Pregnancy diet and its benefits in Hindi गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार की लिस्ट काफी बड़ी है और उनके फायदे भी अलग-अलग है आज हम आपको गर्भावस्था में खाये जाने वाले मुख्य आहार और उनके फायदे के बारे में बता रहें हैं। महिलाओं के जीवन में गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला को एक नहीं बल्कि दो जीवों के देखभाल की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है। इस दौरान महिला जो कुछ भी आहार लेती है उसका सीधा असर उसके बच्चे की सेहत पर पड़ता है इसलिए कहा जाता है कि महिलाओं को प्रेगनेंसी में विशेष तरह के भोजन जैसे फल और सब्जियां खानी चाहिए। प्रेगनेंसी में मां द्वारा लिये जाने वाले आहार से ही यह निर्धारित होता है कि बच्चा स्वस्थ पैदा होगा या कमजोर, मां की डिलीवरी आसान होगी या कठिन, बच्चे के मस्तिष्क का विकास बेहतर होगा या नहीं इत्यादि। इसलिए यह जरूरी है कि मां खाने में सभी तरह के पोषक तत्व ले। इस लेख में हम यह बताने जा रहे हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान मां को क्या खाना चाहिए और इनके फायदे क्या हैं।
विषय सूची
गर्भवती महिलाओं को किस प्रकार का भोजन करना चाहिए जिससे उनका होने वाला बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा हो, आइये इसे विस्तार से जानते है।
विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था में अनार के दानों की बजाय अनार के जूस का सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी पाया जाता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा फाइबर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाले कब्ज से राहत देता है। अनार का सेवन करने से महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था में खून की कमी नहीं होती है और बच्चे के शरीर का सही तरह से विकास होता है।
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गर्भावस्था के दौरान केला खाना गर्भवती महिला की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। केले में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर (dietary fibre) ओमेगा 3 फैटी एसिड, ओमेगा 6 फैटी एसिड, विटामिन बी कॉम्पलेक्स और कई तरह के जरूरी खनिज पाये जाते हैं जो मां की कोख में भ्रूण के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। प्रेगनेंसी में केला खाने के कई फायदे हैं। केला खाने से महिला को गर्भावस्था में उल्टी कम होती है, शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है, बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए उसे केले से फोलेट (Folate) प्राप्त होता है, दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण महिला के हाथ, पैर और जोड़ों में सूजन नहीं होती है। इसके अलावा यदि गर्भावस्था में मां केला खाये तो बच्चे का तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है।
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स्टडी में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान कम मात्रा में करेला खाना फायदेमंद तो होता है लेकिन यदि इसे अधिक मात्रा में खाया जाए तो मां के गर्भाशय प्रणाली में समस्या पैदा हो सकती है। करेले में फोलेट पाया जाता है शिशु के न्यूरोलॉजिकल विकास में सहायता करता है। इसमें पाये जाने वाला फाइबर मां के पाचन को ठीक रखता है। इसलिए प्रेगनेंट महिला को सावधानीपूर्वक और कम मात्रा में करेला खाना चाहिए।
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गर्भावस्था में हरी इलायची खाना कुछ मायनों में काफी फायदेमंद होता है। चूंकि प्रेगनेंट महिला को हमेशा उल्टी या मितली महसूस होती है इसलिए इस दौरान छोटी इलायची खाने से मन ठीक रहता है और जी नहीं मिचलाता है। यदि महिला के शरीर में खून की कमी है तो प्रेगनेंसी के दौरान भोजन में इलायची खाना लाभकारी होता है। यह शरीर में रक्त का थक्का नहीं बनने देता है और इलायची का सेवन गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि यह ध्यान रखना चाहिए कि इलायची का सेवन गर्भावस्था में बहुत कम मात्रा में करना चाहिए अन्यथा यह शरीर के खून को पतला कर देता है। जब मितली महसूस न हो तो अनावश्यक रूप से इलाचयी नहीं खाना चाहिए।
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गर्भावस्था में इमली खाने से जी मिचलाने और उल्टी की समस्या एवं मॉर्निंग सिकनेस नहीं होती है। कुछ मायनों में प्रेगनेंसी में इमली खाना फायदेमंद माना जाता है। जैसे कि गर्भवती महिला का पाचन बेहतर होता है, इमली में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाने के कारण गर्भवती महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज नहीं होती है। लेकिन चूंकि इमली में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए अधिक इमली खाने से महिला के शरीर में पहले ही महीने में प्रोजेस्टेरोन की कमी हो सकती है जिसके कारण उसे गर्भपात हो सकता है।
