Phobia in Hindi डर आखिर किसे नहीं लगता है। व्यक्ति के अंदर मौजूद डर जब अपनी चरम सीमा पर पहुच जाता है तब उसे मनोविज्ञान की भाषा में फोबिया कहा जाता है। कुछ लोगों को सांप से डर लगता है, कुछ लोगों को कुत्तों से डर लगता है तो कुछ लोगों को ऊंचाई और पानी से डर लगता है। डर हमारे जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन किसी विशेष चीज को लेकर फोबिया (डर) होना व्यक्ति को कहीं ना कहीं बहुत ज्यादा हानि पहुंचाता है। कई बार ऐसा होता है कि डर (फोबिया) से उबरना बहुत मुश्किल हो जाता है और व्यक्ति दोबारा उस चीज को कभी हाथ नहीं लगाता या फिर वह काम दोबारा नहीं कर पाता है। फोबिया कई तरह का होता हैं, भारत के इस तरह के मानसिक विकार से पीड़ित लोगों की संख्या करीबन 4.2% है।
यदि आप यह नहीं जानते हैं कि किन किन चीजों को लेकर फोबिया हो सकता है तो इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि फोबिया क्या है, फोबिया के प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज के बारे में।
1. फोबिया क्या है – Phobia Kya Hai In Hindi
2. फोबिया के कारण – Causes of phobia in Hindi
3. फोबिया के लक्षण – Symptoms of phobias n Hindi
4. फोबिया के प्रकार – Types of phobia in Hindi
5. फोबिया के लिए जोखिम – Phobia Risk Factors In Hindi
6. फोबिया का इलाज – Treatment of phobia in Hindi
फोबिया एक प्रकार का एनेक्जाइटी डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को किसी जगह, वस्तु, व्यक्ति या सिचुएशन से बहुत ज्यादा डर लगता है और वह उसका सामना करने की स्थिति में नहीं होता है। फोबिया अनचाहे तरीके से व्यक्ति को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। फोबिया किसी चीज से रोज लगने वाले डर से काफी अलग है क्योंकि यह किसी विशेष चीज को लेकर उत्पन्न होती है। दुनियाभर में इस समस्या से बहुत से लोग पीड़ित हैं और इसकी वजह से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
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वैसे तो फोबिया (डर) होने के पीछे कई कारण होते हैं लेकिन मुख्य रुप से यह आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों से होता है। वे बच्चे फोबिया से बहुत जल्दी ग्रसित होते हैं जिनके माता पिता या नजदीकी रिश्तेदार को फोबिया होती है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति नदी में डूब जाए तो उसे डूबता देखकर दूसरे व्यक्ति को जीवन भर के लिए फोबिया हो सकता है। स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित ज्यादातर लोग फोबिया की चपेट में आते हैं। इसके साथ ही मस्तिष्क में चोट लगने के कारण भी व्यक्ति को फोबिया हो जाती है। फोबिया आमतौर पर बचपन, किशोरावस्था और वयस्कता के दौरान होती है।
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डर या फोबिया के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को फोबिया होने पर पैनिक अटैक होता है। फोबिया के मुख्य लक्षण निम्न हैं।
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डर या फोबिया आमतौर कई प्रकार की होती है जो लिंग, सांस्कृतिक अनुभवों एवं उम्र पर आधारित होती है। कुछ लोग कुछ चीजों से डरते हैं जबकि अन्य लोग उसी चीज को पसंद करते हैं। फोबिया हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करती है। चिकित्सा और विज्ञान के अनुसार फोबिया के हजारों प्रकार हैं लेकिन यहां हम आपको कुछ मुख्य फोबिया के बारे में बताने जा रहे हैं जो हमारे जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।
