गर्भावस्था का छठा सप्ताह हर प्रेगनेंट महिला के लिए बेहद खास होता है। प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में यह पूरी तरह कन्फर्म हो जाता है कि आप गर्भवती हैं। इसलिए ज्यादातर महिलाएं छठे हफ्ते से डॉक्टर के पास जाकर अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराना शुरू कर देती हैं। यही वो हफ्ता होता है जब भ्रूण का विकास तेजी से होने लगता है और मां के शरीर में प्रेगनेंसी के अलग-अलग लक्षण दिखायी देने लगते हैं। प्रेगनेंसी के सिक्स वीक से महिलाएं प्रीनेटल विटामिन लेना शुरु कर देती हैं और अपनी प्रेगनेंसी को महसूस करने लगती हैं।
चूंकि आप अपनी प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में प्रवेश कर चुकी हैं तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के छठे हफ्ते में आपके शरीर में क्या बदलाव आते हैं, आपका बच्चा कितना बड़ा हो जाता है, भ्रूण का विकास किस तरह होता है। इसके साथ ही हम यह भी बताएंगे कि प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में क्या लक्षण नजर आते हैं, गर्भवती महिला गर्भधारण के छठे हफ्ते में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए और अपनी देखभाल कैसे करनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में आप गर्भावस्था की पहली तिमाही में हैं। आपके गर्भावस्था की पहली तिमाही 12 हफ्तों में पूरी होगी जिसके बाद आप अपनी प्रेगनेंसी के दूसरी तिमाही में प्रवेश करेंगी।
प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में आपके गर्भावस्था का दूसरा महीना चल रहा है यानी आप लगभग दो महीने की प्रेगनेंट हैं। अभी आपकी प्रेगनेंसी को पूरा होने में 7 महीने यानी 34 हफ्ते या 238 दिन बचे हुए हैं।
प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह में बच्चे की साइज मटर या अनार के दाने के बराबर होता है। जबकि गर्भावस्था के छठे हफ्ते में भ्रूण की औसत लंबाई 0.25 इंच या 4 से 7 मिमी होती है। अब भ्रूण का विकास तेजी से होना शुरू होता है और ठीक अगले ही हफ्ते में बच्चे की साइज इसकी दोगुनी हो जाती है। पूरी प्रेगनेंसी के दौरान शिशु का वजन 3000 बार बढ़ता है।
(और पढ़े – गर्भ में शिशु का विकास महीने दर महीने…)
चूंकि गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में शिशु के कई अंगों का निर्माण हो चुका होता है जो गर्भावस्था के छठे हफ्ते के परिपक्व होता है और शिशु का शरीर तेजी से विकास करता है। छठे हफ्ते की गर्भावस्था में शिशु की हार्टबीट 105 से 110 प्रति मिनट सुनी जा सकती है। इसके अलावा मां के शरीर के विभिन्न अंगों में भी परिवर्तन आ जाता है। जबकि कई अंगों के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह में जब मां के कोख में बच्चे का विकास तेजी से होता है तो महिला के कई आंतरिक अंग सामान्य से बिल्कुल अलग आकार में आ जाते हैं जो शरीर की स्थिति में बदलाव पैदा करते हैं। आइये जानते हैं गर्भावस्था के छठे हफ्ते में मां का शरीर कैसे काम करता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन…)
गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं और एक साथ कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। दरअसल, 6 वीक प्रेगनेंसी के दौरान एचसीजी और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन पीक पर होते हैं जिसके कारण शरीर में गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में निम्न लक्षण दिखायी देते हैं:
बार बार पेशाब आना: प्रेगनेंसी का छठा हफ्ता शुरु होते ही गर्भवती महिला की किडनी पेट और यूटेरस फैल जाता है जिसके कारण ब्लैडर पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे प्रेगनेंट महिला को बार-बार पेशाब का अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान पेशाब को रोकना नहीं चाहिए अन्यथा ब्लैडर इंफेक्शन हो सकता है।
