Stitches And Their Care After Vaginal Delivery In Hindi सामान्य प्रसव के बाद टांके लगना बहुत आम बात है। हम इस लेख में प्राकृतिक प्रसव के बाद टांकों की देखभाल से जुड़ी जानकारी देने वाले है। आमतौर पर पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को टांके लगाने की जरूरत पड़ती है। प्रसूति विशेषज्ञ बताते हैं कि सामान्य प्रसव के दौरान योनि की दीवारें फैलकर चौड़ी हो जाती हैं जिसके कारण महिला को संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। किसी भी संभावित संक्रमण को रोकने के लिए डिलीवरी के बाद टांके लगाने की आवश्यकता होती है। इन टांकों के कारण महिला को शुरुआत में दर्द का अनुभव होता है लेकिन जब वे ठीक होने लगते हैं तो उनमें खुजली शुरू हो जाती है। इस समय प्रसव के बाद टांकों की अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। उचित देखभाल न मिलने के कारण बाद में महिला को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
आइये जानते हैं प्रसव के बाद टांकों की जरुरत क्यों पड़ती है? प्रसव के बाद टांके कैसे लगाए जाते हैं, टांके कितने दिन में सूखते हैं, प्रसव (डिलीवरी) के बाद टांके की देखभाल कैसे की जाती है।
विषय सूची
आमतौर पर जिस कमरे में महिला का प्रसव कराया जाता है, उसे टांके भी वहीं लगाये जाते हैं। मिडवाइफ महिला को लोकल एनेस्थिशिया देती है और ऊत्तकों पर एक लंबा टांका लगाकर सिलाई करती है। अधिकांश प्रसूति वार्डों में जिस टाकें का उपयोग किया जाता है, उसे निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है और वह अंदर ही अंदर घुलकर सूख जाता है। यदि प्रसव के दौरान ऊत्तक अधिक फट गए हों तो आपरेशन थियेटर में ले जाकर महिला को टांका लगाया जाता है। इस दौरान उसे एनेस्थिशिया देकर कटे हुए क्षेत्र की सिलाई की जाती है।
(और पढ़े – जानिए सामान्य प्रसव के बाद योनि में होने वाले बदलाव के बारे मे…)
प्रसव के समय शिशु बर्थ कैनाल (birth canal) या योनि (vagina) के माध्यम से बाहर निकलता है। इस दौरान बच्चे के शरीर के आकार के अनुसार इस क्षेत्र में काफी तनाव होता है और यह फैल जाता है। जब गुदा (anus) और योनि के बीच का क्षेत्र, जिसे पेरिनियम (perineum) कहते हैं फैलकर बड़ा हो जाता है तो इस दौरान अधिक फैलने के कारण यह फट या कट जाता है। कभी कभी यह फटा हुआ क्षेत्र अपने आप ठीक हो जाता है जबकि कभी कभी मांसपेशियों और उत्तकों के फटने के कारण यह बहुत गंभीर हो जाता है जिसके कारण ब्लीडिंग और दर्द का अनुभव होता है। यही कारण है कि प्रसव के बाद टांके लगाने की जरूरत पड़ती है।
कुछ मामलों में जब बर्थ कैनाल से बच्चा ठीक तरह से बाहर नहीं निकल पाता है तो पेरिनियम को फैलाने के लिए एक चीरा लगाया जाता है जिसे एपिसियोटॉमी कहा जाता है। यह चीरा लगाने से पेरिनियम बड़ा हो जाता है और बच्चा बाहर आ जाता है। इससे प्रसव के दौरान कुछ उत्तक फट जाते हैं और इस स्थिति में भी महिला को टांके लगाये जाते हैं।
(और पढ़े – जानें प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) के लक्षण…)
आमतौर पर सामान्य प्रसव के दौरान लगाए गए टांकों को सूखने या ठीक होने में बहुत कम समय लगता है। नॉर्मल डिलीवरी हुई हो तो प्रसव के बाद ठीक होने में 2 से 3 हफ्ते का समय लग सकता है। इसके अलावा टांका जितना बड़ा होगा, उसे ठीक होने में भी उतना ही अधिक समय लगता है। हालांकि प्रसव के बाद टांके में दर्द एक सप्ताह के बाद काफी कम हो जाता है। जबकि महिला को एक या दो महीनों तक थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर यह भी देखा गया है कि प्रसव के बाद कुछ महिलाओं को काफी गहराई से टांके लगाए जाते हैं जिन्हें ठीक होने में 6 से 8 सप्ताह का समय लग जाता है।
