Sanitary pad in Hindi जानें सैनिटरी पैड क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है? साथ ही सही सेनेटरी पैड (नैपकिन) का चुनाव और उपयोग से जुड़ी जरूरी जानकारी। माहवारी एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया जिससे प्रत्येक महिला को हर महीने गुजरना पड़ता है। चूंकि जागरूकता की कमी होने के कारण महिलाएं माहवारी के दौरान गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और संक्रमण सहित कई बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं। इसलिए साफ सुथरी माहवारी के प्रति महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल और प्रचार दोनों बढ़ा है। आज गांव और शहरों दोनों जगह सैनिटरी नैपकिन सरकारी अस्पतालों एवं दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको सैनिटरी नैपकिन के उपयोग, सही सैनिटरी पैड के चुनाव (choose Sanitary Napkin) और इसे लगाने और बदलने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
अवशोषक सामग्री (absorbent material) से बना एक ऐसा पैड जो मासिक धर्म के दौरान खून और तरल पदार्थों को सोखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसे सैनिटरी पैड कहा जाता है। इसके अलावा इसे सैनिटरी नैपकिन या मेंस्ट्रुअल पैड (menstrual pad) भी कहा जाता है। ज्यादातर सैनिटरी पैड डिस्पोजेबल होते हैं और इनका उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है। जबकि कुछ सैनिटरी पैड कपड़े के भी बने होते हैं जिन्हें कई बार धोया, सुखाया और पुन: उपयोग किया जा सकता है।
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वैसे तो बाजार में विभिन्न तरह की सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध हैं लेकिन आपको अपनी सुविधा के अनुसार ही सही पैड का चुनाव करना चाहिए। आमतौर पर हर महिला को माहवारी के दौरान अलग अलग मात्रा में रक्तस्राव (bleeding) होता है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए एवं अपनी त्वचा की संवदेनशीलता के अनुसार ही पैड चुनना चाहिए।
सबसे सस्ती सैनिटरी नैपकिन आमतौर पर कम मोटी (thicker) होती है। माहवारी के दौरान इस तरह के पैड का इस्तेमाल करने पर आपके जींस में खून का दाग लग सकता है। वास्तव में पतले पैड चौकोर आकार (square shaped) के होते हैं जो अधिक आरामदायक नहीं होते हैं। इसके अलावा ये ब्लड को भी अच्छी तरह से अवशोषित नहीं कर पाते हैं। इसलिए जब भी पैड खरीदने जाएं, किसी अच्छे ब्रांड का पैड केमिस्ट से मांगे, क्योंकि यह न तो अधिक मोटा और न ही अधिक पतला होता है जिसके कारण लीकेज की समस्या नहीं आती है।
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पैड के किनारे जो चिपचिपी स्ट्रिप्स (sticky strips) होती है उसे विंग कहा जाता है। यह देखने में आकर्षक तो नहीं होती है लेकिन महिलाओं के लिए काफी सुविधाजनक (convenient) होती है। यदि आप कामकाजी महिला हैं और आपको दफ्तर में घंटों तक बैठकर काम करना पड़ता है या आप स्पोर्ट्स खेलती हैं तो अपने लिए विंग वाले सैनिटरी पैड का चुनाव करें। ये विंग आपकी पैंटी के नीचे की तरफ मुड़े और चिपके होते हैं जिससे पैड खिसक नहीं पाता है और पूरे दिन एक ही जगह पर बना रहता है और खून लीक (leak) नहीं होता है।
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मासिक धर्म के दौरान रोज अलग अलग मात्रा में रक्तस्राव होता है। इसलिए सही आकार के सैनिटरी पैड या नैपकिन का चुनाव करना बेहद जरूरी है। माहवारी के पहले और दूसरे दिन बड़े और मोटे आकार (thick size) के पैड का इस्तेमाल करें और जब रक्त का बहाव कम हो जाए तो छोटे और पतले पैड का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए आप पैड खरीदते समय चाहें तो अपनी जरूरत के हिसाब से दोनों तरह का नैपकिन खरीद सकती हैं।
