Pregnancy Me Piles Ka Upchar: गर्भावस्था में महिलाओं को बवासीर होना आम है। यह समस्या अक्सर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शुरू होती है, जिसे अक्सर प्रेग्नेंसी के अंत तक झेलना पड़ता है। गर्भावस्था में बवासीर की समस्या से जूझ रही महिलाएं अगर अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाती हैं, तो इस समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। इतना ही नहीं दवाओं के बजाए घरेलू उपचार इस रोग का बेहतर इलाज कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त प्रवाह में तेजी आ जाती है। इसी दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन तेज हो जाता है। ये हार्मोन रक्त वाहिकाएं की दीवारों को कमजोर बना देता है, ऐसे में गर्भाशय के नीचे की नसों में सूजन और खिंचाव आ जाना आम है। यही कारण है कि गर्भकाल के दौरान बवासीर के मामले देखने को मिलते हैं। गर्भ में शिशु के वजन से शरीर के नीचे वाला भाग दबाव में पड़ता है, जिससे बवासीर के उभरने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर पहले से बवासीर है, तो गर्भवती होने के दौरान महिलाओं में यह बिगड़ में सकता है। गर्भावस्था के शुरूआत में ही दस में से एक महिला को बवासीर हो जाती है।
प्रसव के दौरान जोर लगाने के कारण गुदा की नसों में खिंचाव से भी बवासीर होता है और कुछ समय में ये अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जिनमें कुछ महिलाओं को इस रोग से सालभर जूझना पड़ा है। गर्भावस्था के दौरान अगर आप बवासीर से बचना चाहते हैं, तो हम आपको इसके लिए कुछ घरेलू उपाय बताएंगे और साथ ही बताएंगे कि गर्भावस्था में महिलाओं को बवासीर क्यों हो जाती है।
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जब निचले मलाशय और गुदा में रक्त वाहिका यानि ब्लड वैसल्स फूल जाती है और सूजन आ जाती है, तो यह बवासीर का कारण बनती है। सूजी हुई रक्त वाहिकाएं ही मल त्याग के दौरान और बाद में दर्द का कारण बनती हैं। आमतौर पर यह दो प्रकार की होती है। खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती, लेकिन खून आता है। वहीं बादी बवासीर में पेट खराब रहता है, जलन, दर्द और खुजली होती है। बवासीर अगर ज्यादा पुरानी हो जाए, तो यह भगंदर का रूप ले लेती है। यह बवासीर की आखिर स्टेज है, जिससे कैंसर हो जाता है। इसे रिक्टम कैंसर कहते हैं, जो बहुत जानलेवा साबित होता है।
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महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान बवासीर होना सामान्य है। इसलिए अधिकतर गर्भवती महिलाओं को इस समस्या का सामना करना ही पड़ता है। वहीं कुछ महिलाएं ऐसे भी हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान बवासीर जैसी समस्या से नहीं जूझना पड़ता। दरअसल, जब महिलाएं गर्भवती होती हैं, तो उनके शरीर में रक्त के घूमने की मात्रा बढ़ जाती है। इसी समय, हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर ब्लड वैसल वॉल को कमजोर बना देता है। बढ़ते हुए बच्चे के वजन के नीचे यानि गर्भाशय के नीचे की नसें सूजी और फैली हुई होती हैं। यही कारण है, कि जब महिलाएं गर्भवती होती हैं, तो वैरीकोज नसों का खतरा बहुत बढ़ जाता है और पाइल्स यानि बवासीर की समस्या हो जाती है।
गर्भावस्था में जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाता है, आपका गर्भाशय बड़ा होता जाता है और आपकी श्रोणि पर दबाव बनने लगता है। यह वृद्धि आपके गुदा और मलाशय के पास की नसों पर बहुत ज्यादा दबाव डालती है, जिससे नसों में सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है। गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टोरोन हार्मोन में वृद्धि भी बवासीर का कारण हो सकती है। यह आपकी नसों की दीवार को कमजोर बना देता है, जिससे सूजन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा रक्त की मात्रा में वृद्धि, गर्भावस्था के दौरान बवासीर में भी योगदान कर सकती है।
