Home remedies for Hives in Hindi पित्ती एक प्रकार खुजली है, लेकिन आप पित्ती उछलने का घरेलू उपाय अपना कर इसका इलाज कर सकते हैं। पित्ती सामान्य रूप से एक प्रकार की त्वचा खुजली जो कभी-कभी दाने के रूप में होती है। जिसे पित्ती उछलना कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे आमतौर पर वील, वेल्ट्स या बिछुआ दाने के नाम से भी जाना जाता है। इनका चिकित्सीय शब्द पित्ती है। पित्ती के लक्षणों में असहनीय खुजली होती है जिसके दाने या चकते बड़े क्षेत्र में फैल सकते हैं। इस आर्टिकल में आप पित्ती उछलने के कारण और आयुर्वेदिक घरेलू उपचार के बारे में जानेंगे।
विषय सूची
1. पित्ती उछलना क्या है – Pitti Kya Hai in Hindi
2. पित्ती के प्रकार – Types Of Hives In Hindi
3. पित्ती उछलने के कारण – Pitti Ke Karan in Hindi
4. पित्ती के लक्षण क्या है – Hives Symptoms in Hindi
5. पित्ती उछलने का घरेलू उपचार – Hives Ke Gharelu Upchar in Hindi
एक प्रकार की त्वचा एलर्जी जिसमें खुजली के साथ लाल धब्बे, दाने और दाग हो जाते हैं जिससे शीत या पित्ती के नाम से जाना जाता है। त्वचा में ये लक्षण हिस्टामाइन जारी करने वाली कोशिकाओं का परिणाम हैं। यह एक ऐसा रसायन है जो रक्त वाहिकाओं को त्वचा की सबसे गहरी परतों में तरल पदार्थ को स्रावित करता है। स्पष्ट नहीं है कि कुछ लोगों को पित्ती क्यों होती है जबकि सामान्य रूप से सभी लोग इससे प्रभावित नहीं होते हैं। आइए जाने पित्ती के प्रकार और इनके होने के कारण क्या हो सकते हैं। जो आपकी त्वचा में एलर्जी या असुविधा उत्पन्न कर सकते हैं।
(और पढ़े – शीतपित्त यानि अर्टिकेरिया: कारण, लक्षण, जांच और बचाव…)
हम जानते हैं कि पित्ती हमारे लिए बहुत ही असुविधा और परेशानी का कारण हो सकती है। लेकिन इसकी प्रभाविता पित्ती के प्रकार पर भी निर्भर करती है। इसके साथ ही कुछ विशेष कारण होते हैं जिनसे पित्ती का वर्गीकरण किया जा सकता है। सामान्य रूप से पित्ती के प्रकार हैं :
तीव्र पित्ती (Acute urticaria) : इस प्रकार की पित्ती मानव शरीर को 6 या इससे कम सप्ताह तक प्रभावित करती है। आमतौर पर यह कुछ खाद्य पदार्थों या दवाओं की एलर्जी के कारण होती है। इसके अलावा संक्रमण या कीड़ों के काटने पर भी इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
पुरानी पित्ती और वाहिकाशोफ (Chronic urticaria) : इस प्रकार की पित्ती संबंधी समस्या में चकते 6 सप्ताह से अधिक समय तक त्वचा में बने रहते हैं। इस प्रकार की समस्या या एलर्जी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति जैसे थायरॉयड रोग, कैंसर या हेपेटाइटिस (hepatitis) आदि के कारण हो सकती है।
क्रोनिक पित्ती और एंजियोएडेमा (Chronic urticaria and angioedema) तीव्र पित्ती से अधिक गंभीर होते हैं। क्योंकि यह फेफड़े मांसपेशियों और जठरांत्र संबंधी मार्ग सहित शरीर के विभिन्न क्षेत्रों में फैल सकता है। एंजियोएडेमा होने आमतौर पर खुजली नहीं होती है लेकिन यह त्वचा की सूजन का कारण बन सकती है।
शारीरिक पित्ती (Physical urticaria) : इस प्रकार की पित्ती में त्वचा में जलन हो सकती है। इस प्रकार की समस्या होने का प्रमुख कारण अधिक गर्मी, ठंड, सूरज की सीधी और तेज धूप, अत्याधिक पसीना या व्यायाम के दौरान कपड़ों और त्वचा में घर्षण आदि हो सकते हैं।
(और पढ़े – हाथ और पैरों के तलवों में जलन से निजात पाने के लिए असरदार घरेलु उपाय…)
हम में से सभी लोग स्वास्थ्य समस्याएं होने पर उनका उपचार करते हैं। लेकिन हम उन समस्याओं के होने का कारण नहीं ढूंढते हैं। पित्ती की विशेष रूप से उस समय होती है जब हिस्टामाइन और अन्य रासायनिक संदेशवाहक घटकों का संपर्क त्वचा से होता है। इस दौरान चकते और अन्य लक्षण त्वचा में दिखाई देने लगते हैं। सामान्य व्यक्ति में पित्ती होने के कारण इस प्रकार हैं :
