पत्थरचट्टा (Patharchatta) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, पत्थरचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्रायोफिलम पिनाटा (Bryophyllum pinnatum) है। आमतौर पर पथरचटा को अन्य नामों जैसे कि मिरेकल लीफ (Miracle Leaf), एयर प्लांट (air plant), कैथेड्रल वेल (cathedral bells), लीफ आफ लाइफ (leaf of life) और गोएथे पौधे (Goethe plant) के रूप मे जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय घरेलू पौधा है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से होता है। यह क्रसुलाकेआ (Crassulaceae) परिवार से संबंधित है। पथरचटा के फायदे बहुत से घरेलू उपचारों के लिए उपयोग किये जाते है। पथरचटा के गुण पथरी हटाने, रक्तचाप, सिरदर्द, अस्थमा, मूत्ररोग आदि को ठीक करने के लिए जाने जाते है। आइये जाने पत्थरचट्टा के फायदे और पत्थरचट्टा के नुकसान (Patharchatta ke fayde aur Nuksan) के बारे में।
विषय सूची
1. पत्थरचट्टा का पौधा – Patharchatta Plant in Hindi
2. पत्थरचट्टा के पोषक तत्व – Patharchatta Nutrition Value in Hindi
3. पत्थरचट्टा के फायदे – Patharchatta Ke Fayde in Hindi
4. पत्थरचट्टा के नुकसान (साइड इफेक्ट्स) – Patharchatta ke Nuksan (Side effects) in Hindi
एयर प्लांट एक लंबा, सीधा और बारहमासी पौधा होता है जो लगभग 1-2 मीटर तक लंबा होता है। यह एक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर भारत के सभी घरों में घरेलू पौधे के रूप में मौजूद रहता है। इसके पत्ते विभिन्न औषधीय उपयोग के लिए जाने जाते हैं। इस पौधे के तने खोखले होते हैं जिनका रंग हरा या लाल होता है। इस पौधे की छाल मोटी, चमकदार और रसीली होती है।
इसकी पत्तियां 5-25 सेमी. लंबी और 2-12 सेमी. चौड़ी होती है। इस पौधे की शाखाओं में 6-7 पत्ते होते हैं। इसकी एक विशेषता यह है कि इसके पत्ते गीली जमीन पर अलग से नये पौधे को जन्म दे सकती हैं। इसके फूलों का रंग हरा-पीला या गुलाबी हो सकता है। ये फूल सर्दी और बसंत के मौसम में फूलते हैं। इसके फल झिल्लीदार आवरण से ढके रहते हैं, जिनमें चार भाग होते हैं, ये बीज आकार में छोटे होते हैं जो फूल के आंतरिक भाग में लगे होते हैं। इस पौधे का प्रजनन पत्तियों या बीज से होता है।
इस घरेलू पौधे के पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। पथरचटा में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीमिक्राबियल, एंटीफंगल, एंटीहिस्टामाइन और एनाफिलेक्टिक गुण होते हैं जो कि लगभग सभी प्रकार की बीमारियों को कम करने में मदद करते हैं।
पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा और एंटीवायरल गुणों के कारण पत्थरचट्टा के फायदे सूजन को कम करने, मासिक धर्म की ऐंठन को रोकने, घावों को भरने, गुर्दे की पथरी को हटाने, आंखों के दर्द को दूर करने, पाचन, दस्त आदि समस्यओं को दूर करने में मदद करता है। अगर आप पत्थरचट्टा के फायदे नहीं जानते हैं, तो यह लेख पत्थरचट्टा के फायदे जानने में आपकी मदद करेगा।
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जिन लोगों को गुर्दे की पथरी की समस्या होती है, उनके लिए पत्थरचट्टा के फायदे इसलिए हैं क्योंकि यह आसानी से पित्त पत्थर (bile stone) को ठीक कर सकता है। गुर्दे के पत्थरों के मामले में पत्थरचट्टा के पूरे पौधे को उबालकर 40-50 मिली लीटर काढ़ा तैयार करें जिसे दिन में दो बार सेवन करें। आप 5 ग्राम शिलाजीत के साथ 2 ग्राम पथरचटा के काढ़ें (Decoction) को भी दे सकते हैं आप इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए शहद भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को भी दिन में दो बार तक सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आप पथरी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
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इस आयुर्वेदिक औषधी पथरचटा के फायदे फोड़ों का उपचार करने के लिए चमत्कारिक है। पत्थरचट्टा के पत्तों को तोड़कर इन्हें हल्का गर्म करने के बाद फोड़े और सूजन वाली जगह पर रखकर बांधलें। यह आपकी सूजन को कम करने के साथ ही फोड़ों का उपचार करने में मदद करता है।
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अगर महिलाओं को योनि स्राव का अनुभव होता है तो तुरंत राहत पाने के लिए आप पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग कर सकतीं हैं। इसके लिए आपको पत्थरचट्टा के पत्तों का 40-60 मिली ग्राम काढ़े (Decoction) के साथ 2 ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें। इस मिश्रण का उपयोग आपको दिन में दो बार करना चाहिए।
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एयर प्लांट या पत्थरचट्टा के फायदे उन लोगों के लिए भी होते हैं जो अक्सर सिरदर्द की समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। पथरचटा की पत्तियों से आप अपने सिरदर्द का उपचार कर सकते हैं। इस पौधे की पत्तियों को तोड़ें और उन्हें माथे पर चिपकाएं। यह आपके लिए किसी दवा से कम नहीं है। ऐसा करने से आपको सिरदर्द से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
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यदि आपके शरीर के किसी भी अंग में कोई घाव है तो आप पत्थरचट्टा का उपयोग करके इन घावों का उपचार कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों को तोड़कर इन्हें पीस लें और हल्की आंच में गर्म करें। फिर इस मिश्रण को फोड़ों के ऊपर लगाएं। यह जड़ी बूटी घावों को ठीक करने के साथ साथ उनके निशानों को भी दूर करने में आपकी मदद करेगी।