अधिक लार आना: छठे सप्ताह के गर्भावस्था में पेट में बेचैनी के कारण मुंह में अधिक लार बनता है। प्रेगनेंसी के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो किसी न किसी रुप में नजर आते हैं। मुंह में अधिक मात्रा में लार बनने का कारण प्रेगनेंसी हार्मोन ही है। इसे कंट्रोल करने के लिए च्यूइंगम चबाना चाहिए।
थकान: गर्भावस्था के छठे हफ्ते में प्रेगनेंसी हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण तेज थकान महसूस होती है और अधिक नींद आती है। इसके अलावा बच्चे को खून की सप्लाई करने के लिए बॉडी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिससे थकान महसूस होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक महिला को थकान होती है।
स्तन में बड़े होना: छठे सप्ताह के गर्भावस्था में प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं और निपल का रंग गहरा हो जाता है। इस दौरान ब्रेस्ट में दर्द भी होता है और सूजन भी नजर आती है।
सिरदर्द और मूड स्विंग: हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण गर्भावस्था के छठे हफ्ते में सिरदर्द होता है और पूरे दिन मूड स्विंग रहता है। हालांकि कुछ महिलाओं को सिर दर्द जैसे लक्षण प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते बाद नजर आते हैं।
मितली और उल्टी: गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली और उल्टी को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है। गर्भधारण के बाद ये लक्षण नजर आने लगते हैं। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के पूरे 9 महीनों तक मॉर्निंग सिकनेस होती है।
(और पढ़े – ज्यादा देर तक पेशाब रोकने से हो सकते है ये नुकसान…)
छठे सप्ताह के गर्भावस्था में शरीर में ऐंठन और सूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं। 6वीक की प्रेगनेंसी में एग इंप्लांट होने के कारण गर्भाशय में खिंचाव आ जाता है। ऐसी स्थिति में छींकने, खांसने और उठने बैठने की पोजिशन बदलने से ऐंठन और बढ़ जाती है। छठे हफ्ते की प्रेगनेंसी में सामान्य ऐंठन तो ठीक है लेकिन यदि ऐंठन या क्रैम्पिंग गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
(और पढ़े – गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के दौरान पेट दर्द…)
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में हल्की ब्लीडिंग होती है जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। जब पीरियड रुक जाता है और भ्रूण गर्भाशय से अटैच होता है तो इस दौरान कुछ महिलाओं को स्पॉटिंग या इंप्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही तक इस तरह की स्पॉटिंग होती रहती है।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी में महिलाओं को ब्लीडिंग होने के कारण…)
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में पेट नहीं बढ़ता है बल्कि पहले की तरह सामान्य ही दिखायी देता है। 5 वीक की प्रेगनेंसी में आपके गर्भ में पल रहे शिशु का आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण पेट में कोई बदलाव नजर नहीं आता है। हां यह जरुर होता है कि प्रेगनेंसी हार्मोन के कारण पेट में सूजन हो जाती है जिससे पेट फुला हुआ नजर आता है। हालांकि यह देखने में प्रेगनेंसी के लक्षण जैसा नहीं लगता है।
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में बच्चे के विकास की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन छठे हफ्ते में भ्रूण का विकास बहुत तेजी से होता है। इसे एम्ब्रियॉनिक पीरियड कहा जाता है क्योंकि इस समय बच्चे के शरीर की संरचनाएं बनने लगती हैं। दरअसल, गर्भ में पल रहे भ्रूण एक्टोडर्म, मेसोडर्म और इंडोडर्म इन तीन परतों वाला होता है जिससे विभिन्न अंग डेवलप होते हैं। आइये जानते हैं 6 वीक प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण का विकास कैसे होता है।