यह एक ऐसी फोबिया है जिसमें व्यक्ति को बाहर की दुनिया, जगह या स्थिति से डर लगता है और वह लोगों के बीच आना नहीं चाहता है और अकेले रहना ज्यादा पसंद करता है। एगोराफोबिया से पीड़ित व्यक्ति भीड़ से बचना चाहता है और घर से बाहर नहीं निकलना चाहता है। इसके अलावा यह फोबिया होने पर व्यक्ति अपने घर में आए मेहमानों के भी सामने नहीं आता है। वैसे तो यह फोबिया किसी को भी हो सकता है लेकिन आमतौर पर बच्चे एगोराफोबिया से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
बादल गरजने और बिजली चमकने से डर लगने को एस्ट्राफोबिया कहते हैं। इस तरह के लोग मौसम खराब होने पर जल्दी बाहर नहीं निकलते क्योंकि उन्हें बादल गरजने और बिजली चमकने का डर लगा रहता है।
यह हाइट का डर है। इस फोबिया से पीड़ित लोग पहाड़ों, पुलों या इमारतों की ऊंची मंजिलों से बचते हैं। एक्रोफोबिया (हाइट से डर) के लक्षणों में चक्कर आना, पसीना आना और चक्कर आने जैसा महसूस करना शामिल है जैसे कि वे बाहर निकलेंगे या होश खो देंगे।
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सोशल फोबिया बहुत सामान्य प्रकार की फोबिया है और ज्यादातर लोगों में देखी जाती है। इस तरह की फोबिया होने पर समाजिक कार्यों में भाग लेने को लेकर ज्यादा चिंता होती है। इससे पीड़ित व्यक्ति किसी भी सामाजिक स्थिति से चिंतित हो जाता है। यह रोजमर्रा के जीवन में देखी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर व्यक्ति रेस्टोरेंट में अकेले नहीं जाता है और अगर किसी के साथ जाता है तो वह खुद ऑर्डर नहीं कर पाता, उसे फोन उठाकर जवाब देने में डर लगता है, किसी व्यक्ति से छिपता है और ऑफिस या कक्षा में कोई सवाल नहीं पूछता और लोगों से ज्यादा मतलब नहीं रखता है।
वैसे तो आजकल के युवा दाढ़ी रखना पसंद करते हैं लेकिन जिन युवाओं को दाढ़ी रखने में डर लगता है उस डर को पोगोनोफोबिया कहा जाता है। इस डर से पीड़ित व्यक्ति अपनी दाढ़ी नहीं बढ़ने देता और किसी वजह से दाढ़ी बढ़ भी गयी तो वह डर की वजह से शेविंग करने में देर नहीं लगाता है।
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कुत्तों से डर लगने को साइनोफोबिया कहते हैं। इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति रास्ते में कुत्ता देखकर डर जाता है और उसे लगता है कि कुत्ता उसे काट लेगा या कुत्ता उसी को देखकर भौंक रहा है। व्यक्ति बार बार पीछे मुड़कर कुत्ते को देखता है और जबतक रास्ते से गुजर नहीं जाता, उसके मन में कुत्ते का डर बना रहता है।
वैसे तो हर किसी को सांप से डर लगता है लेकिन जो लोग सांप का नाम सुनते ही डरने लगते हैं या सांप का नाम सुनने के बाद जिन्हें सपने में भी सांप दिखायी देने लगता है, उसे ओफिडियोफोबिया कहते हैं। इस डर से ग्रसित व्यक्ति के मस्तिष्क में सांप को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है और सांप का नाम लेने मात्र से ही वह डर जाता है।
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अंधेरे से या रात में डर लगने को निक्टोफोबिया कहते हैं। यह फोबिया बचपन में शुरू होती है और बड़े होने के बाद भी बनी रहती है। इस फोबिया से ग्रसित व्यक्ति को अंधेरे में हमेशा कोई न कोई डरावनी चीज दिखायी देने की आशंका मन में बनी रहती है जिसके कारण वह हमेशा अंधेरे से डरता है।
आज के समय में मोबाइल हर व्यक्ति के लिए सबसे प्रिय चीज है। मोबाइल के बिना जिंदगी अधूरी लगती है। मोबाइल का नेटवर्क चले जाने के डर को नोमोफोबिया कहते हैं। इस फोबिया से ग्रसित व्यक्ति के फोन का नेटवर्क अचानक चला जाता है वह बहुत ज्यादा परेशान और बेचैन रहता है। इसके अलावा वह उन जगहों पर भी नहीं जाना चाहता है जहां फोन का नेटवर्क गायब रहता है।
