Perimenopause in Hindi पेरिमीनोपॉज एक ऐसी अवस्था है, जो यह दर्शाती है कि आप मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के करीब हैं। आमतौर पर महिलाओं के लिए पेरिमीनोपॉज की उम्र 47 साल होती है। लेकिन कई बार महिलाओं को 47 की उम्र से पहले ही 35 से 40 की उम्र में पेरिमीनोपॉज हो जाता है, जिससे उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। देखा जाए, तो पेरिमीनोपॉज कोई बीमारी नहीं, बल्कि महिलाओं के शरीर की एक अवस्था है, जिसमें महिलाएं हार्मोन परिवर्तन का अनुभव करती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण होती है। पेरिमीनोपॉज कम एस्ट्रोजन के उत्पादन के साथ आपके शरीर का एक प्राकृतिक परिवर्तन है। इस समय अंडाशय अपने द्वारा उत्पादित एस्ट्रोजन की मात्रा को कम करना शुरू कर देता है। जैसे-जैसे आपका अंडाशय एस्ट्रोजन का उत्पादन कम करने लगता है, पीरियड्स अनियमित होते जाते हैं।
इसके बाद आपका मासिक धर्म च्रक पूरी तरह से बंद हो जाता है। मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद हो जाने को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहा जाता है। एक साल तक अगर आपको पीरियड्स न आए, तो आप मीनोपॉज की स्थिति में चले जाते हैं। पेरिमीनोपॉज से जुड़े सभी लक्षण कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक रह सकते हैं। इस दौरान महिला गर्भवती भी हो सकती है। पेरिमीनोपॉज को लेकर महिलाओं के मन में कई सवाल उठते हैं, जिन्हें दूर करने की कोशिश हमने इस आर्टिकल में की है। इसमें हम आपको मीनोपॉज की ही एक स्टेज पेरिमीनोपॉज से जुड़ी सभी जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके लिए बेहद मददगार साबित होंगी।
विषय सूची
पेरिमीनोपॉज क्या है – What is perimenopause in Hindi
पेरिमीनोपॉज से मतलब है “मीनोपॉज के आसपास” से है। येह वह समय होता है, जब किसी महिला का शरीर स्वभाविक रूप से प्रजनन शक्ति को स्थायी रूप से बंद करने की प्रक्रिया से गुजर रहा होता है। इसे मीनोपॉजल ट्रांजीशन भी कहते हैं। पेरिमीनोपॉज के दौरान एक महिला के एस्ट्रोजन का स्तर धीरे-धीरे कम हो जाता है, नतीजतन हल्का या भारी मासिक स्त्राव हो सकता है। महिलाओं को आमतौर पर पेरिमीनोपॉज की शुरूआत 40 की उम्र के आसपास होती है, लेकिन आजकल कई महिलाओं को 30 साल की उम्र ही पेरिमेनोपॉज के संकेत मिलने लगे हैं। हालांकि, यह हर महिला में बदला हुआ होता है। इसलिए, यह कुछ महीनों से लेकर दस साल तक लंबा भी हो सकता है।
इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं, जिसके चलते उनका मिजाज बदला हुआ रहता है, पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाएं अपने शौक में रूचि खो देती हैं, सेक्स ड्राइव कम हो जाती है। इसके अलावा नींद के पैटर्न या भूख में बदलाव होना वजन बढ़ना और थकान होने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान कई महिलाओं को हड्डियों में दर्द का अनुभव भी होता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ के अनुसार, पेरिमेनोपॉजल अवधि अंतिम मासिक धर्म से दो से पांच साल पहले शुरू होती है और इसके बाद लगभग एक साल तक जारी रहती है। इसके अन्य लक्षणों में हॉट फ्लश, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कन तेज होना, अनियमित पीरियड्स, स्तन कोमलता, पेरिनेल क्षेत्र में खुजली, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्टरबेंसेस, बालों का झड़ना, झुनझुनी होना आदि शामिल हैं।
