आमतौर पर प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में गर्भावस्था का पता लगाना मुश्किल होता है। वास्तव में यह वो समय होता है जब महिला का शरीर कंसीव करने के लिए तैयार होता है या हो चुका होता है। लेकिन गायनेकोलॉजिस्ट पूरे प्रेगनेंसी वीक में गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते को भी काउंट करती हैं और उसी के अनुसार डिलीवरी की डेट बताती हैं। डॉक्टर महिला की प्रेगनेंसी की गणना उसके अंतिम पीरियड के पहले दिन से करती हैं। प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते की फीलिंग कुछ महिलाओं को आसानी से होती है जबकि कुछ महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी का दूसरा हफ्ता बेहद सामान्य होता है। लेकिन शरीर यह संकेत दे देता है कि आप कंसीव करने वाली हैं या कंसीव कर चुकी हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते के लक्षण, अल्ट्रासाउंड, बच्चे की साइज और गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में केयर टिप्स बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
प्रेगनेंसी का दूसरा हफ्ता कैसे शुरू होता है – How to start Second Week of Pregnancy in Hindi
दो हफ्ते की प्रेगनेंसी में महिला के गर्भ में कोई भ्रूण या बच्चा नहीं होता है। महिला के पीरियड या माहवारी के 14 दिन बाद के पहले या दूसरे हफ्ते में ओव्यूलेशन पीरियड शुरू होता है और इसी दौरान इंटरकोर्स करने से महिला प्रेगनेंट होती है। प्रेगनेंसी के सेकेंड वीक में हैं एम्ब्रियो (भ्रूण) फॉर्मेशन में कुछ निश्चित बदलाव होते हैं जो बाद में एक बच्चे के रुप में डेवलप होता है। यह एम्ब्रियो 150 से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बनता है और बच्चे के विभिन्न अंगों के रुप में विकसित होता है। एम्ब्रियो तीन परतों वाला होता है और प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में बॉडी को कंसीव करने के लिए तैयार करता है।
गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में बच्चा कितना बड़ा होता है – Pregnancy Second week Baby Development in Hindi
प्रेगनेंसी के सेकेंड वीक में आमतौर पर कोई महिला प्रेगनेंट नहीं होती है इसलिए बच्चे का कोई आकार गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में नहीं होता है। सेकेंड वीक प्रेगनेंसी में महिला की ओवरी अंडा रिलीज करती है जो फैलोपियन ट्यूब में टहलता रहता है। दूसरे हफ्ते में इंटरकोर्स के बाद सैकड़ों स्पर्म फैलोपियन ट्यूब में टहलते हैं और अंडे से मिलने के लिए रास्ता बनाते हैं। जब एग और स्पर्म मिलकर फर्टिलाइज हो जाते हैं तो पीरियड रुक जाता है। 24 घंटे के अंदर फर्टिलाइज अंडे फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में चले जाते हैं और वहां भ्रूण के रुप में बढ़ने (grow) लगते हैं। हालांकि कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में बच्चे का आकार 0.1mm से 0.2mm हो सकता है। जबकि प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में कुछ महिलाओं का शरीर ही गर्भधारण के लिए तैयार होता है।
दूसरे सप्ताह की प्रेगनेंसी में पेट निकलना – 2nd Weeks pregnancy belly in Hindi
गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में पेट नहीं बढ़ता है बल्कि शरीर में कुछ बदलाव जरुर देखने को मिलते हैं। गर्भावस्था के कारण इनमें से कुछ बदलाव ऐसे होते हैं जो महिला को अपने शरीर के अंदर महसूस होते हैं जबकि कुछ बदलाव बाहरी होते हैं जो सभी को दिखायी देते हैं। प्रेगनेंसी के सेकेंड वीक में अगर यह डिटेक्स हो जाता है कि कोई महिला प्रेगनेंट है तो उसका पेट दूसरे हफ्ते से ही बढ़ना शुरु नहीं होता है बल्कि दूसरे सप्ताह में शरीर भ्रूण बनाने के लिए तैयार होता है। इसलिए 2 वीक प्रेगनेंसी में महिला का पेट नहीं निकलता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते के लक्षण – Second week pregnancy symptoms in Hindi
