RO वाटर प्यूरीफायर का पानी आज के समय में हर किसी कि जरूरत बनता जा रहा है साफ, स्वास्थ्यवर्धक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए रिवर्स-ओस्मोसिस (आरओ) प्रणाली को एक अच्छा अविष्कार माना जाता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि आरओ प्रौद्योगिकी का अनियंत्रित प्रयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ताओ द्वारा की गई शोध के बाद वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन(WHO) ने बताया है की RO वाटर प्यूरीफायर का पानी (RO water) का लगातार सेवन करना कुछ मामलो मे मौत का कारण भी बन सकता है तो आज हम RO और WHO की इस जानकारी के बारे मे बात करने वाले है।
आरओ एक ऐसी वॉटर प्योरिफिकेशन तकनीक है जिसमें प्रेशर डाल कर पानी को साफ किया जाता है। इससे उसमें घुली अशुद्धियां, पार्टिकिल्स और मेटल खत्म हो जाते हैं। इसमें मुख्यतः 4 पार्ट होते है
सेडीमेंट फिल्टर का काम पानी से रेत, धूल और बड़े पार्टिकल को निकलने के लिए होता है।
कार्बन फ़िल्टर का उपयोग पानी के कलर, गंदलापन(TURBIDITY) आदि को दूर करने के लिए किया जाता है।
RO मेम्ब्रेन का उपयोग पानी मे मोजूद सॉलिड पार्टिकल को बाहर करने के लिए किया जाता है।
UV लैंप का उपयोग पानी मई मोजूद बैक्टीरिया और माइक्रो ओर्गानिस्म को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
कुछ और भी प्रोसेस यूज़ की जाती है जैसे की UF (अल्ट्रा फिल्ट्रेशन ) और MINERAL CARTRIDGE आदि।
इन सभी पार्ट मे RO मेम्ब्रेन मुख्य होती है जो पानी मे मोजूद मरकरी (Mercury), आर्सेनिक (Arsenic), फ्लोराइड (Fluoride),क्लोरीन (Chlorine) के साथ-साथ आयरन (Iron), मैग्नीशियम(Magnesium),कैल्शियम (Calcium), सोडियम (Sodium) जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है को भी बाहर कर देता है ये पानी से 99% तक घुलित ठोस को बाहर कर देती है।
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टीडीएस (Total Dissolved Solids) पानी के ठोस पार्टिकल को मापता है और यह सभी अकार्बनिक और कार्बनिक पदार्थों का माप है जो पानी में घुले रहते हैं। बहुत आम अकार्बनिक पदार्थ हैं जो पानी में पाए जाते हैं मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम आदि। एक निश्चित मात्रा के लिए, पानी में इन खनिजों की उपस्थिति वास्तव में स्वास्थ के लिए आवश्यक है, लेकिन जब स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो यह चिंता का कारण है। जादातर मामलो मे TDS से ही पानी की कठोरता (शुद्धता)का पता लगाया जाता है।
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पानी में टीडीएस को मापकर, आप यह सुनिश्चित करने में समर्थ होंगे कि आप जो पानी पी रहे हैं वह शुद्ध है या अशुद्ध। पानी में अधिकतम टीडीएस स्तर 500ppm तक पीने योग्य है, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि वह इस स्तर से ऊपर ना निकले । यदि आप देखते हैं कि स्तर 1000PPM से अधिक है, तो हम सुझाव देते हैं कि आप उस पानी को ना पियें |
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यह एक अत्याधुनिक डिजिटल टीडीएस मीटर परीक्षक है जिसे आप अपने पानी के फिल्टर के प्रदर्शन की जांच, फिल्टर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, पानी की कठोरता की जांच करने और सुनिश्चित करने कि आप शुद्ध पानी पी रहे हैं, के लिए ऊपयोग किया जाता है। डिजिटल टीडीएस मीटर भारत में सभी प्रमुख ऑनलाइन स्टोरों पर उपलब्ध हैं और आप आसानी से कुछ 500-1000 रुपये वाला डिजिटल टीडीएस मीटर खरीद सकते हैं।
पीने के पानी में टीडीएस के स्तर से जुड़े संभावित स्वास्थ्य प्रभावों पर विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। प्रारंभिक विज्ञान के अध्ययन से पता चलता है कि पीने के पानी में टीडीएस की कम मात्रा में लाभकारी प्रभाव पड़ सकता है, हालांकि दो सीमित जांचों में प्रतिकूल प्रभावों की सूचना दी गई है। जो लम्बे समय तक कम TDS के पानी का सेवन करेने बालो के पक्ष मे नहीं है।
भारतीय मानक ब्यूरो BIS ने पीने के पानी में टीडीएस की ऊपरी सीमा को 500 पीपीएम तक सही माना है। महत्वपूर्ण रूप से मानक में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर पीने के पानी का कोई वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध नहीं है, तो इस ऊपरी सीमा को 1000 ppm तक बढ़ाया जा सकता है।
तो इस जानकारी के बाद आपके मन मे यह सवाल आ रहा होगा की हमें कितने टीडीएस का पानी पीना चाहिए जो हमारे लिए सेफ हो?
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जहां सामान्य कामकाजी लोगों के लिए टीडीएस स्तर 80 से 250 पीपीएम होना चाहिए।
यह माना जाता है कि जिन लोगों की गुर्दा की समस्या है, उनके पास 100 ppm से कम tds का पानी पीना सही माना सकता है जो कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति में मदद कर सकता है।
यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि पानी में घुले खनिजों में से कुछ मानव स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होते हैं और इसलिए बहुत कम या शून्य टीडीएस की सिफारिश नहीं की जाती है। टीडीएस स्तर को बहुत कम करने से पानी का पीएच भी प्रभावित हो सकता है, जो की BIS के अनुसार 6.5-8.5 के बीच सही होगा। TDS की कोई आधिकारिक निचली सीमा नहीं है, लेकिन कम से कम 80 TDS बाला पानी पीने के लिए स्वीकृत न्यूनतम स्तर है।
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50 – 150 ppm उत्कृष्ट के बीच
150 – 250 ppm अच्छा
250-300 ppm स्वच्छ
300 – 500 ppm घटिया
जिनके घरो ने RO फ़िल्टर लगा हुआ है वह अपने tds की जाँच कर ले और अगर कम tds है तो RO मशीन मे TDS कंट्रोलर को लगाकर सही स्तर पर सेट करवा लें। इसे लगाना बहुत ही सस्ता और आसान भी है कुछ RO मे ये पहले से ही लगा आता है जैसे की केंट आदि।
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