जब भी किसी लेडी का गर्भपात (miscarriage) होता है तो कुछ सामान्य समस्यांए जैसे उल्टी आना, बुखार रहना, ख़ून बहना, पेट में दर्द आदि होती हैं। लेकिन कई बार कुछ लेडी को गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं से कही अधिक गम्भीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। जैसे की हीमोररेहेज, एंडोटॉक्सिक शॉक, कंवलशन, गर्भाशय में चोट आदि । यदि गर्भपात के समय परेशानी अधिक न हुई हो तो महिला कुछ दिनों में स्वस्थ हो जाती है। लेकिन यदि समस्याएँ अधिक हों तो गर्भधारण करने में परेशानी होना स्वाभाविक है। अगर किसी लेडी को गर्भपात के बाद नीचे बतायी गयी परेशानियां महसूस हो रही है तो जितना जल्दी हो सके किसी डॉक्टर से सम्पर्क करें। गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं –
ऑबर्शन होने पर किसी भी तरह की मानसिक और शारीरिक समस्या के प्रति सजग रहना चाहिए और किसी बात को अनदेखा नहीं करना चाहिए। गर्भपात के बाद सावधानियां बहुत जरुरी है क्योकि कई बार यह बड़ी समस्या बन सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। महिलाओं की मृत्यु के कुछ बड़े कारणों में से गर्भपात भी एक है। इस परेशानी में महिला शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप में कमज़ोर रहती है। इस कारण महिला की देखभाल, खानपान और मानसिक सपोर्ट करना अनिवार्य हो जाता है।
गर्भपात शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर बेहद मुश्किल होता है। गर्भपात के समय और बाद में शरीर को भयानक दर्द सहन करना पड़ता है। इस दौरान महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है। हम उन जरूरी बातों का जिक्र कर रहे हैं, जिनके गर्भपात के समय होने की संभावना ज्यादा रहती है।
सभी महिलाओं के साथ यह समस्या नहीं होती, लेकिन कुछ मात्रा गर्भपात के बाद खून बहना सामान्य है। कई बार गर्भपात के केस में तीन-चार हफ्तों बाद तक ब्लीडिंग होती रहती है। लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि कब आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होगी। यदि आपको सिर हल्का लग रहा है, चक्कर आ रहे हैं और बड़े थक्के बन रहे हैं आदि स्थितियां किसी आंतरिक चोट का का संकेत हो सकती है, जिसकी वजह गर्भपात के दौरान किसी प्रकार की कमी भी जिम्मेदार हो सकती है। लेकिन अगर किसी को लगता है कि ख़ून आवश्यकता से अधिक ख़ून बह रहा है तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
गर्भपात के बाद का समय किसी महिला के लिए बहुत पीड़ादायक होता है। बच्चा खो देने के कारण वह मानसिक रूप से परेशान रहती है गर्भपात से पहले गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है और धीरे-धीरे यह अपने सामान्य आकार में आ जाता है। कभी-कभी इस दौरान माहवारी के दर्द से भी खतरनाक दर्द होता है।
अक्सर महिलाओं को गर्भपात के तीसरे-चौथे दिन थक्के बनने की शिकायत होती है। इस दर्द से निजात पाने में गर्म द्रव्यों का सेवन और गर्म पानी के थैले का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन यदि इन सबके बावजूद भी दर्द कम नहीं होता तो आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिये।