दबाव- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के गर्भाशय और रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जो हमारे गुदा की मदद से काम करने वाली नसों पर ज्यादा दबाव डालती है, जिससे नसें सूज जाती हैं और पाइल्स जैसा रोग हो जाता है।
जन्मपूर्व विटामिन- जन्मपूर्व विटामिन, जिनमें सिंथेटिक आयरन होता है, वह भी प्रेग्नेंसी में बवासीर के लिए जिम्मेदार होते हैं। सिंथेटिक आयरन कब्ज की समस्या पैदा कर सकता है। कब्ज के साथ आने वाला तनाव बवासीर जैसा रोग दे सकता है।
कब्ज- प्रेग्नेंसी हार्मोन के कारण हमारी आंत धीमी हो जाती है, इससे कब्ज हो जाता है। इसी के कारण गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाओं में कब्ज की समस्या देखी गई है।
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गर्भवती को बवासीर की शिकायत होने पर कई परेशानियां महसूस होती है, जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
प्रेग्नेंसी में मलाशय क्षेत्र में खुजली और हर बार मल पास करने के बाद जलन महसूस हो सकती है।
बवासीर तब होती है, जब रक्त वाहिकाएं मलाशय क्षेत्र में सूजन हो जाती है, गर्भावस्था में बवासीर में श्लेष्मा का स्त्राव होता है।
गर्भावस्था में सूजी हुई रक्त वाहिकाएं मलाशय क्षेत्र पर दबाव डालती रहती हैं और इस तरह मलाशय आना जैसा महसूस होता है। मल पास करने के बाद भी भरा हुआ सा लगता है, जिसे जल्दी खाली करने की जरूरत पड़ने लगती है।
गर्भवती को बवासीर है, इसका पता तब चल जाता है जब मल त्यागने के बाद लाल रंग का रक्त दिखाई देता है। इसका पता गुदा साफ करने पर लग जाता है।
गूदे के आसपास जब आपको मस्से जैसे छोटे-छोटे दाने महसूस हों, तो यह बवासीर का संकेत है।
जब सख्त चीज पर बैठने से गूदे के पास में चुभन महसूस हो, तो यह बवासीर की निशानी है। ऐसी स्थिति आए, तो घबराने के बजाए अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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गर्भावस्था में बवासीर से बचने के आसान तरीके हम आपको बता रहे हैं। यह ऐसे तरीके हैं, जिन्हें आप गर्भावस्था के साथ गर्भावस्था के बाद भी जारी रख सकते हैं।
अगर गर्भवती होने पर आपको बवासीर हो जाए, तो आपको ज्यादा कुछ नहीं करना, बल्कि हर रोज खूब मात्रा में पानी पीना है। इसके अलावा आप चाहें तो तरल पदार्थ जैसे सूप भी पी सकती हैं।
गर्भावस्था में कब्ज होने से बचना चाहिए। बता दें कि कब्ज, गर्भवती होने पर बवासीर के प्रमुख कारकों में से एक है। इसलिए हमेशा हाइड्रेट रहें और स्वस्थ भोजन खाएं, ताकि कब्ज से बचे रहें। इसके अलावा तैलीय और मसालेदार भोजन खाने से बचें।
प्रेग्नेंसी में बवासीर हो जाए, तो व्यायाम शुरू कर दें। क्योंकि दिनभर में आप जो भी कुछ खा रहे हैं, उसे पचाने के लिए खासतौर से गर्भावस्था में एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है। खासतौर से आप कीगल एक्सरसाइज कर सकते हैं। ये एक्सरसाइज मलाशय को सहारा देने वाली मांसपेशियों को मजबूती देती है। कीगल एक्सरसाइज आप घर में, ऑफिस में यहां तक की अपनी कार में भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करें। यह एक्सरसाइज बवासीर को विकसित होने से रोक सकती है। इससे आपको बच्चे को जन्म देते वक्त परेशानी नहीं होगी साथ ही डिलीवरी के बाद तेजी से रिकवर होने में भी आपके लिए बहुत फायदेमंद है।
गर्भावस्था में बवासीर हो जाए, तो टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर बैठ नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक बैठे रहने से बचें। यदि आप 10 मिनट तक दबाव महसूस नहीं करते हैं, तो आप उठ जाएं और क्षेत्र को धो लें। बाद में जब आपको हल्का दर्द महसूस हो, तो फिर से टॉयलेट में जाने का प्रयास करें।
