7 सप्ताह की गर्भावस्था में प्रेगनेंसी का एहसास होने लगता है और महिला आने वाले बच्चे के लिए खुशी महसूस करती है। प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में गर्भावस्था के कई लक्षण नजर आने लगते हैं और मां को उल्टी, मितली और मॉर्निंग सिकनेस जैसे प्रेगनेंसी के लक्षणों का सामना करना पड़ता है। अब आप 7 हफ्ते की प्रेगनेंट हो चुकी हैं तो आपको प्रीनेटल विटामिन, कैल्शियम, फोलिक एसिड और आयरन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए और अपनी सेहत का खूब ख्याल रखना चाहिए। चूंकि प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में कई शारीरिक परेशानियां भी आती हैं जिससे उबरने के लिए अपने पार्टनर की हेल्प लें और रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहें।
प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में पेट अधिक नहीं बढ़ता है फिर भी शरीर में भारीपन महसूस होता है, इससे बचने के लिए हल्की एक्सरसाइज रोजाना करें। आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते के बारे में जानकारी देंगे। जिसमें हम आपको ये बताएंगे की 7 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आप किस तिमाही में हैं, आप कितने महीने की प्रेगनेंट हैं, गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में आपका बच्चा कितना बड़ा है, 7 हफ्ते की गर्भावस्था के लक्षण, प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते का डाइट प्लान और सात हफ्ते की प्रेगनेंसी में कैसे करें अपनी देखभाल।
प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में आप गर्भावस्था की पहली तिमाही (first trimester) में हैं। गर्भावस्था के अगले पांच हफ्तों के बाद आप अपनी प्रेगनेंसी की पहली तिमाही पूरी करेंगी। गर्भावस्था की पहली तिमाही कुछ 12 हफ्तों की होती है जिसे पूरा करने के बाद आप प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में प्रवेश करेंगी।
अगर आप 7 सप्ताह की गर्भावस्था में हैं तो आपकी प्रेगनेंसी का दूसरा महीना चल रहा है। इसका अर्थ यह है कि आपने अपनी गर्भावस्था के एक महीने और दो हफ्ते पूरे कर लिए हैं। आपकी प्रेगनेंसी के अभी 33 हफ्ते या 231 दिन यानी लगभग सात महीने बचे हैं।
7 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में आपका बच्चा ब्लूबेरी के आकार का होता है। गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में भ्रूण का आकार 0.4 इंच यानी लगभग 1 सेंमी होता है जो अगले हफ्ते में इसका दो गुना बढ़ जाता है। सप्ताह दर सप्ताह भ्रूण की साइज लगातार बढ़ती है।
सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपको अपने पेट में बच्चे की कुछ हलचल महसूस हो सकती है।
(और पाहे – गर्भ में शिशु का विकास महीने दर महीने…)
गर्भधारण करने के बाद महिला को उल्टी, मितली और मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याएं प्रेगनेंसी के शुरुआती हफ्ते में होती ही हैं लेकिन इसके साथ ही 7 सप्ताह के गर्भावस्था के दौरान शरीर भी कई परेशानियों से गुजरता है। गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में महिला के स्तन की कप साइज बढ़ जाती है और स्तन पहले से अधिक कोमल हो जाते हैं। कप साइज बढ़ने के कारण स्तन में कसाव महसूस होता है और दर्द एवं बेचैनी होती है। वास्तव में हार्मोनल बदलाव के कारण स्तनों में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है जिसके कारण यह समस्या आती है।
सिर्फ इतना ही नहीं 7 सप्ताह की प्रेगनेंसी के दौरान महिला के त्वचा का रंग पहले से अधिक निखर जाता है और बाल भी अधिक चमकदार हो जाते हैं। सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में एस्ट्रोजन का लेवल क्रमशः बढ़ता है जिसके कारण स्किन पहले से अधिक ग्लो करती है।
(और पाहे – गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन…)
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं और एक साथ कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। दरअसल, 7 वीक प्रेगनेंसी के दौरान एससीजी और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन पीक पर होते हैं जिसके कारण शरीर में गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में निम्न लक्षण दिखायी देते हैं:
गर्भावस्था का सातवां हफ्ता शुरू होते ही शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेगनेंट महिला के चेहरे पर तेजी से मुंहासे निकलते हैं जो अगले कई हफ्तों तक लगातार बने रहते हैं। 7 हफ्ते के गर्भावस्था से शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण महिला की स्किन पहले से अधिक ऑयली या ड्राई हो जाती है। इस दौरान नए मुंहासे रोज निकल सकते हैं जो पूरी तरह नॉर्मल है।