साइज: 6 वीक प्रेगनेंसी में भ्रूण का आकार मटर के दाने के बराबर या उससे एक चौथाई इंच कम होता है।
हृदय: गर्भावस्था के छठे हफ्ते में भ्रूण का सर्कुलेटरी सिस्टम डेवलप हो जाता है और हार्ट बीट बनने लगती है। अल्ट्रासाउंड से भ्रूण का हार्ट बीट डिटेक्ट किया जा सकता है। हालांकि छठे हफ्ते की प्रेगनेंसी में भ्रूण का हार्ट रेट बहुत धीमा होता है लेकिन हफ्ते दर हफ्ते यह बढ़ता जाता है।
मस्तिष्क: प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में न्यूरल ट्यूब बनना शुरू हो जाता है और बाद में यह रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क और प्रमुख तंत्रिकाओं का निर्माण करता है।
लिवर: 6वें सप्ताह की प्रेगनेंसी में भ्रूण के लिवर में ब्लड सेल्स बनने लगते हैं।
किडनी: किडनी भी गर्भावस्था के पांचवें हफ्ते में ही बनती है।
उंगलिया: भ्रूण की छोटी छोटी उंगलियों का निर्माण होता है।
चेहरा: छठे हफ्ते के गर्भावस्था में बच्चे के चेहरे का निर्माण होता है जो सरीसृप की तरह लगता है।
आंखें और लिम्ब: इन दोनों अंगों का निर्माण भी प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में होता है।
प्लेसेंटा: छठे सप्ताह में प्लेसेंटा बनता है जो बच्चे को पोषक तत्व प्रदान करने का कार्य करता है।
आंत: भ्रूण की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक और रक्त वाहिकाएं विकसित होती है।
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में भ्रूण के ये सभी अंग महज आकार लेते हैं और प्रेगनेंसी के 9 महीनों तक इन अंगों का विकास होता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह…)
प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में अल्ट्रासाउंड कराने की जल्दी नहीं करनी चाहिए क्योंकि पांचवें हफ्ते में भ्रूण टैडपोल की तरह दिखायी देता है और शिशु के पेट, हृदय, लिवर, किडनी जैसे अन्य अंग बनने शुरु होते हैं। जिससे अल्ट्रासाउंड इमेज क्लियर नहीं हो पाती है और कई बार अल्ट्रासाउंड में कुछ भी नजर नहीं आता है। यदि आपको प्रेगनेंसी संबंधी समस्याएं न रही हों तो प्रेगनेंसी के 8वें या 9वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए या गायनेकोलॉजिस्ट जब सुझाव दें तब ही अल्ट्रासाउंड कराएं।
(और पढ़े – गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए)
किसी भी महिला के शरीर में एचसीजी हार्मोन ही उसकी प्रेगनेंसी को कन्फर्म करता है। ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के चौथे हफ्ते में ही प्रेगनेंसी टेस्ट करके अपने मां बनने की पुष्टि कर लेती हैं जबकि कुछ महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था के चौथे हफ्ते में एससीजी हार्मोन का स्तर बहुत कम होता है जिससे उन्हें अपनी प्रेगनेंसी नहीं पता चल पाती है। इसलिए महिला को प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में अपनी प्रेगनेंटी जरुर डिटेक्ट कर लेनी चाहिए। गर्भावस्था के छठे सप्ताह में एससीजी हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है जिससे प्रेगनेंसी की पुष्टि करना आसान हो जाता है। हालांकि एक्टोपिक प्रेगनेंसी या गर्भधारण संबंधी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा।
(और पढ़े – प्रेगनेंसी टेस्ट करने के घरेलू उपाय तरीके और नुस्खे…)
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में हमेशा की तरह सामान्य रुप से सेक्स किया जा सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी हार्मोन का स्तर बढ़ने के सेक्स ड्राइव भी बढ़ जाती है लेकिन मॉर्निंग सिकनेस सहित प्रेगनेंसी के अन्य लक्षण महिलाओं को परेशान करते हैं जिससे वे सेक्स करने में सहज नहीं हो पाती हैं। आपकी डॉक्टर जब तक मना न करें, तब तक आपको सेक्स करना चाहिए।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना, सही या गलत…)
