कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या का अनुमान भारत में कुछ चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के बीच चिंताओं को सुदृढ़ करता है कि 1.4 अरब लोगों का देश आने वाले हफ्तों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। यदि नए कोरोना वायरस SARS-COV-2 को भारत में और फैलने से नहीं रोका जाता है, तो यह कल्पना करना मुश्किल है कि स्थिति कितनी भयावह हो सकती है। हालांकि, एक नए शोध के आधार पर, यह अनुमान लगाया गया है कि अगर भारत में कोरोना वायरस अनियंत्रित रूप से फैलता है, तो इससे बीमार होने वाले लोगों की संख्या लाखों में हो सकती है। यह आश्चर्यजनक आंकड़ा शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
समूह का नाम ‘कोव-इंड -19 स्टडी ग्रुप’ है, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं। 22 मार्च को प्रकाशित समूह द्वारा लिखे गए एक लेख में कहा गया है कि भारत ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए सही समय पर सावधानी और समझदारी दिखाई है। समूह का मानना है कि भारत ने इस मामले में कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर काम किया है, लेकिन, इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू याद नहीं रखा गया है।
कोव-इंड -19 स्टडी ग्रुप (COV-IND-19 Study Group) के अनुसार, भारत में कोरोना वायरस से वास्तव में कितने लोग प्रभावित हुए हैं यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। उनके अनुसार, रोगियों की सही संख्या कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे कि कितने लोगों का परीक्षण किया जा रहा है, परीक्षण के परिणाम कितने सही हैं और कितने लोगों की जांच की गई है जो SARS-COV-2 से संक्रमित हैं, लेकिन उनमे कोविद -19 रोग के लक्षण अभी तक दिखायी नहीं दिए हैं। यह कहते हुए, समूह ने 18 मार्च तक कुल 11,500 कोरोना मेडिकल परीक्षाओं को ‘काफी कम’ बताया। वहीं, भारत की खराब स्वास्थ्य प्रणाली का जिक्र करते हुए विशेषज्ञों ने कहा है कि कोविड -19 के बहुत घातक परिणाम यहां देखे जा सकते हैं। उनके अनुसार, अमेरिका और इटली जैसे देशों में, यह देखा गया है कि कैसे वायरस धीरे-धीरे फैलता है और फिर अचानक एक ‘धमाके’ के रूप में सामने आता है।
विशेषज्ञों ने कुछ अनुमानित आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने लिखा, “हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि कोविड -19 के भारत में अधिक तेज़ी से फैलने से पहले, हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए कड़े मानक अपनाने चाहिए ताकि समय पर कदम उठाए जा सकें।” समूह ने कहा है कि उसने स्वास्थ्य के अलावा आर्थिक और सामाजिक स्तर पर जाकर भारत में कोरोना वायरस के प्रभावों का अनुमान लगाया है।
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22 मार्च को प्रकाशित एक लेख में, 16 मार्च तक पाए जाने वाले दैनिक आंकड़ों के आधार पर भारत में कोरोना मामलों में आने वाले हफ्तों में तेजी से वृद्धि होगी। लेख के अनुसार, 31 मार्च तक कुल मामलों की संख्या 379 हो जाएगी। हालांकि, 31 मार्च से पहले ही भारत में रोगियों की संख्या बढ़कर 600 से अधिक हो गई है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, 15 अप्रैल तक देश में कोरोना वायरस के 4,836 मरीज हो सकते हैं। वहीं, 15 मई तक यह संख्या 58,643 हो सकती है। यह अनुमानित आंकड़ा इस बात पर आधारित है कि प्रारंभिक चरण में देश में कोरोना के कितने मामले मौजूद थे, वे कितने बढ़े और किस पैमाने पर देश में कोरोना वायरस का परीक्षण किया गया। लेकिन अगर देश कोरोना वायरस के तीसरे चरण यानी सामुदायिक प्रसारण तक पहुंचता है, तो यह संख्या एक एकल अंतराल में क्रमशः 2,507, 28,925 और नौ लाख 15,000 तक हो सकती है।
कोव-इंड -19 अध्ययन समूह के विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि यात्रा से संबंधित प्रतिबंध और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे तरीके भारत में कोरोना वायरस को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए वे कुछ आंकड़ों का सहारा लेते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के अस्पताल में बिस्तर क्षमता प्रति एक लाख लोगों पर केवल 70 है। यहां यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बड़ी संख्या में बेड पहले से ही भरे हुए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में जिस तेजी के साथ कोरोना के मरीजों के बढ़ने की उम्मीद है, उस हिसाब से सभी को बेड उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा। गंभीर मामलों में, समस्या और भी अधिक हो सकती है। समूह के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देश जारी करना चाहिए (जो सरकार ने किया है)।
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शायद ऩही! विशेषज्ञों ने शायद इस सवाल का जवाब ‘नहीं’ दिया है। उनका कहना है कि उन्हें नए कोरोना वायरस से जुड़े ऐसे सबूत नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि भारत के लोगों को यह सोचना सही है कि SARS-COV-2 गर्मियों में खत्म हो जाएगा। वे कहते हैं कि वे इस मामले में कोई अनुमान नहीं लगा सकते हैं, इसलिए मौसम को बदलने के बारे में न सोचकर इसे रोकने के सभी आवश्यक कदमों के बारे में नहीं सोचा जाना चाहिए।
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कॉव-इंड -19 स्टडी ग्रुप का कहना है कि सरकार, वैज्ञानिक समुदाय, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग और भारत के सभी नागरिकों को कोरोना संकट से लड़ने के लिए एक मजबूत भागीदारी तैयार करनी होगी। इसके बाद समूह ने कुछ सुझाव दिए जो इस प्रकार हैं,
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कोरोना वायरस की जांच का दायरा तेजी से बढ़ना चाहिए, क्योंकि बिना लक्षणों के रोगियों द्वारा और लोगों को संक्रमित करना संभव हो सकता है, इसलिए सभी रोगियों का शीघ्र पता लगाना आवश्यक है। सरकार को इसके लिए निजी क्षेत्र की भी मदद लेनी चाहिए। गौरतलब है कि सरकार द्वारा भी इस तरह के कदम उठाए गए हैं।
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