प्रेगनेंसी का सातवां हफ्ता शुरु होते ही गर्भवती महिला की किडनी पेट और यूटेरस फैल जाता है जिसके कारण ब्लैडर पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब का अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान पेशाब को रोकना नहीं चाहिए अन्यथा ब्लैडर इंफेक्शन हो सकता है।
(और पढ़े – बार बार पेशाब आने के घरेलू उपाय…)
सातवें सप्ताह के गर्भावस्था में पेट में बेचैनी के कारण मुंह में अधिक लार बनता है। प्रेगनेंसी के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो किसी न किसी रुप में नजर आते हैं। मुंह में अधिक मात्रा में लार बनने का कारण प्रेगनेंसी हार्मोन ही है। इसे कंट्रोल करने के लिए च्यूइंगम चबाना चाहिए।
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में प्रेगनेंसी हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण तेज थकान महसूस होती है और अधिक नींद आती है। इसके अलावा बच्चे को खून की सप्लाई करने के लिए बॉडी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिससे थकान महसूस होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक महिला को थकान होती है।
सातवें सप्ताह के गर्भावस्था में प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं और निपल का रंग गहरा हो जाता है। इस दौरान ब्रेस्ट में दर्द भी होता है और सूजन भी नजर आती है।
हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में सिरदर्द होता है और पूरे दिन मूड स्विंग रहता है। हालांकि कुछ महिलाओं को सिर दर्द जैसे लक्षण प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते बाद नजर आते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली और उल्टी को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है। गर्भधारण के बाद ये लक्षण नजर आने लगते हैं। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पूरे 9 महीनों तक मॉर्निंग सिकनेस होती है।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में दर्द होने के कारण और इलाज…)
सातवें सप्ताह के गर्भावस्था में शरीर में ऐंठन और सूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं। 7 वीक की प्रेगनेंसी में एग इंप्लांट होने के कारण गर्भाशय में खिंचाव आ जाता है। ऐसी स्थिति में छींकने, खांसने और उठने बैठने की पोजिशन बदलने से ऐंठन और बढ़ जाती है। सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में सामान्य ऐंठन तो ठीक है लेकिन यदि ऐंठन या क्रैम्पिंग गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
(और पढ़े – गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के दौरान पेट दर्द…)
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में हल्की ब्लीडिंग होती है जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। जब पीरियड रुक जाता है और भ्रूण गर्भाशय से अटैच होता है तो इस दौरान कुछ महिलाओं को स्पॉटिंग या इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक इस तरह की स्पॉटिंग होती रहती है।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी में महिलाओं को ब्लीडिंग होने के कारण…)
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में पेट नहीं बढ़ता है बल्कि पहले की तरह सामान्य ही दिखायी देता है। 7 वीक की प्रेगनेंसी में आपके गर्भ में पल रहे शिशु का आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण पेट में कोई बदलाव नजर नहीं आता है। हां यह जरुर होता है कि प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण पेट में सूजन हो जाती है जिससे पेट फुला हुआ नजर आता है। हालांकि यह देखने में प्रेगनेंसी के लक्षण जैसा नहीं लगता है।
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में बच्चे के विकास की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सातवें हफ्ते में भ्रूण का विकास बहुत तेजी से होता है। इसे एम्ब्रियॉनिक पीरियड कहा जाता है क्योंकि इस समय बच्चे के शरीर की संरचनाएं बनने लगती हैं। दरअसल, गर्भ में पल रहे भ्रूण एक्टोडर्म, मेसोडर्म और इंडोडर्म इन तीन परतों वाला होता है जिससे विभिन्न अंग डेवलप होते हैं। आइये जानते हैं सात वीक प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण का विकास कैसे होता है।
साइज: 7 वीक प्रेगनेंसी में भ्रूण का आकार ब्लूबेरी के बराबर होता है।
