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फिलोफोबिया (प्यार में पड़ने का डर) क्या है, लक्षण और उपचार – What Is Philophobia, and How Can You Manage Fear of Falling in Love in hindi

Philophobia In Hindi फिलोफोबिया (Philophobia) एक प्रकार का डर है, जो दूसरे व्यक्तियों के साथ प्यार करने से सम्बंधित होता है। प्यार इस संसार का सबसे सुन्दर अनुभव है। लेकिन कुछ लोगों को प्यार में पड़ने का विचार भयभीत कर देता है। यद्धपि फिलोफोबिया, समाज में प्यार के प्रति सोच, विचारधारा के कारण भी उत्पन्न हो सकता है। प्यार में पड़ने का डर उन व्यक्तियों को अधिक परेशान करता है, जिनको अतीत में प्यार में धोखा मिला हो या प्यार से सम्बंधित समस्याओं का सामना करना पड़ा हो। अतः यह भाव व्यक्ति को अकेले रहने के लिए मजबूर करता है। फिलोफोबिया डिप्रेशन और आत्महत्या का भी कारण बन सकता है। यदि फिलोफोबिया व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव डालता है, तो इसका इलाज आवश्यक हो जाता है।

आज इस लेख में आप फिलोफोबिया (प्यार में पड़ने का डर) क्या है, इसके कारण, लक्षण, इलाज और बचने के उपाय के बारे में जानेगें।

1. फिलोफोबिया क्या है – What Is Philophobia in hindi
2. फिलोफोबिया के लक्षण – Symptoms of philophobia in hindi
3. फिलोफोबिया के शारीरिक लक्षण – Philophobia Physical Symptoms in hindi
4. फिलोफोबिया के कारण – Philophobia Causes in hindi
5. फिलोफोबिया के लिए जोखिम कारक – Philophobia Risk factors in Hindi
6. फिलोफोबिया की जटिलताएं – Philophobia complication in Hindi
7. फिलोफोबिया का निदान – Philophobia Diagnosis in Hindi
8. फिलोफोबिया उपचार – Philophobia treatment in hindi
9. फिलोफोबिया से बचाव – Philophobia prevention in hindi

फिलोफोबिया क्या है – What Is Philophobia in hindi

फिलोफोबिया को आम बोलचाल की भाषा में “प्यार का डर” कहा जाता है। अतः किसी व्यक्ति के प्यार में पड़ने का डर ही फिलोफोबिया (Philophobia) कहलाता है, जो व्यक्तियों को प्यार करने से रोकता है। यह डर किसी अन्य व्यक्ति के साथ भावनात्मक रूप से सम्बन्ध बनाने से जुड़ा होता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह सम्बंधित व्यक्ति के जीवन को कष्टदायक बना सकता है।

प्यार जीवन के सबसे खूबसूरत और आश्चर्यजनक अनुभवों में से एक होता है, लेकिन यह अनुभव कुछ व्यक्तियों के लिए कष्टदायक या भयानक होता है और कुछ व्यक्तियों के लिए आनंददायक होता है। फिलोफोबिया की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति प्यार के नाम से दूर भागता है, या प्यार को अधिक गहरा नहीं होने देता है।

पीड़ित व्यक्ति फिलोफोबिया से सम्बंधित भावनाओं को महसूस कर सकता है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसे महसूस कर पाना मुश्किल हो सकता है। यह डर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण भी विकसित हो सकता है। यह स्थिति पीड़ित व्यक्ति के लिए तब कष्ट दायक हो जाती है, जब सम्बंधित व्यक्ति के करीबी लोग प्यार के प्रति स्थाई और स्थिर सम्बन्ध रखते हैं।

(और पढ़े – फोबिया क्या है, प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज…)

फिलोफोबिया के लक्षण – Symptoms of philophobia in hindi

फिलोफोबिया एक प्रकार का भय है, जिसके कारण व्यक्ति प्यार में पड़ने के विचार से नर्वस या चिंतित हो जाता है। इसके तहत भय का प्रभाव इतना तीव्र है कि यह व्यक्ति के जीवन में हस्तक्षेप करने लगता है। हालांकि, इस स्थिति में व्यक्ति भय को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं।

इसके लक्षण भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। फिलोफोबिया के लक्षणों में प्यार में पड़ने के विचार से उत्पन्न होने वाली भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रिया को शामिल किया जाता है। अतः फिलोफोबिया के सामान्य लक्षण निम्न है जैसे:

  • प्यार सम्बन्धी आंतरिक भावनाओं को प्रगट न कर पाना
  • विवाह और अन्य समारोहों में जाने से बचना
  • प्यार और रोमांस से सम्बंधित जगहों पर जाने से पूरी तरह परहेज
  • प्यार में पड़ने की अत्यधिक चिंता और घबराहट होना
  • डर को नियंत्रित करने में असमर्थता महसूस होना
  • सामाजिक चिंता

(और पढ़े – लड़की से बात करते समय होती है घबराहट? तो ये टिप्स आजमाएं!)

