Premature Delivery in Hindi समय से पहले प्रसव होना या समय से पहले बच्चे के जन्म होने को प्रीमैच्योर डिलीवरी (premature delivery) या प्रीटर्म बर्थ कहा जाता है। समय से पहले डिलीवरी की यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब गर्भावस्था में बच्चे के जन्म के निश्चित किये हुए सप्ताह से तीन सप्ताह पहले बच्चे का जन्म हो जाये। इस स्थिति में पैदा हुए बच्चे के जन्म को प्रीटर्म बर्थ (preterm birth) कहा जाता है। समय से पहले प्रसव होने से माँ और बच्चे दोनों के लिए कई समस्याएं उत्पन्न होती है। प्रीमैच्योर डिलीवरी या समय से पहले प्रसव होने के मामलें भारत में सबसे ज्यादा देखने को मिलते है, भारत में यह आकड़ा पाया गया है की 27 मिलियन बच्चों में से 3.5 मिलियन बच्चे प्रीमैच्योर पैदा होते है। जो लगभग 10% के बराबर है।
गर्भवती महिलाओं में दिन पर दिन समय से पहले प्रसव होने की समस्या बढ़ती ही जा रही है। समय से पहले जन्मे बच्चों को थोड़ी देखभाल और केयर की जरुरत होती है क्योंकि उनका शरीर अभी बाहरी वातावरण के लिए तैयार होने में समय लगाता है। तो आईये आज इस लेख में जाने की समय से पूर्व प्रसव क्या होता है और इसके कारण क्या क्या जटिलताये उत्पन्न होती है और इस प्रीमैच्योर डिलीवरी की स्थिति से कैसे बचा जा सकता है।
विषय सूची
1. समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) क्या होता है – What is premature delivery in Hindi
2. प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के लक्षण – Symptoms of premature delivery in hindi
3. प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कारण – Premature delivery hone ke karan in Hindi
4. प्रीमैच्योर डिलीवरी से होने वाली जटिलताएं – Premature delivery complications in Hindi
5. प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम का पता लगाने के लिए जांच – Premature delivery diagnosis in Hindi
6. प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के तरीके – Premature delivery prevention in Hindi
प्रीमैच्योर डिलीवरी या समय से पहले प्रसव या लेबर की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में ही गर्भाशय पर दबाव बनने लगता है और गर्भाशय का मुंह खुलने लगता है, इस स्थिति को प्रीटर्म लेबर (preterm labor) कहा जाता है, वैसे तो सामान्य स्थिति में गर्भावस्था का काल 40 सप्ताह तक चलता है, परन्तु यह समझना बहुत जरुरी है की हर वो महिला जिसे गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में इस तरह का दर्द हो इससे यह ज़रूरी नहीं है की वह बच्चे को जन्म देने वाली है, क्योकि कभी कभी सामान्य स्थिति में भी गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पूर्व भी इस तरह का दर्द हो सकता है।
यदि गर्भवती महिला या होने वाले बच्चे को कोई खतरा हो तब उस स्थिति में समय से पहले बच्चे का जन्म कराया जाता है और उसके लिए डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी का सुझाव दे सकते है। समय से पहले डिलीवरी करवाने का विकल्प बहुत ही गंभीर स्थिति में लिया जाता है जैसे कोई चिकित्सकीय परेशानी या बच्चे के गले में नाल फंस जाये या किसी अन्य वजह से माँ और बच्चे को जान का खतरा हो ऐसे स्थिति में समय से पूर्व प्रसव कराया जाता है।
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समय से पूर्व प्रसव होने के कुछ शुरूआती लक्षण दिखाई देते है जिनसे आसानी से समझा जा सकता है की यह प्रीटर्म लेबर के लक्षण है या नहीं। समय से पहले डिलीवरी होने के लक्षणों में शामिल है-
