First Trimester Of Pregnancy In Hindi गर्भावस्था की पहली तिमाही में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं यह गर्भवती महिला के बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि गर्भावस्था की पहली तिमाही किसी भी महिला के लिए बहुत ही अहम समय होता है जब उसे विशेष सावधानियों की आवश्यकता होती है। क्योंकि इस दौरान लिया जाने वाला आहार न केवल महिला स्वास्थ्य बल्कि भ्रूण के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के तीसरे माह यानि 9 से 12 सप्ताह का समय महिला के लिए मुश्किल समय हो सकता है। क्योंकि इस दौरान उसे सुबह की बीमारी, थकान और मनोदशा में भारी वृद्धि आदि हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था के पहली तिमाही में महिला को तनाव मुक्त रहना आवश्यक है।
आज इस आर्टिकल में आप गर्भावस्था के पहली तिमाही में महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसकी जानकारी प्राप्त करेगें। क्योंकि ये आहार ही उनके और उनके बच्चे के स्वास्थ्य में अच्छे और बुरे दोनो प्रभाव डालते हैं।
विषय सूची
2. पहली तिमाही में न खाए जाने वाले आहार – Pehli Timahi Me Na Khaye Jane Bale Aahar in Hindi
3. प्रथम तिमाही के लिए आहार टिप्स – 3rd Month Pregnancy Diet Tips in Hindi
गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाएं पौष्टिक आहार का उपयोग कर अपने भ्रूण के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकती हैं। यदि आप अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए चिंतित हैं तो यहां कुछ स्वस्थ आहारों की सूची दी जा रही है। जिनका नियमित उपभोग गर्भावस्था की पहली तिमाही में करना आपके लिए अच्छा हो सकता है।
जो महिलाएं गर्भावस्था पहली तिमाही में हैं उन्हें विटामिन बी6 से युक्त आहारों का उचित सेवन करना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार के आहार का नियमित सेवन उन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं। जिनमें सुबह की बीमारी प्रमुख है क्योंकि यह गर्भावस्था के 9 वें सप्ताह में चरम पर हो सकती है। इसके अलावा विटामिन बी6 युक्त खाद्य पदार्थ मतली और उल्टी जैसी समस्याओं को भी नियंत्रित कर सकता है। विटामिन बी6 युक्त खाद्य पदार्थों में लीन मीट, चिकन, अंडे, खट्टे फल, फलियां, सोयाबीन, नट्स और एवोकैडो आदि शामिल हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन महिला की प्रथम तिमाही के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड एक आवश्यक पोषक तत्व है जो बच्चे की आंखों और मस्तिष्क स्वास्थ्य के विकास में मदद करता है। इसलिए हर महिला को गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहरों का सेवन करना चाहिए। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थो में सोयाबीन, कैनोला ऑयल, अखरोट, चिया सीड्स, अलसी के बीज और सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन जैसी मछलियां शामिल हैं। इस तरह के खाद्य पदार्थों को महिलाएं गर्भावस्था की पहली तिमाही में अपने आहार में शामिल कर सकती हैं।
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गर्भावस्था के तीसरे महिने के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं। जिनका कारण उनके शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन हैं। लेकिन इस दौरान यदि महिलाएं कुछ विशेष पौष्टिक आहारों का सेवन करें तो इन परिवर्तनों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए महिलाएं गर्भावस्था की पहली तिमाही में हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इस दौरान गर्भवती महिला को स्वस्थ भोजन में प्रतिदन कम से कम 3 कप सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए महिलाएं कई रंगों वाली सब्जियों का चुनाव कर सकती हैं। क्योंकि इन सब्जियों में अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है। इस प्रकार की सब्जियों में काले, पालक, ब्रोकोली, शकरकंद, टमाटर, गाजर, कद्दू, मक्का, बैंगन, गोभी आदि को शामिल किया जा सकता है।
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कार्बोहाइड्रेट मानव शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा दिलाने में मदद करता है। गर्भावस्था की प्रथम तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं को कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार की विशेष आवश्यकता होती है। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पूरे अनाज, फलियों और स्टार्च युक्त सब्जियों जैसे आलू और शकरकंद आदि में पाए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों का उपभोग करने पर यह शरीर को पर्याप्त ऊर्जा दिलाने में मदद करते हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही के इस दौर में महिलाओं को कमजोरी का अनुभव होना सामान्य है। लेकिन इस कमजोरी को दूर करने के लिए इन आहारों का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा फाइबर युक्त फलों और सब्जियों को कार्बोहाइड्रेट के अच्छे स्रोत माने जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट भ्रूण के अच्छे विकास में सहायक होता है।
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गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना लाभकारी होता है। क्योंकि इस दौरान प्रोटीन का सेवन डीएनए, ऊतक और मांसपेशियों के निर्माण के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। ये हमारे शरीर में एंजाइम को उत्तेजित करने में मदद करते हैं। इसलिए भ्रूण के उचित विकास के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में पर्याप्त प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन युक्त आहार में फलियां, बीज, दाल, चिकन, नट्स, मांस और सोयाबीन आदि शामिल हैं।
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महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम की उचित मात्रा का सेवन करना चाहिए। डेयरी उत्पादों में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। कैल्शियम हड्डियों के निर्माण के लिए विशेष घटक होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने और बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए डेयरी उत्पाद आवश्यक हैं। महिलाओं को इस दौरान दूध, दही आदि का नियमित उपभोग करना चाहिए। लेकिन जिन महिलाओं को दूध उत्पादों से एलर्जी है उन्हें गर्भावस्था की पहली तिमाही में अन्य कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
