Palash in Hindi पलाश के फायदे मधुमेह, आंख से संबंधित बीमारियों जैसे मोतियाबिंद, एनीमिया, गुर्दे की पथरी, मूत्र संबंधी विकार और मूत्राशय में दर्द का इलाज करने के लिए उपयोगी माने जाते हैं। पलाश को ढाक, पलाह, जंगल की लौ, आदि नामों से जाना जाता है। पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea Monosperma) है।
भारतीय इतिहास में पलाश का पेड़ प्रमुख स्थान रखता है। इस पेड़ के लगभग सभी हिस्से औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किये जाते हैं। भारत में पुजारियों द्वारा किये जाने वाले यज्ञों में पलाश की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इससे प्राप्त होने वाली गोंद बहुत से रोगों के उपचार में उपयोग की जाती है। साथ इस पेड़ से लाख भी प्राप्त होती जिसका उपयोग पलाश के फायदे को और अधिक बढ़ा देते हैं।
विषय सूची
1. पलाश का वृक्ष – Palash Tree in Hindi
2. पलाश में पाए जाने वाले पोषक तत्व – Palash (Butea Monasperma) Nutrients Value in Hindi
3. पलाश के फायदे – Palash ke fayde in Hindi
4. पलाश के नुकसान – Palash ke Nuksan in Hindi
ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma) पलाश, मध्यम आकार का पेड़ होता है जो शुष्क मौसम और सूखे क्षेत्रों में उगता है। यह पेड़ गर्मी के मौसम में अपनी पत्तियों को खो देता है, इसकी ऊंचाई लगभग 15 मीटर तक हो सकती है। इसके फूल गहरे नारंगी या लाल रंग के होते हैं। जब इस पेड़ पर फूल आते हैं उस समय इस पर पत्तों की संख्या बहुत ही कम होती है, इसलिए नारंगी फूलों की अधिक मात्रा होने के कारण इसे जंगल की लौ (Forest flame) का नाम दिया गया है।
इस पेड़ की छाल रेशेदार होती है जिससे लाल रंग का रिसाव होता है। इसके पत्तियां (trifoliate) तीन पत्तों के समूह में होते हैं। इसके फूल 2.5 सेमी. लंबे नारंगी या लाल रंग के होते हैं, जिनसे लगभग 15 सेमी. लंबे सेम की तरह फल उत्पादित होते हैं। फल का बाहरी भाग भूरे रंग का होता है जो हल्के रूओं से ढ़का रहता है। इसके बीज 3 सेमी. लंबे और आकार में चपटे होते हैं। इस पेड़ में फूल फरवरी से अप्रैल तक होते हैं और फल मई से जुलाई के महिने तक दिखाई देते हैं। इस पेड़ से प्राप्त गोंद को गम कीनों (gum kino) कहते हैं।
आयुर्वेद में इस पेड़ का उपयोग कृमिनाशक (anthelmintic) और टॉनिक के रूप में किया जाता है। पलाश की पत्तियों में ग्लू कोसाइड, लिनोलेइक एसिड, ओलिक एसिड और लिन्गोसेरिक एसिड (lignoceric acid) बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। पलाश की छाल में गैलिक एसिड (gallic acid), साइनाइडिंग, लुपेनोन, पैलेसिट्रीन, ब्यूटिन, ब्यूटोलिक एसिड, और पैलेससिमाइड शामिल होते हैं। पलाश की गोंद में टैनिन, पायरोटेक चिन (pyrocatechin) और श्लेष्मा असंतुलित सामग्री होती है। इस पेड़ के फूलों में फ्लेवोनॉयड्स (flavonoids), ट्राइटर पेन (triterpene), आइसोबुट्रिन (isobutrin), कोरोप्सिन (coreopsin), आइसोकोरोप्सिन (isocoreopsin) और सल्फरिन (sulphurein.) भी अच्छी मात्रा में उपस्थित होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार पलाश के पेड़ वात और पित्त (Vata and Pitta) को संतुलित करता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक दवा में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इस पेड़ के सभी भागों का उपयोग विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीमाइक्रोबायल, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, हाइपोग्लाइसेमिक (hypoglycemic), एंटी-इन्फ्लामेट्री, बांधने वाले गुण, टॉनिक, एफ्रोडायसियाक (Afrodiusiac) और मूत्रवर्धक (Diuretic) गुण होते हैं। इन सभी गुणों के कारण पलाश हमें बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। आइये जाने पलाश के फायदे क्या है।
आयुर्वेद के अनुसार पलाश के फायदे मोतियाबिंद के उपचार को दर्शाता है। इस उद्देश्य के लिए के लिए आपको पलाश के फूलों के रस की आवश्यकता होती है या फिर आप पलाश के बीजों को पानी में भिगों कर छोड़ दें और 48 घंटों के बाद पानी से निकालकर इसका लेप (Pasta) बनाएं। इस पेस्ट को आप अपनी आंखों में काजल की तरह लगाएं। इस तरह आप इस पेस्ट का नियमित रूप से उपयोग कर धीरे-धीरे मोतियाबिंद (Cataracts) के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
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यदि आप किसी भी तरह की पेट की समस्याओं जैसे कि आंतरिक घावों, अल्सर आदि से परेशान हैं तो आप पलाश फूल का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके पेट और आंत से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए आप 2-3 ग्राम पलाश फूल के पाउड़र का उपभोग करें।