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पेरिमीनोपॉज के कारण – Perimenopause ke karan in Hindi
पेरिमीनोपॉज महिला के शरीर में हार्मोन के उतार-चढ़ाव के कारण होता है। जैसे-जैसे आप मीनोपॉज के पारगमन अवधि में बढ़ती हैं, शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम और ज्यादा होते रहते हैं। पेरिमीनोपॉज के दौरान आपके द्वारा अनुभव किए गए शारीरिक परिवर्तन एस्ट्रारेजन की कमी का ही परिणाम होते हैं।
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पेरिमेनोपॉज के लक्षण – Perimenopause symptoms in Hindi
पेरिमीनोपॉज के दौरान हार्मोन के स्तर में गिरावट के कारण महिलाओं को कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर इरैगुलर पीरियड्स पेरिमेनोपॉज में महिला के लिए सबसे बड़ा संकेत है। पेरिमीनोपॉज के अन्य संकेतों व लक्षणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
- सूखी, और पतली त्वचा
- बालों का झड़ना या पतला होना
- हॉट फ्लैशेज या अचानक से तेज गर्मी लगना
- अनिद्रा या नींद में समस्या आना
- रात को पसीना आना
- मूड स्विंग होना या मनो-दशा में बदलाव
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना
- बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस करना
- योनि में सूखापन होना
- वजन बढ़ना
- खांसते और छींकते समय मूत्र निकलना
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पेरिमीनोपॉज की जांच – Diagnosis of Perimenopause in Hindi
महिलाओं में पेरिमीनोपॉज एक सामान्य प्रक्रिया है। किसी भी परीक्षण से यह सही से पता नहीं लगाया जा सकता, कि आप पेरिमीनोपॉज में प्रवेश कर रही हैं या नहीं। आपका डॉक्टर कई बातों को ध्यान में रखते हुए आपकी उम्र, मासिक धर्म इतिहास, आपके द्वारा अनुभव किए जा रहे लक्षण और शरीर में होने वाले बदलावों की जांच करते हैं। कुछ डॉक्टर हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं।
पेरिमीनोपॉज के जोखिम और जटिलताएं – Risk and complication of perimenopause in Hindi
ऊपर आपने पेरिमेनोपॉज के लक्षण और कारण जान लिए हैं अब हम आपको पेरिमीनोपॉज के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों के बारे में बता रहे हैं।
- मीनोपॉज की शुरूआत समय से पहले उन महिलाओं में होती है, जो धूम्रपान करती हैं।
- पेरिमीनोपॉज के एक परिवारिक इतिहास के साथ महिलाओं को जल्दी रजोनवृत्ति का अनुभव हो सकता है।
- आपके पास अंडे नहीं हैं, फिर भी आपके अंडाशय एस्ट्रोजन का उत्पादन करते हैं। इस तरह की स्थति के कारण रजोनवृत्ति औसत से पहले हो सकती है। इसके अलावा यदि आपके पास अंडे है, तो बचे हुए अंडे समय से पहले काम करना बंद कर सकते हैं।
जटिलताएं-
- अनियमित अवधि पेरिमीनोपॉज की पहचान है। वैसे तो यह सामान्य होती है, लेकिन फिर भी अगर आपको एक से ज्यादा बार पैड बदलने की जरूरत पड़ रही है, तो डॉक्टर को दिखाएं।
- यदि रक्तस्त्राव सात दिनों से ज्यादा रहे, तो भी यह चिंता का विषय है।
- पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग का अनुभव होने पर भी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस तरह के संकेतों का मतलब होता है, कि आपकी प्रजनन प्रणाली में समस्या है, जिसके निदान और उपचार की आवश्यकता है।
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पेरिमीनोपॉज का इलाज – Treatment of perimenopause in Hindi
