Alcoholism in Hindi एल्कोहोलिज्म यानि शराब पीने की लत, इस शब्द से हर कोई परिचित है। माना जाता है कि शराब पीने की आदत धीरे धीरे विकसित होती है और यह लत बन जाती है। भारतीय समाज में पुरुष के शराब पीने की लत के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की शिकार होती हैं। सड़क दुर्घटनाओं के कई कारणों में शराब भी एक मुख्य कारण है। शराब की लत लगने से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है जिसके चलते उसकी असमय मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि शराब से होने वाले नुकसान को जानते हुए भी लोग शराब की लत को नहीं छोड़ पाते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि शराब पीने की लत या एल्कोहालिज्म क्या है, इसके कारण, लक्षण, जाँच और इलाज के बारे।
शराब पीने की लत को एल्कोहोलिज्म कहते हैं। जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है और उसकी बॉडी एल्कोहल की आदी हो जाती है तो एल्कोहल उसके जीवन के लिए सबसे जरूरी चीज बन जाती है। वह जब एल्कोहल पीने की इच्छा को कंट्रोल नहीं कर पाता है तो इसे शराब पीने की लत या एल्कोहॉलिज्म कहते हैं। आमतौर पर शराब पीने की लत लगने पर लोग इससे होने वाली बीमारियों के बारे में जानते हुए भी खुद को शराब पीने से रोक नहीं पाते हैं। जिंदगी के बुरे दौर जैसे की नौकरी चली जाना और यहां तक की रिलेशनशिप टूटने के बाद भी शराब पीने की लत नहीं छूट पाती है। शराबीपन, शराब पीने की लत को एल्कोहॉलिज्म और एल्कोहल यूज डिसऑर्डर भी कहते हैं।
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एल्कोहोलिज्म या शराब पीने की लत का सटीक कारण ज्ञात नहीं हो पाया है। लेकिन इसके पीछे जेनेटिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और पर्यावरणीय फैक्टर जिम्मेदार होते हैं। आमतौर पर शराब पीने की लत तब लगती है जब बहुत अधिक शराब पीने के कारण मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन होता है। शराब पीने के बाद मस्तिष्क में डोपामिन का लेवल बढ़ जाता है। डोपामिन का स्तर शराब पीने के अनुभव को अधिक मजेदार बनाता है और इसके कारण बार-बार शराब पीने का मन करता है। समय के साथ शराब पीने की लत धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। लत लगने के बाद बॉडी को इसकी जरूरत महसूस होने लगती है और व्यक्ति अच्छा फील करने एवं स्ट्रेस दूर करने के लिए शराब का सहारा लेता है। इसके अलावा शराब की लत अन्य कारणों से भी लगती है।
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शराबीपन, शराब पीने की लत लगने के लक्षण व्यक्ति के बिहेवियर और शारीरिक हावभाव से दिखते हैं। जिससे बहुत आसानी से पता चल जाता है कि व्यक्ति एल्कोहोलिज्म से ग्रसित है। आइये जानते हैं किन लक्षणों से पहचाने की किसी व्यक्ति को शराब पीने की लत है।
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यदि आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आप या आपका कोई प्रिय व्यक्ति कैसे शराबी हो सकता है, तो शराब के चरणों को पहचानने से आपको इसे छोड़ने और उपचार के लिए उपलब्ध विकल्पों का चयन करने में मदद मिल सकती है। शराब के चार चरणों को ई मॉर्टन जेलिनेक (E. Morton Jellinek) द्वारा परिभाषित किया गया था, जो एक वैज्ञानिक शोधकर्ता थे जिन्होंने शराब पर व्यापक काम किया था। शराबीपन के चरण हैं: पूर्व-शराबी, प्रारंभिक शराबी, मध्य शराबी और पुराना शराबी।
शराब की लत के प्रारंभिक चरण को प्री-अल्कोहलिक चरण कहा जाता है। इस दौरान, पीने की समस्या के बहुत कम सबूत हैं। इस चरण की शुरुआत में शराब पीना मुख्य रूप से सामाजिक होता है। हालांकि, जैसा कि शराब की लत का यह चरण आगे बढ़ता है, पीने का उपयोग तनाव में कमी के साधन के रूप में किया जानें लगता है। इस चरण की प्रमुख शारीरिक विशेषता यह है कि व्यक्ति शराब के लिए सहिष्णुता विकसित करना शुरू कर देता है। इसका मतलब है कि वह कभी भी बड़ी मात्रा में शराब पी सकता है।
यदि आप सोच रहे हैं कि क्या आप प्री-अल्कोहलिक या पूर्व-मादक अवस्था में हैं, तो अपने आप से पूछें कि क्या आप खुद को बेहतर महसूस करने के लिए पीते हैं, या यदि आप पीते हैं क्योंकि आपके आस-पास के लोग पी रहे हैं और यह सामाजिक रूप से उपयुक्त है। यदि आप सामाजिक लोगों के साथ प्रबंधनीय मात्रा में पी रहे हैं, तो आपको अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
