पेट के कैंसर को आमाशय का कैंसर (गैस्ट्रिक कैंसर) भी कहा जाता है। इस बीमारी में पेट के किसी भी हिस्से में असामान्य कोशिकाओं का निर्माण है। यह सभी कैंसर में से छठा सबसे सामान्य कैंसर है, लेकिन कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बनता है। पेट का कैंसर, अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में अपेक्षाकृत दुर्लभ है। चूँकि इस बीमारी का प्रारंभिक स्थिति में निदान करना कठिन है, जिससे इसका इलाज करना मुश्किल होता है। यदि व्यक्ति पेट में कैंसर के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान रखता है, तो वह इस बीमारी के जोखिमों को कम कर तथा उचित इलाज प्राप्त कर आमाशय कैंसर की जटिलताओं से बच सकता है। यह आर्टिकल पेट के कैंसर की जानकारी के बारे में है। इस लेख में आप जानेगें कि पेट का कैंसर क्या है, इसके कारण, लक्षण, जांच, इलाज, जोखिम कारक, बचाव और घरेलू उपाय के बारे में।
पेट के कैंसर में पेट के अस्तर के भीतर कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है। पेट के कैंसर के सभी मामलों में से 90-95% मामले एडेनोकार्सिनोमा रूप में उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के पेट के कैंसर की स्थिति में, म्यूकोसा (mucosa) में पाई जाने वाली कोशिकाओं से कैंसर का विकास होता है। म्यूकोसा (mucosa), पेट का अस्तर है, जो बलगम का उत्पादन करता है। इस प्रकार के कैंसर का निदान करना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकांश पीड़ित व्यक्तियों में कैंसर के प्रारंभिक चरणों में किसी भी प्रकार के विशेष लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पेट का कैंसर होने की अधिक संभावना होती है।
आमाशय या पेट का कैंसर, एडेनोकार्सिनोमा के रूप में उत्पन्न होता है। कैंसर के चरण से मतलब है, कि कैंसर शरीर में कितना फ़ैल चुका है। अतः पेट या आमाशय के एडेनोकार्सिनोमा के चरणों में निम्न शामिल हैं:
I स्टेज – पेट के कैंसर की इस स्टेज में, ट्यूमर आमाशय या पेट की आंतरिक परत में मौजूद ऊतक तक सीमित होता है। इस स्टेज में कैंसर कोशिकाएं सीमित संख्या में पास वाले लिम्फ नोड्स में फैल सकती हैं।
II स्टेज – पेट के कैंसर की इस इस स्टेज में कैंसर पेट की गहरी परतों में फैल चुका होता है। और कैंसर कोशिकाएं पास के लिम्फ नोड्स में भी फैल सकती हैं।
III स्टेज – पेट के कैंसर की इस स्टेज में, कैंसर पेट या आमाशय की सभी परतों और लिम्फ नोड्स में अधिक गहराई तक फ़ैल चुका होता है। इस स्थिति में कैंसर आमाशय के आस-पास के अन्य अंगों में भी विकसित हो सकता है।
IV स्टेज – पेट के कैंसर की यह स्टेज बहुत ही गंभीर स्टेज है, जिसमें कैंसर शरीर के अन्य दूर के हिस्सों में फैल चुका होता है। इस स्थिति में कैंसर का इलाज करना मुश्किल होता है।
पेट में कैंसर की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब ऊपरी पाचन तंत्र के भीतर सामान्यतः स्वस्थ कोशिकाएं कैंसरयुक्त हो जाती हैं और अनियंत्रित रूप में वृद्धि कर ट्यूमर का निर्माण करती हैं। हालांकि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। पेट के कैंसर को विकसित में कई वर्षों का समय लग जाता है। पेट के कैंसर के स्पष्ट कारण अभी भी अज्ञात है, जो पेट में कैंसर कोशिकाओं के उत्पन्न होने का कारण बनते हैं।
पेट में कैंसर का संबंध सीधा पेट में ट्यूमर के निर्माण से होता है। हालांकि, कुछ कारक ज्ञात हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को विकसित करने में अपना योगदान दे सकते हैं। पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में कुछ रोग और अन्य स्थितियों को शामिल किया जाता है, जैसे कि:
कुछ आनुवांशिक स्थितियां (genetic conditions) भी आमाशय कैंसर (पेट के कैंसर) का जोखिम बढ़ा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
गैस्ट्रिक कैंसर के अन्य जोखिम कारक निम्न हैं:
