Protein In Hindi प्रोटीन को मानव जीवन की आधारभूत एवं संरचनात्मक इकाई माना जाता है। यह मानव शरीर की कोशिकाओं का निर्माण करने, शरीर का पोषण करने और उर्जा का उत्पादन करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह शरीर में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध रहने वाला पोषक तत्व है। प्रोटीन की कमी मानव स्वस्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है, जिसके कारण प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। प्रोटीन की कमी के लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है। भोजन के माध्यम से प्रोटीन की कमी का इलाज किया जा सकता है लेकिन प्रोटीन की कमी से सम्बंधित कुछ स्थितियों जैसे- क्वाशियोरकर (kwashiorkor), मरास्मस (marasmus) आदि में गंभीर उपचार की आवश्यकता होती है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि प्रोटीन क्या है, इसके कार्य क्या हैं, प्रोटीन की कमी से क्या-क्या रोग होते हैं तथा इसका निदान और उपचार कैसे किया जा सकता है।
विषय सूची
प्रोटीन भोजन में पाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो मानव शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक पदार्थ है। प्रोटीन एक वृहद अणु अर्थात बहुलक है, जो अमीनो एसिड की अनेक छोटी-छोटी इकाइयों से मिलकर बना होता है, इन छोटी-छोटी इकाइयों को एकलक कहते हैं। अर्थात एकलक (मोनोमर) वह कार्बनिक यौगिक होते हैं जिसके बहुलकीकरण (polymerization) के फलस्वरूप बहुलक (polymer) प्राप्त होते हैं।
अर्थात प्रोटीन एक जैव बहुलक (bioPolymer) है, जो अमीनो एसिड की अनेक मोनोमर (Monomer) इकाइयों से मिलकर बना होता है। ये अमीनो एसिड इकाइयाँ आपस में पेप्टाइड बंध के माध्यम से लंबी श्रृंखलाओं के रूप में जुड़कर प्रोटीन का निर्माण करती हैं। हीमोग्लोबिन तथा मायोग्लोबिन मानव शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन हैं जो रक्त में ऑक्सीजन का परिवहन करने का कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त इंसुलिन (insulin), एमाइलेज (amylase) एंजाइम, कोलेजन (collagen) ये सभी प्रोटीन हैं।
प्रोटीन में लगभग 20 प्रकार के अमीनो एसिड होते हैं। यह अमीनो एसिड मानव शरीर में प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण यौगिकों जैसे – क्रिएटिन (creatine), पेप्टाइड हार्मोन (peptide hormones) और न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitter) आदि को संश्लेषित करते हैं।
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प्रोटीन में उपस्थिति सभी प्रकार के अमीनो एसिड में से 9 एसिड मानव शरीर के लिए आवश्यक माने जाते हैं। ये महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल निम्न हैं जैसे- हिस्टिडीन (histidine), आइसोल्यूसिन (isoleucine), ल्यूसीन (leucine), लाइसिन (lysine), मेथिओनिन (methionine), फेनिलएलनिन (phenylalanine), थ्रेओनीन (threonine), ट्रिप्टोफैन (tryptophan) और वेलिन (valine)। अतः प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में इन सभी आवश्यक अमीनो अम्ल की उपस्थिति के अनुसार तीन प्रकार के प्रोटीन होते हैं:
पूर्ण प्रोटीन (Complete proteins) – इस प्रकार के प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में सभी आवश्यक अमीनो अम्ल होते हैं। पूर्ण प्रोटीन (Complete proteins) ज्यादातर पशु उत्पादों या खाद्य पदार्थों जैसे कि मांस, डेयरी उत्पाद और अंडे इत्यादि में पाए जाते हैं।
अधूरे प्रोटीन (Incomplete proteins) – वे प्रोटीन या प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जिनमें कम से कम एक या एक से अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, अधूरे प्रोटीन या अपूर्ण प्रोटीन कहलाते हैं। सभी पौधों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन अधूरे प्रोटीन होते हैं, जैसे मटर, फलियाँ, नट्स और कुछ अनाज इत्यादि।
पूरक प्रोटीन (Complementary proteins) – पूरक प्रोटीन को अधूरे प्रोटीन (Incomplete proteins) वाले दो या अधिक खाद्य पदार्थों को मिश्रित कर बनाया जाता है। इनका प्रयोग पूर्ण प्रोटीन की आपूर्ति करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में मूंगफली के मक्खन के साथ चावल और बीन्स या ब्रेड को शामिल किया जाता है।
इसके अतिरिक्त आकृति और आकार के आधार पर तथा कार्य के आधार पर भी प्रोटीन के अनेक प्रकार पाए जाते हैं।
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प्रोटीन को शरीर के निर्माण का महत्वपूर्ण आधार माना जाता है और यह शरीर की प्रत्येक कोशिका में पाया जाता है। कई प्रोटीन एंजाइम होते हैं जो जैव रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, और चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानव शरीर के लिए प्रोटीन निम्न कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है:
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प्रोटीन से प्राप्त होने वाले महत्वपूर्ण लाभ निम्न हैं:
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यदि व्यक्ति पर्याप्त प्रोटीन युक्त आहार का उपभोग या सेवन नहीं करता है, तो वह प्रोटीन की कमी का शिकार हो सकता है। अर्थात मानव शरीर में आवश्यकता से कम मात्रा में प्रोटीन की आपूर्ति, प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) कहलाती है। यह समस्या आहार में कमी के अलावा आनुवंशिक स्थितियों, एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa), कैंसर या सर्जरी (gastric bypass surgery) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।
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प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का मुख्य कारण व्यक्ति द्वारा सेवन किये जाने वाले आहार में पर्याप्त प्रोटीन स्तर की कमी है। इसके अतिरिक्त मानव शरीर में प्रोटीन की कमी अनेक प्रकार की आंतरिक समस्याओं के कारण भी उत्पन्न हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
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प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) के शुरुआती संकेतों के रूप में निम्न लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है:
कम सीरम एल्बुमिन (low serum albumin) और हार्मोन असंतुलन आदि प्रयोगशाला परीक्षण प्रोटीन की कमी को प्रगट कर सकते हैं
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प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) से पीड़ित व्यक्ति में निम्न समस्याएँ विकसित हो सकती हैं:
अनेक स्थितियों में प्रोटीन की कमी काफी घातक हो सकती है। कुछ व्यक्ति प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप क्वाशियोरकर (kwashiorkor) और मरास्मस (marasmus) जैसी जानलेवा समस्याएँ भी विकसित हो सकती हैं। ये समस्याएँ अधिकतर बच्चों को प्रभावित करती हैं। क्वाशियोरकर (kwashiorkor) की समस्या मुख्य रूप से भोजन की कमी या असंतुलित आहार के कारण उत्पन्न होती है।
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प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का निदान करने के लिए डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करता है तथा लक्षणों की जानकारी प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वस्थ्य से सम्बंधित प्रश्न पूंछ सकता है। शारीरिक परीक्षण के दौरान बालों का झड़ना, त्वचा परीक्षण, सूजन तथा अन्य लक्षणों की जाँच की जा सकती है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन की कमी के आंतरिक कारणों का निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न परीक्षणों का भी आदेश दिया जा सकता है:
रक्त परीक्षण (blood test) – रक्त परीक्षण के तहत रक्त के नमूने में कुल प्रोटीन, एल्बुमिन, क्रिएटिनिन रक्त स्तर और एल्बुमिन / ग्लोब्युलिन (Albumin / globulin) अनुपात को ज्ञात किया जाता है, तथा इसके परीणामों के आधार पर प्रोटीन की कमी तथा इसके कारणों का पता लगा लिया जाता है।
मूत्र परीक्षण (urine test) – मूत्र परीक्षण की मदद से प्रोटीन की कमी के कारणों का भी निदान किया जा सकता है। मूत्र में प्रोटीन के उच्च स्तर आंत रोग, सीलिएक रोग (celiac disease), किडनी की विफलता के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर सकता है।
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प्रोटीन की कमी (Protein deficiency) का उपचार, इसके कारणों के अतिरिक्त, मरीज के आहार, स्वास्थ्य की स्थिति, आयु और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करता है। नैदानिक परीक्षणों के आधार पर प्रोटीन की कमी के कारणों का पता लगाने के बाद डॉक्टर उपचार प्रक्रिया को प्रारंभ कर सकता है। प्रोटीन की कमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न उपचार प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
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प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने, मांसपेशियों के निर्माण में सहायता करने, तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के क्रियान्वयन के लिए अपने आहार में प्रोटीन की एक निश्चित मात्रा का सेवन करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (IOM) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन अपने शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम पर 0.8 ग्राम प्रोटीन के सेवन पर ध्यान देना चाहिए। यह मात्रा शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रोटीन की न्यूनतम मात्रा है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति के शरीर के आकार और क्रियाशीलता के आधार पर प्रोटीन की आवश्यक मात्रा निर्धारित की जा सकती है। एथलीटों के लिए शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम के आधार पर प्रतिदिन 1.6 से 2.0 ग्राम प्रोटीन आवश्यक होती हैं।
प्रतिदिन प्रति किलोग्राम वजन पर 2.5 ग्राम प्रोटीन का सेवन अनेक प्रकार के जोखिमों को उत्पन्न कर सकता है। यह सीमा उच्च प्रोटीन स्तर का करना बन सकती है। प्रोटीन का अधिक मात्रा में सेवन निम्न समस्याओं का कारण बनता है, जैसे:
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सामान्य तौर पर प्रोटीन आहार के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है:
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