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ब्रायोफिलम पिनाटम (पत्थरचट्टा का पेड़) का उपयोग कर आप दस्त के साथ आने वाले खून को रोक सकते हैं। यह पत्थरचट्टा के फायदों में से एक है। आप पत्थरचट्टा का पेड़ की पत्तियों के 3-6 ग्राम जूस के साथ जीरा और घी मिलाकर रोगी को रोजाना दो बार पिलाएं। यह दस्त के साथ आने वाले खून को रोकने में मदद करता है।
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इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के फायदे दिल को स्वस्थ्य रखने के लिए भी जाने जाते है। यह आपके शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग दिल को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
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प्यास और मूत्र (thirst and urine) से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए पथरचटा के पत्तों का 5 मिली लीटर रस दें। यह इस समस्या का प्रभावी रूप से इलाज करने में मदद करता है। पुरुषों में मूत्र संबंधी विकार के मामले में पत्थरचट्टा के 40 – 60 ग्राम काढ़ें के साथ 2 ग्राम शहद मिला कर सेवन करना चाहिए। ऐसी स्थिति में इस मिश्रण को दिन में दो बार लेना चाहिए।
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दांतों के दर्द को ठीक करने के लिए पत्थरचट्टा को पारंपरिक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। पत्थरचट्टा में एंटी-वायरस और एंटी-बैक्टीरिया (anti-bacterial) गुण होते हैं जो आपके दांतों के दर्द को दूर करने में मदद करते हैं।
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पत्थरचट्टा के एंटीप्रियेटिक (Antipyretic) गुणों के कारण यह बुखार का इलाज करने में मदद करता है। बुखार एक शर्त के साथ शारीरिक तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होने पर होता है। यह वायरस और बैक्टीरिया के विरूध शरीर की रक्षा करता है। इन पत्तियों के रस का सेवन करने से बुखार को कम किया जा सकता है।
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कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि पत्थरचट्टा के पत्ते गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं। जानवरों पर किये गए अध्ययन से यह साबित होता है कि यह गर्भावस्था के समय इन पत्तियों का काढ़ा पीने से यह वजन को बढ़ने से रोकता है और मां और उसक भ्रूण को कोई भी नुकसान नही पहुंचाता है। गर्भावस्था के समय महिलाओं द्वारा इन पत्तियों के रस का सेवन करने से नींद संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
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कुछ लोगों का मानना है कि पत्थरचट्टा के फायदे बालों को स्वस्थ्य बनाते हैं और उन्हें प्राकृतिक रंग दिलाने में मदद करते हैं। हालाकि इसके अभी तक कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की गई है। फिर भी कुछ लोगों का दावा है कि इस पौधे की पत्तियों के रस का उपयोग बालों पर करने से यह उन्हें भूरे रंग से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। आप भी इस आयुर्वेदिक औषधी का उपयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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कई पशु अध्ययनों से पता चलता है कि पत्थरचट्टा में एंटी-अस्थमा गुण होते हैं। पत्थरचट्टा में एंटीमाइक्रोबायल एजेंट होते हैं जो अस्थमा के इलाज में मदद करते हैं। यदि आप अस्थमा रोग से परेशान हैं तो आप पत्थरचट्टा का उपयोग कर सकते हैं, यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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ब्रायोफिलम पिनाटम (Bryophyllum pinnatum) की पत्तियों का उपयोग कर आप मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। मधुमेह रोगी को प्रतिदिन दो बार पत्थरचट्टा के पत्तों के काढ़े का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है।
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कब्ज को दूर करने के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है। आप इसके लिए पत्थरचट्टा के सूखे पत्तों की चाय का सेवन कर सकते हैं। यह आपको कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।
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इस जड़ी बूटी में खून को साफ करने वाले गुण होते हैं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। खून मे अशुद्धियां होने के कारण त्वचा संबंधी बहुत सी परेशानियां हो सकती है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए आप पत्थरचट्टा का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके रक्त को साफ कर आपके शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है।
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ऊपर आपने जाना पत्थरचट्टा के फायदों के बारे में, अभी तक ज्ञात अध्ययनों के आधार पर पत्थरचट्टा के किसी भी गंभीर नुकसान की जानकारी नहीं है। लेंकिन फिर भी आप किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय दवाओं का सेवन कर रहें हैं मुख्य रूप से एस्प्रिन या अन्य दवाएं तो हो सकता है ऐसे में पत्थरचट्टा का सेवन करना इन दवाओं के असर को कम या बढ़ा दे, इसलिए ऐसी किसी भी समस्या से बचने के लिए इलाज के दौरान या बिना पूर्ण जानकारी के पत्थरचट्टा का सेवन करने से बचें।
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