बाजार में सैनिटरी पैड के कुछ ऐसे ब्रांड भी मौजूद है जो पीरियड के खून की गंध को कम करने के लिए खुशबूदार (scent) पैड बनाते हैं। जिससे आपको हमेशा ताजी महक आती रहती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि सैनिटरी पैड में इस्तेमाल किए जाने वाले परफ्यूम रसायन (chemicals) से बने होते हैं। चूंकि योनि बहुत संवेदनशील (sensitive) होती है और ये रसायन योनि में प्रवेश करके आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए सैनिटरी पैड खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें।
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मार्केट में ऐसे भी सैनिटरी पैड उपलब्ध हैं जिन्हें धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है। ये पैड कपास (cotton) के बने होते हैं जबकि डिस्पोजेबल (disposable) पैड प्लास्टिक एवं अन्य रसायनों के बने होते हैं। मजेदार बात यह है कि दोबारा इस्तेमाल किये जा सकने वाले पैड (Washable pads) का इस्तेमाल पांच सालों तक किया जा सकता है। अगर आप पैसे बचाना चाहती हैं तो इस तरह के सैनिटरी पैड का चुनाव कर सकती हैं।
वास्तव में प्रत्येक महिला को सही तरीके से सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना आना चाहिए। अगर आप गलत तरीके से सैनिटरी पैड लगाती हैं तो माहवारी का खून आपके कपड़े में लग सकता है। आइये जानते हैं सैनिटरी नैपकिन लगाने का सही तरीका क्या है।
स्टेप 1: सैनिटरी पैड को पैकेट से बाहर निकालें और इसे सीधा करें।
स्टेप 2: इसके बाद टॉयलेट सीट पर बैठकर अपनी पैंटी (underwear) को घुटनों के नीचे तक खिसकाएं।
स्टेप 3: अब सैनिटरी पैड के पीछे से स्ट्रिप (strip) निकालें। यदि आप विंग्स वाले पैड इस्तेमाल कर रही हों तो इसमें तीन स्ट्रिप्स होंगे जिन्हें अच्छे से निकाल लें।
स्टेप 4: इसके बाद सैनिटरी पैड के दोनों विंग्स को मोड़ें और पैड को अंडरवियर के नीचे योनि के पास लगाएं। कोशिश करें कि पैड का अधिकांश हिस्सा गुदा (anus) और योनि के बीच हो। क्योंकि अधिक ब्लड इन्हीं हिस्सों में आता है।
स्टेप 5: अब अपने अंडरवियर को ऊपर खींचें और देखें कि सैनिटरी पैड सही स्थिति में है या नहीं। सैनिटरी पैड आपकी योनि के पूरे द्वार (opening) को कवर करना चाहिए। अगर योनि द्वार (vagina opening) अच्छी तरह से कवर नहीं हुआ है तो अपने अंडरवियर को नीचे खिसकाएं और सैनिटरी नैपकिन को खींचकर योनि द्वार तक लाएं। फिर पैड को अपने अंडरवियर में आगे या पीछे करके सही स्थिति (right position) में लाएं।
स्टेप 6: प्रत्येक दो घंटे पर सैनिटरी नैपकिन की जांच करते रहें कि कहीं इसे बदलने की जरूरत तो नहीं है। यदि सैनिटरी पैड सतह पर गीला है और अब मासिक धर्म तरल पदार्थ (fluid) को अवशोषित नहीं करता है, तो इसे बदलने का समय है।
स्टेप 7: अपने उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन को मोड़ें जैसे कि जब आपने पहली बार इसे पैकेज से मुड़ा हुआ निकाला था। पैड को टॉयलेट पेपर लपेटें और इसे कचरे के डिब्बे में फेंक दें।
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सैनिटरी पैड पीरियड्स के दौरान निकलने वाले रक्त, योनि के श्लेष्म (vaginal mucus) और अन्य पदार्थों को अवशोषित करता है। इससे आप अंदाजा लगा सकती हैं कि यदि आप लंबे समय तक अपना पैड नहीं बदलती हैं तो यह कितना अस्वस्छ (unhygienic) और हानिकारक हो सकता है। इसलिए आपको सैनिटरी पैड को बार-बार बदलना पड़ता है।
माहवारी के दौरान 4 से 12 चम्मच खून नष्ट होता है जो अधिक नहीं है। जब रक्त का प्रवाह बहुत तेज हो तो आपको दो या तीन घंटे पर पैड बदल देना चाहिए। लेकिन अगर आपकी हल्की ब्लीडिंग हो रही हो तो प्रत्येक तीन से चार घंटे बाद आप सैनिटरी पैड बदल सकती हैं। वास्तव में पैड बदलना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि योनि के आसपास की त्वचा इतनी संवेदनशील होती है कि एक ही पैड देर तक लगाए रखने पर गीलेपन के कारण यहां घाव बन जाता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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