Pneumonia In Hindi निमोनिया (फुफ्फुसशोथ या फुफ्फुस प्रदाह) एक संक्रामक बीमारी है, जो व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह समस्या सभी उम्र के लोगों में हल्के से लेकर गंभीर लक्षणों का कारण बन सकती है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में यह संक्रमण सर्वाधिक मौत का कारण बनता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैल सकती है। अतः निमोनिया से बचाव के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना अति आवश्यक होता है। निमोनिया से सम्बंधित लक्षण प्रगट होने पर प्रत्येक व्यक्ति को जल्द से जल्द उपचार प्राप्त करने के लिए डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
आज आप इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि निमोनिया क्या है, इसके लक्षण, कारण और निदान क्या हैं तथा इसके उपचार और रोकथाम के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
- निमोनिया क्या है – What is Pneumonia in hindi
- निमोनिया के लक्षण – Pneumonia Symptoms in hindi
- निमोनिया के प्रकार – Pneumonia Types in hindi
- निमोनिया के अन्य प्रकार – Other Types Of Pneumonia
- निमोनिया का कारण – Pneumonia Causes in hindi
- निमोनिया के जोखिम कारक – Pneumonia Risk in hindi
- निमोनिया की जटिलताएं – Pneumonia Complications in hindi
- निमोनिया की जांच और निदान – Pneumonia Diagnosis in hindi
- निमोनिया का इलाज और उपचार – Pneumonia Treatment in hindi
- निमोनिया से बचाव – Pneumonia Prevention in hindi
- निमोनिया का टीका – Pneumonia vaccine in Hindi
- निमोनिया का घरेलू उपचार – Pneumonia Home treatment in hindi
- निमोनिया डाइट – Pneumonia Diet in hindi
- निमोनिया में परहेज – Pneumonia Avoid in hindi
निमोनिया क्या है – What is Pneumonia in Hindi
न्यूमोनिया या निमोनिया (pneumonia) एक फेफड़ों का संक्रमण है, जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु कोष (air sacs) को प्रभावित करता है, तथा सूजन का कारण बनता है। निमोनिया एक गंभीर और जानलेवा बीमारी हो सकती है। यह बीमारी आमतौर पर एक बैक्टीरिया, वायरस या फंगल संक्रमण के कारण उत्पन्न हो सकती है। बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia) वयस्कों में होने वाला एक सामान्य प्रकार है।
निमोनिया की स्थिति में वायु कोष (air sacs) तरल पदार्थ या मवाद (purulent material) से भर जाते है, जिससे बलग़म युक्त खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में कठिनाई आदि समस्या उत्पन्न होती हैं। निमोनिया सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह वृद्ध वयस्कों, शिशुओं, अन्य बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों तथा कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए अधिक खतरनाक होता है। निमोनिया एक सामान्य स्थिति से लेकर अधिक गंभीर स्थिति तक जानलेवा हो सकता है। अतः इसका इलाज समय पर किया जाना आवश्यक होता है।
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निमोनिया के लक्षण – Pneumonia Symptoms in Hindi
न्यूमोनिया (pneumonia) के संकेत और लक्षण बहुत सामान्य से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकते हैं, अतः निमोनिया के लक्षण मुख्य रूप से रोगाणु के प्रकार और व्यक्ति की आयु, समग्र स्वास्थ्य कारकों आदि पर निर्भर करते हैं। इसके शुरूआती संकेत और लक्षण अक्सर सर्दी या फ्लू के समान होते हैं, जो कि लंबे समय तक बने रहते हैं।
निमोनिया के संकेतों और लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है :
- खांसी आना
- कफ या बलगम आना
- बुखार
- सांस लेने में तकलीफ
- ठंड से कंपकपी
- गहरी सांस लेते समय या खांसते समय सीने में दर्द
- दिल धड़कन तेज चलना
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- जी मिचलाना और उल्टी होना