यदि कोई व्यक्ति पित्ती से ग्रसित है तो उसे इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसकी समस्या किन कारणों से और अधिक बढ़ सकती है। कुछ कारण हैं जो पित्ती के लक्षणों को और गंभीर बना सकते हैं।
शराब, कैफीन, तनाव, अधिक गर्म और गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आदि। सामान्य रूप से पित्ती लगभग 15 से 20 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है। पुरुषों की तुलना में बच्चों और महिलाओं में पित्ती होने की संभावना अधिक होती है।
(और पढ़े – सर्दी जुकाम और खांसी के घरेलू उपाय…)
सामान्य रूप से पित्ती अचानक ही बिना किसी वजह के ही आ सकती है। जिससे शरीर के कई अंगों में लाल चकते और दाने आदि दिखाई देने लगते हैं। इसके साथ ही तेज और असहनीय खुजली भी होती है। लेकिन साधारण पित्ती के लक्षण कुछ ही घंटों में खुद ही समाप्त हो जाते हैं। लेकिन यह क्रम कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक भी चल सकता है। समान्य रूप से पित्ती के लक्षण 6 सप्ताह से कम समय तक होते हैं। लेकिन यदि इसके लक्षण 6 सप्ताह से अधिक समय तक दिखाई देते हैं तो इन्हें पुरानी पित्ती (chronic) के नाम से जाना जाता है।
(और पढ़े – दाद खाज और खुजली के रामबाण इलाज…)
अधिकांश लोग सामान्य रूप से पित्ती के इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि घरेलू उपायों से पित्ती का प्रभावी उपचार किया जा सकता है। आप भी प्राकृतिक और घरेलू उपायो को अपना कर पित्ती का घरेलू उपचार कर सकते हैं। पित्ती के घरेलू उपाय इस प्रकार हैं।
यदि आप पित्ती के लक्षणों को कम करना चाहते हैं तो अदरक का उपयोग कर सकते हैं। अदरक एक प्राकृतिक रक्त शोधक का काम करता है। इस तरह से अदरक रक्त में मौजूद विषाक्तता और जीवाणुओं को दूर करने में मदद करता है। साथ ही इसका उपभोग करने से रक्त प्रवाह को भी बढ़ाता है। जिससे सफेद रक्त कोशिकाएं
खुजली के लक्षणों को कम करने में सहायक होती हैं। पित्ती का उपचार करने के लिए अदरक का उपयोग इस प्रकार किया जा सकता है :आपको चाहिए 1 चम्मच ताजा अदरक का रस और 2 चम्मच शहद। आप अदरक के रस और शहद को मिलाएं और इस मिश्रण का सेवन करें। प्रभावी राहत पाने के लिए आप इस मिश्रण को दिन में 3 से 4 बार सेवन कर सकते हैं।
(और पढ़े – अदरक के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान…)
अगर आप पित्ती का घरेलू उपाय करना चाहते हैं तो ग्रीन टी एक अच्छा विक्लप हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोल्स पित्ती के कारण त्वचा के चकते, सूजन और दानों को दूर करने में मदद करते हैं। ग्रीन टी में उचित मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीहिस्टामाइन (antihistamine) गुण होते हैं। जो इस समस्या का प्रभावी उपचार करते हैं।
पित्ती का इलाज करने के लिए आपको चाहिए 1 ग्रीन टी बैग, 1 चम्मच शहद, 1 कप गर्म पानी। ग्रीन टी बैग को गर्म पानी में कुछ देर के लिए डुबोएं और इस पानी में आधा चम्मच शहद मिलाएं। इस गर्म या गुनगुनी चाय का सेवन करें। इस तरह से दिन में 2 से 3 कप ग्रीन टी पीने से पित्ती के लक्षणों से छुटकारा मिल सकता है।
(और पढ़े – ग्रीन टी पीने के फायदे और नुकसान…)
आयुर्वेद में टी ट्री तेल का उपयोग कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। टी ट्री आयल का इस्तेमाल कर आप पित्ती का इलाज भी कर सकते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इन गुणों के कारण टी ट्री आइल सूजन को कम करने और संक्रमण को रोकने में सहायक होते हैं।
पित्ती का इलाज करने के लिए आपको चाहिए टी ट्री आइल की कुछ बूंदें, रूई और पट्टी। प्रभावित क्षेत्र में टी ट्री आइल की को लगाएं और रूई को रखकर पट्टी से बांध लें। यदि पित्ती का प्रभाव बड़े क्षेत्र में फैला है तो टी ट्री आइल की 15 से 20 को लें और 1 कप पानी में मिलाएं। इस पानी में किसी काटन के कपड़े को भिगोएं और प्रभावित क्षत्र में 2 से 3 मिनिट के लिए लगाएं। जल्दी राहत पाने के लिए आप इन प्रक्रियाओं को दिन में 3 से 4 बार दोहरा सकते हैं।
