Pregnancy me hone wale changes अगर आप मां बनने जा रही हैं या गर्भधारण करने का सोच रही हैं, तो आपको ये जानने की बहुत उत्सुकता होगी कि गर्भधारण करने के बाद आपके शरीर में कौन-कौन से बदलाव होने वाले हैं। आपका ये सोचना पूरी तरह से सही है। क्योंकि मां बनने के दौरान हर महिला में शारीरिक बदलाव होना आम बात है। आपने इन बदलावों के बारे में काफी पढ़ा और सुना भी होगा। लेकिन अगर आप अपनी प्रेग्नेंसी को पूरे 9 महीनों तक अच्छे से एन्जॉय करना चाहती हैं तो शरीर में होने वाले इन छोटे-छोटे बदलावों की जानकारी आपको होनी चाहिए। अगर आप पहले से गर्भावस्था के दौरान होने वाले इन बदलावों से परीचित होंगी, तो अपना ध्यान अच्छे से रख पाएंगी और अपनी प्रेग्नेंसी का भरपूर आनंद ले पाएंगी।
प्रेग्नेंसी वह समय है जो ढेर सारे बदलाव लेकर आता है। यह बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। लेकिन इन बदलावों से आपको डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि इनका पूरे उत्साह से सामना करना चाहिए, क्योंकि आप एक नन्हीं सी जान को जन्म जो देने वाली हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भावस्था के 9 महीने हर महिला के लिए बेहद नाजुक होते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है। इस दौरान महिलाओं में वजन से लेकर त्वचा तक में कई तरह से बदलाव होते हैं, जिसका सामना हर गर्भवती महिला को करना ही पड़ता है।
यदि आप भी गर्भावस्था की योजना बना रही हैं तो आपको इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए और गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन की स्थिति का सामना करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मां बनने के दौरान आपके शरीर से जुड़ी किन-किन समस्याओं से गुजरना पड़ता है साथ में बताएंगे इनके समाधान भी।
विषय सूची
1. प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन – Body Changes During Pregnancy in Hindi
2. गर्भावस्था में शरीर के इन अंगों में आती है सूजन – Body parts swells in pregnancy in Hindi
गर्भावस्था के दौरान, महिला शरीर में शारीरिक परिवर्तन के साथ-साथ कई मानसिक परिवर्तन भी होते हैं। जानिए, गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन और गर्भावस्था में शरीर में बदलाव के बारे में।
गर्भावस्था के दौरान सबसे पहला बदलाव जो आप फील करेंगी वह आपके शरीर से जुड़ा होगा, आपको ऐसा लगेगा कि आपका शरीर फूल गया है। यानि की आप फूला-फूला महसूस करेंगी।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) के शुरूआती लक्षण…)
गर्भावस्था के दौरान होने वाले बदलावों में दूसरा बदलाव आप जो गौर करेंगी वो ये कि जो कपड़े आप पहना करती हैं, वो धीरे-धीरे टाइट होने लगे हैं। यानि की आप तंगपन महसूस कर रही हैं। क्योंकि इस दौरान आपका वजन बढ़ने लगेगा। हालांकि शुरूआत में इतना ज्यादा वजन नहीं बढ़ता, लेकिन शरीर में टाइटनेस का अहसास होने लगता है।
(और पढ़ें – डिलीवरी के बाद इन तरीकों से घटाएं पेट की चर्बी…)
प्रेग्नेंसी के दौरान आपके स्तनों में भी बदलाव होता है। इस दौरान आप स्तन पर गौर करेंगी तो आपके स्तनों के आकार में वृद्धि हो गई होगी। गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में दर्द भी महसूस होगा। जब आप निप्पल के आसपास वाले हिस्से को देखेंगी तो वह पहले के मुकाबले थोड़ा बड़ा और हल्का गहरे रंग का हो चुका होगा। स्तनों के आकार में वृद्धि होना गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में होने वाला सबसे मुख्य शारीरिक परिवर्तन है।
(और पढ़ें – 9 आकार के होते है महिलाओं के स्तन, जानिए स्तनों के आकार के बारे में)