आम-तौर पर डॉक्टर मीनोपॉज का इलाज नहीं करते हैं लेकिन यदि आपको पेरिमीनोपॉज के लक्षण विशेष रूप से परेशान कर रहे हैं तो आपके डॉक्टर कुछ महीनों के लिए होर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Hormone Replacement Therapy) (HRT) की सलाह दे सकते हैं। इसमें कई तरह की थैरेपीज की मदद से पेरिमीनोपॉज का इलाज किया जा सकता है।
हार्मोन थैरेपी
हार्मोन थैरेपी के लिए गोली, स्किन पैच, जेल और क्रीम बाजार में उपलब्ध होती हैं। यह हॉट फ्लैशेज और नाइट स्वैट का बेहतर इलाज करती है। आपके व्यक्तिगत और पारिवारिक चिकित्सा इतिहास के आधार पर आपका डॉक्टर राहत प्रदान करने के लिए आवश्यक खुराक में एस्ट्रोजन की सलाह दे सकता है। यदि आपको अभी भी गर्भाशय है, तो एस्ट्रोजन के अलावा प्रोजेस्टिन की जरूरत पड़ेगी। सिस्टमिक एस्ट्रोजन हड्डी के नुकसान को रोकने में मदद कर सकता है।
वेजाइनल एस्ट्रोजन
योनि की शुष्कता को राहत देने के लिए एस्ट्रोजन को योनि टैबलेट, रिंग या क्रीम का उपयोग करके सीधे योनि में पहुंचाया जाता है। इस उपचार से एस्ट्रोजन की थोड़ी मात्रा निकलती है, जिसे योनि ऊतक द्वारा अवशोषित किया जाता है। यह योनि सूखापन, संभोग के साथ असुविधा और मूत्र लक्षणों को दूर करने में मददगार है।
एंटीडिप्रेसेंट
ड्रग्स से जुड़ी एंटीडिप्रेसेंट मीनोपॉजल हॉट फ्लैशेज को दूर करने में मदद कर सकते हैं। यह उन महिलाओं के लिए ज्यादा उपयोगी है, जो स्वास्थ कारणों से एस्ट्रोजन नहीं ले सकती हैं या जिन महिलाओं को मूड डिसऑर्डर के लिए एंटीडिप्रेसेंट की आवश्यकता होती है, वे इसका सहारा ले सकती हैं।
गैबापेंटिन
गैबापेंटिन हॉट फ्लैशस को कम करने में मददगार है। यह दवा उन महिलाओं के लिए उपयोगी है, जो स्वास्थ्य कारणों से एस्ट्रोजन थैरेपी का उपयोग नहीं कर सकती हैं या जिन्हें माइग्रेन की समस्या है।
नोट – ध्यान में रखें की लम्बे समय तक हॉर्मोन लेने से हृदय रोग (heart disease) और ब्रैस्ट कैंसर (breast cancer) जैसी गंभीर बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी प्रकार की हॉर्मोन से रिलेटिव दवाएं न लें।
(और पढ़े – हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है, क्यों की जाती है, फायदे और नुकसान…)
पेरिमीनोपॉज के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to call the doctor for perimenopause in Hindi
आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं, अगर आपको मूड स्विंग, यौन सक्रियता में परिवर्तन, पीरियड्स इरेगुलर हों, रक्त के बड़े थक्के दिखें, स्तन में लालिमा आ जाए, निप्पल से द्रव के निकलने जैसे लक्षण दिखाई दें। चूंकि, पेरिमीनोपॉज से बचाव के घरेलू उपचार बहुत कम हैं, इसलिए ज्यादा दिनों तक इंतजार न करते हुए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पेरिमीनोपॉज में क्यां खाएं, क्या न खाएं – What to eat, what not to eat in perimenopause in Hindi
“योनि का सूखापन (vaginal dryness), ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) और मूत्र पथ के संक्रमण (Urinary Tract Infection or UTI) जैसी समस्याओं की संभावनाएं मीनोपॉज के बाद बढ़ जाती है। जिसका मुख्य कारण एस्ट्रोजन के कमी होता है। पेरिमीनोपॉज की स्थिति में सुधार करने के लिए हम आपको ऐसे कई खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे, जिनका सेवन आपको करना चाहिए, साथ ही कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करना भी उतना ही जरूरी है।
पेरिमीनोपॉज में क्या खाएं-
- प्रतिरक्षक तंत्र को शक्ति देने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज जैसे गाजार, सेब, फलियां, रतालू, आलू आदि खाएं। ज़्यादा से ज़्यादा शाकाहारी और फाइबर-युक्त खाने का सेवन करें ।
- कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें। जैसे दूध, पनीर, पालक, बादाम आदि। यह हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार जैसे दूध, दलिया, टोस्ट आदि खाएं।
- पेरिमीनोपॉज के लिए विटामिन बी से युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।
- हमेशा हाइड्रेट रहें। प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी जरूर पीएं।
- हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए संतरे का रस, सोया, दूध और दलिया का सेवन करें।
पेरिमीनोपॉज में ना खाएं-
- पूर्ण वसा युक्त डेरी उत्पाद जैसे मक्खन और दूध का प्रयोग न करें।
- जंक फूड खाने से बचें।
- चीनी और नमक का प्रयोग कम से कम मात्रा में करें।
- शराब और कैफीन का सेवन करने से बचें।
(और पढ़े – मेनोपॉज में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं…)
पेरिमीनोपॉज के लिए योग – Yoga for perimenopause in Hindi
जीवन शैली में बदलाव लाने से कई महिलाएं इससे राहत महसूस कर पाती हैं, पेरिमीनोपॉज के लिए अपनी जीवनशैली में योग और व्यायाम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए आप वाल आर्च, पेल्विक टिल्ट, लेग लिफ्ट्स, स्टेंडिंग बैक बेंड व्यायाम कर सकते हैं। इसके अलावा मीनोपॉज का अनुभव करने वाली महिलाओं को सेतुबंध सर्वांगासन, बद्ध कोणासन, सर्वांगासन और अर्ध हलासन करने की सलाह दी जाती है।
(और पढ़े – रजोनिवृत्ति के लिए योग…)
पेरिमीनोपॉज के घरेलू उपचार – Perimenopause home remedies in hindi
आपको बता दें कि पेरिमीनोपॉज के बहुत ज्यादा घरेलू उपचार तो नहीं हैं, लेकिन हम यहां पेरिमीनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ असरदार घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिन्हें आप आजमा सकती हैं।
पेरिमीनोपॉज का घरेलू उपाय ग्राउंड जिनसेंग – Perimenopause ka gharelu upay ground ginseng in Hindi
ग्राउंड जिनसेंग रूट को आप चाय या फिर कैप्सूल के रूप में ले सकतीं हैं। यह मेडिकल स्टोर और सुपरमार्केट या ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बहुत अच्छा और सरल उपाय है।
पेरिमीनोपॉजल से बचाव करे ब्लैक कोहोश – Black cohosh prevent from perimenopausal in Hindi
ब्लैक कोहोश एक जड़ी -बूटी है। इसकी जड़ें डाइट्री सप्लीमेंट के रूप में काम करती है। ब्लैक कोहोश सबसे लोकप्रिय प्राकृतिक उपचारों में से एक है, जिसका उपयोग महिलाएं मीनोपॉज के लक्षणों के लिए करती हैं।
पेरिमेनोपॉज का घरेलू उपचार सोया – Perimenopause ka gharelu upchar soya in Hindi
अपने आहार में सोया से बने उत्पादों को शामिल करने से मीनोपॉज के लक्षणों को कम किया जा सकता है। सोया में प्लांट बेस्ड एस्ट्रोजन होता है, जिसे आइसोफ्लेवोन्स कहा जाता है, इसलिए यह एस्ट्रोजन की मात्रा को समायोजित करने में आपकी मदद कर सकता है। इससे हॉट फ्लैशेज, नाइट स्वैट यहां तक की योनि के सूखापन में भी सुधार हो सकता है। आप चाहें, तो पेरिमीनोपॉज के लक्षणों को रोकने के लिए सोया के अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेरिमीनोपॉज का घरेलू इलाज है विटामिन डी – Vitamin d home remedies for perimenopause in Hindi
जब आपके अंडाशय एस्ट्रोजन का उत्पादन बंद कर देते हैं, तो आपको हड्डियों से जुड़ी ऑस्टीपोरोसिस की समस्या हो सकती है। एक विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से हड्डियों को मजबूती मिलती है। विटामिन डी आपकी मनोदशा को बढ़ावा दे सकता है और आपके इमोशन्स को स्थिर रख सकता है।
