Pranayama Yoga in Hindi प्राणायाम योग हमारे शरीर को आंतरिक रूप से ठीक करता है। प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। प्राणायाम एक पूरा श्वास व्यायाम है जो योग का हिस्सा है। इसमें हमारी सांस महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्राणायाम कैंसर, रक्तचाप, तनाव, चिंता, पेट की बीमारियों, अवसाद, मधुमेह और हृदय की समस्याओं को ठीक करता है। सांस लेने के योग विज्ञान को प्राणायाम कहा जाता है। ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए सबसे आवश्यक पोषक तत्व है। यह मस्तिष्क, नसों, ग्रंथियों और आंतरिक अंगों की एकता के लिए आवश्यक है। हम पानी के बिना 1-2 दिन तक रह सकते हैं, लेकिन ऑक्सीजन के बिना हम कुछ ही मिनटों में ही मर जाएंगे। आइये जानते है प्राणायाम करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों को विस्तार से।
विषय सूची
1. प्राणायाम क्या है – What is Pranayama in Hindi
2. प्राणायाम के प्रकार – Types of pranayama in Hindi
3. प्राणायाम करने के तरीके – Pranayama yoga steps in Hindi
4. प्राणायाम करने के फायदे – Pranayama Benefits In Hindi
प्राणायाम योग का एक अभिन्न अंग है। जो नियंत्रित श्वास योग प्रदर्शन करने और ध्यान के लिए मन को शांत करने दोनों को सक्षम बनाता है। प्राणायाम सांस के प्रति एक जागरूकता है। प्राणायाम वह कड़ी है जो आपके शारीरिक योग प्रथाओं (आसनों) को आपकी मानसिक योग प्रथाओं (ध्यान) से जोड़ती है। यह आपको आंतरिक शांति का अनुभव कराने के लिए कुछ चरणों का सेट है इसके माध्यम से अपने सक्रिय मन का मार्गदर्शन किया जा सकता हैं। प्राणायाम एक संस्कृत भाषा का के शब्द है जो दो शब्दों से मिलके बना है इसमें पहला शब्द “प्राण” जिसका अर्थ “साँस” (जीवन शक्ति) है और दूसरा शब्द “आयाम” जिसका अर्थ “नियंत्रण”( विस्तार) है। यदि आप नियमित रूप से प्राणायाम करते हैं तो यह हमारे शरीर को आंतरिक रूप से ठीक करता है। आइये प्राणायाम के प्रकार और इसके लाभ को विस्तार से जानते हैं।
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नीचे प्राणायाम के कुछ प्रकार और उनको करने का तरीका दिया जा रहा है जिससे आप इनको आसानी से कर सकते है-
“भस्त्रिका प्राणायाम” एक संस्कृत शब्द है जिसमे “भस्त्रिका” शब्द का अर्थ “धौंकनी”(bellows) हैं। भस्त्रिका प्राणायाम एक बहुत ही अच्छा श्वास अभ्यास हैं यह शरीर को स्वस्थ और दिमाग को खुश रखता हैं। ह्रदय और मस्तिष्क के रोगियों को एक चमत्कारी परिमाण प्राप्त करने लिए इस आसन को करना लाभदायक होता हैं। यह साँस लेने वाली एक तकनीक हैं जो शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए जानी जाती हैं। भस्त्रिका योग श्वास अभ्यास में एक शक्तिशाली और ऊर्जावान प्राणायाम है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा के पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी आँखों को बंद कर लें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। कुछ देर ध्यान की मुद्रा में बैठे और तर्जनी को अंगूठे से मिलाएं। अब एक गहरी साँस अन्दर लें और फिर बलपूर्वक उसके बाहर निकालें। फिर से बलपूर्वक अन्दर की ओर साँस लें और फिर से बलपूर्वक उसे बाहर निकले। इस भस्त्रिका प्राणायाम को कम से कम 21 बार करें।
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बाह्य प्राणायाम एक संस्कृत का शब्द है जिसमे बाह्य शब्द का अर्थ “बाहर” है। इस प्राणायाम में अभ्यास के समय साँस को बाहर रखा जाता है इसलिए इसे बाह्य प्राणायाम कहा जाता है। यह प्राणायाम कपालभाति प्राणायाम के बाद किया जाना चाहिए। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब एक गहरी साँस अन्दर की ओर लें और ठुड्डी को छाती से लगाने की कोशिश करें। अपने पेट को अन्दर की ओर करें जिससे आपका पेट पीठ को छूता हुआ महसूस हो। इसमें आपको अपने जननांग को ऊपर उठाना हैं। इस मुद्रा में आप 10 से 15 सेकंड के लिए रुकने का प्रयास करें। इसके बाद इस मुद्रा को छोड़े ओर लम्बी साँस लें। इस प्राणायाम को आप प्रतिदिन 2-5 मिनिट के लिए करें।