प्रेग्नेंसी में बवासीर का सबसे अच्छा तरीका है, फाइबर युक्त आहार लेना। रोजाना अपने आहार में फल, हरी सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थ लें, जो फाइबर से भरपूर होते हैं। ये आपके बॉवल मूवमेंट को आसान और सुगम बनाएंगे।
गर्भावस्था में बवासीर होने पर ज्यादा देर तक खड़े या बैठे रहने से बचना चाहिए। यदि आप बैठकर काम करते हैं, तो लगातार बैठे रहने से अच्छा है कि बीच-बीच में अपनी सीट से उठकर थोड़ा ब्रेक लें। घर पर अगर आप एक ही जगह बैठकर काफी देर तक टीवी देख रहे हैं या अखबार पढ़ रहे हैं, तो बीच में थोड़ा आराम करें, इससे मलाशय की नसों पर दबाव कम होने में मदद मिलेगी।
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आमतौर पर गर्भावस्था के बाद बवासीर अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की खुजली और दर्द से गुजरना पड़ता है। आप चाहें तो घर में ही इसका इलाज कर सकते हैं। नीचे हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान बवासीर का इलाज करने बहुत मदद मिलेगी।
यदि बवासीर में दर्द होने लगे, तो आखिरकार सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज होता है। कई डॉक्टर सर्जरी की सलाह तो देते हैं, लेकिन गर्भवती होने पर डॉक्टर सर्जरी करने से हिचकते हैं। इसलिए, यदि समस्या गंभीर नहीं है, तो घरेलू उपचारों की मदद से ही इसे दूर करने की कोशिश करें।
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वैसे तो गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय बवासीर या पाइल्स की समस्या हो सकती है। लेकिन ज्यादातर तीसरी तिमाही में इसका असर दिखाई देता है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए हम आपको कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं, जो गर्भावस्था के दौरान पाइल्स की समस्या में राहत प्रदान कर सकते हैं।
नारियल तेल में एंटी माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं और यह उन गर्भवती महिलाओं को राहत देता है, जो बवासीर से पीडि़त हैं। इसके लिए एक कॉटन बॉल को नारियल के तेल में डुबोकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। खासतौर से मल त्याग के बाद नारियल तेल लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। प्रभावित क्षेत्र पर हर रोज दो से तीन बार नारियल का तेल लगा सकते हैं। इस घरेलू उपचार से गर्भावस्था के दौरान पाइल्स की समस्या में बहुत आराम मिलेगा।
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बवासीर के लिए सबसे आसान और सस्ता प्राकृतिक उपचार में से एक है आइस पैक का उपयोग। एक नरम, साफ कपड़ा लें, इसमें कुछ बर्फ के टुकड़े रखें और धीरे से इसे प्रभावित जगह पर लगाएं। खुजली, दर्द और सूजन को कम करने में बर्फ बहुत प्रभावी है। गर्भावस्था के दौरान पाइल्स की समस्या से संबंधित किसी भी असुविधा से तुरंत राहत पाने के लिए इस सरल, लेकिन प्रभावी उपाय का प्रयोग दिन में दो से तीन बार करें।
यदि आप गर्भावस्था के दौरान बवासीर से पीड़ित हैं तो एलोवेरा में हीलिंग गुण होते हैं और यह वास्तव में अच्छी तरह से राहत प्रदान करता है। आदर्श रूप से, ताजा एलोवेरा का उपयोग करें, इसके लिए एलोवेरा की पत्ती की त्वचा को छीलें, जेल को सावधानीपूर्वक बाहर निकालें और इसे प्रभावित क्षेत्र पर रोजाना दो बार लगाएं। बाजार में मिलने वाले सुगंधित एलोवेरा जैल और क्रीम के उपयोग से बचें।
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प्रेग्नेंसी में बवासीर के कारण होने वाली किसी जलन या सूजन को कम करने में आलू आश्चर्यजनक रूप से अच्छा काम करता है। इसका उपयोग करने के लिए, एक आलू को धो लें और छील लें और इसे थोड़ा पानी या नींबू के रस के साथ पीस लें। आलू के मिश्रण से रस निचोड़ें और इसमें एक कॉटन बॉल भिगोएँ। इस रस को दिन में दो से तीन बार प्रभावित जगह पर लगाने से बवासीर का रोग जड़ से खत्म हो जाएगा।
