गर्भावस्था का पांचवा हफ्ता हर मां बनने वाली महिला के लिए बेहद खास होता है। यही वो हफ्ता होता है जब यह कन्फर्म हो जाता है कि महिला प्रेगनेंट है। सिर्फ इतना ही नहीं शरीर में भी मां बनने के लक्षण दिखने लगते हैं। पांचवें हफ्ते में पेट नहीं निकलता लेकिन महिला को शरीर में भारीपन महसूस होता है जिससे मां बनने की एक अलग ही तरह की खुशी होती है। प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में ही ज्यादातर महिलाएं अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार को खुशखबरी देती हैं। पीरियड मिस होने के बाद प्रेगनेंसी कन्फर्म हो जाने पर महिला वह हर आहार लेना शुरू कर देती है जो एक हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए जरुरी होता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते (Pregnancy Fifth week in Hindi) के बारे में बताएंगे।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में प्रेगनेंसी की पहली तिमाही (First trimester) में हैं यानी कि आप अपनी प्रेगनेंसी का पहला महीना (Pregnancy First month) पूरा करके दूसरे महीने में पहुंच चुकी हैं। अभी आपकी प्रेगनेंसी के 35 हफ्ते यानी लगभग 245 दिन बचे हैं। प्रेगनेंसी के 40 हफ्ते यानी कुल 9 महीने पूरे करने के बाद आप अपने बच्चे को जन्म देंगी।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में भ्रूण (Fetus) गर्भाशय (Uterus) में पूरी तरह प्रत्यारोपित हो चुका होता है और अब ओवरी (Ovary) में नए अंडे बनने बंद हो जाते हैं। यह वो समय होता है जब महिला का पीरियड (Period) रुक जाता है और शरीर में एचसीजी और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। सिर्फ इतना ही नहीं ज्यादातर महिलाओं के गर्भधारण की पुष्टि प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में ही होती है। चूंकि गर्भावस्था का पांचवा हफ्ता बेहद अहम होता है और भ्रूण अपनी विभिन्न परतों से शिशु के अंगों का निर्माण शुरु कर देता है इसलिए महिलाओं को अपने शरीर में अजीब तरह की बेचैनी और बदलाव देखने को मिलता है।
हालांकि प्रेगनेंसी के हर हफ्ते कुछ लक्षण (symptoms of pregnancy) बदलते रहते हैं और धीरे-धीरे प्रेगनेंट महिला की बॉडी को इन लक्षणों की आदत होने लगती है। इस तरह प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते से भ्रूण का क्रमिक विकास शुरु हो जाता है।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं और एक साथ कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। दरअसल, 5 वीक प्रेगनेंसी के दौरान एचसीजी (human chorionic gonadotropin-HCG) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन पीक पर होते हैं जिसके कारण शरीर में गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में निम्न लक्षण दिखायी देते हैं:
प्रेगनेंसी का पांचवा हफ्ता शुरु होते ही गर्भवती महिला की किडनी पेट और यूटेरस फैल जाता है जिसके कारण ब्लैडर पर दबाव भड़ने लगता है। इससे प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब का अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान पेशाब को रोकना नहीं चाहिए अन्यथा ब्लैडर इंफेक्शन (Bladder infection) हो सकता है।
(और पढ़े – महिलाओं को बार बार पेशाब आने के कारण, लक्षण, जांच, इलाज और उपाय…)
पांचवे सप्ताह के गर्भावस्था में पेट में बेचैनी के कारण मुंह में अधिक लार बनता है। प्रेगनेंसी के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो किसी न किसी रुप में नजर आते हैं। मुंह में अधिक मात्रा में लार बनने का कारण प्रेगनेंसी हार्मोन ही है। इसे कंट्रोल करने के लिए च्यूइंगम चबाना चाहिए।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते के लक्षण में प्रेगनेंसी हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण तेज थकान महसूस होती है और अधिक नींद आती है। इसके अलावा बच्चे को खून की सप्लाई करने के लिए बॉडी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिससे थकान महसूस होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक महिला को थकान होती है।
(और पढ़े – महिलाओं की कमजोरी के कारण, लक्षण और दूर करने के उपाय…)
पांचवें सप्ताह के गर्भावस्था में प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं और निपल का रंग गहरा हो जाता है। इस दौरान ब्रेस्ट में दर्द भी होता है और सूजन (tender breast) भी नजर आती है।
हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते के लक्षण में सिरदर्द होता है और पूरे दिन मूड स्विंग रहता है। हालांकि कुछ महिलाओं को सिर दर्द जैसे लक्षण प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते बाद नजर आते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली और उल्टी को मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) कहा जाता है। गर्भधारण के बाद ये लक्षण नजर आने लगते हैं। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पूरे 9 महीनों तक मॉर्निंग सिकनेस होती है।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण…)
पांच सप्ताह की गर्भवती महिला के शरीर में ऐंठन और सूजन (cramping And swelling) जैसे लक्षण नजर आते हैं। 5 वीक की प्रेगनेंसी में एग इंप्लांट होने के कारण गर्भाशय में खिंचाव आ जाता है। ऐसी स्थिति में छिंकने, खांसने और उठने बैठने की पोजिशन बदलने से ऐंठन और बढ़ जाती है। पांचवे हफ्ते की प्रेगनेंसी में सामान्य ऐंठन तो ठीक है लेकिन यदि ऐंठन या क्रैम्पिंग गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
(और पढ़े – गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) में होने वाली समस्याएं और उनके उपाय…)
गर्भावस्था के पांचवे हफ्ते में हल्की ब्लीडिंग होती है जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। जब पीरियड रुक जाता है और भ्रूण गर्भाशय से अटैच होता है तो इस दौरान कुछ महिलाओं को स्पॉटिंग या इंप्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation bleeding) होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक इस तरह की स्पॉटिंग होती रहती है।
प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में बच्चे की साइज (Baby size in fifth week of pregnancy) सेब के बीज या शीशम सीड या टैडपोल की तरह होती है। पांचवें सप्ताह के गर्भावस्था में बच्चा सिर से लेकर नितंब तक 0.118 इंच यानी 3 मिमी का होता है। इस दौरान बच्चे का आकार छोटा जरुर होता है लेकिन वह तेजी से बढ़ता है और छठें हफ्ते में उसकी साइज दोगुनी हो जाती है। यह प्रेगनेंसी का सबसे एक्साइटिंग टाइम माना जाता है।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में पेट नहीं बढ़ता है बल्कि पहले की तरह सामान्य ही दिखायी देता है। 5 वीक की प्रेगनेंसी में आपके गर्भ में पल रहे शिशु का आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण पेट में कोई बदलाव नजर नहीं आता है। हां यह जरुर होता है कि प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण पेट में सूजन हो जाती है जिससे पेट फुला हुआ (Stomach bloating) नजर आता है। हालांकि यह देखने में प्रेगनेंसी के लक्षण जैसा नहीं लगता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन…)
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में बच्चे के विकास की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन पांचवें हफ्ते में भ्रूण का विकास बहुत तेजी से होता है। इसे एम्ब्रियोनिक पीरियड (Embryonic period) या भ्रूणीय काल कहा जाता है क्योंकि इस समय बच्चे के शरीर की संरचनाएं बनने लगती हैं। दरअसल, गर्भ में पल रहे भ्रूण एक्टोडर्म, मेसोडर्म और इंडोडर्म इन तीन परतों वाला होता है जिससे विभिन्न अंग डेवलप होते हैं।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में भ्रूण के ये सभी अंग महज आकार लेते हैं और प्रेगनेंसी के 9 महीनों तक इन अंगों का विकास होता है।
(और पढ़े – गर्भ में शिशु का विकास महीने दर महीने…)
प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड (Ultrasound in the fifth week of pregnancy) कराने की जल्दी नहीं करनी चाहिए क्योंकि पांचवें हफ्ते में भ्रूण टैडपोल की तरह दिखायी देता है और शिशु के पेट, हृदय, लिवर, किडनी जैसे अन्य अंग बनने शुरु होते हैं। जिससे अल्ट्रासाउंड इमेज क्लियर नहीं हो पाती है और कई बार अल्ट्रासाउंड में कुछ भी नजर नहीं आता है। यदि आपको प्रेगनेंसी संबंधी समस्याएं न रही हों तो प्रेगनेंसी के 8वें या 9वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए या गायनेकोलॉजिस्ट जब सुझाव दें तब ही अल्ट्रासाउंड कराएं।
(और पढ़े – गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए…)