इसके अलावा एक महीने तक दर्द हो सकता है। जब टांके सूखने लगते हैं तो वहां खुलजी होने लगती है इसलिए कम से कम छह हफ्तों तक डॉक्टर से चेकअप कराते रहना चाहिए।
(और पढ़े – इन घरेलू तरीकों को अपनाने से होगी नॉर्मल डिलीवरी…)
सामान्य प्रसव अर्थात योनि के माध्यम से प्रसव (vaginal birth) के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते समय महिला को टांके की देखभाल करने के लिए कुछ सलाह दी जाती है। आमतौर पर डॉक्टर महिला को कुछ दिनों तक भारी सामान न उठाने और भारी काम न करने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे आपके टांके टूट सकते हैं। इसके अलावा टांके को साफ रखने और मल या पेशाब के दौरान टांकों पर अधिक दबाव न डालने और जांघों को अधिक फैलाकर न बैठने की सलाह दी जाती है। टांकें सूखने और पूरी तरह से ठीक होने के लिए आपको चलते फिरते रहना भी बहुत जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही पर्याप्त आराम भी करना चाहिए। आइये जानते हैं प्रसव के बाद टांके की उचित देखभाल किस तरह से करें।
(और पढ़े – टांके के निशान हटाने के घरेलू उपाय…)
प्रसव के बाद महिला को अपने टांके को साफ रखना महत्वपूर्ण है। इससे संक्रमण होने की संभावना कम हो जाएगी। अपने सैनिटरी पैड्स को बार-बार बदलें और अपने पैड बदलने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
(और पढ़े – योनि के साथ कभी नहीं करना चाहिए ये 7 चीजें…)
जब भी आप शौचालय या पेशाब करने जाएं, तो एक मग में गुनगुना पानी लेकर जाएं और इसमें डॉक्टर द्वारा बताया गया एंटीसेप्टिक मिला लें। टॉयलेट सीट पर बैठने के दौरान इसे धीरे-धीरे अपने टांके के ऊपर डालें।
एक टब में हल्का गर्म पानी भरकर इसमें एंटीसेप्टिक मिला लें और दिन में एक या दो बार इस पानी से भरे टब में बैठें। गर्म पानी शरीर को शांत रखेगा और सूजन दूर करने में मदद करेगा। जबकि एंटीसेप्टिक कीटाणुओं और संक्रमण को दूर रखने में मदद करेगा। याद रखें कि जितनी जल्दी आपके टांकें सूखेंगे आपके ठीक होने की संभावना उतनी ही बढ़ेगी।
प्रसव के बाद टांकें की देखभाल करने के लिए बेहतर यह है कि आप रोजाना नहाएं या शॉवर लें। अगर संभव हो तो गर्म पानी का शॉवर लें इससे सूजन कम होगी और दर्द नहीं होगा।
(और पढ़े – गर्म पानी से नहाने के फायदे और नुकसान…)
प्रसव के बाद जितनी जल्दी संभव हो सके पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करना शुरू कर दें और नियमित रूप से करें। यह एक्सरसाइज पेल्विक क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है और टांकें जल्दी सूखते हैं। व्यायाम रोजाना पूरे दिन भर में कम से कम चार बार करें।
प्रसव के बाद कुछ दिनों तक मल करते समय आपको टांकों की विशेष देखभाल करने की जरूरत पड़ती है। इस दौरान टॉयलेट पेपर को मोड़कर पेरिनियम के पास लगा लें जिससे टांकें सुरक्षित रहेंगे और आपको ऐसा महसूस नहीं होगा कि टांकें टूटने वाले हैं। यदि आपको कब्ज की समस्या महसूस हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर लैक्जेटिव या रेचक का प्रयोग करें।
अगर टांकें के आसपास दर्द या रहा हो या बदबू या रही हो तो यह संक्रमण हो सकता है। इसलिए शीघ्र ही अपने डॉक्टर को दिखाएं और दर्द से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह से दर्दनिवारक दवाओं का सेवन किया जा सकता है। टांकों पर कुछ लैवेंडर का तेल लगाने से दर्द से राहत मिल सकती है क्योंकि लैवेंडर के तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
(और पढ़े – जांघों के बीच फंगल संक्रमण के लिए घरेलू उपचार…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…