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प्रेग्नेंसी के दौरान अगर बवासीर हो, तो सेंधा नमक एक बहुत अच्छा घरेलू उपाय है। इसके लिए गुनगुने पानी में आधा कप सेंधा नमक डालें और फिर इससे अपनी योनि और गुदा को पांच मिनट के लिए भिगोकर रखें। ऐसा करने से बवासीर की समस्या से राहत मिलेगी।
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गर्भावस्था के दौरान बवासीर से संबंधित लक्षणों को कम करने में काला जीरा बहुत प्रभावी है। काले जीरे में एंटीइंफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसका उपयोग करने के लिए एक मुट्ठी काले जीरा लें और पानी डालकर एक महीन पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को रेक्टल एरिया पर लगाएं और पंद्रह मिनट तक लगा रहने दें। गर्म पानी के साथ क्षेत्र धो लें। बवासीर के लक्षणों से राहत पाने के लिए पेस्ट को दिन में दो बार लगाएं।
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गर्भावस्था में बवासीर को रोकने के लिए स्वस्थ भोजन खाना बेहद जरूरी है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिनके सेवन से आप गर्भावस्था में बवासीर से राहत पा सकते हैं।
गर्भावस्था में बवासीर की समस्या से राहत पाने के लिए सेब सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। लेकिन इसे छिलके के साथ खाने से बवासीर में बहुत लाभ मिलेगा। बता दें, कि सेब फाइबर का अच्छा स्त्रोत है और सेब में घुलनशील फाइबर भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में बहुत मदद करता है। इसलिए गर्भावस्था में बवासीर से बचने के लिए सेब खाने का सेब का रस पीने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर को रोकने के लिए केला रामबाण घरेलू उपचार है। यह न केवल फोलिक एसिड, पोटेशियम और विटामिन बी- 6 का समृद्ध स्त्रोत है, बल्कि भ्रूण के तंत्रिका तंत्र के विकास में भी बेहद फायदेमंद है। गर्भावस्था में बवासीर अगर परेशान करे, तो केले का सेवन जरूर करें।
खट्टे फलों में विटामिन सी, ए, कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है। ये सभी गुण संतरे को गर्भवती महिलाओं के लिए आदर्श बनाते हैं। ये प्राकृतिक तरीके से बवासीर का इलाज भी करता है। इसलिए गर्भवती होने पर यदि आपको बवासीर हो गई है, तो आप संतरा खाना ना भूलें।
प्रेग्नेंसी में बवासीर होने पर कद्दू का सेवन करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कद्दू बीटा कैरोटीन, फोलेट, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी-6 और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व हैं और गर्भावस्था के दौरान बवासीर से निपटने के लिए बहुत मददगार है। कद्दू का सेवन आप चाहें तो किसी भी तरीकों से कर सकते हैं, चाहे तो सब्जी के रूप में या फिर रायते के रूप में भी।
गर्भवती महिला को अगर बवासीर है, तो उसे नाशपति जरूर खाना चाहिए। इसे खाने के बाद गर्भवती महिला फोलेट, मैग्नीशियम, विटामिन सी और पोटेशियम की अच्छी खुराक प्राप्त कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान नाशपति खाने से न केवल बवासीर के लक्षण कम हो जाएंगे, बल्कि हाई बीपी, सूजन वाले अंगों को भी सही करने में मदद मिलेगी।
अपने आहार में बीन्स को शामिल करके गर्भावस्था के बवासीर को रोका जा सकता है। सेम के सभी प्रकार गर्भावस्था के दौरान होने वाली बवासीर के लिए बहुत प्रभावी होते हैं। बीन्स प्राकृतिक घुलनशील फाइबर से भरपूर होते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
शकरकंद अपने रेचक गुणों के कारण जाना जाता है। यह फाइबर और लो कोलेस्ट्रॉल से भरपूर है। जो गर्भवती महिलाएं बवासीर से राहत चाहती हैं, उनके लिए शकरकंद बेहतरीन घरेलू नुस्खा है। लेकिन इसे खाने के दौरान याद रखें कि 100 ग्राम से ज्यादा खाने से शरीर में सूजन, मोटापा और शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
