Respiratory Diseases in Hindi श्वसन संबंधी रोग या सांस रोग, दूषित वायु में साँस लेने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली समस्याएँ हैं, जो व्यक्ति के लिए जीवन का खतरा हो सकती है। अनेक शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी चिंताजनक है। वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रदूषित शहरों में रहना मुश्किल हो गया है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। यहाँ तक की अत्यधिक धूम्रपान करने से भी व्यक्ति अनेक प्रकार के श्वसन रोग की चपेट में आ सकता है।
श्वसन संबंधी बीमारियाँ दुनिया के किसी भी कोने में, किसी भी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती हैं। श्वसन रोग से हर साल लाखों व्यक्ति पीड़ित होते हैं और अनेकों व्यक्ति इन बीमारियों के कारण अपनी जान भी गवा देते हैं। अतः लोगों को इन बीमारियों के बारे में जागरूक होना और इसके इलाज और बचाव के लिए उचित उपाय अपनाना आवश्यक होता है। इस लेख श्वसन संबंधी रोग का वर्णन किया गया है इस लेख के माध्यम से आप श्वसन संबंधी रोग या बीमारियाँ क्या हैं, इसके कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और घरेलु उपचार के बारे में जानेगें।
वायुमार्ग और फेफड़ों से सम्बंधित किसी भी प्रकार के रोग या विकार, जो मानव श्वसन को प्रभावित करते हैं, श्वसन रोग कहलाते हैं। सांस रोग (श्वसन संबंधी बीमारियां) दुनिया में किसी व्यक्तियों को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली चिकित्सकीय स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। लाखों लोग विभिन्न प्रकार के फेफड़ों से सम्बंधित रोगों या श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसका सामान्य कारण आनुवंशिक मुद्दे, संक्रमण और धूम्रपान हो सकता है। श्वसन रोग शरीर के अंदर श्वसन प्रणाली से जुड़े किसी भी अंग को प्रभावित कर सकते हैं, जिनमें नासिका छिद्र (nasal cavities), स्वरयंत्र या कंठनली (larynx), गला, श्वास नली (windpipe), ब्रांकिओल्स (bronchioles), ब्रांकाई (bronchi), फेफड़ों (lungs) के ऊतक और मांसपेशियां इत्यादि शामिल हैं।
श्वसन रोग की समस्याएँ कम उम्र या कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तिओं को अधिक प्रभावित करती हैं। हालाँकि अनेक प्रकार की श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों का इलाज संभव है।
श्वसन रोगों के अंतर्गत निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
श्वसन पथ में संक्रमण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली बीमारियों में निम्न को शामिल किया जाता है, जैसे:
अस्थमा (दमा), एक क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज है, जो कि वायुमार्ग की सूजन के कारण सांस लेने में कठिनाई का कारण बनती है। अस्थमा के लक्षणों में सूखी खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ इत्यादि शामिल हैं। एलर्जी की प्रतिक्रिया, संक्रमण और प्रदूषण आदि सभी स्थितियां अस्थमा की बीमारी को ट्रिगर कर सकती हैं।
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क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों से सम्बंधित रोगों का एक समूह है, जो वायुप्रवाह को अवरुद्ध करता है और सांस लेने में असमर्थता का कारण बनता है। यह बीमारी आमतौर सिगरेट पीने वाले व्यक्तियों को अधिक परेशान करती है।
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क्रोनिक ब्रोंकाइटिस एक पुरानी खांसी (chronic cough) से सम्बंधित सीओपीडी का एक रूप है। इस प्रकार के श्वसन रोग में आमतौर पर सुबह उठने पर खांसी के साथ बलगम आना, एक प्रमुख लक्षण है। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, दीर्घकालिक या लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक संक्रामक समस्या है, जो कि वायरल या जीवाणु संक्रमण के कारण विकसित हो सकती है। इस सांस की बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है।
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वातस्फीति एक गंभीर श्वसन रोग है, जो सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का एक अन्य रूप है। इस बीमारी का सबसे आम कारण धूम्रपान है। वातस्फीति से पीड़ित व्यक्तियों में फेफड़ों की हवा को बाहर निकालने में परेशानी होती है। वातस्फीति की समस्या अनेक वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होती है, और इसका कोई इलाज नहीं है।
सांस की बीमारी के कारण फेफड़ों के कैंसर की समस्या उत्पन्न होती है जो कि किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। अधिकांश स्थितियों में यह कैंसर फेफड़ों के मुख्य भाग वायु कोष (air sacs) में विकसित होता है। फेफड़ों में डीएनए उत्परिवर्तन एक ट्यूमर के अनियंत्रित विकास का कारण बनता है। इस प्रकार ट्यूमर के विकसित होने के कारण फेफड़ों के नियमित कार्यों में हस्तक्षेप उत्पन्न हो जाता है। सिगरेट का धुआं और वायु प्रदूषण फेफड़े के कैंसर का सबसे मुख्य कारण है। फेफड़ों में कैंसर से सम्बंधित लक्षण कई वर्षों बाद उत्पन्न होते हैं, जिसमें पुरानी खाँसी, आवाज में बदलाव, साँस लेने में कठिनाई और खांसी के दौरान रक्त आदि शामिल हैं।