- दस्त लगना
- पसीना आना
- सरदर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- भ्रम उत्पन्न होना या बेहोशी में बोलना, (विशेष रूप से पुराने वयस्कों में)
- शरीर में खराब ऑक्सीजन युक्त रक्त के कारण त्वचा का रंग सांवला या बैंगनी हो जाना या सियानोसिस (cyanosis) रोग होना
इसके अत्तिरिक्त नवजात शिशुओं (Newborns) और छोटे बच्चों में निमोनिया के कोई विशेष लक्षण या संकेत नहीं देखे जा सकते हैं।
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फिर भी निमोनिया से ग्रस्त शिशु में निम्न लक्षणों को देखा जा सकता है:
- बुखार
- खांसी
- बेचैन दिखाई देने
- थके हुए तथा बिना उर्जा के दिखाई देना
- कभी-कभी उल्टी होना
- सांस लेने और पीने या खाने में कठिनाई होना, इत्यादिs।
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निमोनिया के प्रकार – Pneumonia Types in hindi
संक्रमण का कारण बनने वाले रोगाणु के प्रकारों के आधार पर निमोनिया (pneumonia) को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia) – बैक्टीरियल निमोनिया का सबसे आम कारण स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (Streptococcus pneumoniae) है। इस प्रकार का निमोनिया ज्यादातर सर्दी या फ्लू होने के बाद होता है। क्लैमाइडोफिला निमोनिया (Chlamydophila pneumoniae) और लेगियोनेला न्यूमोफिला (Legionella pneumophila) भी बैक्टीरियल निमोनिया का कारण बन सकते हैं।
वायरल निमोनिया (Viral pneumonia) – खासकर छोटे बच्चों और वृद्ध व्यक्तियों में वायरस (Respiratory viruses) अक्सर निमोनिया का कारण होते हैं। यह फ्लू जैसे अन्य वायरस के कारण उत्पन्न होता है। आमतौर वायरल निमोनिया अधिक गंभीर नहीं होता है और बैक्टीरिया निमोनिया की तुलना में कम समय तक रहता है।
माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumonia) – कुछ माइकोप्लाज्मा जीव भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं। माइकोप्लाज्मा निमोनिया आमतौर पर बड़े बच्चों और युवा वयस्कों में हल्के लक्षणों का कारण बनता है। इसे आमतौर पर वॉकिंग निमोनिया (Walking Pneumonia) के नाम से भी जाना जाता है।
फंगल निमोनिया (Fungal pneumonia) – पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं वाले या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को फंगल निमोनिया बहुत अधिक प्रभावित करता है। मिट्टी या पक्षियों की बीट (bird droppings) में उपस्थित कवक, उन व्यक्तियों में निमोनिया का कारण बन सकते हैं, जो बड़ी मात्रा में साँस के माध्यम से इन रोगाणुओं को ग्रहण करते हैं। यह आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है।
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निमोनिया के अन्य प्रकार – Other Types Of Pneumonia
अस्पताल-अधिग्रहित निमोनिया (HAP) (Hospital-acquired pneumonia) – इस प्रकार के बैक्टीरियल निमोनिया (bacterial pneumonia) को अस्पताल में रहने के दौरान कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। यह निमोनिया अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक गंभीर हो सकता है, क्योंकि इस निमोनिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के लिए अधिक प्रतिरोधक हो जाते हैं।
एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration pneumonia) – इस प्रकार का निमोनिया तब होता है जब बैक्टीरिया को भोजन, पेय के माध्यम से फेफड़ों में जाते हैं। यह निमोनिया उन व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता हैं जिन्हें निगलने की समस्या होती है, जो बहुत अधिक मात्रा में शराब या कुछ प्रकार की अवैध दवाओं या नशीले पदार्थों का करते हैं।
निमोनिया का कारण – Pneumonia Causes in Hindi