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जिंक एक आवश्यक खनिज पदार्थ है जो प्रतिरक्षा तंत्रिका तंत्र प्रणाली के विकास में मदद करता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में जिंक युक्त खाद्य पदार्थ महिला और भ्रूण दोनो के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। जिंक युक्त खाद्य पदार्थ के रूप में महिलाएं पालक, मशरूम, ऑएस्टर, लेन मीट, कद्दू, चिकन, नट्स और सेम आदि को शामिल कर सकती हैं। इस तरह से गर्भवती महिलाएं अपने और अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जिंक युक्त खाद्य पदार्थों को अपने नियमित आहार में शामिल कर सकती हैं।
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जिस तरह से ऊपर बताए गए आहार महिला और भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। ठीक उसी तरह से कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी होते हैं जिनका सेवन गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन खाद्य पदार्थों का सेवन महिला और बच्चे के विकास में प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। आइए जाने गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं को किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
गभ्रावस्था के दौरान महिलाओं को समुद्री भोजन से दूरी बनाए रखना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्री भोजन में मिथाइल-मर्करी (methyl-mercury) की उच्च मात्रा होती है। शरीर में इसकी अधिक मात्रा भ्रूण के विकास को रोक सकती है साथ ही उसे कुरूप भी बना सकती है। मिथाइल मर्करी भ्रूण के मस्तिष्क विकास को भी प्रभावित करता है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में समुद्री भोजन न करने की सलाह दी जाती है।
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अंडे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं लेकिन गर्भावस्था की पहली तिमाही में इनका सेवन नहीं करना चाहिए। कच्चे अंडे में साल्मोनेला बैक्टीरिया होने की संभावना अधिक होती है। यह बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है। इसके अलावा अस्वास्थ्यकर डेयरी उत्पादों से भी बचना चाहिए। क्योंकि इनमें लिस्टेरिया हो सकता है। इस तरह से महिलाएं अपने भ्रूण को नुकसान से बचाने के लिए अपने आहार में इस तरह से उत्पादों को शामिल करने से बचें।
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भ्रूण और महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पहली तिमाही के दौरान कच्चा या अधपका मीट नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार के आहार में बैक्टीरिया होने की संभावना बहुत अधिक होती है। ये बैक्टीरिया भ्रूण के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में विटामिन A का सेवन जन्म दोष का कारण बन सकता है। फलों सब्जियों, अंडे और दूध जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन ए हानिकारक नहीं होता है। हालांकि चिकन आदि में उच्च मात्रा में विटामिन ए होता है जो महिला स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए महिलाओं को सलाह दी जाती हैं कि गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में इस तरह के उत्पादों का अधिक सेवन न करें जिनमें विटामिन ए उच्च मात्रा में होता है।
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चाय, कॉफी और सोड़ा वाटर जैसे पेय पदार्थों में कैफीन की उच्च मात्रा होती है। कैफीन बच्चे की हृदय गति को बढ़ा सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से तीसरी तिमाही के दौरान इन पेय पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
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अक्सर सड़क के किनारे मिलने वाले चटपटे खाद्य पदार्थ महिलाओं को आकर्षित करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से गैस्ट्रोएंटेराइटिस (gastroenteritis) जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह का संक्रमण भ्रूण के विकास को रोक सकता है। इसलिए महिलाओं को इस दौरान सड़क के किनारे मिलने वाले खुल खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
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गर्भवती महिलाओं को अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यहां कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं। जिन्हें अपनाकर शायद आप भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हाइड्रेट रहें – शरीर में पानी की कमी के कारण महिलाओं को कमजोरी और चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए उन्हें पहली तिमाही के दौरान दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
स्वस्थ आहार – महिलाओं को हमेशा संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। साथ ही उन्हें अपने आहार में ताजे फल और हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने आहार को दिन में कम से कम 5 से 6 भागों में लेना चाहिए।
नशा छोड़ें – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को शराब, तंबाकू और ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। क्योंकि इनमें मौजूद हानिकारक घटक बच्च में गंभीर जन्म दोष का कारण बन सकते हैं।
डॉक्टरी सलाह – अपने आहार में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी आपके डॉक्टर से बेहतर और कोई नहीं जानता है।
प्रथम तिमाही – हालांकि गर्भावस्था की पहली तिमाही कष्टदायक हो सकती है। क्योंकि इस दौरान उल्टी, मतली और चक्कर आना जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन ये समस्याएं आमतौर पर दूसरी तिमाही की शुरुआत में चली जाती हैं। लेकिन इस दौरान आप उचित और पौष्टिक आहार कर अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकते हैं।
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