सबसे ज्यादा फर्टलाइल पीरियड यानी ओव्यूलेशन के दौरान इंटरकोर्स करने से महिला गर्भवती होती है। प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में ओव्यूलेशन के कुछ अच्छे संकेत दिखते हैं जो कंसीव (गर्भधारण) करने के लिए सेक्स करने का सबसे अच्छा समय होता है। वीक 2 में प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हैं:
सफेद सर्वाइकल म्यूकस: गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में सर्वाइकल म्यूकस अंडे की तरह पतला, क्लियर और चिपचिपा हो जाता है जो ओव्यूलेशन का संकेत देता है। यह स्पर्म को एग से मिलने में मदद करता है।
सूंघने की क्षमता बढ़ना: 2 वीक प्रेगनेंसी में महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण अलग-अलग तरह की महक सूंघने या पहचानने की क्षमता बढ़ जाती है। यह एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण होता है और ज्यादातर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस भी इसी वजह से होती है।
स्तन में दर्द: गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में हार्मोनल बदलाव के कारण महिला के स्तन में हल्के दर्द का अनुभव होता है।
पेल्विक में दर्द: प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते के लक्षण पेल्विक में दर्द होना भी है। वास्तव में इस दौरान ओवरी अंडा रिलीज करती है जिसके कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है।
हल्की स्पॉटिंग: दूसरे सप्ताह की प्रेगनेंसी में यानि गर्भावस्था के 8 से 10 दिन बाद महिला के अंडरवियर में लाल या ब्राउन स्पॉट दिखायी देता है। जब एम्ब्रियो महिला के गर्भाशय में की लाइनिंग में अपने आप चला जाता है तो हल्की स्पॉटिंग होती है।
बार बार पेशाब लगना: प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण गर्भावस्था के सेकेंड वीक में महिला को बार बार पेशाब का अनुभव होता है।
थकान: दूसरे हफ्ते की प्रेगनेंसी का एक बड़ा लक्षण थकान है। प्रेगनेंट महिला का शरीर बच्चे के विकास के लिए अधिक एनर्जी यूज करता है जिसके कारण गर्भवती महिला को थकान महसूस होती है।
इसके अलावा महिला का बेसल बॉडी टेम्परेचर बढ़ना, मॉर्निंक सिकनेस भी प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते के लक्षण हैं। हर प्रेगनेंट महिला को अलग-अलग लक्षणों का अनुभव होता है और जरूरी नहीं है कि हर महिला को इनमें से सभी लक्षण महसूस हों। महिला के स्वास्थ्य के आधार पर दूसरे हफ्ते के गर्भावस्था में अलग लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
गर्भधारण के 2 हफ्ते से कैसा हो आपका खानपान – 2 week pregnancy Diet in Hindi
गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में महिला को अधिक से अधिक पोषक तत्वों से भरपूर आहार या फूड लेना चाहिए। प्रीनेटल न्यूट्रिशन बढ़ाने से शरीर को आवश्यकत एनर्जी मिलती है जो बच्चे के विकास में मदद करती है। सेकेंड वीक प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए, आइये जानते हैं।
दही, दूध और चीज
दूसरे हफ्ते की प्रेगनेंसी में मिल्क, दही और चीज जैसे अच्छे डेयरी प्रोडक्ट खाने चाहिए। डेयरी उत्पादों में भरपूर माभा में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी पाये जाते हैं जो बॉडी को हेल्दी रखते हैं और भ्रूण के विकास में मदद करते हैं।
लीन प्रोटीन
प्रेगनेंट महिला को अपने हर आहार में अच्छा प्रोटीन शामिल करना चाहिए जिससे गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर का सही तरीके से ग्रोथ हो सकते। लीन प्रोटीन जैसे कि मीट, अंडे, मछली, बीन्स, टोफू,सीड्स और अखरोट एवं बादाम भरपूर मात्रा में खाना चाहिए। 2 वीक प्रेगनेंसी के लिए यह बेस्ट आहार है।
होल ग्रेन
दूसरे सप्ताह के गर्भावस्था के लिए ये फूड बहुत जरुरी हैं क्योंकि गर्भवती महिला को इससे बहुत एनर्जी मिलती है। होल ग्रेन से पर्याप्त मात्रा में फाइबर, आयरन, विटामिन बी मिल जाता है जो प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी के लिए जरुरी होता है। होल ग्रेन जैसे ओटमील, होल ह्वीट पास्ता, ब्रेड और ब्राउन राइस लेने से प्रेगनेंसी हेल्दी रहती है।