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नहाने से डर लगने को एब्लूटोफोबिया कहा जाता है। यह फोबिया आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है लेकिन इसके साथ ही वयस्कों एवं बुजुर्गों में भी यह फोबिया हो सकता है। इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति नहाने से बचता है। बच्चों को जबरदस्ती नहलाना पड़ता है और वयस्क नहाने से पहले बार बार सोचता है कि उसे नहाना चाहिए या नहीं। ठंड के मौसम में यह फोबिया ज्यादातर लोगों में देखी जाती है।
डेंटोफोबिया दंत चिकित्सक या दंत प्रक्रियाओं का डर है। यह फोबिया आमतौर पर दंत चिकित्सक के कार्यालय में एक अप्रिय अनुभव के बाद विकसित होता है। यह हानिकारक हो सकता है अगर यह आपको आवश्यक दंत चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने से रोकता है।
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खून से डर लगने को हीमोफोबिया कहते हैं। इस फोबिया से पीड़ित व्यक्ति खून देखकर डर जाता है और कई मामलों में बेहोश भी हो जाता है। इसके अलावा वह व्यक्ति अपना खून भी नहीं देख पाता है और यहां तक कि खून के दाग धब्बों से भी वह भयभीत हो जाता है।
इसे प्रदर्शन चिंता, या दर्शकों के सामने बोलने के डर के रूप में जाना जाता है। इस फोबिया से पीड़ित लोगों में गंभीर शारीरिक लक्षण होते हैं, जब वे लोगों के समूह के सामने होने के बारे में सोचते हैं। ग्लोसोफोबिया के उपचार में थेरेपी या दवा शामिल हो सकते हैं।
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इसे उड़ने के डर के रूप में भी जाना जाता है।
अरचनोफोबिया का मतलब है मकड़ियों का डर।
चिंता के लिए एक आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले लोग एक फोबिया के विकास के उच्च जोखिम में हो सकते हैं। आयु, सामाजिक आर्थिक स्थिति और लिंग केवल कुछ फ़ोबिया के लिए जोखिम कारक प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं में जानवरों के फोबिया होने की संभावना अधिक होती है। कम सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले बच्चों या लोगों में सामाजिक भय होने की संभावना अधिक होती है। दंत चिकित्सक और डॉक्टर फ़ोबिया वाले लोगों को अधिकांश पुरुष बनाते हैं।
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फोबिया कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि सिर्फ एक समस्या है जिसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। चूंकि यह मस्तिष्क से जुड़ी हुई है इसलिए फोबिया के इलाज के लिए कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी और दवाओं का सहारा लिया जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT): सीबीटी थेरेपी से डर को पहचानने की कोशिश की जाती है और व्यक्ति के नकारात्मक विचारों और और विश्वासों और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को दूर करने की कोशिश की जाती है। यह उपचार थोड़ा कठिन जरूर होता है लेकिन व्यक्ति के डर और चिंता को पूरी तरह से दूर कर देता है।
दवाएं: फोबिया के इलाज के लिए पीड़ित व्यक्ति को एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटी एनेक्जाइटी (Antidepressants and anti-anxiety medications) दवाएं दी जाती हैं जो व्यक्ति को शांत रखने में मदद करती है और डर के प्रति इमोशनल और फिजिकल रिएक्शन को दूर करती है। कुछ डॉक्टर दवाएं एवं थेरेपी एक साथ देते हैं जिससे व्यक्ति बहुत ही जल्द फोबिया से बाहर निकल आता है।
यदि आपको फोबिया है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप उपचार की तलाश करें। फोबिया पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं। सही उपचार के साथ, आप अपने डर को प्रबंधित करना सीख सकते हैं और अपने स्वस्थ्य जीवन को पूरा कर सकते हैं।
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