कई प्रकार के रोगाणु निमोनिया (pneumonia) का कारण बन सकते हैं, लेकिन बैक्टीरिया और वायरस निमोनिया के मुख्य कारण हैं। निमोनिया पैदा करने वाले ये रोगाणु फेफड़ों में उपस्थित छोटे वायु-कोष अर्थात एल्वियोली (alveoli) में ठहर सकते हैं और व्यक्ति द्वारा साँस लेने के बाद गुणा कर संक्रमण में वृद्धि कर सकते हैं। निमोनिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और वायरस आमतौर पर खांसने और छींकने से एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को पारित किए जा सकते हैं, तथा स्पर्श करने या वस्तुओं का साझा करने से फैल सकते हैं।
अतः संक्रमण की स्थिति का सामना करने के लिए व्यक्ति का शरीर सफेद रक्त कोशिकाओं को भेजता है। जिसके कारण है कि वायु कोष में सूजन आ जाती है। कभी-कभी ये रोगाणु प्रतिरक्षा प्रणाली पर हावी हो सकते हैं, जिससे उस व्यक्ति को निमोनिया हो जाता है।
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निमोनिया के जोखिम कारक – Pneumonia Risk in Hindi
निम्न स्थितियों में निमोनिया (pneumonia) का खतरा अधिक होता है:
- जन्म से लेकर 2 वर्ष तक की आयु के बच्चों और 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को निमोनिया का अधिक खतरा होता है
- स्ट्रोक की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को
- स्टेरॉयड या कुछ अन्य कैंसर दवाओं के उपयोग करने वाले व्यक्तियों को
- धूम्रपान और अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करने वाले व्यक्तियों को
- अस्थमा (asthma), सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis), मधुमेह (diabetes) या दिल की विफलता (heart failure) जैसी कुछ चिकित्सकीय स्थितियों से सम्बंधित व्यक्तियों को, इत्यादि।
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निमोनिया की जटिलताएं – Pneumonia Complications in Hindi
न्यूमोनिया या निमोनिया (pneumonia), विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या मधुमेह जैसी क्रोनिक बीमारियों से सम्बंधित व्यक्तियों में विभिन्न जटिलताओं का कारण बन सकता है। अतः निमोनिया के अंतर्गत निम्न जटिलताओं को शामिल किया जा सकता है :
- जीवाणुरक्तता (Bacteremia) – निमोनिया संक्रमण के परिणामस्वरूप बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में फैल सकता है। इस स्थिति में गंभीर रूप से निम्न रक्तचाप, सेप्टिक शॉक (Septic shock) और कुछ मामलों में, अंग की विफलता आदि जटिलताएं देखी जा सकती हैं।
- फेफड़े में फोड़े-फुंसी (Lung abscesses)
- सांस लेते समय आपको पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने में परेशानी की समस्या
- फुफ्फुस बहाव (Pleural effusion)
- मौत (Death) इत्यादि।
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निमोनिया की जांच और निदान – Pneumonia Diagnosis in Hindi
डॉक्टर निमोनिया (pneumonia) का निदान करने के लिए मरीज से लक्षणों से सम्बंधित प्रश्न पूंछ सकता है तथा चिकित्सकीय इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त निमोनिया का उचित निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न परीक्षणों का आदेश दिया जा सकता है:
छाती का एक्स-रे (chest X-ray) – आमतौर पर, निमोनिया का निदान, शारीरिक परीक्षण और छाती एक्स-रे की मदद से किया जा सकता है। यह परीक्षण संक्रमण की सीमा और स्थान को निर्धारित करने में मदद करता है। लेकिन इस परीक्षण के माध्यम से निमोनिया के कारणों का पता नही लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त लक्षणों की गंभीरता और जटिलताओं के आधार पर, डॉक्टर एक या अधिक परीक्षणों का आदेश भी दे सकता है।
रक्त परीक्षण (blood test) – रक्त परीक्षण की मदद से मरीज में संक्रमण की पुष्टि की जा सकती है, तथा रोगाणु के प्रकार की पहचान करने में भी मदद कर सकता है। लेकिन यह परीक्षण संक्रमण के कारणों की सटीक पहचान करने में हमेशा सक्षम नहीं होता है।