यदि आपको लगता है कि आप जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली हैं तो प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते में आप ट्विन प्रेगनेंसी को डिटेक्स करा सकती हैं। अगर कोख में दो भ्रूण होते हैं तो प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में दोनों शिशु एक थैली की बजाय अलग अलग थैली में आ जाते हैं और उनकी हार्टबीट आसानी से सुनी जा सकती है। यदि आपको अपनी ट्विन प्रेगनेंसी के बारे में जानने की जल्दबाजी है तो गर्भावस्था के छठे हफ्ते में इसका पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था के छठे हफ्ते में कुछ महिलाओं को गर्भपात भी हो सकता है। छठे हफ्ते में यदि नॉर्मल पीरियड से अधिक ब्लीडिंग होती है तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है। इस दौरान प्रेगनेंसी ऊतक येटेरिन लाइनिंग से बहकर थक्के के रुप में बाहर निकल आते हैं और भ्रूण क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसका विकास रुक जाता है। इस दौरान महिला के शरीर में पीरियड की तरह ही दर्द और मूड स्विंग जैसे लक्षण नजर आते हैं और पेट का दर्द बढ़ता, घटता रहता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
(और पढ़े – गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी…)
6 वीक की प्रेगनेंसी डाइट में वह सभी चीजें शामिल करनी चाहिए जिनमें अधिक से अधिक पोषक तत्व मौजूद हों और जो बच्चे के विकास में मदद करे।
प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते में रोजाना पांच से सात बार फल और सब्जियों का सेवन करने चाहिए। इस दौरान फलों के जूस, स्मूदी, सब्जियों का सूप, शोरबा आदि लेना चाहिए। अपने आहार में गहरी हरे रंग की सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें और नाश्ते में फल जरुर खाएं।
प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह में स्टार्ची फूड लेना न भूलें। पर्याप्त मात्रा में चुकंदर, पोटैटो, ब्राउन राइस, क्विनोआ, ब्रेड, पास्ता, अनाज और होलग्रेन का सेवन करें।
गर्भावस्था छठे सप्ताह में भ्रूण के विकास के लिए प्रोटीन की बहुत जरुरत होती है। प्रोटीन प्राप्त करने के लिए लीन मीट, मछली, अंडे, दालें, बीन्स रोजाना खाना चाहिए।
डेयरी फूड न सिर्फ भ्रूण के विकास में मदद करते हैं बल्कि महिला के शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। डेयरी उत्पादों जैसे दूध, चीज, दही कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें।
(और पढ़े – गर्भावस्था में आहार जो देगा माँ और बच्चे को पूरा पोषण…)
(और पढ़े – गर्भावस्था के समय क्या न खाएं…)
ऊपर दिए गए आर्टिकल में हमने आपको प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते के बारे में जानकारी दी। जिसमें हमने आपको गर्भावस्था के छठे सप्ताह में प्रेगनेंसी की तिमाही, गर्भावस्था के दिन और महीने, शिशु की साइज, गर्भावस्था के छठे हफ्ते की शुरुआत, प्रेगनेंसी के छठे हफ्ते के लक्षण, अल्ट्रासाउंड, टेस्ट और गर्भावस्था के छठे हफ्ते में क्या खाएं, क्या न खाएं और अपनी देखभाल कैसे करें सहित कई जानकारियां दी हैं। उम्मीद है यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप अपनी प्रेगनेंसी के छठे वीक में सभी तरह के पोषक तत्व और मिनरल, विटामिन एवं फोलिक एसिड लेना शुरू कर दी होगीं। हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए सभी बातों का अनुसरण करें या डॉक्टर की सलाह लें।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
आपको ये भी जानना चाहिये –
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…