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सिस्टिक फाइब्रोसिस एक प्रकार का आनुवांशिक श्वसन रोग है, जिसका कारण एक दोषपूर्ण जीन (defective gene) होता है इस प्रकार के सांस की बीमारी में मोटे और चिपचिपे बलगम का निर्माण होता है, जो श्वसन मार्ग को अवरुद्ध करता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षणों में नमकीन स्वाद वाली त्वचा, पुरानी खांसी, फेफड़ों में संक्रमण और बच्चों में विकास में कमी आदि को शामिल किया जाता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस की स्थिति ब्रोन्किइक्टेसिस को जन्म देती है, जिसमें फेफड़ों के वायुमार्ग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, और बलगम को साफ करना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में श्वसन पथ में संक्रमण, घरघराहट और सांस की तकलीफ आदि समस्याएँ उत्पन्न होती है।
निमोनिया एक श्वसन संबंधी बीमारी है जो फेफड़ों से सम्बंधित होती है। निमोनिया का मुख्य कारण फेफड़ों के वायु कोष (air sacs) में बैक्टीरिया, वायरल या फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। इससे सम्बंधित लक्षणों में खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ आदि शामिल हैं।
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फुफ्फुस बहाव फेफड़े और छाती की दीवार के बीच के स्थान (pleural space) में तरल पदार्थ के संग्रह की स्थिति है। निमोनिया, कैंसर या दिल की विफलता सहित अनेक स्थितियां फेफड़ों में पानी भरने का कारण बन सकती हैं। इस स्थिति में आमतौर पर सीने में बेचैनी और सांस लेने में तकलीफ सम्बन्धी लक्षण दिखाई देते हैं।
मानव श्वसन रोगों से पीड़ित व्यक्ति में भिन्न भिन्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जिसमें से कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं, जैसे कि:
श्वसन तंत्र सम्बन्धी बीमारियों में खांसी लंबे समय तक बनी रहती है। तथा थूक में रक्त की उपस्थिति गंभीर श्वसन की बीमारी का संकेत हो सकती है।
अस्थमा (Asthma) के रोगियों में आमतौर पर खांसी के साथ कफ सम्बन्धी लक्षण उत्पन्न होते हैं और थकावट भी महसूस हो सकती है।
सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के रोगियों में खांसी के साथ कफ सम्बन्धी लक्षण उत्पन्न होते हैं।
तपेदिक (Tuberculosis) एक बहुत ही आम श्वसन रोग है और जिसमें रोगी को आमतौर पर खांसी, कफ या बलगम, बलगम में खून आना, वजन घटना और अन्य लक्षणों का सामना करना पड़ता है।
श्वसन प्रणाली के रोग बहुत ही आम हैं जो अनेकों कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं विभिन्न प्रकार की श्वसन की बीमारी के भिन्न कारण हो सकते हैं। श्वसन पथ में रोग के सामान्य कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
श्वसन रोग के अंतर्गत फेफड़े का कैंसर वर्तमान में पुरुषों और महिलाओं दोनों में दूसरा सबसे आम कैंसर है। सिगरेट का धुँआ या धूम्रपान, श्वसन प्रणाली के रोग का प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति धूम्रपान नहीं करते, उनमें यह रोग रेडॉन एक्सपोज़र (radon exposure), वायु प्रदूषण और एस्बेस्टोस एक्सपोज़र (asbestos exposure) आदि के कारण विकसित हो सकता है।
श्वसन रोग विशेषज्ञ को पल्मोनोलॉजिस्ट (pulmonologist) के नाम से जाना जाता है। यदि किसी भी व्यक्ति में श्वसन तंत्र की बीमारियों से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते हैं, तो उन्हें पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। श्वसन पथ रोग का निदान करने और इसके कारणों की जाँच करने के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
यदि कोई व्यक्ति सांस रोग से सम्बंधित किसी भी प्रकार के लक्षणों को महसूस करता है, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर या पल्मोनोलॉजिस्ट (pulmonologist) की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर स्थिति का निदान करने के बाद सही उपचार प्रदान कर सकते हैं और घर पर श्वसन रोग से सम्बंधित लक्षणों को कम करने के लिए सर्वोत्तम सुझाव भी दे सकते हैं।
सीओपीडी वाले लोगों के लिए उपचार में धूम्रपान बंद करना, ब्रोंकोडायलेटर थेरेपी (bronchodilator therapy) (वायुमार्ग को खोलने वाली दवा) और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन (pulmonary rehabilitation) आदि को शामिल किया जा सकता है।
श्वसन रोगियों के लिए सबसे लोकप्रिय घरेलू उपचारों के तहत् गार्गल (gargles) या कुल्ला करना, भाप लेना और शहद चिकित्सा (honey therapy) प्राप्त करना इत्यादि शामिल हैं।
दुनिया भर में सांस संबंधी बीमारियां या श्वसन रोग का सबसे महत्वपूर्ण कारण सिगरेट का धुँआ या धूम्रपान है। इसलिए सांस की बीमारी की रोकथाम के लिए धूम्रपान बंद करना बेहद जरूरी है। आज के समय में वायु प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है, जो श्वसन रोग का कारण बनती है इसलिए व्यक्तियों को रोगों से बचने के लिए एयर पॉल्यूशन मास्क का उपयोग करना चाहिए।
श्वसन तंत्र की बीमारियों से सम्बंधित रोगियों द्वारा, कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ खाने से या ठंड के संपर्क में आने से अस्थमा अटैक (asthma attack) का ख़तरा बढ़ जाता है। इसलिए रोगियों को इन स्थितियों से बचने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त श्वसन सम्बंधित समस्याओं से बचने के लिए व्यक्तियों को निम्न उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है, जैसे:
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