Putrajeevak Beej in Hindi पुत्रजीवक बीज का उपयोग आयुर्वेद में महिला बांझपन (female infertility) उपचार के लिए किया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और एक महिला को गर्भधारण करने में मदद करता है। पुत्रजीवक बीज के फायदे यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यह प्रजनन प्रणाली पर प्रभाव डालता है, खासतौर पर महिलाओं में गर्भाशय, अंडाशय में और पुरुषों में वृषण (testes) में। पुत्रजीवक की मुख्य कार्रवाई इन संरचनाओं को मजबूत करने और इन अंगों के कार्यों में सुधार लाना है। इसका उचित मात्रा में सेवन करने से गर्भपात (abortion) के इलाज में भी सहायक प्राप्त होती है।
इसके अलावा इसमें एफ्रोडायसियाक और शुक्राणुजन्य (spermatogenic) क्रियाएं भी होती हैं, इसलिए यह नर नपुंसकता और बांझपन के लिए भी फायदेमंद होता है। पुत्रजीवक बीज के बहुत से औषधीय गुण हैं, जो इसे पुरुषों और महिलाओं के लिए इसे उपयोगी बनाते हैं। इसमें एंटीआक्सीडेंट, पीड़ा हटानेवाला, एंटी इंफ्लामैंट्री, खट्टापन दूर करने वाला, वायुनाशी और स्पेर्मेटोजेनिक जैसे गुण होते है जो महिलाओं के संपूर्ण यौन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। पुत्रजीवक बीज यौन स्वास्थ्य (sexual Health) को बढ़ावा देने के साथ-साथ कब्ज, अत्यधिक प्यास, शारीरिक कमजोरी या दुर्बलता, आंतों की गैस और जलन आदि को कम करता है। यह द्रष्टि, प्रतिरक्षा, शारीरिक शक्ति और धीरज में सुधार करता है।
1. पुत्रजीवक पौधा – Putrajeevak Tree in Hindi
2. पुत्रजीवक के औषधीय घटक – Component of Putrajeevak seeds in Hindi
3. पुत्रजीवक बीज के फायदे – Putrajeevak Beej ke fayde in Hindi
4. सावधानी पुत्रजीवक के सेवन में – Safety Profile For Putrajeevak in Hindi
5. पुत्रजीवक बीज साइड इफेक्ट्स – Putrajeevak Beej Side Effects in Hindi
मध्यम आकार के सदाबहार पेड़ जिनकी ऊंचाई लगभग 12 मीटर तक होती है। इसकी छाल का रंग गहरा भूरा होता है। यह पेड़ बिल्कुल सीधा, ऊंचा और मोटा होता है।
इसके बीज में शामिल (kernel contains) हैं, फैटी तेल सरसों की गंध जैसा, आइसोथियोसाइनेट, उपजिंगग्लाइकोसाइड्स, ग्लूकोपुट्रानजिविन, ग्लुकोकोक्लेरिन, ग्लूकोजीपूटिन और ग्लूकोक्लेमोमिन के साथ एक आवश्यक (essential oil) तेल होता है। आवश्यक तेल में आइसोप्रोपील और 2-ब्यूटिल आइसोथियोसाइनेट्स मुख्य घटक और 2-मेथिलबूटिल आइसोथियोसाइनेट के रूप में एक मामूली घटक के रूप में होते हैं।
महिला प्रजनन प्रणाली के अंगों को स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए पुत्रजीवक बीज बहुत ही फायदेमंद होते है। यह गर्भाशय टॉनिक के रूप में कार्य करता है। यदि इसका उपयोग रोग के अनुसार सावधानी से किया जाता है तो यह मादा और नर दोनों में बांझपन (infertility) को ठीक करने में मदद करता है। यह गर्भावस्था को जारी रखने के लिए और प्रत्यारोपण के लिए सक्षम गर्भाशय बनाता है। इसलिए यह आवर्ती गर्भावस्था हानि या (आरपीएल) (recurrent pregnancy loss) गर्भपात के मामलों में भी उपयोगी होता है।
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पुरुषों में यह शुक्राणुजन्यता (spermatogenesis) में सुधार करता है और उनकी संख्या बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए यह अल्पशुक्राणुता, एसथेनोस्पर्मिया (Asthenospermia) और टेराटोजोस्पर्मिया (Teratozoospermia) के कारण होने वाली पुरुष बांझपन के उपचार में अत्यधिक फायदेमंद है।
इस लेख में आप जानेंगे कि पुत्रजीवक किस तरह आपके लिए फायदेमंद है।
महिलाओं के बांझपन के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन पुत्रजीवक बीज गर्भाशय को डेटॉक्सीफाइंग (detoxifying) के लिए सहायक दवा के रूप कार्य करता है। जिससे गर्भावस्था को जारी रखने, गर्भपात को रोकने और डिम्बग्रंथि कार्यों में सुधार करने में सक्षम बनाता है, गर्भधारण के लिए परिपक्व और स्वस्थ अंडे के निर्माण और निषेचन (fertilization) में मदद करता है।
आयुर्वेद के अनुसार यह ज्यादातर महिलाओं के लिए उपयुक्त है जो वात दोष और पित्त दोष से पीडित हैं। यदि किसी महिला ऐसे लक्षण दिखते हैं तो पुत्रजीवक उनके लिए सबसे उपयुक्त औषधी हो सकती है। जैसे कि नाराजगी, एसिड रिफ्लेक्स (Acid Reflux), अति संवेदनशीलता, अपचन, सिर चकराना, मासिक धर्म के समय दर्द ऐंठन और अधिक खून बहना, आंखों के नीचे डार्क सर्कल, दुर्बलता, वजन घटना, कब्ज की परेशानी, सूजन, अनिद्रा मुंह का खराब स्वाद और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, इसलिए आपका डॉक्टर आपको सही तरीके से उनका विश्लेषण करने और पुत्रजीवक बीज (putrajeevak Seeds) का चयन करने में आपकी सहायता कर सकता है यदि यह आपके लिए उपयुक्त हो तो।
