सर्दी, जुकाम, ठण्ड, मतलब कम तापमान वाला मौसम, जिस मौसम में बहुत सारे लोगों को जुकाम होता है। इसलिए हम समझते हैं कि ठण्ड लगने से जुकाम होता है। लगभग सभी लोग यही सोचतें हैं, और कहते हैं की हमें ठण्ड लग गयी या कोल्ड हो गया है, जिसे हम कॉमन कोल्ड कहते हैं। लेकिन विज्ञान इसे पूरी तरह सही नहीं मानता हैं। अब आप कहेंगें की जुकाम ठण्ड लगने से नहीं होता है तो कैसे होता है, सर्दी, जुकाम वायरस से भी होता है। एक सामान्य सर्दी कई अलग-अलग प्रकार के वायरस के कारण हो सकती है। आइए इस बात को गहराई से जानतें हैं कि आपका शरीर कॉमन कोल्ड से कैसे लड़ता है।
आइये पूरी बात समझतें हैं, जब आपको सर्दी होती है तो क्या होता है? हमारे आसपास के वातावरण में कई छोटे छोटे कीटाणु टहल रहें होते हैं, ये इतने छोटे होते हैं की हमें सामान्य आँखों से दिखाई नहीं देतें हैं। इन कीटाणुओं में सबसे खुरापाती होते है वायरस।
हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जो खुद कभी अपने लिए खाना नहीं बनाता है और हमेशा दूसरों के खाने पर ही नजर रखें रहता है। मतलब वायरस अपना खाना खुद नहीं बनाते हैं इसलिए यह दूसरों से ही अपना खाना प्राप्त करते हैं। आइये समझते हैं कैसे-
हमारा शरीर कई छोटी-छोटी सेल से मिलकर बना है जब वायरस इनपर अटैक करता है तो यह इस सेल में मौजूद खाने को खाने लगता है और एनर्जी प्राप्त करता है, इस खाने को खाकर वह क्या करता है तो वह अपनी संख्या बढ़ाता है, अब ये तो जाहिर सी बात है कि आपके घर कोई ऐसा मेहमान आ जाये जो आपका खाना भी खाएं और अपनी संख्या भी बढाये तो आपको ऐसे मेहमान तो पसंद आयेगें नहीं, ऐसा ही हमारे शरीर के साथ भी होता है।
जिसे वायरस बिलकुल भी पसंद नहीं आते हैं, जैसे ही हमारे शरीर को वायरस घुसने की खबर लगती है अंदर इमरजेंसी लगा दी जाती है। वायरस हमरी नाक या मुह से अंदर घुसते हैं इसलिए इन इलाकों में कर्फु लगा दिया जाता है। मतलब यहाँ से हर नयी चीज को आने से रोकने के लिए पूरी कोशिश की जाती है। वायरस का रास्ता ब्लाक करने के लिए हमारी नाक बहती है, यदि कोई गलती से अंदर चला भी जाता है तो इन्हें बाहर निकलने के लिए हमें छीकें आती हैं, गलें और मुह से बाहर करने के लिए खांसी आती है, ये हमारे शरीर का डिफेन्स मेकेनिस्म हैं और जब यह सिस्टम एक्टिव होता है तो हम कहतें हैं हमें जुकाम हो गया है।
लेकिन सभी वायरस से जुकाम नहीं होता, लगभग 200 टाइप के वायरस हैं जिनसे जुकाम होता है और उनमे से सबसे कॉमन वायरस हैं राइनोवायरस (rhinovirus)। जब इस तरह के वायरस अंदर जाते हैं तो हमारा शरीर लड़ाई लड़ता हैं और हमारे शरीर की एनर्जी का एक बड़ा हिस्सा डिफेन्स में खत्म हो जाता है। इसलिए इस लड़ाई में हमें बहुत तकलीफ भी होती है। इन तकलीफों में सबसे जयादा परेशान करने वाली चीज है म्यूकस जिसे हम बलगम भी कहते हैं।
हमारी नाक से जो चिपचिपा सा पदार्थ बाहर आता है उसे म्यूकस कहतें हैं वायरस से सबसे पहली लड़ाई म्यूकस ही लड़ता है, क्योंकि म्यूकस वायरस को अंदर जाने से रोकता है उन्हें फसाता है और बाहर कर देता हैं।
हमारी नाक और गले में हमेशा थोड़ा मुकुस मौजूद होता है ताकि किसी भी प्रकार के घुसपेठियों को पहले ही रोका जा सके, जब वायरस अटैक कर देते हैं तो इसका रंग भी बदल जाता है और यह हरा-पीला सा हो जाता है।