गर्भपात यानि एबॉर्शन के बाद महिलाओं की योनि (मूत्र मार्ग में संक्रमण) और बच्चेदानी में संक्रमण बहुत जल्दी फैल जाता है. संक्रमण का मतलब किसी भी रोग का जल्दी से आपको प्रभावित करना. गर्भपात के बाद के संक्रमण घातक होते है। इससे बचने के लिये रूई का फाहों का इस्तेमाल करने, स्विमिंग पूल, बाथ टब का इस्तेमाल और संभोग (सेक्सुअल इंटरकोर्स) से बचना चाहिये संक्रमण होने पर बिलकुल भी लापरवाही न करें और सामान्य से अधिक दर्द हो तो गायनेकोलॉजिस्ट से मिलकर व्यवस्थित चैकअप कराना चाहिये
गर्भपात ठीक प्रकार से होने के कारण बच्चेदानी में कुछ टिश्यू रह जतने के कारण डी एंड सी करने की जरुरत पढ़ती हैं। अगर ये टिश्यू बच्चेदानी में रह जाएँ तो दुबारा गर्भपात होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस स्थिति में डाइलेशन और क्यूरेटेज आवश्यक होता है। ऐसे में बच्चेदानी में संक्रमण 10 में से 7 महिलाओं को होता है।
गर्भपात के बाद का समय सबसे कठिन होता है। इस बात से उभरकर बाहर आना काफी मुश्किल होता है कि आप अपना बच्चा खो चुकी हैं। इस दौरान महिलाएं, भावनात्मक रूप से टूट जाती है, उन्हे अपने हर काम और आदत पर भी गुस्सा आने लगता है
miscarriage गर्भपात होने पर महिला को शरीरिक और मानसिक रूप से कई तरह की समस्या हो सकती है। अत्यधिक टेंसन के कारण महिला डिप्रेशन या अवसाद का शिकार हो सकती है। उसे हर तरह से सपोर्ट करें।
गर्भपात से उभरने के लिए महिला को अपनी फीलिंग्स को अपने घर के लोगो से शेयर करनी, उसे इस बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए कि गर्भपात के क्या कारण थे, अगर महिला सही कारण जान पाती है तो उनकी परेशानी आसानी से दूर हो जाएगी।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण अबॉर्शन के चांस बढ़ जाते हैं। इस प्रेग्नेंसी में अंडे बच्चेदानी में न पनपकर फ़ैलोपियन टूब या आसपास पनपने लगते हैं। ऐसे गर्भधारण का कोई तात्पर्य नहीं होता है लेकिन शरीर को एबॉर्शन जैसी प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है। (और पढ़े – प्रेग्नेंसी की जानकरी और प्रकार, क्या आप जानते है)
बार-बार गर्भपात बांझपन का बड़ा कारण हो सकता है। गर्भपात से महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, जिससे उसे अगली बार गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है। गर्भपात का असर न केवल महिला बल्कि उसके साथी और परिवारजनों के लिए समस्यात्मक होता है। इस कठिन समय में अच्छे मनोचिकित्सक की सलाह काफी काम आ सकती है। ऐसे समय में धैर्य, हिम्मत और आपसी सहयोग दवा अच्छा काम करते हैं।
पहले तीन महीने के दौरान गर्भपात होने पर है तो 4 से 12 हप्तो के बाद पीरियड्स शुरू हो जाता है (और पढ़े – गर्भावस्था के बाद पहला पीरियड कब आता है)
आपको यह जानना बहुत जरुरी है की गर्भपात (miscarriage) के बाद कुछ महिलाओ को मासिक धर्म में लम्बे समय जो 1 से 2 वर्ष का हो सकता है उन महिलाओ में मासिक धर्म की डेट कई महीनों के लिए बदल सकती है।
गर्भपात के बाद कम से कम 3 महीने रुकना चाहिए . इससे शरीर को ताकत मिलने में, गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं को दूर करने और दुबारा गर्भवती होने के लिए तैयार होने का पर्याप्त समय मिल जाता है
ये कुछ कारन है जिसके वजह से गर्भपात के बाद कुछ समय रुकना चाहिए :
उपर आपने जाना गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं के बारें में अगर कभी गर्भपात (miscarriage) जैसी समस्या आती है तो सबसे पहले आप को अपने डॉक्टर से मिलाना चाहिए और बतायी गई सावधानियो का ध्यान रखना चाहिए
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