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आमतौर पर पुत्रजीवक बीज और शिवलिंगी बीज एक साथ लेने की सलाह दी जाती है। यदि आपको पित्त दोष के लक्षण हैं तो शिवलिंगी आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है। अगर शिवलिंगी (Bryonia laciniosa) की आवश्यकता है तो शिवलिंगी को न्यूनतम खुराक में लिया जाना चाहिए और पुत्रजीवक को अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इन दोनों औषधियों को दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
नोट : शिवलिंगी उन मरीजों के लिए सबसे अच्छा है, जिन्हें कफ से संबंधित परेशानियों होती हैं जैसे कि अतिरिक्त श्लेष्म (mucus) , आलस्य, अत्यधिक लापरवाही, नींद में कमी, मुंह के मीठे या नमकीन स्वाद, पेट का भारीपन, एडीमा, अत्यधिक नींद, सूजन या दर्द आदि। ऐसी समस्या के लिए शिवलिंगी को दूध से नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि पानी के साथ लेना फायदेमंद होता है।
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आयुर्वेद के अनुसार, गर्भाशय कमजोरी गर्भपात का मुख्य कारण है। ऐसे मामलों में गर्भाशय, गर्भावस्था जारी रखने में असमर्थ होने की संभावना होती है। पुत्रजीवक ऐसे मामलों के लिए सबसे अच्छा है। यह गर्भाशय टॉनिक के रूप में कार्य करता है, यह गर्भाशय लायनिंग (uterine linings) को शक्ति प्रदान करने में मदद करता है और गर्भावस्था को बनाये रखने में सक्षम बनाता है। इसका उपभोग कर आप गर्भपात को रोक सकते हैं। यह उचित प्रत्यारोपण में मदद करता है। ऐसे मामलों में, निम्नलिखित संयोजन अत्यधिक उपयोगी होते हैं।
इस मिश्रण का सेवन 4 चम्मच दिन में दो बार गर्म दूध के साथ नियमित रूप से करना चाहिए। इसका उपभोग खाली पेट, भोजन के 1 घंटे पहले या भोजन के 3 घंटे बाद करना फायदेमंद होता है।
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पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी (lack of sperm) को दूर करने के लिए पुत्रजीवक बहुत ही लाभकारी होता है। पुत्रजीवक बीज के पाउडर की 3 ग्राम मात्रा दूध के साथ सेवन करने से कुल शुक्राणुओं की संख्या में सुधार और ओलिगोस्पर्मिया का इलाज करने के लिए सबसे अच्छी दवा है। यह शुक्राणु गतिशीलता और आकार (spermatic and morphology) में भी सुधार करता है।
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यदि रोगी को कब्ज हो और कठोर और शुष्क मल के कारण दर्द के साथ आंत्र में मरोड़ (bowel movement) हो, तो पुत्रजीवक बहुत उपयोगी होता है। ऐसे मामलों में पुत्रजीवक बीज पाउडर रोजाना दो बार 3 ग्राम दूध के साथ लिया जाना चाहिए। यह आपको कब्ज (constipation) से राहत दिलाएगा।
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पुत्रजीवक गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उपभोग करने के लिए संभवतः: सुरक्षित है ऐसी महिलाओं में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है जो इसे बांझपन के इलाज के लिए लेते हैं और गर्भावस्था के पहले तिमाही के दौरान इसका उपभोग करते हैं। पुत्रजीवक का भ्रुण (fetus) पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
Putrajeevak बीज बांझपन में इलाज के लिए एक प्राकृतिक जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। यह एक नर बच्चे का वादा नहीं करता है, लेकिन इसके नाम से ऐसा भ्रम होता है, बच्चे का लिंग पूरी तरह से पिता गुण सूत्र ( लड़की के लिए X और लड़के के लिए Y) पर निर्भर करता है। पुत्रजीवक बीज गर्भधारण (pregnancy) की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं, लेकिन बच्चे के लिंग को निर्धारित करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
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पेशेवर पर्यवेक्षण के तहत उपयुक्त खुराक में इसके संकेतों के अनुसार यह अधिकांश व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है। यह उन मरीजों के लिए सबसे अच्छा है जिनके पास वात या पित्त (Vata or Pitta) दोष में वृद्धि हुई है लेकिन यह कफ दोष में वृद्धि के लिए कम उपयुक्त है।
उचित मात्रा और रोग के अनुसार उपयोग किये जाने पर पुत्रजीवक के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। इसकी किसी भी प्रकार की विषाक्तता का ज्ञान नहीं है और ना ही इससे होने वाली एलर्जी अभी तक पता चली है।
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