फल और सब्जियां
प्रेगनेंट लेडी को प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करने पर फोकस करना चाहिए। वास्तव में यही वो समय होता है जब महिला के शरीर को अच्छे खाद्य पदार्थों की जरुरत होती है जो शरीर को कंसीव करने एवं भ्रूण को डेवलप करने में बहुत मदद करता है। ताजे फलों के जूस, रंगीन और पत्तेदार सब्जियों के सलाद, सूप और शोरबा दूसरे हफ्ते के गर्भावस्था में जरुरी होते हैं।
दूसरे हफ्ते की प्रेगनेंसी के लिए टेस्ट – Pregnancy Second week test in Hindi
आमतौर पर प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में स्पर्म एग से मिलकर फर्टिलाइज होने की कोशिश कर रहा होता है ना की पूरी तरह फर्टिलाइज हो चुका होता है इसलिए गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में किसी तरह का टेस्ट कराने या डॉक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ती है।
प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में सेक्स करें या नहीं
चूंकि गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में यह क्लियर नहीं रहता है कि महिला प्रेगनेंट है या नहीं इसलिए प्रेगनेंसी के 2 वीक में सेक्स किया जा सकता है। दूसरे हफ्ते के दौरान महिला को अपने शरीर में बदलाव महसूस होते हैं जिससे उसे ओव्यूलेशन विंडो समझ में आने लगता है। फर्टाइल या ओव्यूलेशन विंडो में सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में अल्ट्रासाउंड
2 वीक प्रेगनेंसी बहुत खास नहीं होती है क्योंकि कुछ महिलाएं इसी दौरान गर्भधारण करती हैं जबकि कुछ का शरीर कंसीव करने के लिए रेडी होता है। इसलिए दूसरे हफ्ते के गर्भावस्था में महिला को अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत नहीं पड़ती है। जब बॉडी में प्रेगनेंसी के लक्षण दिखने लगे तब महिला को डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर के परामर्श के बाद ही अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए।
गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में देखभाल के लिए टिप्स – Second week pregnancy care tips in Hindi
गर्भावस्था का दूसरा हफ्ता शुरू होते ही महिला को अपनी विशेष देखभाल करनी चाहिए। इस दौरान हर प्रेगनेंट लेडी को पता होना चाहिए कि उसे अपनी केयर कैसे करनी है, क्या खाना और क्या नहीं खाना है।
- प्रेगनेंसी के 2 वीक में लंबे समय तक बैठे या खड़े रहना नहीं चाहिए बल्कि बॉडी को एक्टिव रखने के लिए टहलना फायदेमंद होता है।
- दो हफ्ते की प्रेगनेंसी में महिला को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। बाजार में मिलने वाले पेय पदार्थ, कॉफी, अत्यधिक चाय या एल्कोहल का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
- गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में डॉक्टर से पूछे बिना किसी तरह की दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते से ही डॉक्टर की सलाह लेकर एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन शुरु कर देना चाहिए।
- गर्भावस्था के सेकेंड वीक में महिला को गर्म पानी से भरे टब में बैठकर नहीं नहाना चाहिए।
- अधपकी मछली, प्रोसेस्ड मीड, अधपका अंडा, ऑर्गन मीट, कच्चे स्प्राउट्स आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रेगनेंसी का दूसरा हफ्ता काफी संवेदनशील माना जाता है। क्योंकि इस हफ्ते में महिला के हार्मोन तेजी से बदलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए महिला को गर्भधारण के दूसरे हफ्ते में प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते के लक्षण और केयर टिप्स के इस लेख में बताई गयी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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