पेरिमीनोपॉज का घरेलू नुस्खा योग – Perimenopause ka gharelu nuskha yoga in Hindi
मीनोपॉज में महिलाओं में होने वाले मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज को नियंत्रित करने में योग बहुत फायदेमंद है। किसी योग क्लास में जाकर या इंटरेनट की मदद से भी आप घर में ही अपनी माइंडफुलनेस में सुधार कर सकतीं हैं।
(और पढ़े – रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के घरेलू उपाय और नुस्खे…)
पेरिमेनोपॉज से बचाव के तरीके – Prevention of perimenopause in Hindi
- पेरिमेनोपॉज से बचाव के लिए आप अपनी जीवनशैली में कई बदलाव कर सकतीं हैं।
- महिलाएं पेरिमेनोपॉज से बचाव के लिए अपना बॉडी वेट मेंटेन करके रखें।
- नियमित व्यायाम करके भी पेरिमीनोपॉज की समस्या से बचा जा सकता है।
- धुम्रपान करने से बचें।
- नींद की अवधि बढ़ाएं और हर दिन निश्चित समय पर सोएं और जागें।
- जितना हो सके, शराब का सेवन कम करें।
- कैल्शियम से भरपूर आहार लें।
(और पढ़े – कैल्शियम युक्त भोजन महिलाओं के लिए…)
पेरिमीनोपॉज से जुड़े लोगों के सवाल – Questions related to perimenopause in Hindi
भारतीय महिलाओं के बीच क्यों कम हो रही है परिमेनोपॉज की आयु?
भारत में मेनोपॉज की औसत आयु 47 वर्ष है। 47 की उम्र के बीच जाकर पेरिमेनोपॉज की स्थिति में आती थीं, वहीं यह उम्र घटकर 30-35 हो गई है। इसके कई कारण हैं। महिलाओं का अधिक धुम्रपान करना और तनावपूर्ण जीवनशैली आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। इसके अलावा जो महिलाएं कैंसर से बचने के लिए रेडियोथैरेपी या कीमोथेरेपी कराती हैं, उन्हें समय से पहले प्री-मेच्योर मीनोपॉज आ जाता है। इसके अलावा गर्भाधान, तनाव, पीसीओडी आदि के लिए ओव्यूलेशन इंडक्शन तकनीकों का अधिक उपयोग भी पेरिमीनोपॉजल की उम्र कम करने के लिए जिम्मेदार है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं पेरिमीनोपॉज से गुजर रही हूं?
पेरिमीनोपॉज के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके मुख्य कारण एस्ट्रोजन का स्तर कम होना है। एस्ट्रोजन के कम स्तर से संबंधित इरेगुलर पीरियड्स, मिजाज में बदलाव, थकान आदि ये सभी पेरिमेनोपॉजल के लक्षण हैं।
पेरिमेनोपॉज कितने समय तक रहता है?
इसका टाइम पीरियड भी हर महिला में अलग-अलग होता है। यह एस्ट्रोजन स्त्रावित करने वाली ग्रंथियों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। फिर भी पेरिमेनोपॉज का औसत समय लगभग चार साल होता है। इसके बाद जब लगातार एक साल तक पीरियड्स न हो, तो पेरिमेनोपॉज की स्थिति खत्म होकर मेनोपॉज की अवधि शुरू होती है।
हालाँकि पेरिमीनोपॉजल एक कुदरती प्रक्रिया है, यह कोई रोग नहीं। पेरिमीनोपॉजल, मीनोपॉज से पहले की ही एक स्टेज है। लेकिन इस दौरान कई महिलाओं के शरीर में हो रहें बदलाव उनके रोज़-मर्रा की कार्यों में समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। इसमें महिलाएं अनियमित, भारी और लंबे समय तक मासिक धर्म के साथ कई और लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं। वैसे तो इस लेख में पेरिमीनोपॉज के लिए हमने कुछ घरेलू उपचार भी बताए हैं, लेकिन ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है।
(और पढ़े – पुरुषों में रजोनिवृत्ति (मेल मेनोपॉज) के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव)
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