डेंगू बुखार (Dengue Fever) भारत ही नहीं कई देशो के लोगों को हर साल अपनी चपेट में लेते आया है। डेंगू मच्छरों से होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। जो गंभीर जोड़ों के दर्द, मतली, सिरदर्द और अन्य लक्षणों का कारण बनती है। लेकिन डेंगू का सबसे खतरनाक प्रभाव प्लेटलेट्स पर पड़ता है। डेंगू बुखार होने से पहले सावधानी बरतना और अगर हो जाये तो डॉक्टरी की सलाह लेना ही बचाव का सबसे असरदार रास्ता है। डेंगू के बारे में सही जानकारी तथा डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच संबंध को जानकर आप डेंगू से बच सकते है। आइये जानते हैं डेंगू बुखार क्या है, डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच क्या संबंध है तथा प्लेटलेट्स की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है।
मादा एडीज एजिप्टी मच्छर (Aedes Aegypti Mosquito) के काटने से डेंगू बुखार होता है। डेंगू एक प्रकार का वायरस है। जब मच्छर किसी को काटता है तो डेंगू वायरस मच्छर की लार के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस वायरल फीवर को ब्रेकबोन बुखार (breakbone fever) भी कहा जाता है। डेंगू रोग में प्लेटलेट की कमी होना सबसे बड़ी समस्या होती हैं।
अस्थि मज्जा (bone marrow) में प्लेटलेट्स का उत्पादन होता है। डेंगू वायरस अस्थि मज्जा को प्रभावित कर प्लेटलेट की संख्या को कम कर देता है। डेंगू फीवर में रक्त में प्लेटलेट काउंट में कमी का मुख्य रूप से मतलब है कि रक्त ने थक्का जमाने की क्षमता और संक्रमण से लड़ने की क्षमता खो दी है। इसलिए डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच संबंध को जानना बहुत जरुरी है। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य बुखार से मिलते जुलते हो सकते हैं।
[और पढ़े: डेंगू बुखार लक्षण और उपचार]जब मादा एडीज एजिप्टी मच्छर किसी इंसान को काटता है, तो डेंगू वायरस उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है। यह वायरस प्लेटलेट्स से जुड़ जाता है और संगुणन करता है। संक्रमित प्लेटलेट कोशिकाएं सामान्य प्लेटलेट्स को नष्ट कर देती हैं जिसके कारण डेंगू बुखार में प्लेटलेट संख्या में कमी आती है। डेंगू वायरस से संक्रमण की स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करती है जो संक्रमित प्लेटलेट्स के साथ साथ सामान्य प्लेटलेट्स को भी नष्ट करने लगती है।
इसके अलावा, डेंगू वायरस अस्थि मज्जा को प्रभावित करता है। जिसके परिणामस्वरूप प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है, क्योंकि अस्थि मज्जा प्लेटलेट्स सहित सभी रक्त कोशिकाओं के उत्पादन का केंद्र है।
[और पढ़े: प्लेटलेट्स की कमी (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और बढ़ाने के उपाय]प्लेटलेट में कमी होने से पीड़ित व्यक्ति में निम्न प्रकार के लक्षण प्रगट हो सकते जिनमें शामिल हैं
यदि प्लेटलेट्स में कमी का समय पर पता नहीं चलता है, तो यह समस्या आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट की सामान्य रेंज 150,000 से 450,000 प्रति माइक्रोलीटर के बीच होती है। 450,000 से अधिक प्लेटलेट्स होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोसिस (hrombocytosis) और 150,000 से कम प्लेटलेट्स होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia) के रूप में जाना जाता है। डेंगू से पीड़ित अधिकांश व्यक्तियों में प्लेटलेट्स की संख्या 100,000 से नीचे पाई जाती है।
डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच संबंध को जानने के बाद अब आप समझ ही गए होंगे, कि प्लेटलेट्स का ब्लड में लेवल सही रहना कितना जरुरी है। यदि आपके परिवार में कोई भी डेंगू या प्लेटलेट में कमी से पीड़ित है, तो कुछ प्राकृतिक घरेलू उपचार प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से जीवनशैली में बदलाव और कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन शामिल है। शरीर में कम हुए प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने के लिए रोगी को निचे दिए हुए आहार देना चाहिए :
[और पढ़े: प्लेटलेट्स बढ़ाने के घरेलू उपाय]इस लेख में आपने जाना डेंगू क्या है, डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच संबंध क्या है, डेंगू में प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण, कारण के साथ-साथ प्लेटलेट की संख्या बढ़ाने के उपाय और प्लेटलेट्स कितनी होनी चाहिए की बारे में relation between dengue and platelets in Hindi)
डेंगू और प्लेटलेट्स के बीच संबंध और बचाव के उपाय (Relation between dengue and platelets in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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