेशन कर सकती हैं। सोने से पहले किसी भी प्रकार की स्क्रीन जैसे टीवी, लैपटॉप, मोबाइल आदि के संपर्क में न रहें। इसके अलावा कैफीन के सेवन से बचें और सोने के कुछ घंटों पहले धूम्रपान बिल्कुल न करें।
एक्सरसाइज करें- नियमित व्यायाम एक स्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स को बनाए रखने में मदद करता है। इससे प्रजनन और ओव्यूलेशन को रैगुलेट होने में आसानी होती है।
तनाव कम करें- लगातार तनाव में रहने से शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। यह ह़दय, फेफड़े या तंत्रिका तंत्र के कार्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। स्ट्रेस हार्मोन के रूप में जाना जाने वाला कोर्टिसोल शरीर के मुख्य सेक्स हार्मोन गोनैडोट्रॉपिन रिलीज करने वाले हार्मोन जीएनआरएच (GnRH) को रोकता है। जिस कारण ओव्यूलेशन की संभावना कम हो जाती है।
नेचुरल थैरेपीज लें- ओव्यूलेशन को नियमित करने के लिए आप नेचुरल थैरेपीज का विकल्प भी चुन सकते हैं। सकुर्लेशन में कमी से मासिक चक्र धर्म की अनियमितता हो सकती है। नेच़ुरल थैरेपीज में आप सेल्फ फर्टिलिटी मसाज, कैस्टर ऑयल थैरेपी और एक्यूपंचर को अपना सकते हैं।
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हार्मोन से संबंधित यह स्थिति अक्सर इलाज योग्य होती है। कई महिलाएं मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ ओव्यूलेशन करने में सफल होती हैं। आपको बता दें, कि जो महिलाएं ज्यादा एक्सरसाइज करती हैं या जिन्हें तनाव ज्यादा रहता है, वे हार्मोन के स्तर के कारण भी ओव्यूलेट नहीं करतीं।
जब फॉलिकल पकता नहीं है और अंडा नहीं निकलता, तो चक्र को अनओवुलेटरी साइकिल कहा जाता है। आप ओव्यूलेशन की कमी का अंदाजा लगा सकते हैं, जब अपके पीरियड्स 10 या इससे ज्यादा दिन लंबे हो जाएं।
जब आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो अपनी ओवुलेटरी साइकिल को ट्रैक करना बहुत जरूरी है। क्योंकि गर्भवती होने के लिए आपको ओव्यूलेट करने की जरूरत होती है। हर महीने एक महिला की प्रजनन प्रणाली में वृद्धि होगी, लेकिन कुछ परीस्थितियां ऐसी होती हैं, जो अनोव्यूलेशन का कारण बनती हैं। इसलिए, यदि आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, तो अनोवुलेटरी चक्र के कारण, निदान और उपचारों के विकल्पों को समझना महत्वपूर्ण है।
(और पढ़े – पीरियड्स (मासिक धर्म) से जुड़े मिथक जो आपको पता होने चाहिये…)
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