पेट में कीड़े होने की समस्या बहुत आम है। पेट के कीड़े या आंतों के कीड़े एक प्रकार के परजीवी होते हैं। पेट में कीड़े होने के कई कारण होते हैं जिनसें शरीर के कई सिस्टम प्रभावित होते हैं। बच्चों के पेट में कीड़े होने के कई लक्षण दिखते हैं। लेकिन पेट में कीड़े होने की समस्या किशोरों और बुजुर्गों को भी प्रभावित करती है। पेट के कीड़े का उपचार अगर समय पर न कराया जाए तो आंत पूरी तरह डैमेज हो सकती है और पाचन क्रिया खराब हो सकती है। बच्चों के पेट में कीड़े होने पर उन्हें तेज मितली आती है और पेट में काफी दर्द होता है जबकि बुजुर्गों को डायरिया सहित अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आइये जानते हैं पेट में कीड़े होने के लक्षण कारण और उपचार क्या हैं।
आंत या पेट के कीड़े छोटे जीव होते हैं जो इंसानों और जानवरों के शरीर में परजीवी के रूप में पाये जाते हैं। इन्हें इंटेस्टाइनल पैरासाइट या इंटेस्टाइनल वर्म भी कहा जाता है। ये कीड़े आमतौर पर आंतों में रहते हैं, आंतो में जो खाना जाता है उसे खाते हैं और आंतो की परतों से खून चूसते हैं। और वहीं अपनी संख्या और आकार बढ़ाते हैं। पेट के कीड़े शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करते हैं जिसके कारण विभिन्न समस्याएं सामने आती हैं। बच्चों में यह बीमारी बहुत आम है। वैसे तो पेट के कीड़े कई प्रजाति के होते हैं लेकिन फ्लैटवर्म और राउंडवर्म पेट के कीड़े का बहुत सामान्य प्रकार है जो ज्यादातर लोगों को प्रभावित करता है।
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पेट के कीड़े कई प्रकार के होते हैं, जैसे फ्लैटवर्म और राउंड वर्म। फ्लैटवर्म के अंतर्गत आमतौर पर टेपवर्म और फ्लूक आते हैं जबकि राउंडवर्म में एस्कैरियासिस, पिनवर्म और हुकवर्म को शामिल किया जाता है। पेट के कीड़ों को आंतों के कीड़े और परजीवी कीड़े के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं पेट के कीड़े कैसे होते हैं।
टेपवर्म: यह सफेद होता है और इसकी लंबाई कई मीटर तक बढ़ती है। टेपवर्म इंसान के आंत में कई वर्षों तक जिंदा रह सकता है।
फ्लूक: फ्लूक फ्लैटवर्म का ही एक प्रकार है।
पिनवर्म: ये छोटे कृमि होते हैं और ज्यादातर बच्चों के पेट में पाये जाते हैं।
ट्राइकिनोसिस वर्म: ये राउंडवर्म श्रेणी के होते हैं और सामान्यतः जानवरों में पाये जाते हैं। जानवरों का अधपका मांस खाने से इस कृमि का लार्वा आंत में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण ट्राइकिनोसिस का संक्रमण फैल जाता है।
पेट के कीड़े या इंटेस्टाइनल पैरासाइट इंफेक्शन का पता लगाना कई बार बहुत मुश्किल होता है। इसके प्रारंभिक लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जिसके कारण कम ही लोग सही समय पर डॉक्टर के पास पहुंच सकते हैं। हालांकि समय के साथ इसके लक्षण बेहद गंभीर हो सकते हैं।
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पेट में कीड़े होने के कई लक्षण सामने आते हैं। पेट के कीड़े की हर स्पेशीज प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण उत्पन्न करती है। समय के साथ पेट में कीड़े होने के निम्न लक्षण नजर आते हैं:
पेट में टेपवर्म के लक्षण अलग होते हैं जो इस तरह दिखते हैं
इसके साथ ही पेट में फ्लूक होने पर बुखार और थकान जैसे लक्षण सामने आते हैं।
पेट में हुकवर्म इंफेक्शन के लक्षण समय के साथ बढ़ते हैं, जैसे
पेट में पिनवर्म के लक्षण गुदा के आसपास तेज खुजली के रुप में सामने आते हैं। इसके साथ ही संक्रमण बढ़ने पर मल में छोटे-छोटे कीड़े निकलते हैं।
जबकि ट्राइकिनोसिस वर्म ब्लडस्ट्रीम से होते हुए कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण ये लक्षण नजर आते हैं
पेट के कीड़े से प्रभावित व्यक्ति को पेचिश का भी अनुभव होता है। कीड़े के कारण आंतों में इंफेक्शन हो जाता है और मल में खून और म्यूकस आता है। यह समस्या बार-बार होती है और इसे डायरिया के नाम से जाना जाता है। हालांकि कुछ लोगों के पेट में कीड़े कई साल से होते हैं लेकिन उन्हें इनमें से किसी भी लक्षण का सामना नहीं करना पड़ता है।