समय से पहले प्रसव होने का पता करने का सबसे मुख्य लक्षण है गर्भ में मौजूद एमनिओटिक सैक (amniotic sac) में से एमनिओटिक द्रव (amniotic fluid) मतलब पानी जैसा तरल पदार्थ का थैली में से निकलना। इस थैली को आम भाषा में पानी की थैली कहा जाता है, तो अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है की आपकी पानी की थैली फट गयी है और उसमे से वह द्रव बाहर आ रहा है तो समझ लीजिये यह प्रीटर्म लेबर के लक्षण है इसलिए तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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समय से पहले प्रसव होने की स्थिति में गर्भाशय में तेजी से संकुचन होता है जो प्रीटर्म लेबर का अहम लक्षण हैं। शुरुआती लक्षणों में यह देखा जाता है की गर्भाशय में संकुचन की गति धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन प्रसव का समय नज़दीक आने पर यह गति तेजी से बढ़ जाती है। यदि आपको एक घंटे के अंदर 4 से 5 बार संकुचन महसूस हो तो समझ लीजिये आपको समय से पहले लेबर पेन चालू हो गया है इसलिए तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भवती महिलाओं को एक अलग तरह का संकुचन भी महसूस होता है, जिसे प्रोड्रोमल लेबर (prodromal labor) कहा जाता है। आमतौर पर गर्भाशय में यह संकुचन कुछ ही समय के लिए होते हैं परन्तु यह गर्भ में बच्चे की गलत स्थिति में होने का संकेत देता हैं। इसलिए ऐसा महसूस होने पर भी अपने डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करें।
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समय से पूर्व प्रसव होने का एक लक्षण यह भी है की जब लेबर पेन शुरू होता है तो दर्द सबसे पहले पीठ में होता है उसके बाद आगे की तरफ या नीचे की तरफ आता है जिससे यह महसूस होता है की बच्चा धीरे धीरे नीचे की ओर आ रहा है।
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जब समय से पहले प्रसव की स्थिति आती है तो ग्रीवा (Cervix) पतली होने लगती है और फैलने लगती है जिससे यह अनुमान लगाया जाता है की गर्भवती महिला के गर्भाशय का नीचे का हिस्सा प्रसव के लिए तैयार हो गया है। प्रसव के समय में गर्भवती महिलाओं की ग्रीवा कम से कम 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है।
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समय से पूर्व प्रसव होने का एक यह भी बहुत बड़ा लक्षण है क्योकि जब महिलाएं प्रसव के दौर से गुजरती है तब उन्हें कुछ दिन पहले से ही चिड़चिड़ापन होने लगता है या कभी अचानक वह रोने लगती है। इस तरह के मूड बदलने पर भी यह माना जा सकता है की महिला को प्रसव होने वाला है।
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समय से पहले प्रसव आने के लक्षणों में एक यह भी शामिल है की प्रसव का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिलाओं को बहुत ज्यादा नींद आती है और कमजोरी सी महसूस होती है।
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)समय से पहले प्रसव आने से पहले की स्थिति में वजन तेजी से बढ़ता है या घटता है परन्तु ऐसा होना आम बात है आपके वजन का असर बच्चे के वजन पर नहीं पड़ता है।
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समय से पूर्व प्रसव होना या प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कई कारण होते है जिनकी वजह से यह स्थिति उत्पन्न होती है। कई चिकित्सकीय कारणों और सामाजिक या जीवनशैली से जुड़े कुछ कारणों की वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी जैसी स्थिति का सामना गर्भवती महिलाओं को करना पड़ता है।
इन सभी कारणों की वजह से गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी होने की संभावना अधिक होती है।
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प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-eclampsia) ऊपर दिए गए किसी भी कारणों की वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी या समय से पहले प्रसव होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए इनकी सही देखभाल और उचित नियंत्रण से प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम किया जा सकता है नहीं तो उससे कई प्रकार की जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है।
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समय से पहले डिलीवरी या समय से पहले प्रसव होने की स्थिति में कई जटिलताएं उत्पन्न होती है जो माँ और बच्चे दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकती है और बच्चे को इससे बहुत ज्यादा नुकसान भी पहुँच सकता है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं में शामिल है-