किसी भी महिला के शरीर में एचसीजी हार्मोन ही उसकी प्रेगनेंसी को कन्फर्म करता है। ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के चौथे हफ्ते में ही प्रेगनेंसी टेस्ट (Pregnancy test) करके अपने मां बनने की पुष्टि कर लेती हैं जबकि कुछ महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था के चौथे हफ्ते में एससीजी हार्मोन का स्तर बहुत कम होता है जिससे उन्हें अपनी प्रेगनेंसी नहीं पता चल पाती है। इसलिए महिला को प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में अपनी प्रेगनेंटी जरुर डिटेक्ट कर लेनी चाहिए। गर्भावस्था के पांचवें सप्ताह में एचसीजी हार्मोन (Hcg hormone) का लेवल बढ़ जाता है जिससे प्रेगनेंसी की पुष्टि करना आसान हो जाता है। हालांकि एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic pregnancy) या गर्भधारण संबंधी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में हमेशा की तरह सामान्य रुप से सेक्स किया जा सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी हार्मोन का स्तर बढ़ने के सेक्स ड्राइव भी बढ़ जाती है लेकिन मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness) सहित प्रेगनेंसी के अन्य लक्षण महिलाओं को परेशान करते हैं जिससे वे सेक्स करने में सहज नहीं हो पाती हैं। आपकी डॉक्टर जब तक मना न करें, तब तक आप सेक्स कर सकतीं हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना, सही या गलत…)
यदि आपको लगता है कि आप जुड़वां बच्चों (Twins) की मां बनने वाली हैं तो प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में आप ट्विन प्रेगनेंसी को डिटेक्स करा सकती हैं। हालांकि गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में भ्रूण का आकार बहुत छोटा होता है और आमतौर पर दोनों शिशु एक ही थैली (sac) में होते हैं और उनकी हार्ट बीट (Heart beat) भी स्पष्ट नहीं होती है इसलिए पांचवे हफ्ते में जुड़वां बच्चों का पता लगाने में कठिनाई होती है। लेकिन प्रेगनेंसी के छठें हफ्ते में दोनों शिशु अलग अलग थैली में आ जाते हैं और उनकी हार्टबीट आसानी से सुनी जा सकती है। इसलिए प्रेगनेंसी के 5वें हफ्ते की बजाय छठें हफ्ते में ट्विन प्रेगनेंसी डिटेक्ट करानी चाहिए।
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में कुछ महिलाओं को गर्भपात (miscarriage) भी हो सकता है। पांचवे हफ्ते में यदि नॉर्मल पीरियड से अधिक ब्लीडिंग होती है तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी ऊतक गर्भाशय अस्तर (Uterine lining) से बहकर थक्के के रुप में बाहर निकल आते हैं और भ्रूण क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसका विकास रुक जाता है। इस दौरान महिला के शरीर में पीरियड की तरह ही दर्द (Pain like period) और मूड स्विंग जैसे लक्षण नजर आते हैं और पेट का दर्द बढ़ता, घटता रहता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर (Gynaecologist) से संपर्क करें।
(और पढ़े – गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी…)
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते से अपने आहार (5 week pregnancy Diet in Hindi) में पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए और दिन में कई बार सलाद, ओट्स, सूप, शोरबा और पत्तेदार सब्जियों (Leafy vegetables) का सेवन करना चाहिए।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार और उनके फायदे…)
गर्भावस्था के दौरान क्या खाना जरुरी है के साथ ही प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में क्या नहीं खाना चाहिए, जैसी बातों का ध्यान रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है।
(और पढ़े – गर्भावस्था के पहले महीने में क्या खाएं और क्या नहीं?)
प्रेगनेंसी का पांचवा हफ्ता (Pregnancy Fifth week in Hindi) हर मां बनने वाली महिला के लिए बेहद खास होता है। इस लेख में आपने जाना गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था का पांचवा हफ्ता क्यों खास होता है। यह हफ्ता माँ और उसके बच्चे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हफ्ता होता है क्योंकि इस दौरान भ्रूण विकास बहुत ही तेज़ी से होने लगता है। इस लेख में आपने जाना पांच सप्ताह की गर्भावस्था में भ्रूण विकास, गर्भावस्था के पांचवे सप्ताह में शारीरिक परिवर्तन, गर्भावस्था के पांचवे हफ्ते में क्या करें, प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए और आपकी पांचवे सप्ताह की गर्भावस्था के लिए सुझाव के बारे में। आपना ध्यान रखें और खुश रहें।
आपको ये भी जानना चाहिये –
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…