(और पढ़े – टी ट्री ऑयल के फायदे और नुकसान…)
औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) होता है। इस कारण हल्दी बहुत सी त्वचा समस्याओं को दूर करने और स्वास्थ्य लाभ दिलाने में मदद करती है। इसके अलावा हल्दी में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी, और एंटीहिस्टामाइन गुण होते हैं। इसलिए हल्दी पित्ती का प्रभावी और आयुर्वेदिक इलाज करने में हमारी मदद कर सकता है।
इसके लिए आपको 1 चम्मच हल्दी पाउडर और 1 गिलास पानी की आवश्यकता होती है। पानी में हल्दी को मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इसके अलावा आप हल्दी को पानी में मिलकार एक पेस्ट बना सकते हैं। इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। ऐसा करने पर आपको पित्ती के चकतों से छुटकारा मिल सकता है।
(और पढ़े – हल्दी के फायदे गुण लाभ और नुकसान…)
आप अपनी बहुत सी सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा में ग्लूकोमानन्स हीलिंग गुण होते हैं। इसके साथ ही यह त्वचा को मॉइस्चराइज रखने और त्वचा की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। पित्ती होने के दौरान एलोवेरा जेल का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए आप एलोवेरा के पत्ते से जेल निकालें और इसे प्रभावित जगह पर लगाएं। लगभग 30 से 35 मिनिट के बाद आप इसे ठंडे पानी से धो लें। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आप इसे नियमित रूप से दिन में दो बार उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़े – एलोवेरा के फायदे और नुकसान…)
क्षारीय गुण होने के कारण बेकिंग सोड़ा त्वचा समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। संक्रमित त्वचा में बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करने पर यह त्वचा की खुजली, जलन और चकते आदि का इलाज कर सकता है। इसके लिए आपको बेकिंग सोडा और पानी की आवश्यकता होती है। आप पानी के साथ बेकिंग सोडा को मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र मे लगाएं और सूखने दें। सूखने के बाद आप इसे ठंडे पानी से धो लें। आप इस विधि को दिन में 2 बार दोहराकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
(और पढ़े – बेकिंग सोडा से करें लिंग की जांच और जाने लड़का होगा या लड़की…)
प्राकृतिक नारियल तेल त्वचा को मॉइस्चराइज रखने में मदद करता है। इसके साथ ही पित्ती के दौरान उपयोग करने पर यह पित्ती के चकते, खुजली और सूजन आदि को भी कम कर सकता है। नारियल तेल में रोगाणूरोधी गुण होते हैं जो त्वचा को सभी प्रकार के संक्रमण और फंगल आक्रमण से बचाते हैं। आप पित्ती प्रभावित क्षेत्र में नारियल के तेल को लगाएं और कुछ घंटों के लिए उसे छोड़ दें। इस तरह से आप पित्ती से छुटकारा पाने के लिए नारियल तेल को दिन में 2 बार उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़े – नारियल तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान…)
आप पित्ती के लक्षणों को कम करने के लिए ठंडी सिकाई की मदद ले सकते हैं। प्रभावित क्षेत्र में आप ठंडे और गीले कपड़े को रखें। यह आपको खुजली से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा आप बर्फ के तुकड़ों का भी उपयोग कर सकते हैं। इस तरह से ठंडी सिकाई करने पर यह त्वचा की सूजन को भी कम कर सकता है।
(और पढ़े – चेहरे पर बर्फ लगाने के फायदे…)
आप पित्ती से होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए स्नान का सहारा ले सकते हैं। आप अपने नहाने के पानी में ओटमील और बेकिंग सोडा को मिलाएं और इस पानी से नहाएं। यह पित्ती के लक्षणों को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद कर सकता है।
(और पढ़े – सर्दियों में ठंडे पानी से नहाने के फायदे और नुकसान…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…