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प्रेगनेंसी के दौरान कम मात्रा में सौंफ का सेवन करना गर्भवती महिला के लिए फायदेमंद होता है। यह सुगंधित और स्वाद में हल्का मीठा होता है जिसके कारण गर्भवती महिला को उल्टी और मितली में राहत मिलती है। इसके अलावा मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) और पाचन तंत्र की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में भी सौंफ लाभकारी होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक भारीपन महसूस होता है और अपच की समस्या लगातार बनी रहती है। ऐसे में सौंफ का सेवन करने से भोजन आसानी से पच जाता है और प्रेगनेंट महिला को अधिक उल्टी नहीं होती है। गर्भवती महिला चाहे तो कम मात्रा में सौंफ चबा भी सकती है लेकिन चाय के रूप में इसका इस्तेमाल करना ज्यादा फायदेमंद होता है।
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प्रेगनेंसी के हर स्टेज में अमरूद खाना सुरक्षित माना जाता है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी गर्भावस्था के दौरान महिला की इम्यूनिटी को बेहतर बनाता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। गर्भावस्था में अमरूद खाने से गर्भपात और समय से पहले डिलीवरी का भी खतरा कम होता है। इसके अलावा अमरूद में पाया जाने वाला फोलिक एसिड बच्चे के तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होता है।
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गर्भावस्था के दौरान नारियल को ठोस रूप में, कच्चा, नारियल का पानी, नारियल तेल और पका हुआ नारियल आदि रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रेगनेंसी में नारियल को पूरे नौ महीने तक खाया जा सकता है क्योंकि यह पूरी तरह सुरक्षित होता है। नारियल में जरूरी पोषक तत्व पाये जाते हैं जो बच्चे को मां की कोख में स्वस्थ बनाये रखने में मदद करते हैं। नारियल में पाया जाने वाला लौरिक एसिड (Lauric acid) मां के स्तन में दूध बनाने में सहायक होता है और इसमें मौजूद फैटी एसिड शिशु के शरीर के विकास में मदद करता है। नारियल खाने से प्रेगनेंट महिला को मॉर्निंग सिकनेस, पेट में खुजली और मूत्र में संक्रमण नहीं होता है। इसके अलावा ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है और शरीर में खून की कमी नहीं होती है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान चिकन खाना सुरक्षित होता है। लेकिन गर्भवती महिला को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे गर्म चिकन (अच्छे से पका हुआ) ही खाना चाहिए। ठंडे या कच्चे चिकन में बैक्टीरिया पनप जाते हैं जिसके कारण गर्भवती महिला और उसके बच्चे की सेहत के लिए यह काफी नुकसानदेय हो सकता है। चिकन में पर्याप्त प्रोटीन पाया जाता है और करीब 100 ग्राम लीन चिकन रोज खाने से गर्भवती महिला एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है।
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गर्भवती महिला के लिए दही एक स्वस्थ स्नैक्स माना जाता है। यह कैल्शियम और प्रोटीन से युक्त होता है और पाश्चुराइज्ड दूध से बनाया जाता है इसलिए प्रेगनेंसी में दही खाना फायदेमंद होता है। यदि प्रेगनेंट महिला गर्भावस्था में दही का सेवन करती है तो उसके शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती, उसे कम उलझन महसूस होती है, डिप्रेशन नहीं होता,शरीर को ठंडक मिलती है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। दही खाने से मां की सेहत ठीक रहती है जिससे बच्चा भी हेल्दी रहता है।
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प्रेगनेंसी में खजूर का सेवन मां और बच्चे दोनों के लिए सिर्फ सुरक्षित ही नहीं होता है बल्कि फायदेमंद भी होता है। खजूर में फ्रक्टोज पाया जाता है जो मां के शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है। खजूर में रेचक (laxatives) पाया जाता है जो गर्भाशय के संकुचन में सहायता करता है और गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द (labour pain) को कम करने में मदद करता है। खजूर में आयरन पाया जाता है जो मां के शरीर में खून की कमी नहीं होने देता है और बच्चे के शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
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काजू में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन और विटामिन पाया जाता है जो गर्भाशय में भ्रूण के विकास में सहायक होता है। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भावस्था में काजू खाना महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है। काजू में पाये जाने वाला जिंक भ्रूण की कोशिकाओं को तेजी से विकसित करता है और मां के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है जिसके कारण गर्भवती मां को थकान और एनीमिया नहीं होती है। इसके अलावा काजू खाने से महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) की समस्या नहीं होती है।
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सामान्य महिला की तरह गर्भवती महिला भी गर्भावस्था के दौरान रसगुल्ला खा सकती है। रसगुल्ले में किसी तरह का रसायन नहीं होता है इसलिए प्रेगनेंसी में इसे खाना सुरक्षित माना जाता है। लेकिन बाजार का रसगुल्ला खाने से परहेज करना चाहिए। चूंकि रसगुल्ला स्वाद में मीठा होता है और प्रेगनेंसी में ऐसी चीजें खाने का मन भी ज्यादा होता है। इसलिए महिला के मूड को ठीक रखने में रसगुल्ला फायदेमंद होता है। इसका दूसरा फायदा यह होता है कि गर्भवास्था में रसगुल्ला खाने से गर्भवती महिला को जल्दी डायबिटीज या जेस्टेशनल डायबिटीज की भी समस्या नहीं होती है।
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