सबसे बड़ा शारीरिक बदलाव जो पीरियड मिस होने पर होता है। पीरियड मिस होने के 15-20 दिन बाद प्राइवेट पार्ट से आपको हल्की-हल्की स्पॉटिंग होना शुरू हो जाती है। ये स्पॉटिंग और कुछ नहीं बल्कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होता है।
(और पढ़ें – इंप्लांटेशन ब्लीडिंग (आरोपण रक्तस्राव) क्या है, लक्षण, कितने दिन तक होती है…)
गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान आपकी योनि से हल्का-हल्का सफेद चिपचिपा पानी जैसा आता है। ये बताता है कि आपके गर्भाशय में बच्चे का विकास धीरे-धीरे हो रहा है। हालांकि यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है लेकिन अगर योनि से निकलने वाले इस तरल पदार्थ से बदबू आने लगे या पदार्थ का रंग हरा, पीला हो जाए (योनि स्राव) या फिर खुजली होने लगे तो समझ लीजिए कोई रोग है जो अंदर ही अंदर बढ़ रहा है। ऐसे में अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – जानें प्रेगनेंसी में योनि से सफेद स्राव होना सामान्य है या नहीं…)
प्रेग्नेंसी के दौरान आपको बार-बार पेशाब आएगी। हालांकि कई महिलाओं में ऐसा पहली तिमाही के दौरान ही होता है। इसके पीछे कारण यह है कि जैसे -जैसे आपकी प्रेग्नेंसी बढ़ती है तो आपका गर्भाशय भी धीरे-धीरे बढ़ता है। गर्भाशय बढ़ने की वजह से पेशाब की थैली पर प्रेशर पड़ता है, जिस कारण आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
(और पढ़ें – ज्यादा देर तक पेशाब रोकने से हो सकते है ये नुकसान)
गर्भावस्था शुरू होते ही महिलाओं को उल्टी होना, जी मिचलाने जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऐसा शुरूआती तीन महीनों में बहुत ज्यादा होता है, वहीं कुछ महिलाओं को पूरे 9 महीने तक उल्टी जैस फील होता है। इसे मॉर्निग सिकनेस कहा जाता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – गर्भावस्था के दौरान उल्टी रोकने के घरेलू उपाय…)
मां बनने के दौरान आपके नाखूनों में भी बदलाव आता है। इसके बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान नाखूनों में कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण नाखून में दरारें आ जाती है, जिससे नाख़ून फटने और टूटने लगते हैं साथ ही इनकी चमक भी कम हो जाती है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है। अगर आप इन पर पेंट करते हैं तो इन्हें हवा भी मिलना बंद हो जाती है। इससे निपटने के लिए आपको नाखूनों पर ऑलिव ऑयल की मालिश करनी चाहिए इससे नाखून मजबूत और चमकदार बने रहेंगे, लेकिन ये प्रक्रिया आपको पहले से पूरे नौवें महीने तक जारी रखनी होगी।
(और पढ़ें – नाखूनों को ऐसे रखें स्वस्थ और बनायें खूबसूरत)
अगर आप गर्भ धारण कर चुकी हैं तो आप महसूस करेंगी कि आपके शरीर के कुछ अंगों का रंग गहरा हो गया है। जैसे कि एक डार्क लाइन नाभि के ऊपर दिखाई देने लगती है। स्तनों के निप्पल का रंग भी पीले से भूरे रंग का होने लगता है। यह सब गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण होता है। और यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – गर्भावस्था के बिना निप्पल से रिसाव या निर्वहन के कारण, लक्षण और इलाज)
गर्भावस्था में पेट का आकार बढ़ना आम माना जाता है। कुछ महिलाओं का पेट ज्यादा बढ़ जाता है तो कुछ का छठें महीने तक बिल्कुल सामान्य रहता है। हालांकि गर्भवती महिलाओं में पेट का बढ़ना उनके शरीर की बनावट और मांसपेशियों पर निर्भर करता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान पेट के आकार को लेकर आपको जरा भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – जानें गर्भावस्था में कितने सप्ताह, महीने और ट्राइमेस्टर होते हैं…)
आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि मां बनने के दौरान स्किन दमकने लगती है, चेहरे पर ग्लो आने लगता है, असल में ये सच नहीं है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण महिलाओं के चेहरे पर मुंहासे, चकत्ते और पिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है। या जो पहले से थे वह ठीक भी हो सकते हैं ये स्थिति गर्दन और स्तनों पर भी देखी जा सकती है। लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है, ये समस्या सिर्फ प्रेग्नेंसी तक ही रहती है। बच्चे के जन्म लेने के बाद मां को स्वस्थ और बेहतर त्वचा वापस मिल जाती है।
(और पढ़ें – पिगमेंटेशन क्या है, कारण, लक्षण और दूर करने के घरेलू नुस्खे…)
गर्भवती होने पर आपको अपने पेट और जांघों पर खिंचाव के निशान नजर आने लगेंगे, जिन्हें स्ट्रेच मार्क कहते हैं। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन का ही हिस्सा है। गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर खिंचता है इसलिए ये स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। इन्हें कम करने के लिए आप चाहें तो विटामिन ई ऑयल का उपयोग करें।
(और पढ़ें – स्ट्रेच मार्क्स हटाने के घरेलू उपाय)
कब्ज भी गर्भावस्था में शरीर में होने वाली समस्याओं में से एक है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान आपका गर्भाशय धीरे-धीरे बड़ा हो रहा होता है और ये पेट पर प्रेशर डालना शुरू कर देता है, जिसकी वजह से आपके पेट में गैस बनना शुरू हो जाती है। इस कारण आपको चक्कर आना या सिर दर्द भी हो सकता है। वैसे तो प्रेग्नेंसी में होने वाली ये एक आम समस्या है, लेकिन फिर भी इससे बचने के लिए आपको आरन युक्त खाद्य पदार्थ लेना चाहिए न कि सप्लीमेंट। केला , सेब, सब्जी, पालक गैस की समस्या दूर करने का सबसे अच्छा समाधान है। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – कब्ज के कारण और इलाज)
गर्भावस्था में एसिडिटी या अपच आपको महसूस होने लगेगी। हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान ये बहुत दर्दनाक हो सकती है। जब बच्चा गर्भ में बढ़ता है तो यह आपके अंगों में अपनी जगह बनाने की कोशिश करता है। इसलिए खाने के बाद आप पेट में कुछ असहज महसूस करने लगते हैं। इस दर्दनाक समस्या से बचने के लिए बेहतर है कि छोटे-छोटे बाइट्स खाएं। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – एसिडिटी के कारण, लक्षण और बचाव के घरेलू उपाय…)
आप अपने बालों से चाहे कितना भी प्यार क्यों न करती हों, लेकिन गर्भवती होते ही आपको बालों के टूटने, और बालों के झड़ने की समस्या से गुजरना ही होगा, जो एक बहुत ही आम बात है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का एस्ट्रोजन लेवल कम होता है, जिससे बाल टूटने और झड़ना शुरू हो जाते हैं। हालांकि अपने बालों को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्यादातर महिलाओं को डिलीवरी के चार से छह महीने के बाद बालों से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – डिलीवरी के बाद बालों का झड़ना कैसे रोकें )
गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत गर्मी का अहसास हो सकता है। लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है, इस दौरान ऐसा हो सकता है। शरीर में मेटाबॉलिक रेट बढ़ने से गर्मी और पसीना दोनों बहुत बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर इन महीनों में ढीले कपड़े पहनने और ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं।
(और पढ़ें – शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है, सामान्य रेंज और महत्व…)