फिलोफोबिया के शारीरिक लक्षण – Philophobia Physical Symptoms in hindi

फिलोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को प्यार और रोमांस से सम्बंधित किसी भी चीज़ का सामना करने पर निम्न शारीरिक लक्षण प्रगट हो सकते हैं, जैसे:

18 से कम उम्र के बच्चों में फिलोफोबिया की स्थिति एक असंतुष्ट सोशल एंगेजमेंट डिसऑर्डर (disinhibited social engagement disorder (DSED) के साथ कुछ समानताएं रखती है। डीएसईडी (DSED) विकार, व्यक्तियों को दूसरों से गहरे और सार्थक संबंध बनाने में मुश्किल पैदा करता है।

(और पढ़े – बेचैनी और घबराहट दूर करने के उपाय…)

फिलोफोबिया के कारण – Philophobia Causes in hindi

फिलोफोबिया को विकसित करने वाले कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

पिछला दर्दनाक अनुभव – Previous Traumatic Experience in hindi

प्यार और रिश्तों से सम्बंधित पिछले दर्दनाक अनुभव के साथ फिलोफोबिया का निकटता का सम्बन्ध होता है। यदि कोई व्यक्ति प्यार में धोखा, शर्मिंदगी, डाइवोर्स (divorce) आदि से सम्बंधित रिश्तों में विफलता का अनुभव कर चुका है, तो वह व्यक्ति फिलोफोबिया से ग्रस्त हो सकता है। फिलोफोबिया का कारण परवरिश भी हो सकती है, जिसके तहत बच्चा माता-पिता के रिश्ते में उतार-चढ़ाव को देखता है, और प्रेम संबंध बनाने के लिए अत्यधिक चिंतित हो सकता है। अतः प्रेम से सम्बंधित पूर्व अनुभव और परेशानियाँ फिलोफोबिया का कारण बन सकती हैं। (और पढ़े – आखिर क्यों मिलता है प्यार में धोखा, प्यार में धोखा खाने के बाद क्या करे…)

सांस्कृतिक मानदंडों – Cultural Norms in hindi

कुछ संस्कृति और धर्मों में विवाह से पूर्व प्रेम संबंधों को पाप माना जाता है। इसके अतिरिक्त यदि समाज में कोई व्यक्ति इस प्रकार के मापदंडो का उललंघन करता है, तो उसे क्रूरता से दंडित किया जाता है। अतः इन सांस्कृतिक मानदंडों के कारण व्यक्तियों में प्यार में पड़ने से सम्बंधित अत्यधिक भय और घबराहट उत्पन्न हो सकती है, जो कि फिलोफोबिया का कारण बन सकती हैं।

डिप्रेशन – Depression in hindi

डिप्रेशन के कारण एक व्यक्ति किसी के साथ प्यारा और विश्वसनीय संबंध रखने में आत्मविश्वास और उत्साह में कमी महसूस कर सकता है। चूँकि डिप्रेशन मन को कमजोर बनाता है, और किसी के आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अतः डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति स्वयं को लोगों से दूर करने और प्रेमपूर्ण संबंध बनाने से बचने का अधिक प्रयास करता है।

(और पढ़े – डिप्रेशन और उदासी दूर करने के उपाय…)

फिलोफोबिया के लिए जोखिम कारक – Philophobia Risk factors in Hindi

फिलोफोबिया आनुवांशिकी और पर्यावरण सम्बन्धी कारकों से भी संबंधित हो सकता है। कुछ मामलों में मस्तिष्क के कामकाज में परिवर्तन होने के कारण भी फिलोफोबिया की स्थिति विकसित हो सकती है।

इसके अतिरिक्त प्यार अस्वीकृत होने का डर भी फिलोफोबिया (Philophobia) के जोखिम को बढ़ाता है। अतः किसी के प्यार में पड़ना और व्यक्ति द्वारा प्यार स्वीकार न करना, जीवन में शर्मिंदगी का कारण बनता है। शर्मिंदगी की भावना किसी भी व्यक्ति के साथ प्यार करने से रोकती है। इसके अतिरिक्त निम्न कारक फिलोफोबिया के जोखिम को बढ़ाते हैं, जैसे:

  • माता-पिता का तलाक
  • विश्वासघात की भावना
  • दूसरे लोगों पर भरोसा न होना, इत्यादि।

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फिलोफोबिया की जटिलताएं – Philophobia complication in Hindi

अनुपचारित फिलोफोबिया निम्न जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है, जिसमें शामिल हैं:

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फिलोफोबिया का निदान – Philophobia Diagnosis in Hindi