बलगम परीक्षण (sputum test) – इस परीक्षण की मदद से संक्रमण के कारण की पहचान आसानी से की जा सकती है। इस परीक्षण में मरीज के बलगम या खांसी के कफ का नमूना लेकर प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाता है।
पल्स ऑक्सीमेट्री (Pulse oximetry) – रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को मापने के लिए पल्स ऑक्सीमेट्री की मदद ली जाती है। चूंकि निमोनिया, फेफड़ों द्वारा रक्तप्रवाह में पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने से रोक सकता है। अतः इस परीक्षण में एक ऑक्सीजन सेंसर डिवाइस को मरीज की अंगुली पर रखा जाता है इस डिवाइस में लगे संकेत की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज के फेफड़े रक्तप्रवाह में पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचा रहे हैं या नहीं।
मूत्र परीक्षण (urine test) – मूत्र परीक्षण की मदद से बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया (Streptococcus pneumoniae) और लेगियोनेला न्यूमोफिला (Legionella pneumophila) की पहचान की जा सकती है।
सीटी स्कैन (CT scan) – यह परीक्षण मरीज के फेफड़ों की एक स्पष्ट और विस्तृत तस्वीर प्रदान करता है। इस परीक्षण की मदद से फेफड़ों में तरल के जमाव तथा संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
ब्रोंकोस्कोपी (bronchoscopy) – यह परीक्षण फेफड़ों में वायुमार्ग का परीक्षण करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ब्रोंकोस्कोपी में एक पतली, लचीली ट्यूब (ब्रोंकोस्कोप) का उपयोग किया जाता है, जिसके सिरे पर एक कैमरा लगा होता है जिसे धीरे-धीरे गले के माध्यम से फेफड़ों का परीक्षण करने के लिए अंदर डाला जाता है। यदि मरीज के शुरुआती लक्षण अधिक गंभीर हैं, तथा उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है और मरीज का शरीर एंटीबायोटिक दवाओं पर कोई अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो डॉक्टर इस स्थिति में ब्रोंकोस्कोपी परीक्षण की सिफ़ारिश कर सकता है।
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निमोनिया का इलाज और उपचार – Pneumonia Treatment in Hindi
डॉक्टर द्वारा अपनाई जाने वाली उपचार प्रक्रिया निमोनिया (pneumonia) के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती है।
बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से घर पर किया जा सकता है, और अधिकांश निमोनिया से प्रभावित व्यक्ति एक से तीन दिनों के अंदर एंटीबायोटिक दवाओं के पक्ष प्रभावी परिणाम प्रगत करते हैं।
वायरल निमोनिया का इलाज आमतौर पर पर्याप्त आराम और बहुत सारे तरल पदार्थों के सेवन के साथ किया जाता है। एंटीवायरल दवाओं का उपयोग वायरल निमोनिया और इन्फ्लूएंजा की स्थिति में किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त फंगल निमोनिया का इलाज आमतौर पर एंटिफंगल दवाओं के साथ किया जाता है। डॉक्टर आमतौर दर्द, बुखार और अन्य निमोनिया से संबन्धित लक्षणों को कम करने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाओं की सिफ़ारिश कर सकता है।
निमोनिया (pneumonia) के लक्षण अधिक खराब होने पर अर्थात कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या अन्य गंभीर बीमारियां होने पर डॉक्टर द्वारा मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की सिफ़ारिश की जा सकती है। अस्पताल में, रोगियों का आमतौर पर इन्ट्रावेनस एंटीबायोटिक (intravenous antibiotics) दवाओं और तरल पदार्थ के साथ इलाज किया जाता है। कभी कभी उन्हें पूरक ऑक्सीजन आपूर्ति (supplemental oxygen supply) या वेंटिलेटर की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
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निमोनिया से बचाव – Pneumonia Prevention in Hindi
