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साइटिका क्या है कारण, लक्षण, इलाज और बचाव – sciatica causes, symptoms and treatment in Hindi

साइटिका क्या है कारण, लक्षण, इलाज और बचाव - sciatica causes, symptoms and treatment in Hindi

Sciatica in Hindi आज आप जानेंगे साइटिका क्या है?, इसकी पहचान, साइटिका के लक्षण, साइटिका होने के कारण और साइटिका का इलाज क्या है Sciatica ke karan, lakshan, ilaj in hindi के बारें में। साइटिका साइटिक तंत्रिका (sciatic nerve) में एक प्रकार का दर्द है जो पीठ से होते हुए कूल्हों, नितंबों और पैर के निचले हिस्से को प्रभावित करती है। आमतौर पर साइटिका शरीर के सिर्फ एक तरफ के भाग को ज्यादा प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी (spine) जब संकरी हो जाती है तो तंत्रिकाओं में अधिक दबाव पड़ने लगता है जिसके कारण इसमें सूजन और दर्द होता है एवं पैरों में सुन्नता महसूस होने लगती है।

साइटिका का दर्द बहुत गंभीर भी हो सकता है और कुछ मामलों में तो जल्दी इलाज कराने की भी आवश्यकता पड़ती है। जिन व्यक्तियों में साइटिका के कारण पैर कमजोर हो गए हों या आंत और ब्लैडर में परिवर्तन महसूस हो उन्हें सर्जरी कराने की जरूरत पड़ती है।

1. साइटिका के लक्षण – Symptoms of Sciatica in Hindi
2. साइटिका होने के कारण – Causes of sciatica in Hindi
3. साइटिका होने के जोखिम – Risk factors for sciatica in Hindi
4. साइटिका का इलाज – treatments for sciatica in Hindi

5. साइटिका से बचाव – Prevention of sciatica in Hindi

साइटिका के लक्षण – Symptoms of Sciatica in Hindi

साइटिका के लक्षण - Symptoms of Sciatica in Hindi

साइटिका के मुख्य लक्षण निम्न हैं

  • कमर में दर्द
  • पैर के पिछले हिस्से में दर्द होना और बैठने के बाद दर्द गंभीर हो जाना
  • कूल्हों में दर्द
  • पैरों में जलन या झुनझुनी का अनुभव
  • पैर को हिलाने-डुलाने में परेशानी, कमजोरी और सुन्नता का अनुभव
  • पैर के पिछले भाग में सिर्फ एक तरफ दर्द होना
  • तीव्र पीड़ा होना और उठने में परेशानी होना

साइटिका आमतौर पर शरीर के निचले भाग के सिर्फ एक हिस्से को प्रभावित करता है। साइटिका का दर्द कमर से पैर के जांघों और पैर के निचले हिस्सों में पहुंचता है। इस बीमारी की गंभीरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि साइटिक तंत्रिका (sciatic nerve) कितना प्रभावित हुई है। इसके अलावा यह दर्द पैर की उंगलियों तक भी पहुंच सकता है।

साइटिका होने के कारण – Causes of sciatica in Hindi

sciatica hone ke karan in Hindi साइटिका की बीमारी तब होती है जब तंत्रिका सूख हो जाती है और रीढ़ की हड्डी खिसक जाती है या इसमें चोट लग जाती है। इसके अलावा कशेरूक (vertebrae) में हड्डी अधिक बढ़ जाने के कारण भी यह बीमारी उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी तंत्रिका ट्यूमर के कारण सिकुड़ जाती है या डायबिटीज (Diabetes) जैसी बीमारी के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है, जो साइटिका जैसी बीमारी को जन्म देती है।

साइटिका होने के अन्य कारण इस प्रकार हैं – sciatica hone ke karan in Hindi

  • लंबर स्पाइनल स्टेनोसिस – पीठ के निचले हिस्से (lower back) की रीढ़ की हड्डी संकरी हो जाती है। इस कारण साइटिका की समस्या पैदा हो जाती है।
  • स्पॉनडिलोलिस्थेसिस (spondylolisthesis) – एक ऐसी समस्या जिसमें डिस्क स्लिप नीचे से कशेरूकाओं के आगे निकल जाती हैं।
  • रीढ़ के भीतर ट्यूमर होना – यह तंत्रिका में साइटिका का कारण होता है।
  • संक्रमण (infection) – यह आमतौर पर रीढ़ को प्रभावित करता है।
  • कौडा एक्विना सिंड्रोम (Cauda equina syndrome) – साइटिका की यह सबसे गंभीर स्थिति है, हालांकि अमूमन यह जल्दी होता नहीं है लेकिन यह रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इसके लिए तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण भी यह रोग उत्पन्न हो सकता है।

