Pregnancy Me Yoga प्रेगनेंसी में योग करना माँ और होने वाले बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है। आज ज्यादातर लोग गर्भावस्था को एक जटिलता मानते हैं। गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन में एक विशेष समय होता है और यह अब तक के सबसे आनंदपूर्ण अनुभवों में से एक हो सकता है। यह बात सही है कि आपको अपनी गर्भावस्था के दौरान भारी वजन नहीं उठाना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको पूरे दिन बिस्तर पर रहने की ज़रूरत है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान योग का अभ्यास एक प्रमाणित योग प्रशिक्षक के सामने करना सबसे सुरक्षित तरीका है। आइये जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान कौन-कौन से योग करना चाहिए और वो आपके लिए किस प्रकार से लाभदायक होते हैं।
विषय सूची
1. गर्भावस्था में योग का महत्व – How yoga helps during pregnancy in Hindi
2. प्रेगनेंसी में किये जाने वाले योगासन – Pregnancy me Yoga in Hindi
3. प्रेगनेंसी में योग करते समय यह सावधानी रखें – Precautions to do yoga during pregnancy in Hindi
गर्भावस्था के दौरान योगासन माताओं के स्वास्थ्य के लिए सभी प्रकार से लाभदायक होता हैं इसके लाभ निम्न हैं-
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नीचे गर्भावस्था के दौरान योगासन को करने की विधि दी जा रही है जो गर्भवती महिला के लिए बहुत ही लाभदायक हैं। आइये विस्तार से इन योग को करने का तरीका जानते हैं।
ताड़ासन गर्भवती महिलाओं के लिए एक बेहतरीन योग मुद्रा है। यह आपकी रीढ़ को मजबूत बनाने में मदद करता है और आपके पीठ दर्द को भी कम करता है। ताड़ासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी योगा मैट को बिछा के उस पर खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच थोड़ी सी दूरी बना के रखें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फस लें। अब आप अपनों दोनों हथेलियों को घुमा के उल्टा कर लें, इसमें आपके हाथ की हथेलियां असमान की ओर रहेगी। अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचे और पैरों की एड़ियों को ऊपर उठा के पंजों के बल खड़े हो जाएं। 20-30 सेकंड के लिए आप इस आसन में रहें और फिर हाथों को नीचे करके सामान्य हो जाएं।
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मार्जरासन केवल गर्भावस्था के पहले त्रैमासिक में करना चाहिए और 26 सप्ताह के बाद इस आसन को करने से बचना चाहिए। यह रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है और कंधे और कलाई को भी मजबूत करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर घुटनों को टेक के अपने दोनों हाथों को जमीन पर रख लें। अपने धड़ को फर्श के समान्तर रखें। अब साँस को अन्दर लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर तथा अपनी ठुड्डी को ऊपर करें। इसके बाद साँस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे करें और अपनी ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें। फिर से साँस को छोड़ते हुए अपने सिर को सीधा करें। इस आसन को कम से कम 5 से 6 बार करें।
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वज्रासन गर्भावस्था के दौरान पाचन संबंधी समस्याओं की शिकायत से छुटकारा दिलाता है। यह आसन श्रोणि क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति को भी बढ़ाता है और श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत करता है जिससे प्रसव में मदद मिलती है। वज्रासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर घुटने टेक के बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें। इस आसन को 5 से 10 मिनट तक करें।
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त्रिकोणासन योग गर्भावस्था से संबंधित पाचन संबंधी परेशानियों को कम करने के लिए एक महान आसन है और यह कूल्हों के लचीलेपन में भी सुधार करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को दूर-दूर करके सीधे खड़े हो जाएं, अपने दाएं पैर की तरफ झुकें और अपने हाथ को फर्श पर रखें। दूसरे हाथ को ऊपर सीधा करें जिससे दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। इस आसन में कुछ सेकंड से एक मिनिट के लिए रहें।
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वीरभद्रासन आपके पूरे शरीर के लिए अच्छा है। यह आसन आपकी पीठ, छाती और कूल्हे की मांसपेशियों पर काम करता है। यह आपके निचले शरीर को भी मजबूत बनाने के लिए एक बेहतरीन मुद्रा है। वीरभद्रासन करने के लिए आप एक साफ स्थान पर योग मेट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को 3 से 3.5 फिट फैला लें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने सिर के ऊपर जोड़ लें। इसके बाद अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं। अपने सिर को भी अपने दायं पैर की ओर घुमाएं और फिर अपने दायं पैर को 90 डिग्री मोड़ के अपने सिर को पीछे की ओर झुका दें और ऊपर की ओर देखें।
इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें। फिर से यही पूरी प्रक्रिया दूसरे वाले पैर से करें।
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फॉरवर्ड बेंड या उत्तानासन को आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान करने की सलाह नहीं दी जाती है लेकिन यह एक अपवाद है यह आसन पैर और पीठ के लिए अच्छा है। स्टैंडिंग फॉरवर्ड बेंड पोज़ को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर सीधा कर लें, अब धीरे-धीरे कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को पकड़ें। उत्तानासन मुद्रा में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें।
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शवासन एक कूलिंग ऑफ पोज है जो शारीरिक गतिविधि के बाद शरीर को शांत करने और आराम करने के लिए एकदम सही है। पहली तिमाही के बाद शवासन करते समय लेटने में सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था में इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों और हाथों को सीधा रखें। अब अपने दोनों पैरों के बीच में 1.5 से 2 फिट की दूरी रखें। अपने दोनों हाथों को शरीर से 40 डिग्री पर रखें और हथेलियों को ऊपर की ओर रखें। शवासन में आप अपनी क्षमता के अनुसार रह सकते है। शवासन मुद्रा का अर्थ सोना नहीं हैं बस आपको ऑंखें बंद रखना हैं।
(और पढ़े – शवासन योग करने के फायदे और तरीका…)
गर्भावस्था के दौरान योग अभ्यास करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें-
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