Prithvi Mudra in Hindi पृथ्वी वर्धक मुद्रा “पृथ्वी मुद्रा” के नाम से प्रसिद्ध हैं, यह हमारे शरीर के अन्दर पृथ्वी तत्व को बढ़ाती हैं और इसके साथ यह अग्नि तत्व को कम कर देती हैं इसलिये इसे अग्नि शामक मुद्रा भी कहा जाता हैं। पृथ्वी मुद्रा शरीर के भीतर उपचार और आधात्मिक संतुलन को बढ़ाने के लिए बहुत ही लाभदायक हैं। यह मुद्रा हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं जो हमें बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। आइये हम पृथ्वी मुद्रा को करने के तरीके और उसके लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. पृथ्वी मुद्रा क्या है – What is Prithvi Mudra in Hindi
2. पृथ्वी मुद्रा करने का तरीका – Prithvi Mudra karne ka tarika in Hindi
3. पृथ्वी मुद्रा के फायदे – Prithvi Mudra ke fayde in Hindi
4. पृथ्वी मुद्रा के लिए सावधानी – Precaution of prithvi mudra in Hindi
पृथ्वी मुद्रा एक संस्कृत का शब्द हैं जो कि दो शब्दों से मिलकर बना हैं जिसमे पृथ्वी का अर्थ “विशाल” हैं और मुद्रा का अर्थ “इशारा”, “निशान” या “मुहर” होता हैं । पृथ्वी मुद्रा अग्नि तत्व को कम करती है। इसलिए इस मुद्रा को अग्नि-शामक मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में अनामिका उंगली जो कि पृथ्वी तत्व से सबंधित हैं उस पर दबाव पड़ता हैं जो कई शारीरक समस्या जैसे चक्कर आना, कमजोरी लगना आदि में सहायता करता हैं। आइये जानते हैं पृथ्वी मुद्रा करने का तरीका और उसके फायदे।
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पृथ्वी मुद्रा बहुत प्राचीन मुद्रा हैं इस मुद्रा को करना बहुत ही आसान और सरल हैं, आइये इसे करने की विधि को क्रम अनुसार विस्तार से जानते हैं
पृथ्वी मुद्रा योग की प्रमुख मुद्रा में से एक हैं यह बहुत ही उपयोगी हैं, यह हमारे शरीर के लिए अनेकों प्रकार से लाभदायक हैं यह विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में मदद करती हैं, आइये इसके लाभों को विस्तार से जानते हैं-
पृथ्वी मुद्रा हमारे स्वास्थ को प्रभावित करती हैं इसके नियमित अभ्यास करने से हमारी शरीर शक्ति में सुधार होता हैं, यह मुख्य रूप से शरीर के उतकों की ताकत बढ़ने में मदद करती हैं क्योंकि पृथ्वी को हड्डियों, नाखूनों, मांसपेशियों, मांस, और कई आंतरिक अंगों का मुख्य घटक माना जाता है। यह हमारे शरीर में अग्नि तत्व को कम करने के साथ ही पृथ्वी तत्व को भर देता देता हैं जिसके कारण शारीरिक दुर्बलता खत्म हो जाती हैं।
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पृथ्वी मुद्रा शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास में भी बहुत मदद करती हैं, यह मुद्रा शरीर और दिमाग दोनों को अधिक स्थिर और केंद्रित बनाती है। आत्मविश्वास में सुधार, भ्रम, चिंता, भयभीतता, चंचल दिमागीपन से छुटकारा दिलाती हैं। यह अपने मन को शांत करती हैं और स्मरण शक्ति को बढ़ाती हैं जिससे हमें किसी भी बात को लम्बे समय तक याद रख सकने में मदद मिलती है।
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पृथ्वी मुद्रा अग्नि मुद्रा के बिलकुल विपरीत होती हैं अग्नि मुद्रा शरीर में गर्मी उत्पन्न कर के वजन को कम करने में करती हैं जबकि पृथ्वी मुद्रा हमारे शरीर का वजन बढ़ने में मदद करती हैं। जो लोग कम वजन वाले हैं और वो अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो वो लोग आसानी से इस मुद्रा से अपना वजन बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इस मुद्रा से शरीर में पृथ्वी तत्व की वृद्धि होने लगती हैं जिसके कारण व्यक्ति समय के साथ अपने शरीर के वजन में वृद्धि का अनुभव करता हैं।
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जैसे कि हमने ऊपर जाना हैं की पृथ्वी मुद्रा हमारे शारीरिक विकास में मदद करती हैं उसी प्रकार यह शरीर से जुड़े सभी अंगों का भी विकास करती हैं, चूँकि हमारे बाल भी हमारे शरीर से जुड़े हुयें हैं, यह मुद्रा उंगली के निश्चित दबाव से बालों के पुनर्जनन में मदद करता है। इस मुद्रा को करके कोशिकाओं के उत्पादन को एक निश्चित स्तर तक बढ़ाया जाता है, यह बालों के झड़ने, बालों के समय से पहले सफ़ेद होने से रोकता हैं और यह बालों के विकास में भी मदद करती हैं जिससे बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं।
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यह मुद्रा हमारे शरीर में पृथ्वी तत्व को बढ़ा देती हैं जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैं जो कि विभिन्न प्रकार बिमारियों से लड़ती हैं और उनसे हमें बचाती हैं। पृथ्वी मुद्रा हमें ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), ओस्टियोमेलेशिया (osteomalacia), उत्सर्जन (emaciation), पीलिया, बुखार, अतिगलग्रंथिता, सूजन संबंधी बीमारियां, पेट, आंतों में अल्सर, मुँह में छाले युक्त अल्सर, आंखों में जलन, पेट (अम्लता), मूत्र, गुदा, हाथ, पैर, सिर, त्वचा-चकत्ते, नाज़ुक नाखून, पक्षाघात, फ्रैक्चर को ठीक करने आदि से बचने में मदद करती हैं।
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योग करने का सबसे अच्छा समय सुबह सूर्योदय के साथ होता हैं, शाम के समय भी इसे किया जा सकता हैं, भोजन करने के आधे से एक घंटे बाद तक पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिये। इसे मुद्रा को करने के लिए 15 से 20 मिनिट तक बैठ के दिन में 2-3 बार करना हैं या आप 30 से 45 मिनिट तक एक बार में बैठ के कर सकते हैं।
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