हालांकि, यदि आप अपने आप को बेहतर महसूस करने, चिंता से बचने, बुरी यादों को भूलने या चिंता को कम करने के लिए पी रहे हैं, तो आप प्री-एल्कोहलिक अवस्था में हो सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक दर्द से राहत के लिए शराब पीने की आदत से सावधान रहें, जो आंगे शराब की लत के रूप में बढ़ सकती है। यदि ऐसा है, तो अपनी शराब पीने की समस्या पर चर्चा करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
आपके द्वारा अपने अल्कोहल-संबंधी ब्लैक आउट का सामना करने के बाद, आप शराब की लत के प्रारंभिक मादक अवस्था में हैं। शराब की लत के मध्य चरण के दौरान, आप शारीरिक और सामाजिक बदलावों का अनुभव कर सकते हैं। इस चरण को एक बढ़ती हुई असुविधा के साथ जोड़ा जाता है ताकि इसे प्रतिरोध करने में असमर्थता के साथ जोड़ा जा सके। आप अपने आप को दोस्तों या प्रियजनों को शराब पीने के बारे में झूठ बोल सकते हैं। आप उसे छिपा भी सकते हैं, जैसे कि सोडा या कॉफ़ी को बताकर। इस अवस्था के दौरान, आपकी शराब के प्रति सहनशीलता बढ़ती रहती है। आप हर समय शराब के विचारों से ग्रस्त हो सकते हैं।
मध्य शराबी अवस्था में शराब के लक्षण आमतौर पर मित्र और परिवार के सदस्यों के लिए स्पष्ट हो जाते हैं। शराब पीने या हैंगओवर के कारण आप काम या सामाजिक दायित्वों को भूलना शुरू कर सकते हैं। आप अनुचित समय पर पी सकते हैं, जैसे कि अपने बच्चों की देखभाल करते समय, ड्राइविंग या काम पर। आप अपने जीवनसाथी या दोस्तों के साथ बहस करते हुए तेजी से चिड़चिड़े हो सकते हैं। शराब के सेवन से आपका शरीर बदलना शुरू हो जाएगा। आप चेहरे की लालिमा, पेट फूलना, सुस्ती, वजन बढ़ना या वजन कम होना जैसे लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। शराब की लत के इस चरण में, आप शराब पीने से खुद को रोकने और यहां तक कि सहायता समूहों में शामिल होने के लिए कई प्रयास कर सकते हैं।
पुराना शराबी अवस्था के दौरान, लंबे समय तक शराब के दुरुपयोग के प्रभाव स्पष्ट होते हैं, और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं। शराब पीना एक पूरे दिन का मामला बन जाता है, और परिवार और दोस्तों सहित जीवन में सब कुछ पीने के लिए पीछे हट जाता है। यदि नौकरी खोना पहले के चरण में नहीं हुआ है, तो यह अक्सर इस चरण में होता है। पीने से होने वाले रोग विकसित हो सकते हैं, जैसे कि मनोभ्रंश या यकृत का सिरोसिस। पागलपन या मानसिक उन्माद इस चरण की विशेषता है, साथ ही साथ पुराने शराबी भी अत्यधिक भयभीत हो सकते हैं और यह समझाने में सक्षम नहीं होते हैं कि क्यों। शराब पीने से रोकने के प्रयासों में इन्हें झटके या मतिभ्रम की सिकायत हो सकती है।
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डॉक्टर या हेल्थ केयर प्रोवाइडर एल्कोहोलिज्म या एल्कोहल यूज डिसऑर्डर का निदान करते हैं। शारीरिक परीक्षण के बाद व्यक्ति से उसके शराब पीने की आदतों के बारे में कुछ सवाल पूछे जाते हैं और फिर इस एल्कोहोलिज्म का निदान किया जाता है।
डॉक्टर आपसे आपके विचारों, फीलिंग, लक्षण और बिहेवियर पैटर्न के बारे में भी सवाल पूछते हैं। इसके अलावा जरुरत पड़ने पर डॉक्टर शराब पीने के आदी व्यक्ति के दोस्तों और परिवार के सदस्यों से भी कुछ सवाल पूछ सकते हैं। इन सभी सवालों से ही आपकी समस्या का निदान संभव हो पाता है।
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शराबीपन, शराब पीने की लत/एल्कोहोलिज्म के निदान के लिए ब्लड टेस्ट का सहारा लिया जाता है। हालांकि ब्लड टेस्ट से सिर्फ यह पता चल पाता है कि हाल में व्यक्ति ने कितना शराब पीया है। ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट यह नहीं बताती कि कोई व्यक्ति लंबे समय से अधिक शराब पीने का आदी है।
यदि ब्लड टेस्ट में यह पाता जाता है कि व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं की साइज बढ़ गई है तो यह इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को लंबे समय से शराब पीने की लत है।