प्रीमैच्योर डिलीवरी में या समय से पूर्व प्रसव की स्थिति उत्पन्न होने से होने वाले बच्चे को सांस लेने में परेशानी उत्पन्न हो सकती है।
समय से पहले जन्मे बच्चे या प्रीमैच्योर डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों को हार्ट प्रॉब्लम हो सकती है। प्रीमैच्योर बच्चों को हार्ट की जो सबसे आम बीमारी होती है वह है पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (patent ductus arteriosus)(पीडीए) और निम्न रक्तचाप (low blood pressure) (हाइपोटेंशन)।
जो बच्चे समय से पूर्व जन्म लेते है उन्हें मस्तिष्क में रक्तस्राव का खतरा अधिक रहता है, जिसे अंतर्गर्भाशयी रक्तस्राव (intraventricular hemorrhage) कहा जाता है। इस तरह से मस्तिष्क में अधिक रक्तस्राव होने से बच्चे को गंभीर रूप से मस्तिष्क में चोट लग सकती है।
प्रीमैच्योर बच्चों को कई तरह की ब्लड प्रॉब्लम हो सकती है। इन ब्लड प्रॉब्लम में सबसे आम है एनीमिया (anemia) और नवजात पीलिया (newborn jaundice)।
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समय से पहले प्रसव होने के जोखिम का पता लगाने के लिए दो तरह की जांचे करवाई जा सकती है जिससे यह पहले से सुनिश्चित हो सकता है की क्या किसी महिला को समय से पूर्व प्रसव होने का जोखिम है या नहीं, प्रीमैच्योर डिलीवरी का पता लगाने के लिए जांचे है-
गर्भवती महिला के गर्भावस्था के पहले चरण में डॉक्टर द्वारा गर्भाशय ग्रीवा (cervix) की जांच की जाती है और यदि उस जाँच में डॉक्टर को कोई समस्या नजर आती है तो वह उस महिला को अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते है। यदि अल्ट्रासाउंड में गर्भाशय ग्रीवा पतली और खुलती हुई दिखती है तो डॉक्टर इससे अंदाज़ा लगा सकते है की उस गर्भवती महिला को प्रीमैच्योर डिलीवरी होने की अधिक संभावना है। इसके आलावा गर्भाशय ग्रीवा में किसी भी तरह का बदलाव प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
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प्रीमैच्योर डिलीवरी का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर द्वारा भ्रूण फाईब्रोनेक्टिन जांच (Fetal fibronectin screening) (FFN) करायी जा सकती है। फीटल फाईब्रोनेक्टिन भ्रूण झिल्ली (Fetal membrane) द्वारा बनाया जाने वाला एक तरह का प्रोटीन होता है। 24-34 सप्ताह के बीच में गर्भाशय ग्रीवा और योनी स्राव के नमूने को लेकर यह जांच की जाती है की कहीं फीटल फाईब्रोनेक्टिन की मात्रा बहुत ज्यादा तो नहीं है और यदि जांच में पाया जाता है की इसकी मात्रा ज्यादा है तो यह समय से पूर्व प्रसव होने के लिए बहुत बड़ा जोखिम कारक है और इससे प्रीमैच्योर डिलीवरी की पूरी संभावना बनी रहती है।
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समय से पहले प्रसव होना या प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम करने के लिए गर्भवती महिलाएं कुछ बचाव नियम अपना सकती है जिससे प्रीटर्म बर्थ की स्थिति को रोका या नियंत्रित किया जा सकता है, इनमे शामिल है-
जिन महिलाओं का पहले भी प्रीटर्म बर्थ की स्थिति का इतिहास रहा है या छोटी गर्भाशय ग्रीवा (short cervix) की कोई समस्या रही हो या दोनों ही कारणों में प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट (progesterone supplement) की सहायता से प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम किया जा सकता हैं।
यह एक तरह की सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान छोटी गर्भाशय ग्रीवा (short cervix) में संकुचन होने की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे बचने के लिए डॉक्टर गर्भावस्था के समय ही गर्भाशय ग्रीवा को मजबूत टांके से बंद कर देते है जो गर्भाशय को अतिरिक्त सहायता प्रदान करती है और इस तरह का संकुचन (contraction) होने से रोकती है और इसके बाद जब बच्चे को देने का समय होता है, तो टांके हटा दिए जाते है। इस तरह की प्रक्रिया से प्रीमैच्योर डिलीवरी के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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