प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निमोनिया (pneumonia) की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं, जैसे:
- अच्छी स्वच्छता को बनाएँ रखें। इस हेतु हाथों को नियमित रूप से साफ करें या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
- टीकाकरण सुनिश्चित करवाएं
- धूम्रपान न करें
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने हेतु उचित तरीके अपनाएं
- पर्याप्त नींद लें,
- खाँसते और छींकते समय मुँह को कवर करें
- नियमित व्यायाम करें
- स्वस्थ आहार का सेवन करें, इत्यादि।
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निमोनिया का टीका – Pneumonia vaccine in Hindi
निमोनिया (pneumonia) की रोकथाम का सबसे प्रभावी माध्यम टीकाकरण है। कुछ प्रकार के निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए टीके उपलब्ध किए गए हैं। इन टीकों को प्राप्त करने के लिए डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।, निमोनिया अक्सर फ्लू की जटिलता के कारण उत्पन्न हो सकता है अतः निमोनिया के साथ-साथ फ्लू शॉट भी अवश्य प्राप्त करें।
2 वर्ष से कम उम्र और 2 से 5 वर्ष की आयु के उन बच्चों के लिए के लिए डॉक्टर द्वारा एक अलग प्रकार के निमोनिया के टीके की सलाह दी जाती है जिन्हें न्यूमोकोकल बीमारी (pneumococcal disease) का जोखिम होता है। डॉक्टर 6 महीने से बड़े बच्चों के लिए फ्लू शॉट्स (flu shots) की भी सलाह दे सकता है।
मुख्य रूप से दो प्रकार के निमोनिया के टीके उपलब्ध हैं, न्यूमोवैक्स 23 (Pneumovax 23) और Prevnar 13। न्यूमोकोकल संक्रमण के जोखिम वाले बच्चों, वृद्धि और वयस्कों के लिए न्यूमोवैक्स 23 की सिफारिश की जाती है।
निमोनिया का घरेलू उपचार – Pneumonia Home treatment in Hindi
निमोनिया (pneumonia) के जोखिमों को कम करने तथा इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति द्वारा कुछ घरेलू उपचार अपनाए जाने चाहिए। निमोनिया से जल्द छुटकारा पाने के लिए निम्न उपाय हैं:
- डॉक्टर द्वारा सिफ़ारिश की गई दवाओं को उचित समय पर प्राप्त करें। साथ ही निर्धारित की गई सभी दवाइयों का पूरा कोर्स लें।
- अधिक से अधिक आराम करें ।
- अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें। तरल पदार्थ के अत्यधिक सेवन से फेफड़ों में बलगम को कम करने में मदद मिलती है।
- उचित आहार (Proper diet) का सेवन करें।
(और पढ़े – निमोनिया के लिए घरेलू उपाय…)
निमोनिया डाइट – Pneumonia Diet in Hindi
निमोनिया आहार के रूप में उन घरेलू उत्पादों को शामिल किया जाता है जिनमें बैक्टीरिया, वायरस या कवक से लड़ने में शरीर की मदद करने के लिए कुछ आवश्यक यौगिक पाए जाते हैं। अतः निमोनिया की स्थिति में निम्न आहार का सेवन फायदेमंद होता है, जैसे:
- लहसुन
- कच्चा शहद
- लाल मिर्च
- टी ट्री आयल (Tea Tree Oil)
- अदरक या हल्दी वाली चाय
- पुदीना और मेथी की चाय
- पर्याप्त प्रोटीन युक्त आहार
(और पढ़े – शाकाहारियों के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ…)
निमोनिया में परहेज – Pneumonia Avoid in Hindi
निमोनिया (Pneumonia) की स्थिति में उन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए जो एलर्जी का करना बनते हैं इसके साथ ही निमोनिया की स्थिति में मरीज को निम्न खाद्य पदर्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए:
- चीनी और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ
- शीतल पेय और संसाधित खाद्य पदार्थों से परहेज
- सभी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (processed foods), जिनमें कृत्रिम तत्व मौजूद होते हैं।
- अत्यधिक मीठे फलों से परहेज
- दूध और डेयरी उत्पादों से परहेज, क्योंकि डेयरी उत्पाद शरीर में बलगम का उत्पादन करने में बहुत योगदान देते हैं।
- कॉफी और अन्य कैफीनयुक्त उत्पाद, इत्यादि।
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