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विभिन्न त्वचा संक्रमणों (Infections) को दूर करने के लिए ढाक के बीज का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि इसके बीजों में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट और संक्रमण विरोधी गुण होते हैं। पलाश के बीजों का उपयोग कर आप त्वचा संबंधि समस्याएं जैसे कि दाद (dhobi’s itch), फोड़े, फुंसीयां, अल्सर या इनसे होने वाली सूजन को कम कर सकते हैं। पलाश के बीजों को अच्छी तरह पीसकर आप इसका पेस्ट बना सकते हैं और प्रभावित भाग में इस मिश्रण को लगाकर इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं। आप इस पेस्ट का तब तक उपयोग करें जब तक की आपकी समस्या हल नही हो जाती है।
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यदि आपके शरीर का तापमान हमेशा अधिक (38 डिग्री सेल्सियस से अधिक ) बना रहता है तो यह बुखार होने की संभावना को दर्शाता है। पलाश के फायदे उन लोगों के लिए भी है जिन्हें अक्सर बुखार आता है। ऐसी स्थिति में आप पलाश के फूलों को पीस कर इसका रस निकालें, इस रस को चीनी और दूध के मिश्रण में मिला कर सेवन करें। यह मिश्रण आपके शरीर के अधिक तापमान को नियंत्रित कर इससे संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है। शरीर के अतिरिक्त गर्मी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको रोजाना 3-4 चम्मच मिश्रण का सेवन करना चाहिए।
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यदि आप किसी चोट की सूजन से परेशान हैं तो आप इसके लिए पलाश के फूल का उपयोग कर सकते हैं। यह एक आयुर्वेदिक वृक्ष है जो कि आपकी बहुत सी परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है। सूजन को दूर करने के लिए पलाश के फूल बहुत ही प्रभाव कारी होते हैं। आप पानी की भाप में या हल्की आंच में पलाश के फूलों को गर्म करें और सूती कपड़े की सहायता से इन गर्म फूलों को प्रभावित क्षेत्र में बांधें। ऐसा करने से आप गठिया, चोट, मस्तिष्क आदि की सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। पलाश के फायदे ऐसी समस्याओं के प्रभावकारी निदान के लिए जाने जाते हैं।
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गले के संक्रमण या दर्द के उपचार के लिए पलाश के पत्ते के फायदे लिए जा सकते हैं, पलाश की कुछ पत्तियों को तोड़ें और इनको पीस कर इसका रस निकाल लें। इस रस को पानी में मिलाकर इससे गरारा (gargle) करें। यह आपके गले की तकलीफ को दूर करने और रहात दिलाने में आपकी मदद करेगा।
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मधुमेह के प्रभाव को कम करने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप पलाश के सूखे फूलों के पाउडर को कैंडी चीनी (candy sugar) के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करें। स्वाभाविक रूप से आप अपने शरीर में चीनी के स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन 1.5 से 2 ग्राम तक इस मिश्रण का सेवन करें। या फिर आप पलाश के फूलों को एकत्रित कर सुखा लें। पहले दिन एक फूल को एक कप पानी में रात भर भींगने दे और सुबह इस पानी का सेवन करें। इस तरह पांचवे दिन तक फूलों की संख्या बढ़ाते रहें और फिर इसी तरह इन फूलों की संख्या को घटाते हुए इस पानी का सेवन करें। यदि आप ऐसा लगातार दो से ढ़ाई माह तक करते हैं तो आप अपने शरीर में चीनी के स्तर में प्रभावी अंतर पा सकते हैं।
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यदि आप मासिक धर्म अवधि के समय अनियमित रक्तस्राव की समस्या से परेशान हैं तो पलाश के फायदे आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए नियमित रूप से 2-3 माह तक आप रात में सोने से पहले पलाश के पत्तों का 3-4 चम्मच रस का सेवन करें। यह मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को हल करने का प्रभावी तरीका हो सकता है।
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पुरुषों में नपुंसकता (impotency) की बीमारी को दूर करने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जाता है। इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए पलाश के फूलों को इकहठ्ठा कर सुखा लें और इनका पाउडर तैयार करें। इस पाउडर में कैंडी चीनी मिलाएं और नपुंसकता को दूर करने के लिए एक गिलास दूध में लगभग इस मिश्रण की 3 ग्राम मात्रा मिला कर सुबह और शाम इसका सेवन करें। यह पुरुषों की प्रजनन (Reproduction) संबंधी सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
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आंतों से संबंधित समस्याओं को हल करने का सबसे अच्छे विकल्प के रूप में पलाश की गोंद का उपयोग किया जा सकता है। पलाश की गोंद के फायदे खांसी, स्टेमाइटिस (मौखिक गुहा में सूजन), अत्यधिक पसीना से राहत दिलाते हैं। पलाश की गोंद का उपयोग दस्त और खसरा के इलाज के लिए भी किया जाता है। गोंद का घोल (डिकोकेशन) या जलसेक एनीमा (enema) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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आयुर्वेदिक औषधीय गुणों से भरपूर पलाश के फायदे बहुत अधिक है और जहां तक नुकसान की बात है तो इसके नुकसानों की अभी तक कोई विशेष जानकारी नहीं है। फिर भी यही कहा जा सकता है कि पलाश के पेड़ और इसके अन्य भागों का सेवन अधिक मात्रा में न करें ।
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