कार्बोहाइड्रेट डिफिसिएंट ट्रांसफरिन (CDT) एक ब्लड टेस्ट है जो शरीर में शराब की भारी मात्रा का पता लगाने में मदद करता है।
इसके अलावा कुछ अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं जिनसे यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि लिवर कितना डैमेज हुआ है या व्यक्ति का टेस्टोस्टेरोन कितना कम हुआ है। यह दोनों एल्कोहोलिज्म की पुरानी आदत को दर्शाते हैं। इसके साथ ही स्क्रीनिंग के जरिए कुछ सवाल पूछकर एल्कोहोलिज्म की समस्या का निदान किया जाता है।
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शराब पीने की लत या एल्कोहोलिज्म का इलाज व्यक्ति की आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकता है। मरीज का उचित इलाज करके एल्कोहोलिज्म को रोक कर उसकी लाइफ ऑफ क्वालिटी को बेहतर बनाना डॉक्टर का मुख्य उद्देश्य होता है। शराब की लत को रोकने के लिए इस तरह से इलाज किया जाता है।
मरीज का इलाज डिटॉक्स से शुरू किया जाता है। इसमें दो से सात दिन का समय लगता है। डॉक्टर मरीज को नींद (sedating medications) की दवाएं देते हैं। डिटॉक्स आमतौर पर हॉस्पिटल में ही किया जाता है। डिटॉक्स के कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे शराब से मन हटने लगता है और ज्यादा पीने की इच्छा नहीं होती है।
एल्कोहोलिज्म से ग्रसित व्यक्ति को समूह में या फिर अकेले काउंसलिंग और थेरेपी दी जाती है। इससे शराब से आपको होने वाली समस्या और ना छोड़ पाने की समस्या के बारे में बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। इसमें डॉक्टर व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक पहलूओं को समझते हैं और काउंसलिंग देते हैं। आप अपने परिवार के साथ बैठकर काउंसलिंग ले सकते हैं। परिवार के सपोर्ट से शराब की लत छोड़ने में बहुत मदद मिलती है।
डिसल्फिराम (disulfiram) नाम की दवा शराब पीने की लत से बचाने में बहुत मदद करती है। हालांकि यह शराब से होने वाली बीमारियों और शराब पीने की मजबूरी से नहीं बचाती है। अगर कोई व्यक्ति शराब पीता है तो यह दवा उसकी बॉडी में फिजिकल रिएक्शन पैदा करती है जिसके कारण उल्टी, मितली और सिरदर्द होता है। हर बार शराब पीने के बाद यह दवा ऐसी ही प्रतिक्रिया देती है जिससे व्यक्ति शराब पीना बंद कर देता है।
नालट्रेक्सोन (Naltrexone) नाम की एक अन्य दवा शराब पीने से होने वाली अच्छी फीलिंग को ब्लॉक कर देती है जिससे ज्यादा शराब पीने का मन नहीं करता है। जबकि एकम्प्रोस्टेट नाम की दवा का सेवन करने से एक बार शराब छोड़ने के बाद दोबारा शराब पीने की इच्छा को ब्लॉक करता है।
नोट – किसी भी प्रकार की दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
शराब की लत छोड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा नालट्रेक्सोन (Naltrexone) का एक वर्जन विविट्रॉल (Vivitrol) है जो इंजेक्शन फॉर्म में महीने में एक बार दी जाती है। हालांकि इसी तरह की दवा को गोली के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन एल्कोहल के उपयोग के विकार से उबरने वाले लोगों के लिए इंजेक्शन ज्यादा फायदेमंद होता है।
नोट – किसी भी प्रकार की दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
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लंबे समय से अल्कोहल का सेवन करने से अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव में निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं आइये जानतें हैं शराब पीने से क्या बीमारी होती है
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शराब पीने की लत शराबीपन, जिसे शराब पर निर्भरता भी कहते हैं, की आदत को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए मेडिकल ट्रीटमेंट के अलावा मेंटल स्ट्रेंथ की भी जरूरत होती है। उम्मीद है इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको एल्कोहालिज्म के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल गयी होगी। अगर आपके किसी साथी या रिश्तेदार को भी शराब पीने की लत तो शुरूआत में ही डॉक्टर से परामर्श करें और इस समस्या से छुटकारा दिलाकर उनके जीवन को सुरक्षित बनाएं।
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