इस लड़ाई में खून भी हमरी मदद करता है और सेनिक नाक तक भेजता हैं, इन सेनिकों का नाम है वाइट ब्लड सेल, जहाँ-जहाँ वायरस होते हैं ये सेल उनसे लड़ाई करते हैं और उन्हें मार देते हैं, कुछ सफेद कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं जो वायरस द्वारा भविष्य में फिर से हमला करने पर उन्हें पहचानने का काम करती हैं। कई बार ज्यादा वायरस होने पर हमें इन सेनिकों की ज्यादा जरुरत होती है और हमारा दिमाक शरीर को और अधिक वाइट ब्लड सेल बनाने के काम में लगा देता है जिससे हमारा शरीर अधिक काम करने लगता है और उसका तापमान बढ़ने लगता है।
कयोंकि पहले मोर्चे की लड़ाई नाक में चल रही होती है इसलिए नाक में ज्यादा खून की सप्लाई होती है जिससे नाक की नसे फूलने लगतीं हैं।
अब पहले से ही नाक में साँस जाने के लिए थोड़ी सी जगह होती है ऊपर से उसमे म्यूकस भर गया है और नसें भी फूलने लगी हैं इसलिए जुकाम में हमारी नाक ब्लाक हो जाती है।
कई बार गले और फेफड़ों में भी म्यूकस चले जाने से हमें तकलीफ होती है इसलिए हम भाप लेते हैं। जब भाप अंदर जाती है तो यह म्यूकस को ढीला करती है और उसे बाहर करने में मदद करती है।
सर्दी से रहत पाने के लिए हम वेपोरब जैसी चीजों का भी इस्तेमाल करते हैं जो हमें ठंडक देती हैं और सर्दी से रहत देती है। सर्दी से असली लड़ाई तो हमारा शरीर ही लड़ता हैं लेकिन भाप और वेपोरब हमें इसमें नाक और गले में लगे कर्फु को कम करने में मदद करते हैं।
इस तरह का संक्रमण लगभग सात से दस दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है और कुछ मामलों में आपको ठंड और फ्लू से संबंधित बीमारियों के लिए चिकित्सा सहायता की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे जल्दी ठीक करने के लिए आपको पर्याप्त आराम करना चाहिए, आप अधिक तरल पदार्थ पी सकते हैं, और लक्षणों को कम करने के लिए ओवर द काउंटर दवा ले सकते हैं। हालांकि, यदि लक्षण दो सप्ताह के बाद दूर नहीं होते या बिगड़ते हैं, तो आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए।
ये तो हो गयी जुकाम की बात अब बड़े सवाल पर आते हैं।
इसके पीछे कई चीजें हो सकतीं हैं हम आपको एक-एक करके इनके बारे में बतायेंगें
ठण्ड में लोगों को घर के अन्दर रहना- ठण्ड में लोग बाहर जाने की बजाये घर के अंदर रहना पसंद करते हैं, और इसका मतलब है की बांकी लोगों के साथ रहना, इससे जुकाम वाले वायरस एक दूसरे के माध्यम से सब लोगों में फ़ैल जाते हैं साथ ही खिड़की दरवाजे बंद होने पर ताज़ी हवा घर के अंदर नहीं जाती है।
दूसरी चीज है कम धूप होना- कम धूप होने से हमें पर्याप्त धूप नहीँ मिल पाती अब आप सोच रहें होगें की धूप का जुकाम से क्या संबंध तो में आपको बता दें धूप से हमें विटामिन डी मिलता है, विटामिन डी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं इसलिए ठण्ड में हम वायरस का जल्दी सीकार हो जाते हैं।
तीसरी चीज हैं ठण्ड में हवा की नमी- ठण्ड के मौसम में हवा की नमी कम हो जाती है, कम नमी वाली हवा वायरस के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है और दूसरी ओर सुखी हवा होने से हमरी नाक में मोजूद म्यूकस भी सूख जाता है इससे वायरस पहले मोर्चें पर लड़ाई को आसानी से जीत जाते हैं और हम पर हमला कर देतें हैं।
तो ये वो कारण हैं जिनसे जुकाम ठण्ड में ही होता है इसलिए सावधानीपूर्वक इन वायरस से बचे रहना ही समझदारी मानी जाती है किसी भी चीज के बारे में बेहतर तरीके से जानने का तरीका है सवाल पूंछते रहना इसलिए कमेंट्स में अपने सवाल जरूर पूंछें।
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