जानें आपको RO की जरूरत है या नहीं: यदि आप भी अपने घर में पीने के लिए RO वाटर का उपयोग करते है तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। जरा एक बार सोचिये क्या आपको सही में जरूरत है RO फ़िल्टर की? नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal ) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार इस साल के लास्ट तक उन RO फ़िल्टर पर प्रतिबंध लगा दे, जो पानी साफ करने की प्रकिया के समय 80 प्रतिशत पानी को बर्बाद कर देते है। इसके साथ ही NGT ने उन जगहों पर भी RO फ़िल्टर पर भी प्रतिबन्ध लगाने की बात की है जहाँ पर एक लीटर पानी में TDS (Total Dissolved Solids) की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है।
NGT के अनुसार सिर्फ उन्ही RO को बेचने की इजाजत हो जो पानी को साफ करने के दौरान केवल 40 प्रतिशत पानी को बेकार करते है। NGT का मानना है कि RO द्वारा निकाला वेस्ट पानी पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है और ग्राउंड वॉटर को भी प्रदूषित करता है। आइये जानते है क्या आपको RO की आवश्कता है या नहीं और यदि ये नए नियम लागू हो जाते है तो इससे क्या फायदा होगा।
हम जानते है की भारत में सभी जगह पानी एक समान नहीं है किसी जगह पानी अच्छा है तो किसी जगह का पानी पीने योग्य भी नहीं है। इसलिए सभी जगह RO लगाने की आवश्यकता नहीं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार RO फ़िल्टर को उसी जगह लगाना चाहिए जहाँ पर पानी के TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से अधिक हैं।
TDS (Total Dissolved Solids) पानी में घुले वो कण है जिसमें खनिज तत्व और मिनरल्स भी होते हैं। हमारे स्वस्थ शरीर के लिए इसमें से कुछ मेटल्स जैसे आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम और मिनिरल्स की जरूरत होती हैं जिसे RO निकाल कर बाहर कर देता हैं।
RO का पूरा नाम रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse Osmosis) होता है। इसमें एक फ़िल्टर लगा होता है जिसको मेंब्रेन (Membrane) कहा जाता हैं। पानी को इस मेंब्रेन से तेज गति और दबाव के साथ गुजारा जाता हैं। जिसके कारण यह पानी में घुले कणों को पानी से बाहर निकल देता हैं।
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जब RO पानी को फ़िल्टर करता है तो इस दौरान यह 75 प्रतिशत पानी को ख़राब पानी के रूप में बाहर निकाल देता है जिसमें केवल 25 प्रतिशत पानी ही प्रयोग के लिए मिलता हैं। यदि आप आपको एक लीटर पानी चाहिए तो आपको इसके लिए 3 लीटर को बर्बाद करना होगा। इसलिए RO फ़िल्टर का उपयोग उसी जगह किया जाना चाहिए जहाँ जरूरी हो। टेस्टिंग के लिए पिछले साल उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 21 शहरों से पानी के सैंपल लिए थे और इनमें से 15 शहरों को RO की आवश्यकता नहीं थी।
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निति (NITI) आयोग के अनुसार भारत का 70 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं है। पानी की गुणवत्ता में भारत देश दुनिया के 122 देशों में से 102 के स्थान पर है। हालांकि RO फ़िल्टर को उपयोग करना लोगों की मज़बूरी हैं लेकिन दूसरी तरफ यह पानी की बरबादी भी है। एक पांच लोगों के परिवार के लिए यदि प्रतिदिन 20 लीटर पानी की जरूरत होती हो तो इसके लिए उनको 60 लीटर पानी बर्बाद करना होगा। यानी पूरे महीने में लगभग 1800 लीटर पानी बर्बाद होता है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी के मुताबिक भारत में कुछ जगह हर घर इतनी मात्रा में पानी नहीं पहुंचा पाता है।
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ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ( Bureau of Indian Standards) के अनुसार भारत में एक लीटर पानी में TDS की मात्रा अगर 500 मिलीग्राम या उससे कम है तो यह पीने योग्य है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार एक लीटर पानी में TDS का स्तर 300 मिलीग्राम से कम होता है वो सबसे अच्छा पीने वाला पानी माना जाता है। इस प्रकार हम यह कह सकते है कि 300 से 600 TDS का पानी अच्छा, 600 से 900 TDS का पानी ठीक ठाक और इससे ज्यादा TDS वाला पानी पीने के योग्य नहीं होता है। आप अपने पानी को मापने लिए TDS मीटर का भी प्रयोग कर सकते हैं। आज कल के स्मार्ट RO में भी TDS संख्या को दिखाया जाता हैं।
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हम सभी ने यह कहावत हो सुनी ही है कि जल है तो कल है। पानी न केवल पीने लिए हमारी प्रकृति के लिए भी जरूरी है। इसलिए पानी को व्यर्थ में नहीं बहाना चाहिए, जितनी जरूरत हो केवल उतना ही पानी उपयोग करें। आप अपने घर के पानी को TDS मीटर से भी नाप सकते है। इसके बाद यदि आपका पानी 300 से 600 TDS से अधिक हो तभी आप RO फ़िल्टर का उपयोग करें। यदि आपके घर का पानी कम TDS का है तो आप RO को न लगा कर पानी और पैसे दोनों को ही बर्बाद होने से बचा सकते हैं।
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