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रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए उत्कृष्ट साँस लेने बहुत ही आवश्यक हैं इसके लिए अनुलोम विलोम के एक बहुत ही अच्छा प्राणायाम हैं। यह प्राणायाम दिल की रुकावटों (heart blockages) को दूर करता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को भी स्वाभाविक रूप से दूर करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं। अब अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठायें और अंगूठे से दाहिने नाके नथुने को बंद करके बाएं नथुने से लम्बी साँस लें अब अपने दाहिने हाथ की अनामिका से बाएं नथुने को बंद करके दाहिने नथुने से साँस को बाहर छोड़े। इस स्थिति में आपका बायां हाथ घुटने पर रहेगा।
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वजन को कम करने के लिए कपालभाति एक बहुत ही अच्छा आसन हैं। कपालभाती प्राणायाम पेट की बीमारी, मोटापा, पाचन विकार और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और ध्यान की मुद्रा में बैठे। साँस अन्दर को ओर ले अब साँस को बाहर छोड़ते हुए पेट को अन्दर की ओर इस प्रकार खींचे की पेट और पीठ आपस में मिल जाएं। फिर साँस को अन्दर ले ओर पेट को ढीला करें। यह क्रिया फिर से दोहराहएं। कपालभाति प्राणायाम को पांच मिनट तक लगातार दोहराएं।
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उदगीथ प्राणायाम को करने के लिए ॐ का जाप करना पड़ता हैं इसलिए इस आसन को “ओमकारी जप” के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ “ओम का जप” है। यह प्राणायाम साँस लेने का एक सरल व्यायाम है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब एक गहरी और लम्बी साँस ले और साँस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए ॐ का उच्चारण करें। उदगीथ प्राणायाम करते समय अपने ध्यान को अपनी साँस पर रखना हैं। इस आसन को आप 5 से 10 मिनिट तक करें।
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भ्रामरी प्राणायाम एक संस्कृत का शब्द हैं जिसमे “भ्रामरी” का अर्थ “मधुमक्खी” हैं। भ्रामरी प्राणायाम एक उत्कृष्ट श्वास व्यायाम है। यह मुद्रा आपके दिमाग को शांत करने में सबसे अच्छा साँस लेने का व्यायाम है। इस प्राणायाम में हम गुनगुनाते हुए साँस छोड़ते हैं। यह मधुमक्खियों की विशिष्ट गुनगुनाने की आवाज़ जैसा सुनाई देता है। इस आसन को करने के लिए आप किसी शांत जगह पर एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठे से कान को बंद कर लें। अपनी दोनों तर्जनी उंगली को माथे पर रखें और शेष उँगलियों से अपनी आँखों को बंद करें। अब के गहरी साँस ले और साँस को बाहर छोड़ते हुए मधुमक्खी की आवाज़ निकालें। इस प्राणायाम को आप 2-3 मिनिट के लिए करें।
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प्रणव प्राणायाम अंतिम सातवां प्राणायाम है। सभी छह प्राणायामों का अभ्यास करने के बाद कुछ समय के लिए अपने मन को प्रणव प्राणायाम पर केंद्रित करें। यह बहुत ही सरल साँस लेने का व्यायाम है। जिसे आप एक प्रकार का ध्यान कह सकते हैं। इस आसन को करने के लिए आप पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में चुपचाप बैठ जाएं। अब आप सामान्य रूप से साँस लें और अपने दिमाग को साँस अन्दर जाने और बाहर आने पर केन्द्रित करें। प्रणव प्राणायाम का अभ्यास करते समय कल्पना करें कि भगवान हर कण में हर जगह हैं। इस आसन को आप अपनी क्षमता अनुसार 5 मिनिट से 1 एक घंटे तक भी कर सकते हैं।
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