लहसुन में कई औषधीय और उपचार गुण होते हैं। लहसुन में मौजूद एलिसिन विभिन्न संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों से लड़ने में बहुत प्रभावी है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर के लिए लहसुन के आठ से दस लौंग छीलकर कुचल लें । फिर लौंग को 4-5 कप पानी में रखें और एक-दो मिनट तक उबालें। इस तरल पदार्थ का उपयोग प्रभावित क्षेत्र पर रोजाना करने से सूजन और खुजली कम हो जाएगी।
मूली रोगाणुओं से लड़ने में सहायक है। थोड़े से दूध के साथ पीसकर मूली का पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को दिन में दो से तीन बार प्रभावित जगह पर लगाएं। आप अपने आहार में मूली भी शामिल कर सकते हैं, क्योंकि यह आहार फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है और मल त्याग को विनियमित करने और कब्ज से राहत देने में मदद करता है।
बवासीर से राहत पाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप एक अच्छा आहार लें, जिसमें पर्याप्त ताजे फल और सब्जियां हों। ताजे फल और सब्जियां न केवल आपको और आपके बच्चे को पोषण प्रदान करते हैं, बल्कि आपको बवासीर जैसे रोग से भी छुटकारा दिलाते हैं। बवासीर से राहत के लिए कुछ फल और सब्जियां जिन्हें आपको अपने दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए, वे हैं अंगूर, संतरे, नींबू, क्रैनबेरी और शतावरी।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थ गर्भावस्था के दौरान बवासीर से लड़ने का एक शानदार तरीका है। ये प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ शरीर में अच्छे बैक्टीरिया प्राप्त करने में मदद करते हैं। दही, किण्वित पनीर और कोम्बुचा चाय कुछ खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्रोबायोटिक्स की अच्छी मात्रा होती है।
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गर्भावस्था के दौरान बवासीर से छटुकारा पाने के लिए नींद की स्थिति के बारे में जरूर जानें। अपने पेट पर दबाव को कम करने के लिए अपने बाईं ओर सोने की कोशिश करें। बायीं ओर सोने से पेट पर दबाव कम होता है जिससे आपको बवासीर से होने वाले दर्द से राहत मिलती है। गर्भावस्था के दौरान बवासीर से छटुकारा पाने के लिए आपको सुगंधित साबुनों, टैल्क से बचने की ज़रूरत है, क्योंकि गंध पैदा करने वाले रसायन पाइल्स को बढ़ा सकते हैं। मलाशय के क्षेत्र को आसानी से सांस लेने के लिए ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनें। खासतौर से ऐसे कपड़े गर्भवती होने पर दर्द से भी राहत दिलाते हैं।
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तीसरी तिमाही तक एक चौथाई गर्भवती महिलाओं को पाइल्स होना बहुत आम है। पाइल्स होना परेशानी का सबब तब बनता है, जब आपकी डिलीवरी होने वाली हो। जब बच्चे को बाहर निकाला जाता है, तो पाइल्स होने से दर्द और जलन बहुत ज्यादा होती है। यह माना जाता है कि सामान्य गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे मलाशय क्षेत्र की रक्त वाहिकाओं की दीवारों को आराम मिलता है, जिससे गर्भावस्था में बवासीर होता है। इसके अलावा, जैसे ही बच्चा गर्भ में बढ़ता है, यह रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है जिससे सूजन वाली नसें और रक्त वाहिकाएं निकलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप बवासीर हो सकता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भ्रूण का विकास, शारीरिक बदलाव और देखभाल…)
ज्यादातर मामलों में बच्चे के जन्म लेने के बाद शरीर के ठीक होने पर बवासीर के ठीक होने की संभावना भी ज्यादा रहती है। हालांकि, कुछ महिलाओं को बच्चे के जन्म देने के बाद पाइल्स होता है। यदि इस दौरान रक्त स्त्राव हो रहा हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
गर्भावस्था में पाइल्स अजन्मे बच्चे के लिए कोई जोखिम नहीं है। हां, लेकिन प्रसव के दौरान यह काफी असहज हो सकता है। इसके लिए जरूरी है, कि आप सही और स्वस्थ्य भोजन करें। डिलीवरी होने से पहले खुद को रिलेक्स करना चाहिए।
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