हृदय: गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में भ्रूण का सर्कुलेटरी सिस्टम डेवलप हो जाता है और हार्ट बीट बनने लगती है। अल्ट्रासाउंड से भ्रूण का हार्ट बीट डिटेक्ट किया जा सकता है। हालांकि सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में भ्रूण का हार्ट रेट बहुत धीमा होता है लेकिन हफ्ते दर हफ्ते यह बढ़ता जाता है।
मस्तिष्क: प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में न्यूरल ट्यूब बनना शुरू हो जाता है और बाद में यह रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क और प्रमुख तंत्रिकाओं का निर्माण करता है।
लिवर: 7 वें सप्ताह की प्रेगनेंसी में भ्रूण के लिवर में ब्लड सेल्स बनने लगते हैं।
किडनी: किडनी भी गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में ही बनती है।
उंगलिया: भ्रूण की छोटी छोटी उंगलियों का निर्माण होता है।
चेहरा:सातवें हफ्ते के गर्भावस्था में बच्चे के चेहरे का निर्माण होता है जो सरीसृप की तरह लगता है।
आंखें और लिम्ब: इन दोनों अंगों का निर्माण भी प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में होता है।
प्लेसेंटा: सातवें सप्ताह में प्लेसेंटा बनता है जो बच्चे को पोषक तत्व प्रदान करने का कार्य करता है।
आंत: भ्रूण की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक और रक्त वाहिकाएं विकसित होती है।
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में भ्रूण के ये सभी अंग महज आकार लेते हैं और प्रेगनेंसी के 9 महीनों तक इन अंगों का विकास होता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह…)
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड कराने की जल्दी नहीं करनी चाहिए क्योंकि सातवें हफ्ते में भ्रूण टैडपोल की तरह दिखायी देता है और शिशु के पेट, हृदय
, लिवर, किडनी जैसे अन्य अंग बनने शुरु होते हैं। जिससे अल्ट्रासाउंड इमेज क्लियर नहीं हो पाती है और कई बार अल्ट्रासाउंड में कुछ भी नजर नहीं आता है। यदि आपको प्रेगनेंसी संबंधी समस्याएं न रही हों तो प्रेगनेंसी के 8वें या 9वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए या गायनेकोलॉजिस्ट जब सुझाव दें तब ही अल्ट्रासाउंड कराएं।(और पढ़े – गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए…)
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में हमेशा की तरह सामान्य रुप से सेक्स किया जा सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी हार्मोन का स्तर बढ़ने के सेक्स ड्राइव भी बढ़ जाती है लेकिन मॉर्निंग सिकनेस सहित प्रेगनेंसी के अन्य लक्षण महिलाओं को परेशान करते हैं जिससे वे सेक्स करने में सहज नहीं हो पाती हैं। आपकी डॉक्टर जब तक मना न करें, तब तक आपको सेक्स करना चाहिए।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना, सही या गलत…)
यदि आपको लगता है कि आप जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हैं तो प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में आप ट्विन प्रेगनेंसी को डिटेक्स करा सकती हैं। अगर कोख में दो भ्रूण होते हैं तो प्रेगनेंसी के छठें हफ्ते में दोनों शिशु एक थैली की बजाय अलग अलग थैली में आ जाते हैं और उनकी हार्टबीट आसानी से सुनी जा सकती है। यदि आपको अपनी ट्विन प्रेगनेंसी के बारे में जानने की जल्दबाजी है तो गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में इसका पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में कुछ महिलाओं को गर्भपात भी हो सकता है। सातवें हफ्ते में यदि नॉर्मल पीरियड से अधिक ब्लीडिंग होती है तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी ऊतक येटेरिन लाइनिंग से बहकर थक्के के रुप में बाहर निकल आते हैं और भ्रूण क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसका विकास रुक जाता है। इस दौरान महिला के शरीर में पीरियड की तरह ही दर्द और मूड स्विंग जैसे लक्षण नजर आते हैं और पेट का दर्द बढ़ता, घटता रहता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
(और पढ़े – गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी…)
7 वीक की प्रेगनेंसी डाइट में वह सभी चीजें शामिल करनी चाहिए जिनमें अधिक से अधिक पोषक तत्व मौजूद हों और जो बच्चे के विकास में मदद करे।
प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में रोजाना पांच से सात बार फल और सब्जियों का सेवन करने चाहिए। इस दौरान फलों के जूस, स्मूदी, सब्जियों का सूप, शोरबा आदि लेना चाहिए। अपने आहार में गहरी हरे रंग की सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें और नाश्ते में फल जरुर खाएं।