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द होना भी आम है। दरअसल, प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द हो सकता है। यदि आप पहली बार गर्भधारण कर रही हैं तो आपको ज्यादा दिक्कत हो सकती है। इसके साथ ही गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम नाम के हार्मोन में बदलाव होते हैं जिससे वजन बढ़ने के कारण हाथ और जोड़ों में दर्द होने लगता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है।
(और पढ़ें – जोड़ों में दर्द का घरेलू उपचार)
गर्भावस्था में पैरों में एक बड़ा बदलाव होते हैं, जिससे महिलाएं अक्सर परेशान हो जाती हैं। वो ये कि गर्भावस्था में गर्भवती महिला के पैर के पंजों में सूजन आ जाती है, जिससे कोई भी जूते, चप्पल उसे फिट नहीं होते। सैंडल का साइज छोटा होने लगता है और वह पैरों में फंसने लगती हैं। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है। आपको बता दें कि इस दौरान आपका शरीर अतिरिक्त तरल पदार्थ पैदा कर रहा है जो इन दो जगहों पर जाकर एकत्रित होता है। ये स्थिति कुछ समय तक के लिए रहती है, डिलीवरी के बाद पंजा पहले जैसा नॉर्मल हो जाता है।
(और पढ़ें – पैरों की सूजन के घरेलू उपाय)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में दांत में दर्द और मसूड़े फूलने जैसे लक्षण सामने आते हैं। खासतौर से जिन महिलाओं को मीठा खाना बहुत पसंद है, उन्हें गर्भवती होने पर ये समस्या ज्यादा होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान दांतों और मसूड़ों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। अगर मुंह से बदबू आए तो फिटकरी के पानी से मुंह की सफाई एक बार जरूर करें। गर्भवती महिलाओं में शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण दांत और मसूड़ों में दर्द उत्पन्न होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को दिन में तीन बार दांतों की सफाई करनी चाहिए। ब्रश को यूज करने पर वह सूखा होना चाहिए ना कि गीला।
(और पढ़ें – दांत दर्द ठीक करने के 10 घरेलू उपाय)
गर्भावस्था के दिनों में गर्भवती महिला को अहसहनीय पीठ दर्द से गुजरना पड़ता है। हालांकि गर्भावस्था में कमर दर्द होना आम बात है। यह दर्द डिस्क, जोड़ों और मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ने से होता है। अगर किसी महिला को गर्भधारण करने से पहले कमर दर्द रहता है तो भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन का ही हिस्सा है। इससे राहत पाने के लिए आप रोजाना व्यायाम करें, कमर की मालिश करें और बैठने या लेटने के लिए सही पॉश्चर अपनाएं।
(और पढ़ें – पीठ दर्द से छुटकारा पाना है तो अपनाएं ये घरेलू उपाय)
अपनी गर्भवस्था के अंत तक आप महसूस करेंगे कि आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस दौरान बच्चा खुद को डायफ्राम की तरफ धक्का दे रहा होता है जिससे आपको सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसे डिस्पेनिया कहते हैं। अगर आप असहज महसूस करती हैं तो खुद के लिए एक ऐसी पोजिशन सेट करें, जिसमें आप सही से सांस ले सकें।
(और पढ़ें – सांस फूलने के कारण, लक्षण, जांच, उपचार, और रोकथाम…)
ऐसा सबके साथ नहीं होता, लेकिन कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन या मरोड़ आने लगती है। ऐसा लगता है कि जैसे आपके पैरों में कुछ रेंग रहा है, खासतौर से रात में ऐसा फील होता है। यह लक्षण शरीर में आयरन और पोटेशियम की कमी के कारण होते हैं। इसलिए बिस्तर पर सोने से पहले अपने पैरों को खींचने और नियमित रूप से व्यायाम करने पर राहत मिल सकती है। भरपूर पोटेशियम के लिए आप अपने आहार में केला शामिल कर सकते हैं। साथ ही अपने डॉक्टर से आपका आयरन लेवल चैक करने को कहें। अगर लेवल बहुत लो है तो आपको हाई आयरन सप्लीमेंट लेने की जरूरत पड़ सकती है।