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पेट के कीड़े का पता लगाने के लिए डॉक्टर कोलोनोस्कोपी से आंत का परीक्षण करते हैं और पेट के कीड़े का निदान करते हैं। इसके साथ ही यदि पेट में कीड़े होने पर गंभीर लक्षण सामने आने पर मरीज को कुछ टेस्ट भी कराने पड़ते हैं।
पेट के कीड़े की अंग्रेजी दवा देने से पहले डॉक्टर यह पता करते हैं कि मरीज किस प्रकार के इंटेस्टाइनल वर्म से प्रभावित है। टेपवर्म होने पर डॉक्टर प्रेजिक्वैंटेल (praziquantel) मेडिसिन देते हैं जो पेट के कीड़े को नष्ट कर देती है। पेट में हुकवर्म को नष्ट करने के लिए डॉक्टर मेबेंडाजोल (mebendazole) या एलबेंडाजोल (albendazole) नाम की दवा देते हैं।
नोट – बिना डॉक्टर कि सालाह के किसी भी प्रकार कि दवा का सेवन न करें।
पेट में कीड़े होना कोई गंभीर समस्या नहीं है। इसे घरेलू उपचार से भी ठीक किया जा सकता है। हालांकि अगर लंबे समय तक पेट में कीड़े होने पर इलाज न कराया जाए तो यह गंभीर बीमारी का कारण जरुर बन सकता है। घर के किचन में मौजूद चीजों में कई औषधीय गुण पाये जाते हैं जो पेट के कीड़े को नष्ट कर देते हैं। आइये जानते हैं पेट के कीड़े को मारने का घरेलू उपाय क्या है।
पेट में कीड़े का घरेलू इलाज बहुत आसान और सस्ता है। घरेलू नुस्खों से पेट के कीड़े पूरी तरह बाहर निकल आते हैं। टी ट्री ऑयल पेट के कीड़े भगाने का एक ऐसा ही इलाज है। टी ट्री ऑयल में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है जो आंत की दीवारों से पैरासाइट को बाहर निकालता है। 12 बूंद टी ट्री ऑयल में 30 एमएल नारियल तेल मिलाकर कुछ देर तक पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें। साथ ही दोनों ऑयल के मिश्रण को गुदा (anus) पर लगाकर रात भर रहने दें। कुछ ही दिनों में पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे।
बच्चों के पेट में कीड़े होने पर लहसुन एक बेहतर घरेलू उपचार है। लहसुन में एलिसिन और एजीन यौगिक पाये जाते हैं जो एंथेल्मिंटिक (anthelmintic ) गुणों से भरपूर होते हैं। कच्चे लहसुन की दो तीन कलियां रोजाना खाली पेट खाने से पेट के पैरासाइट बाहर निकल जाते हैं।
पेट के कीड़े को मारने के लिए अरंडी का तेल घरेलू इलाज है। इसमें मजबूत लैक्जेटिव गुण पाया जाता है जो आंतों को स्वस्थ रखता है और आंत में म्यूकस के स्राव को बढ़ाता है। जिसके कारण आंत से विषाक्त पदार्थ और पेट के कृमि बाहर निकल जाते हैं। एक चम्मच ऑर्गेनिक अरंडी के तेल को एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना दिन में एक बार सेवन करें। जल्द ही पेट के कीड़े बाहर निकल जाएंगे।
हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) पाया जाता है जो पेट के कीड़ों को मारने में मदद करता है। करक्यूमिन एंथेल्मिंटिक और एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर होता है और आंत से परजीवियों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। पेट में कीड़े के इलाज के लिए एक चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास गुनगुने कोकोनट मिल्क में मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना दिन में दो बार सेवन करें। पेट के कीड़े का यह बहुत ही बेहतर घरेलू उपचार है।
पेट के कीड़े पपीता से भी दूर हो जाते हैं। पपीते में एंथेल्मिंटिक और एंटी एमिबिक गुण पाये जाते हैं जो आंत की दीवारों से कृमि को बाहर निकाल देते हैं। इसके अलावा यह पेट के कीड़ों को मारकर पाचन को बढ़ाता है। एक चम्मच पपीते का बीज, आधा कप पपीता और एक कप कोकोनट मिल्क मिलाकर ब्लेंड कर लें और हर तीन दिन पर इसका सेवन करें। पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे।
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