प्रेगनेंसी के सातवें सप्ताह में स्टार्ची फूड लेना न भूलें। पर्याप्त मात्रा में चुकंदर, पोटैटो, ब्राउन राइस, क्विनोआ, ब्रेड, पास्ता, अनाज और होलग्रेन का सेवन करें।
गर्भावस्था के सातवें सप्ताह में भ्रूण के विकास के लिए प्रोटीन की बहुत जरुरत होती है। प्रोटीन प्राप्त करने के लिए लीन मीट, मछली, अंडे, दालें, बीन्स रोजाना खाना चाहिए।
डेयरी फूड न सिर्फ भ्रूण के विकास में मदद करते हैं बल्कि महिला के शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। डेयरी उत्पादों जैसे दूध, चीज, दही कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें।
(और पढ़े – गर्भावस्था में आहार जो देगा माँ और बच्चे को पूरा पोषण…)
(और पढ़े – गर्भावस्था के समय क्या न खाएं…)
(और पढ़े – नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज और व्यायाम…)
दरअसल टैक्सोप्लाज्मोसिस एक इंफेक्शन है जो अधपका मीट, अंडा या अन्य चीजें खाने से होता है। प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते में इसका जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि सात सप्ताह के गर्भावस्था में भ्रूण का आकार ब्लूबेरी के बराबर हो जाता है और शिशु तेजी से विकास करता है। जब मां का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है तो टैक्सोप्लाज्मोसिस इंफेक्शन तेजी से बढ़ सकता है जो मां से ज्यादा बच्चे के लिए हानिकारक होता है। अगर आप गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में प्रवेश कर गयी हैं तो अपने हाथ से मीट न पकाएं और पूरी प्रेगनेंसी के दौरान अधपका मांस या अन्य कच्ची वस्तुएं न खाएं।
यदि आप फर्टिलिटी ड्रग्स का इस्तेमाल कर रही हैं या आपके परिवार में पहले जुड़वां बच्चे पैदा हो चुके हैं तो आपके ट्विन प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि अलग-अलग उम्र की महिलाओं में जुड़वां बच्चे होने की संभावना अलग-अलग होती है।
गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में कुछ महिलाएं जब कई बार अपने बच्चे को महसूस भी नहीं कर पाती हैं, उस दौरान भी उन्हें पेल्विक में दर्द और ऐंठन महसूस होता है। सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में गर्भाशय में कई एक्टिविटी चल रही होती है जिसके कारण पेल्विक में ऐंठन या दर्द होना बिल्कुल सामान्य है। लेकिन यदि दर्द बहुत अधिक होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
(और पढ़े – पेडू में दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार…)
गर्भावस्था के 5वें और 6ठें हफ्ते में ही गर्भ में पल रहे शिशु के कई अंग आकार ले चुके होते हैं जो प्रेगनेंसी के सातवें हफ्ते से विकसित होने लगते हैं। इसलिए प्रेगनेंट महिला के लिए गर्भावस्था का सातवां हफ्ता खास होता है। इस दौरान विशेषरुप से एक्सरसाइज करते समय प्रेगनेंट महिला को कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए और एक्सरसाइज करते समय ये गलतियां नहीं करनी चाहिए।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी में किये जाने वाले योग…)
इस आर्टिकल में हमने गर्भावस्था के सातवें हफ्ते के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। जिसमें हमने आपको बताया की 7 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपके शरीर में किस तरह के बदलाव आते हैं, गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में किन लक्षणों का सामना करना पड़ता है, 7 हफ्ते की गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या न खाएं। इसके अलावा हमने सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज और मां के देखभाल से जुड़ी जानकारी भी दी। उम्मीद है सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में ये सभी जानकारी आपके काम आएंगी।
प्रेगनेंसी का सातवां हफ्ता, इस लेख में हमने गर्भावस्था के सातवें हफ्ते (Pregnancy seventh week in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। जिसमें हमने आपको बताया की 7 हफ्ते की प्रेगनेंसी में आपके शरीर में किस तरह के बदलाव आते हैं, गर्भावस्था के सातवें हफ्ते में किन लक्षणों का सामना करना पड़ता है, 7 हफ्ते की गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या न खाएं। इसके अलावा हमने सातवें हफ्ते की प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज और मां के देखभाल से जुड़ी जानकारी भी दी।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
आपको ये भी जानना चाहिये –
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…