(और पढ़ें – पैर में दर्द का कारण और आसान घरलू उपचार…)
गर्भावस्था शरीर में लगभग सभी हार्मोन को प्रभावित करती है, ज्यादातर इसका कारण नाल द्वारा निर्मित हार्मोन का प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, नाल एक हार्मोन का उत्पादन करता है जो महिला की थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करने के लिए उत्तेजित करता है और बड़ी मात्रा में थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करता है। जब थायरॉइड ग्रंथि अधिक सक्रिय हो जाती है, तो दिल तेजी से धड़क सकता है, जिससे महिला को पसीना बढ़ सकता है, मिजाज बिगड़ सकता है और थायरॉयड ग्रंथि बढ़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन के स्तर में परिवर्तन डायबिटीज को बढ़ावा दे सकते हैं।
गर्भावस्था की शुरुआत में, रक्त में (ग्लूकोज) का स्तर थोड़ा कम होता है। लेकिन गर्भावस्था के अंतिम छमाही में, स्तर बढ़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान अधिक इंसुलिन (एक हार्मोन जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है) की आवश्यकता होती है। नतीजतन, मधुमेह, यदि पहले से मौजूद है, तो यह गर्भावस्था के दौरान बढ़ सकता है। इस विकार को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है।
(और पढ़ें – जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) के कारण, लक्षण, निदान और इलाज…)
गर्भावस्था में महिला में शारीरिक बदलाव होने के साथ शरीर के कुछ अंगों में सूजन आने लगती है। ये सूजन पैरों, होठों, चेहरे पर सबसे ज्यादा दिखाई देती है। हालांकि डिलीवरी के बाद ये सूजन खत्म हो जाती है, इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है, फिर भी इसे कम करने के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकते हैं।
गर्भावस्था में पैरों में सूजन आना- गर्भावस्था के दौरान लगभग 90 प्रतिशत महिलाओं को पैरों में सूजन की शिकायत होती है। सूजन को कम करने के लिए अपने पैरों को गुनगुने पानी में थोड़ी देर के लिए डुबोकर रखें, चाहें तो पानी में नमक मिला सकते हैं। ऐसा आपको दिन में एक बार रोज करना है। सूजन कम हो जाएगी।
प्रेग्नेंसी में होठों में सूजन शारीरिक बदलाव- कई महिलाओं में देखा गया है कि प्रेग्नेंसी के दिनों में होठों में सूजन आ जाती है। हालांकि इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण अक्सर इस अवस्था में होंठ सूज जाते हैं।
गर्भावस्था में ब्रेस्ट में सूजन- एक महिला अगर गर्भवती है तो ब्रैस्ट में दर्द होना तो आम है, लेकिन कुछ महिलाओं के स्तनों में गर्भावस्था के दौरान सूजन आ जाती है। इस दौरान दूध बनना शुरू हो जाता है और स्तन फूलने लगते हैं।
प्रेग्नेंसी में जननांगों में सूजन- गर्भावस्था के दौरान जननांगों में भी सूजन आ जाती है, जिससे पेशाब करने में भी दिक्कत होती है।
गर्भावस्था में चेहरे पर सूजन- कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दिनों में चेहरे पर सूजन दिखने लगती है, ये भी हार्मोनल बदलाव के कारण ही आती है, लेकिन इसे कम करने के लिए व्यायाम करना अच्छा विकल्प है।
गर्भावस्था में नाक में सूजन- हार्मोन्स में बदलाव के कारण प्रेग्नेंट महिलाओं को नाक में सूजन आने की समस्या भी आम है।
मां बनने के दौरान पैंडुली में सूजन- गर्भावस्था में सबसे ज्यादा सूजन यदि शरीर के किसी अंग में आती है तो वो हैं पैर और पैंडुली। इस दौरान शरीर का वजन बढ़ने लगता है और शरीर का पूरा भार इन पर पड़ता है, जिससे ये सूज जाते हैं।
(और पढ़ें – सूजन के कारण, लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…