(और पढ़ें: पेट में सूजन (गेस्ट्राइटिस) के लक्षण, कारण, उपचार, घरेलू इलाज और बचाव)
चूंकि पेट के कैंसर की शुरुआती स्थिति में आमतौर पर किसी भी प्रकार के लक्षण उत्पन्न नहीं होते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने तक व्यक्ति इस समस्या से कई सालों तक अनजान रहता है। हालांकि व्यक्ति पेट के कैंसर के प्रारंभिक चरण में कुछ सामान्य लक्षणों को महसूस कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
हालांकि, ये सभी लक्षण अन्य गंभीर बीमारियों के भी हो सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे पेट का कैंसर बढ़ता जाता है, सम्बंधित व्यक्ति में लक्षणों की गंभीरता भी बढती जाती है। पेट के कैंसर की गंभीर स्थिति में व्यक्ति निम्नलिखित लक्षणों को महसूस कर सकता है, जैसे:
(और पढ़ें: महिलाओं में कैंसर के लक्षण)
यदि किसी व्यक्ति को पेट में कैंसर के विकास का उच्च जोखिम होता है, तो वह स्क्रीनिंग टेस्ट करा सकता है। चूंकि पेट का कैंसर वाले अधिकांश व्यक्तियों को, कैंसर के प्रारंभिक चरण में लक्षणों का अनुभव नहीं होता है, जिसके कारण बीमारी का निदान करना बहुत ही कठिन होता है।
पेट के कैंसर की नैदानिक प्रक्रिया में डॉक्टर (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) किसी भी प्रकार की असामान्यताओं की जांच करने के लिए शारीरिक परीक्षण के साथ-साथ पारिवारिक और चिकित्सकीय इतिहास के बारे में कुछ पूंछ सकता है। एच पाइलोरी बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर रक्त परीक्षण का भी आदेश दे सकता है।
यदि डॉक्टर को किसी भी स्थिति में पेट के कैंसर या आमाशय कैंसर का संदेह होता है, तो वह कुछ विशेष परीक्षणों की सिफारिश कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
पेट के कैंसर का इलाज करने के लिए निम्न प्रकार की उपचार प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
सर्जरी (surgery) – पेट के कैंसर की स्थिति के आधार पर डॉक्टर निम्न प्रकार की सर्जरी का उपयोग कर सकता है, जैसे:
डॉक्टर कैंसर के चरण और गंभीरता के आधार पर उचित और प्रभावी उपचार प्रक्रिया को अपना सकते हैं। पेट के कैंसर की स्टेज 1 और स्टेज 2 का इलाज आसानी से किया जा सकता है, जिसमें मुख्य रूप से सर्जरी के साथ-साथ कीमोथेरपी (chemotherapy) और विकिरण थेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है। पेट के कैंसर की स्टेज 3 का इलाज करने के लिए विशेष रूप से कीमोथेरपी (chemotherapy) और विकिरण थेरेपी की सिफारिश की जा सकती है तथा कभी कभी सर्जरी द्वारा आमाशय को पूर्ण रूप से हटाया जा सकता है। पेट के कैंसर की स्टेज 4 में इलाज करना मुश्किल होता है, परन्तु डॉक्टर लक्षणों को नियंत्रित रखने के लिए कीमोथेरपी और विकिरण थेरेपी के साथ-साथ अन्य दवाओं की भी सिफारिश कर सकता है। कीमोथेरपी के अंतर्गत उपयोग की जाने वाली दवाओं को साइटोटोक्सिक दवाओं के रूप में जाना जाता है।
पेट के कैंसर से पूरी तरह बचने का कोई भी तरीका नहीं है। लेकिन व्यक्ति इस बीमारी के विकास के जोखिम को कम करने के लिए कुछ उचित कदम उठा सकते हैं। कैंसर के बचाव संबंधी उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
पेट में कैंसर की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थ का सही मात्रा में सेवन, कैंसर के जोखिम को कम करने और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के लिए आवश्यक होता है। अतः पेट कैंसर की स्थिति में निम्न आहार के अधिक सेवन पर जोर दिया जाता है, जैसे:
पेट में कैंसर की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थ कैंसर के जोखिम को बढ़ाने में सहायक होते है। अतः इस पदार्थों से परहेज कर व्यक्ति पेट में कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है, इन पदार्थों में शामिल हैं:
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