फिलोफोबिया के निदान में मनोवैज्ञानिक (psychologist) की सहायता लेनी चाहिए। कुछ स्थतियों में फिलोफोबिया का निदान करना मुश्किल हो सकता है। चूँकि फिलोफोबिया से पीड़ित लोग हमेशा सिंगल नहीं रहते हैं, बल्कि वे अनेक रिश्ते रखते हैं। लेकिन इन रिश्तों में से किसी को भी पूरे दिल से नहीं निभाते हैं।
यदि कोई व्यक्ति पहले से ही एक सामाजिक चिंता विकार (social anxiety disorder) से पीड़ित हैं, तो वह फिलोफोबिया से भी ग्रस्त हो सकता है। यद्यपि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फिलोफोबिया को डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल (Diagnostic and Statistical Manual) (DSM) में शामिल नहीं किया गया है।

प्रत्येक व्यक्ति को फिलोफोबिया से सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने पर मनोवैज्ञानिक सहायता लेनी चाहिए। एक चिकित्सक या थेरपिस्ट पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों के साथ-साथ मेडिकल, मनोरोग (psychiatric) और सामाजिक इतिहास आदि स्थतियों का मूल्यांकन कर फिलोफोबिया का निदान कर सकता है।

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फिलोफोबिया उपचार – Philophobia treatment in hindi

मनोचिकित्सक (Psychotherapies) और दवाएं (केवल गंभीर मामलों में) फिलोफोबिया के इलाज में सहायक होती हैं। उपचार प्रक्रियाएं फ़ोबिया (भय) की गंभीरता के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। इन उपचार प्रक्रियाओं में थेरेपी, दवाएं, जीवन शैली में बदलाव या इन उपचारों का संयोजन आदि को शामिल किया जा सकता है।

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) (CBT)

सीबीटी (Cognitive Behavioural Therapy) फिलोफोबिया के उपचार में सबसे प्रभावी उपचार है। आमतौर पर, प्यार में पड़ने पर व्यक्ति के अंतर्निहित विचार और मानसिकता मुख्य रूप से चिंता का प्रमुख कारण बनते हैं। सीबीटी इन विचारों को पहचानने में मदद करता है और यह भी जानने में मदद करता है कि वे कैसे भय (फोबिया) पैदा करते हैं। अतः सीबीटी के तहत फिलोफोबिया के स्रोत जैसे- नकारात्मक विचार, विश्वासघात की भावना और प्रतिक्रियाओं को पहचानना और उन्हें बदलना शामिल है। थेरपिस्ट नियमित बातचीत के दौरान व्यक्ति के प्यार के प्रति दृष्टिकोण को बदलता है। (और पढ़े – अपनी सोच को सकारात्मक बनाने के 5 तरीके…)

एक्सपोजर थेरेपी (Exposure Therapy)

यह फिलोफोबिया के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। थेरपिस्ट रोमांटिक तारीखों या रोमांटिक फिल्मों के माध्यम से पीड़ित व्यक्ति के सामने एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है, और अध्ययन करता है कि वह व्यक्ति इन दृश्यों पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। इस थेरेपी को नियमित रूप से दोहराने पर पीड़ित व्यक्ति प्यार के प्रति संभावित चिंता और भय को कम करने में सक्षम होगा।

दवाई (Medicines)

गंभीर मामलों में, किसी व्यक्ति में कष्ट को नियंत्रित करने के लिए दवाएं भी उपयोग में लाई जा सकती हैं। आमतौर पर फिलोफोबिया में उपयोग की जाने वाली दवाओं में उदास और निराशाजनक भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए एंटीडिप्रेसेंट (anti-depressant) या एंटीऑक्सीडेंट दवाएं शामिल हैं।

जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle changes)

जीवनशैली में कुछ बदलाव कर फिलोफोबिया की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है। फिलोफोबिया के इलाज के दौरान डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को व्यायाम, विश्राम और माइंडफुलनेस तकनीकों जैसे घरेलू उपायों की भी सिफारिश कर सकता है।

  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • दिन में कुछ घंटे अपने साथी के साथ बिताएं
  • स्वयं के लिए समय निकाले, यदि आप बहुत व्यस्त हैं तो कुछ माइंडफुलनेस तकनीकों (mindfulness techniques) को भी आज़मा सकते हैं।

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फिलोफोबिया से बचाव – Philophobia prevention in hindi

फिलोफोबिया की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं, जैसे:

  • व्यक्तियों को फिलोफोबिया की रोकथाम के लिए  सकारात्मक प्रवृत्ति को अपनाना चाहिए तथा उचित सलाह लेनी चाहिए।
  • फिलोफोबिया बीमारी के बारे में परिवार के सदस्यों और दोस्तों को शिक्षित करें ।
  • कभी भी प्यार के भय (फिलोफोबिया) से पीड़ित किसी भी व्यक्ति पर उन चीज़ों का दबाव न डालें, जो वह करना नहीं चाहते हैं।
  • हतोत्साहित (निराश) होने से बचें ।
  • अपने दोस्तों के साथ अधिक समय बिताएं ।
  • फिलोफोबिया की स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर की मदद लें, इत्यादि।

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