साइटिका होने के जोखिम – Risk factors for sciatica in Hindi

साइटिका होने के जोखिम - Risk factors for sciatica in Hindi

  • उम्र के साथ रीढ़ के हड्डी में भी परिवर्तन होता रहता है। उम्र बढ़ने पर रीढ़ की हड्डी (spine bone) खिसक सकती है या हड्डी में गांठ बन सकती है। यह साइटिका होने का मुख्य कारण होता है।
  • मोटापा बढ़ने के कारण रीढ़ की हड्डी में तनाव बढ़ जाता है। इसके अलावा शरीर का वजन अधिक बढ़ जाने के कारण भी रीढ़ में परिवर्तन होता है और इस कारण साइटिका (sciatica) होना सामान्य बात है।
  • पीठ पर अधिक भार रखकर ढो़ना, लंबे समय तक गाड़ी चलाना या अधिक देर तक एक ही जगह बैठकर काम करते रहने से भी साइटिका की बीमारी हो सकती है।
  • डायबिटीज सी समस्या के कारण साइटिका होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है क्योंकि यह शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करता है जहां से शरीर ब्लड शुगर का उपयोग करता है। इससे तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।

साइटिका का निदान – Sciatica diagnosis in Hindi

यदि साइटिका के लक्षण बहुत हल्के हैं और 4 से 8 हफ्तों से ज्यादा नहीं रहते हैं तो आमतौर पर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन इस बीमारी के निदान के लिए डॉक्टर रोगी के शरीर में दिखायी देने वाले लक्षणों और पीड़ा के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यदि दर्द 4 से 8 हफ्तों से ज्यादा हो तो एक्स-रे और एमआरआई (MRI) जैसी इमेजिंग टेस्ट करके इस बीमारी का निदान किया जाता है। इस टेस्ट में सियाटिक तंत्रिका के संकुचित होने के कारण और लक्षणों की जांच की जाती है।

साइटिका का इलाज – treatments for sciatica in Hindi

sciatica/ साइटिका का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। साइटिका के हल्के और तीव्र दर्द का इलाज अलग-अलग किया जाता है।

साइटिका के हल्के दर्द का इलाज

  • यदि साइटिका का दर्द हल्का हो तो मरीज को इस बीमारी के इलाज के लिए दर्दनिवारक दवाएं दी जाती हैं
  • हल्के दर्द को ठीक करने के लिए मरीज को टहलने और स्ट्रेचिंग (stretching) करने की सलाह दी जाती है।
  • दर्द शुरू होने पर गर्म या ठंडे कंप्रेशन पैक से सिंकाई करने की सलाह दी जाती है, यह दर्द को कम करने में मदद करता है।

पुरानी (chronic) साइटिका का इलाज

  • मरीज को फिजिकल थेरेपी (physical therapy) दी जाती है।
  • अगर बीमारी के ठीक करने में इलाज प्रभावी नहीं है तो सर्जरी की जाती है।
  • पीठ और कमर की तंत्रिकाओं में दबाव को कम करने के लिए रीढ़ की हड्डी को चौड़ा किया जाता है जिसे लंबर लैमिनेक्टॉमी (Lumbar laminectomy) कहते हैं।
  • खिसकी हुई डिस्क (herniated disk) को आंशिक या पूरी तरह निकाल दिया जाता है।
  • साइटिका उत्पन्न करने वाले कारणों के आधार पर ही मरीज का इलाज किया जाता है सर्जरी कराने के पहले किसी अच्छे सर्जन से सलाह ले लेनी चाहिए।

साइटिका से बचाव – Prevention of sciatica in Hindi

  • sciatica/ साइटिका से बचाव करना हमेशा संभव नहीं हो पाता है क्योंकि यह बीमारी बार-बार उत्पन्न हो सकती है। लेकिन कुछ उपायों के जरिए साइटिका उत्पन्न करने वाले कारकों से बचा जा सकता है।
  • नियमित एक्सरसाइज- अपनी कमर और पीठ को मजबूत रखने के लिए प्रतिदिन एक्सरसाइज करना चाहिए। विशेषरूप से  पेट की मांसपेशियों और कमर की मांसपेशियों के एक्सरसाइज पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • सही मुद्रा में बैठना-बैठने के लिए ऐसी सीट का चयन करें जहां पीछे से आपको बेहतर सपोर्ट मिले। अपने सीट के पीछे तकिया या टॉवेल को मोड़कर भी लगाने से पीठ और कमर को सहारा मिलता है और उसका कर्व सामान्य रहता है। बैठते समय अपने कूल्हों और घुटने को सामान्य स्तर पर रखें।

ऊपर के लेख में आपने जाना साइटिका क्या है? साइटिका होने के कारण, इसकी पहचान, साइटिका के लक्षण और साइटिका का इलाज क्या है के बारें में।

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